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यहां 'पीटीआई' से बातचीत में कर्नल रावत ने कहा, ‘‘मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैं केवल उत्तराखंड की जनता की सेवा करना चाहता हूं।'’ उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं ने उनसे चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। विधानसभा चुनावों में एक माह से कम का समय शेष रहते कर्नल रावत के भाजपा में शामिल होने के कारण उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे।
इस बारे में उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा में शामिल होने के पीछे मेरा उददेश्य कोई पद लेना नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना है। सेना में अपने 34 साल के करिअर में मेरा विभिन्न जगहों पर तबादला हुआ, लेकिन मुझे अपने राज्य की सेवा का मौका नहीं मिल पाया। अब मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूं, तो मैं यह कर सकता हूं।’’ पांच साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद से जयपुर में रह रहे कर्नल रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में संभावनाओं को स्थानीय लोगों को उनके घर में रोजगार देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे पलायन की समस्या भी कम होगी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार योग, ट्रेकिंग और अन्य साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के मौके उपलब्ध हो सकते हैं। कर्नल रावत ने बताया कि हाल में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए जनरल रावत भी राजनीति से बाहर रहकर उत्तराखंड के लोगों की सेवा करने को तत्पर थे और उनके पास अल्मोड़ा और रानीखेत सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों के लिए विशिष्ट योजनाएं थीं। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह अपने बड़े भाई के बारे में ज्यादा बात करना नहीं चाहते क्योंकि उनके दुखद निधन के बारे में सोचकर वह बहुत दुखी हो जाते हैं।
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