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दोनों पार्टियां अपने कुनबे को एकजुट रखने की रणनीति पर काम कर रही हैं और टिकट की दौड़ में छूट गए लोगों को इसके बदले पार्टी अहम जिम्मेदारी और सरकार बनने की स्थिति में विभिन्न आयोगों और समितियों में समयोजित करने का वादा कर रही हैं।
दोनों पार्टियों को कुछ महीने पहले ही बगावत का अनुभव हो गया था, जब राज्य में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य ने कांग्रेस में शामिल होने के लिए भाजपा छोड़ दी थी। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस विधायक राजकुमार भाजपा में वापस आ गए। निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार और राम सिंह कैरा भी भगवा दल में शामिल हो गए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दोनों पार्टियों के टिकट अकांक्षियों के उम्मीदवारों की सूची जारी होने पर दल बदलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
उनका कहना है कि अगर ऐसा होता है तो भाजपा की स्थिति अधिक दांव पर होगी जिसने वर्ष 2017 के चुनाव में 70 विधानसभा सीटों में से 57 पर जीत दर्ज की थी।
पार्टी नेता ने कहा कि पार्टी लगातार अपने विधायकों के प्रदर्शन का आकलन कर रही है और पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण में जिन विधायकों का प्रदर्शन् ठीक नहीं पाया जाएगा उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया जाएगा।
कांग्रेस के लिए खोने को अधिक नहीं है क्योंकि मौजूदा विधायकों को दोबारा टिकट मिलना लगभग तय है। हालांकि, संभावना है कि पूर्व विधायक और संभावित प्रत्याशी, जो टिकट की आशा में पार्टी में शामिल हुए, वे टिकट नहीं मिलने पर स्तब्ध करने वाला कदम उठा सकते हैं।
दोनों पार्टियां, जिनका राज्य में सीधा मुकाबला है, प्रत्याशियों के नाम तय करने के अंतिम चरण में हैं।
दोनों दलों के सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) ने सभी 70 सीटों के लिए प्रत्याशियों की सूची तैयार कर ली है जबकि भाजपा की 27 उम्मीदवारों की पहली सूची भी लगभग तैयार है।
कांग्रेस के प्रचार प्रमुख हरीश रावत ने स्पष्ट कर दिया है कि पीसीसी ने सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली है।
दूसरी ओर भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक सूची को अंतिम रूप दे रहे हैं जिसे पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के समक्ष अंतिम मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि संभव है कि पार्टी उम्मीदवारों की दो अलग-अलग सूची जारी करे, पहली सूची 21 जनवरी को नामांकन शुरू होने से पहले और दूसरी 25 जनवरी तक। उन्होंने बताया कि पार्टी की केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक 18 या 19 जनवरी को होने की संभावना है।
पार्टी के अंदर की जानकारी रखने वालों ने बताया कि दोनों पार्टियों में कई सीटों पर दो से अधिक दावेदार हैं। उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए उधमसिंह नगर जिले में सात सीटें हैं जहां पर दोनों पार्टियों में प्रत्येक सीट पर कम से कम दो-दो दावेदार हैं, इसके बाद हरिद्वार और देहरादून जिले हैं जहां पर छह-छह सीटें हैं।
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