हरिद्वार मातृ सदन हरिद्वार में ने गंगा रक्षा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर रविवार से शुरू कर दिया है। साध्वी ने मांग की है कि केंद्र सरकार को जल्दी ही गंगा ऐक्ट बनाना चाहिए। साध्वी ने उत्तराखंड में प्रस्तावित चार जल विद्युत परियोजनाओं को तुरंत निरस्त करने की भी मांग उठाई। साध्वी के अनुसार, बार-बार वादा करने के बाद भी गंगा में समुचित जल नहीं छोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मातृ सदन के पत्र पर इस साल जून में तुरंत कार्रवाई की थी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने मातृ सदन की सभी मांगों को मान लेने की बात दिल्ली में एक प्रतिनिधिमंडल से कही थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उदासीन बनी हुई है। इस मौके पर स्वामी शिवानंद सरस्वती ने सवाल उठाया कि जब रायवाला से भोगपुर तक गंगा और सहायक नदियों में खनन पर रोक लगाने की बात लिखित में कही गई है तो फिर श्यामपुर में खनन कैसे शुरू कराया गया। स्वामी शिवानंद ने कहा कि अब जब राज्य सरकार हरिद्वार में गंगा में खुलेआम अवैध खनन करा रही है इसलिए उनके आश्रम की अनुयायी साध्वी पद्मावती ने गंगा की रक्षा के लिए अनशन करने का निर्णय लिया है। गंगा रक्षा के लिए दो संत दे चुके हैं प्राण आपको बता दें कि मातृसदन के दो संत गंगा के संरक्षण की मांग को लेकर अपने प्राणों का उत्सर्ग कर चुके हैं । 2011 में ब्रह्मचारी निगमानंद ने तो 2018 में जाने-माने वैज्ञानिक रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद उर्फ जीडी अग्रवाल गंगा रक्षा के लिए अनशन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं।
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