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कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एन एस धनिक की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की।
सच्चिदानंद डबराल तथा अन्य के द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि इसी प्रकार के मामले उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन होने के बावजूद राजनीतिक रैलियों का आयोजन किया गया। अदालत ने निर्वाचन आयोग से इस संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा था।
निर्वाचन आयोग ने अपने जवाब में बताया कि आयोग ने आठ जनवरी को दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे, जिसके तहत 15 जनवरी तक चुनावी रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इसके अलावा, यह भी बताया गया कि उम्मीदवारों का नामांकन शुल्क ऑनलाइन जमा होगा। हलफनामा और अन्य कागज निर्वाचन अधिकारी के सामने जमा होंगे। अनावश्यक वाहनों के इस्तेमाल को कम करने के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। आयोग ने स्टार प्रचारकों पर भी प्रतिबंध लागू किए हैं।
अदालत ने इन दिशा-निर्देशों पर संतोष जताया और कहा कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद इन चीजों को देखना चुनाव आयोग का काम है और इन मामलों को तय करना अदालत का काम नहीं है। मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 फरवरी तय की गयी है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर वरिष्ठ नागरिकों को घरों में जाकर कोविड-रोधी टीके की बूस्टर खुराकें भी दी जानी चाहिए।
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