सोमवार, 21 जून 2021

उत्तराखंड सरकार के फैसले से भड़का IMA, कहा-आयुष डॉक्टर्स को एलोपैथी मेडिसिन लिखने की इजाजत देना असंवैधानिक

करन खुराना, देहरादूनबाबा रामदेव और आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) का विवाद पिछले माह काफी सुर्खियों में रहा। हाल फिलहाल मामला शांत होने के बाद सोमवार को आयुष व वन मंत्री हरक सिंह रावत के आयुष डॉक्टर्स को एलोपैथी मेडिसिन लिखने सम्बंधित घोषणा के बाद यह मामला फिर चर्चा में आ गया। सोमवार को योग महोत्सव के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत के मौजूदगी और निर्देशानुसार आयुष व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने घोषणा की थी कि दूरस्थ क्षेत्रों में सरकारी केंद्रों पर आयुष डॉक्टर्स इमरजेंसी में एलोपैथी मेडिसिन लिख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का आरोप इस घोषणा के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस आदेश को असंवैधानिक बताया है। नवभारतटाइम्स से बात करते हुए आईएमए उत्तराखंड सचिव डॉ खन्ना ने बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन 2019 की धारा 34 के अनुसार एलोपैथी मेडिसिन सिर्फ वही लिख सकता है जो मेडिकल कौंसिल में रजिस्टर्ड प्रैक्टिशनर हो और आयुष डॉक्टर्स हमारे कॉउन्सिल में रजिस्टर्ड नहीं होते इसलिए एलोपैथी मेडिसिन नहीं लिख सकते। साथ ही आईएमए सचिव डॉ खन्ना ने बताया कि कुछ दिन पहले हमारे द्वारा मुख्य सचिव उत्तराखंड को पहले ही एक चिट्ठी लिख कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जानकारी दे दी गयी थी, हमें अन्देशा था कि सरकार इस तरह के आदेश जारी कर सकती है। इस तरह का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है और यह कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट में आएगा। आयुष मंत्री ने किया था ऐलान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने नवभारतटाइम्स को बताया कि दूरस्थ क्षेत्रों में जहा डॉक्टर्स की भारी कमी है वहां पर आयुष डॉक्टर्स एलोपैथी मेडिसिन लिख पाएंगे। हरक सिंह रावत ने कहा कि बीएएमएस की पढ़ाई में मॉडर्न मेडिसिन के डॉक्टर्स भी होते है जो सर्जरी और गाएनो आदि मेडिकल सुविधाओं को भी अच्छी तरह से जानते है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि जहां कोई सुविधा नहीं है वहां इससे बेहतर क्या हो सकता है। 2022 में विधानसभा चुनाव है, देखा जाए तो सरकार की यह घोषणा विवादित ही प्रतीत हो रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आईएमए डॉक्टर्स इस आदेश को निरस्त करवा पाएंगे या सरकार अपने आदेश पर अडिग रहेगी।


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