रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद और रोडवेज कर्मचारी यूनियन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से इस मुद्दे पर फैसले के लिए सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने तथा मंगलवार को अदालत को जवाब देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वेतन का भुगतान न करना कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है। अदालत ने मंत्रिमंडल द्वारा इस मामले को शुक्रवार को देखे जाने की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए जिसमें चारधाम तीर्थयात्रा को स्थानीय लोगों के लिए खोले जाने को लेकर फैसला किया गया।
अदालत ने पूछा, “जब तक रोडवेज कर्मचारियों का बकाया वेतन नहीं दिया जाता तब तक क्यों न उत्तराखंड के वित्त और पर्यटन सचिव के वेतन रोक दिए जाएं?”
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई में मुख्य सचिव ओम प्रकाश, वित्त सचिव अमित नेगी, पर्यटन सचिव रंजीत सिन्हा और परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक अभिषेक रुहिला शामिल हुए।
जनहित याचिका में कहा गया, “अगर रोडवेज कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उन पर आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) के तहत आरोप लगाए जाते हैं, इसलिये उनके पास अपनी मांगों को लेकर अदालत आने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था।”
from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/3gYURHc
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें