बुधवार, 26 जनवरी 2022

Uttarakhand Election : चेले की दबंगई हरीश रावत पर भारी, रामनगर सीट गई पर बेटी अनुपमा रावत का टिकट करा लिया पक्का

देहरादून : पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) के जंग को शांत कर संकटमोचक बनने की कोशिश कर रहे () जब सफल नहीं हुए तो वहां की कमान हरीश चौधरी को दी गई। ऐसा लगा हरीश रावत में शायद डीके शिवकुमार वाली बात नहीं है और उन्हें किनारा कर दिया जाएगा। लेकिन सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कांग्रेस के इस वफादार सिपाही को वापस उत्तराखंड भेजकर प्रचार समिति का मुखिया बना दिया। पूर्व सीएम और इस बार भी दावेदार हरीश रावत को लगा कि देवभूमि में पार्टी पर उनका सिक्का चलेगा। दाल गली नहीं। भारतीय जनता पार्टी ( Bhartiya Janata Party) से आयात हुए हरक सिंह रावत ( Harak Singh Rawat) ने उनकी टेंशन और बढ़ा दी। हालत ऐसी हो गई कि उन्हें उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election ) में मनमाफिक सीट तक नहीं मिली। पहली लिस्ट में रामनगर की सेफ सीट ( ) हासिल तो कर ली लेकिन उनके राजनैतिक शिष्य और पूर्व विधायक रणजी सिंह रावत (Ranjit Singh Rawat) बागी हो गए। साफ कह दिया यहीं से लड़ूंगा सल्ट (Salt Assembly Seat) से नहीं। वो भी तब जब वो यहां से हारे हुए उम्मीदवार हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट ने उन्हें हरा दिया था। चेले की दंबगई देख कांग्रेस ने आधी रात नई लिस्ट जारी कर दी। हरीश रावत को लालकुंआ (Lalkuan Assembly Seat) भेज दिया। हां, उनकी नाराजगी कम करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने उनके उस फेसबुक पोस्ट का मान रखा जिसमें उन्होंने लिखा था ‘अब थोड़ा मुझे अपने बेटे-बेटियों, जिन्होंने मेरी ही गलतियों वश राजनीति की ओर कदम बढ़ा दिए या मेरी ढिलाई समझ लीजिए, प्रोत्साहन तो मैंने कभी दिया नहीं, लेकिन मेरी ढिलाई के कारण वे भी इस काम में लग गए, उनकी चिंता होती है, क्योंकि उनके प्रति भी मेरा दायित्व है।’ सीएम पद के दावेदार हरीश रावत के परिजनों को टिकट का विरोध हो रहा था। लेकिन नई लिस्ट में हरिद्वार ग्रामीण सीट से उनकी बेटी अनुपमा रावत (Harish Rawat daughter ) को कांग्रेस का उम्मीदवार बना दिया गया है। शायद इससे हरीश रावत की नाराजगी दूर हो जाए। वहीं रणजीत सिंह रावत को भी रामनगर सीट नहीं दी गई है ताकि कोई गलत मैसेज न जाए। पार्टी ने उन्हें सल्ट सीट से ही टिकट दिया है। रणजीत सिंह रावत ने कहा था कि उन्होंने रामनगर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी। वाहिद अली वाहिद की कविता पढ़ते हुए उन्होंने विद्रोह का बिगुल कुछ यूं बजाया था.. 'द्वन्द्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए, तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए पांच बार सांसद रहे हरीश रावत जब विजय बहुगुणा के खिलाफ नाराजगी के बाद सीएम बनाए गए थे तब धारचूला का विधानसभा उपचुनाव उन्होंने जीता था। 2017 में वो हरिद्वार ग्रामीण और किच्चा दो क्षेत्रों से लड़े और दोनों ही हार गए। 1980 से लेकर 1999 तक उन्होंने अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र का लगातार पांच बार प्रतिनिधित्व किया। 2009 में हरिद्वार से जीते और 2019 में अजय भट्ट ने उन्हें नैनीताल सीट से हरा दिया।


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