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देहरादून उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बावजूद 1 जुलाई से चार धाम यात्रा की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार की जबरदस्त खिंचाई की है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इस निर्णय की समीक्षा करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा रद्द होने का हवाला देते हुए कहा कि यात्रा को स्थगित या रद्द करने की जरूरत है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बड़ा आयोजन हमेशा कोरोना महामारी में एक स्पाइक की ओर ले जाता है। ऐसे में सरकार को एक बार फिर अपने फैसले के बारे में सोचना चाहिए। 'चार धाम यात्रा शुरू करने के फैसले की करें समीक्षा' कोर्ट का मानना है कि कोरोना महामारी जैसी तबाही को धार्मिक स्थलों पर बड़ी सभा आयोजित करके और चार धाम यात्रा की अनुमति देकर फिर से आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए, यह अदालत राज्य सरकार को एक जुलाई से चार धाम यात्रा शुरू करने के अपने फैसले की समीक्षा करने का निर्देश देती है। 20 जून को राज्य सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू करने की घोषणा 20 जून को राज्य सरकार ने दो चरणों में चार धाम यात्रा शुरू करने की घोषणा की। 1 जुलाई से उत्तराखंड के चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के निवासियों के लिए इसकी अनुमति होगी। राज्य के बाकी हिस्सों के लोगों के लिए 11 जुलाई से चार मंदिरों की यात्रा की अनुमति दी जाएगी। 29 अप्रैल को राज्य सरकार ने तीर्थयात्रा स्थगित कर दी थी, जो 14 मई से शुरू होने वाली थी। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा चारधाम यात्रा 1 जुलाई से शुरू होने जा रही है। इसमेंबद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री की यात्रा की जाती है। इसमें लाखों की संख्या में हर साल श्रद्धालु उत्तराखंड आते हैं। इस साल के लिए पवित्र धार्मिक स्थलों के कपाट खोलने की तारीख तय हो गई है। श्रद्धालु को कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना होगा चारधाम यात्रा के संदर्भ में सरकार ने कहा था कि हर एक श्रद्धालु को गाइडलाइंस का पालन करना होगा। हालांकि विपक्ष ने सरकार के इस फैसले पर ऐतराज जताया था। विपक्ष का कहना था कि उत्तराखंड सरकार लोगों की जान से खेल रही है।
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