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गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के अलावा यमुनोत्री के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली में भी तीर्थ पुरोहित धरने पर बैठे हैं। धरने पर बैठे तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया कि लंबे समय से तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है जिसके चलते उन्होंने अब आंदोलन को अनिश्चितकालीन चलाने का निर्णय लिया है।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद्द करते हुए चारधामों सहित 51 मंदिरों को उसके दायरे से बाहर करने की घोषणा की थी लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ।
बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहित 11 जून से बांह पर काली पटटी बांधकर पूजा—अर्चना कर रहे हैं वहीं 15 जून को उन्होंने एक दिवसीय उपवास भी रखा था ।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चारधामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक अधिनियम के जरिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था। तीर्थ पुरोहित इसका शुरू से ही विरोध कर रहे हैं ।
मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद कुंभ के दौरान तीरथ सिंह रावत ने बोर्ड के मसले पर पुनर्विचार का संकेत देते हुए कहा था कि इस संबंध में सभी हितधारकों से बातचीत करने के बाद कोई निर्णय किया जाएगा ।
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