शनिवार, 19 जून 2021

उत्तराखंड: लॉकडाउन में लौटे गांव, अपने पैसे से बना दी 2 KM सड़क, लोगों का आना-जाना हुआ आसान

देहरादून लॉकडाउन में लोग शहरों से अपने गांव क्या लौटे, उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों को उसकी खोई जवानी फिर से मिल गई। बरसों से गांव की सूरत बदलने का जो जज़्बा मन के भीतर ही था, उसे एकजुट होकर अंजाम देने का मौका मिल गया। पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लॉक के गांव चौंरा में 7-8 साल से सड़क बनाने की जरूरत थी। इस बार लॉकडाउन में कई परिवार गांव लौटे तो एक दिन सबने मीटिंग करके खुद की मेहनत और पैसे से ही गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की ठान ली। चौंरा गांव के धीरेंद्र बिष्ट बताते हैं, 'गांव में ज्यादातर बुजुर्ग लोग रहते हैं और नजदीकी बाजार किरखू 2-3 किलोमीटर दूर था, वहां जाने के लिए काफी पैदल चलने के बाद मोटर मार्ग आता था। लोगों के लिए राशन सब्जी वगैरह और बाजार से सामान लाना बहुत दिक्कत का काम हो रहा था। लॉकडाउन में गांव में कई लोग लौटे। करीब 40 परिवार जहां रह रहे थे वहीं इस दौरान बढ़कर करीब 60 परिवार हो गए।' दो लाख रुपये जमा कर बनाई सड़क धीरेंद्र ने आगे बताया, 'एक दिन कुछ युवा लड़कों और बुजुर्ग लोगों ने सड़क बनाने के लिए मीटिंग की। इसमें तय किया गया कि गांव के लोग अपनी मेहनत से और अपना पैसा जमा करके इस सड़क का निर्माण शुरू करेंगे। करीब दो लाख रुपए जमा किए।' 16 दिन में बनाई 2 किमी लंबी सड़क मकान रिपेयरिंग के लिए दिल्ली से गांव गए जगत सिंह बताते हैं, 'पैसा जमा होते ही प्रधान की इजाजत लेकर एक जेसीबी किराए पर ली और 16 दिन में मोटर मार्ग को गांव से जोड़ती करीब 2 किलोमीटर सड़क बन गई। गांव के लोगों ने श्रमदान किया। लोगों ने अपने खेत बिना आपत्ति के सड़क बनाने के लिए दिए। अभी टू व्हीलर और फोर व्हीलर इस सड़क से आ जा रहे हैं।' बारिश के चलते रुक गया है काम जगत सिंह बताते हैं, 'करीब 50 मीटर पर अभी और काम होना है मगर बारिश होने की वजह से काम रोक दिया है। अभी नजदीकी बाजार से सामान मंगवाना होता है तो टेंपो समान लेकर गांव में ही आ जाता है।' गांव के ही महाबीर सिंह बिष्ट बताते हैं, 'हमने सड़क की खुदाई के बाद ब्लॉक प्रमुख को ज्ञापन दिया है कि सड़क का रखरखाव प्रशासन अपने हाथ में ले क्योंकि बारिश के बाद सड़क रख रखाव मांगेगी।' गांव के घर की देखभाल को लौट रहे हैं घर वह बताते हैं, 'सड़क बन जाने का असर ये हुआ है कि लोग अपने गांव के घर की देखभाल को लौट रहे हैं। मौजूदा समय में ही गांव के करीब पांच मकानों की मरम्मत का काम चल रहा है।'


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