गुरुवार, 1 अगस्त 2019

डॉक्टर दुर्गम स्थानों में सेवायें दें या ब्याज सहित फीस वापस करें : अदालत

नैनीताल, एक अगस्त :भाषा: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आज प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों से रियायती फीस पर एमबीबीएस का कोर्स करने वाले डॉक्टरों से पूर्व समझौते के अनुसार आवश्यक रूप से पांच साल दूरस्थ स्थानों पर सेवायें देने या अपने संस्थानों को 18 प्रतिशत ब्याज के साथ गैर सब्सिडाइज्ड फीस वापस करने के आदेश दिये । दूरस्थ स्थानों पर सेवायें देने के नियम से छूट चाहने वाले चिकित्सकों को न्यायालय ने ये निर्देश दिये । मेडिकल शिक्षा ग्रहण करने से पहले सरकार के साथ किये समझौते में इन डॉक्टरों ने कम से कम पांच साल प्रदेश के दूरस्थ स्थानों में अपनी सेवायें देना स्वीकार किया था । मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने चिकित्सकों को राज्य सरकार के साथ समझौते के अनुसार फीस में ली रियायत के एवज में दूरस्थ क्षेत्रों में डयूटी ज्वाइन करने या ब्याज सहित सामान्य फीस सरकार को लौटाने के आदेश दिये । राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ के चिकित्सकों को राहत देने के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि इन चिकित्सकों ने पढाई करने के लिये सरकारी योजना का लाभ लिया और अब प्रदेश के दूरस्थ स्थानों में सेवायें देने को तैयार नहीं हैं । राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने बताया कि पीठ के आदेश के बाद इन डॉक्टरों को छह माह के भीतर दूरस्थ स्थानों पर अपनी सेवायें देनी होंगी या 18 प्रतिशत ब्याज के साथ फीस लौटानी होगी ।


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