सोमवार, 31 जनवरी 2022

मोदी सरकार ने मंहगाई पर जनता को कोई राहत नहीं दी : पायलट

देहरादून, 31 जनवरी (भाषा) महंगाई के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत सरकार को घेरते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सोमवार को कहा कि रोजमर्रा का सामना मंहगा होने के बावजूद उसने जनता को कोई राहत नहीं दी।

उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार के लिए आए पायलट ने कहा कि जनता मंहगाई से कराह रही है और पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, फल, सब्जी, तेल, चीनी, चायपत्ती जैसा हर सामान मंहगा हो गया है लेकिन इसके बावजूद सरकार ने जनता को कोई राहत नहीं दी।

इस संबंध में उन्होंने कहा कि आज पेट्रोल-डीजल देसी घी से भी मंहगे हो गये हैं और अब भाजपा सरकार ने चुनावों को देखते हुए इसमें थोड़ी बहुत कटौती की है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये भाजपा के वही नेता हैं जो केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के समय पेट्रोल—डीजल के दामों में 25 पैसे प्रति लीटर की बढोत्तरी होने पर हाहाकार मचा देते थे।

उन्होंने वादा किया कि प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार बनने पर गैस सिलेंडर के दाम 500 रुपये से अधिक नहीं होने दिए जाएंगे और इससे आम जनता को बहुत राहत मिलेगी।

पायलट ने उत्तराखंड में पांच साल में बार—बार मुख्यमंत्री बदलने को लेकर भी भाजपा पर हमला बोला और कहा कि उन्हें बताना चाहिए कि बदलाव का कारण क्या था। उन्होंने कहा कि इससे न केवल सरकार अस्थिर रही बल्कि इसमें जोड़—तोड़ और आपसी खींचतान में भी राज्य का समय निकला।

पायलट ने देहरादून के सबसे प्रमुख बाजार पल्टन बाजार में जनसंपर्क अभियान किया और पार्टी के लिए वोट मांगे।

इस बीच, कांग्रेस के प्रवक्ता चरन सिंह साप्रा ने नैनीताल जिले के हल्द्वानी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें अपना खजाना भरने के लिए गरीबों की जेब पर डाका डाल रही हैं।

मंहगाई को हराने के लिए भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करने का लोगों से आह्वान करते हुए साप्रा ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां गरीब को और गरीब जबकि अमीर को और अमीर बना रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जहां भी डबल इंजन की सरकारें हैं वहां केवल अंबानी और अडाणी को ही फायदा पहुंचा है।’’

साप्रा ने कहा कि 14 फरवरी को जब प्रदेश में मतदान होगा और भाजपा सरकार का घमंड टूटेगा।

उन्होंने हल्द्वानी की जनता से क्षेत्र की दिवंगत विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता इंदिरा ह्रदयेश के पुत्र सुमित को वोट देने को कहा।



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विस चुनाव में लोकायुक्त, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे गौण

देहरादून, 31 जनवरी (भाषा) लोकायुक्त और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे इस बार उत्तराखंड के चुनावी परिदृश्य में गौण दिखाई दे रहे हैं।

राज्य में चौदह फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों में जीतने के लिए पूरा दमखम लगा रही कांग्रेस अभी तक इन दोनों मुद्दों पर ज्यादा कुछ कहने से बचती रही है जबकि भाजपा ने भी अपना पूरा चुनाव प्रचार विकास के मुद्दे पर ही केंद्रित कर रखा है।

पृथक उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद 2002 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ। इसके बाद 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव से लेकर 2017 के चुनाव तक भ्रष्टाचार हमेशा प्रमुख मुद्दा रहा है।

विधानसभा चुनाव 2007 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए 56 कथित घोटाले बड़ा मुद्दा बने। इन घोटालों के सहारे सत्ता की सीढी चढी भाजपा सरकार भी घोटालों के आरोपों से दूर नहीं रही।

हालांकि, 2012 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी ने अपने दूसरे मुख्यमंत्रित्व काल में सर्वसम्मति से एक कठोर लोकायुक्त अधिनियम पारित कराया।

लेकिन, उनके बाद विजय बहुगुणा के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार ने इसे रद्द कर दिया और उसकी जगह एक नया कम शक्तिशाली लोकायुक्त अधिनियम बनाया। हालांकि, उनके बाद मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।

हालांकि, 2017 के चुनाव में लोकायुक्त को बड़ा मुद्दा बनाने वाली भाजपा के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह कहते हुए सबको अचरज में डाल दिया कि उनकी सरकार की नीति भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की है और ऐसे में लोकायुक्त की कोई जरूरत ही नहीं है।

कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के इस रूख का जबरदस्त विरोध किया था। लेकिन, इस चुनाव में इस मुद्दे को लेकर अब तक खामोश रही है और उनके नेता भाजपा के खिलाफ अपना प्रचार 'पांच साल में तीन मुख्यमंत्री देने' पर ही फोकस कर रहे हैं।

पिछले पांच साल में भ्रष्टाचार की छिटपुट घटनाओं को छोड़कर कोई बड़ा मुद्दा भाजपा सरकार में नहीं आया है। कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर झारखंड में पार्टी प्रभारी रहते हुए कथित भ्रष्टाचार करने तथा उनके कार्यालय में हुए स्टिंग ऑपरेशन का मुद्दा उठाया लेकिन बाद में समय के साथ इन मुद्दों ने दम तोड़ दिया।

यह पहला चुनाव होने जा रहा है जिसमें अभी तक दोनों पार्टियां भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक दूसरे पर बड़ा प्रहार करने से बच रही हैं। प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर आरोप लगाया कि वह खनन क्षेत्र में भ्रष्टाचार को बढावा दे रहे हैं।

दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री ने रावत पर पलटवार करते हुए कहा कि एक स्टिंग ऑपरेशन में अपने मंत्रियों को प्रदेश को लूटने का लाइसेंस देने वाले वाले नेता को यह आरोप लगाने का नैतिक अधिकार नहीं है।

सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने भी माना कि इस बार चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा नीचे की तरफ चला गया है। उन्होंने कहा, ‘‘2022 के विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा नहीं है। चुनावी मुद्दों की सूची में यह एक बहुत छोटा मुद्दा बन कर रह गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसका एक कारण यह भी है कि हमाम में सभी नंगे हैं। दूसरे लोगों को भी यह लगने लगा है कि भ्रष्टाचार अब सरकार का एक अभिन्न अंग है। इसके अलावा, ज्यादा बड़े मुद्दों को देखते हुए भ्रष्टाचार हाशिए पर चला गया है।’’

हालांकि, कांग्रेस ने कहा कि भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है और आगामी दिनों में चुनाव प्रचार के जोर पकड़ने के साथ भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उठाया जाएगा।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके कार्यालय में हुआ स्टिंग ऑपरेशन, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जनसंपर्क अधिकारी की वायरल हुई चिट्ठी जैसे मुद्दे हम जनता के सामने जोर—शोर से उठाएंगे।’’

उधर, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र भसीन ने कहा कि उनकी पार्टी भी चुनाव में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के मुद्दों को जोरदार तरीके से उठा रही है। लेकिन उन्होंने माना कि उनका मुख्य चुनावी मुद्दा विकास है और वह जनता से इसी मुद्दे पर दोबारा आशीर्वाद मांग रहे हैं।



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कांग्रेस उत्तराखंड राज्य के गठन के खिलाफ थी : निशंक

देहरादून, 31 जनवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि वह उत्तराखंड राज्य के गठन की विरोधी थी और चाहती थी कि इसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में निशंक ने कहा कि कांग्रेस नेताओं का यह व्यवहार कोई नहीं भूला है और उनके एक नेता ने तो यहां तो कह दिया था कि उत्तराखंड का गठन उनकी लाश पर होगा। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के नेता कभी भी उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पक्षधर नहीं थे, वे चाहते थे कि इसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने पृथक राज्य का गठन कर प्रदेश का 'अभूतपूर्व विकास' किया। इस संबंध में उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ ऐतिहासिक काम भी हुए जिनमें श्रीनगर, हल्द्वानी, देहरादून और अल्मोडा में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में स्वास्थ्य विभाग का बजट 837 करोड़ रुपये से बढाकर 3,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रदेश में लाखों परिवारों को मदद हुई है जिसका गवाह यहां का बच्चा—बच्चा है।

निशंक ने कहा कि सैनिकों के सम्मान के लिए भाजपा हमेशा तत्पर रही है और यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 40 वर्षों से रूकी हुई 'वन रैंक वन पेंशन' की उनकी मांग पूरी की।

दूसरी तरफ, उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने सैनिकों का हमेशा अपमान किया और इनके एक बड़े नेता ने तो दिवंगत जनरल बिपिन रावत के लिए 'गली का गुंडा' जैसे अपशब्द कहे।

उन्होंने कांग्रेस की खिंचाई करते हुए कहा कि उसे इसका न तो कोई पश्चाताप है और न ही उसने इस पर माफी मांगी। उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर कांग्रेस को प्रदेश में खड़े होने का भी अधिकार नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि भाजपा उत्तराखंड में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल लाइन बिछा रही है जो एक बड़ा कदम है। इसके अलावा, अवस्थापना विकास में सड़कों और राजमार्गों को लेकर एक नया आयाम दिया जिसके कारण दिल्ली—देहरादून की दूरी बहुत कम हो गयी है।

हरिद्वार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लक्सर से देहरादून पहुंचने में अब केवल 40 मिनट लगते हैं जबकि पहले दो घंटे और जाम लगने पर तीन से चार घंटे भी लग जाते थे। उन्होंने कहा कि देहरादून हवाई अड्डा अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने जा रहा है।



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रविवार, 30 जनवरी 2022

Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 750 प्रत्‍याशी मैदान में, जानें क‍िसे जिले से क‍ितने नामांकन

सुनील सोनकर, देहरादून: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में नामांकन का समय खत्म हो चुका है। दरअसल, निर्वाचन आयोग की ओर से जारी की गतिविधियों के अनुसार 28 जनवरी को नामांकन करने की अंतिम तिथि रखी गई थी। इसके बाद नाम वापसी और स्क्रूटनी होनी है। हालांकि 14 फरवरी को उत्तराखंड में मतदान होना है। इसके जिसके मद्देनजर उत्तराखंड की कुल 70 विधानसभा सीटों के लिए 750 प्रत्याशियों ने नामांकन भरा है। इसमें सबसे अधिक नामांकन देहरादून जिले में 144 लोगों ने क‍िया है। यहां पर कुल 10 विधानसभा सीटें हैं। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा नामांकन देहरादून की धर्मपुर विधानसभा में 20 हुए हैं। दूसरे नंबर पर देहरादून की रायपुर विधानसभा सीट पर 18 नामांकन हुए हैं। तीसरे नंबर पर देहरादून की कैंट विधानसभा सीट पर 17 नामांकन हुए हैं। सबसे कम 6 नामांकन पौड़ी जनपद की यमकेश्वर विधानसभा सीट, उधम सिंह नगर जनपद की बाजपुर सीट और टिहरी जनपद के नरेंद्र नगर सीट पर हुए हैं। दूसरे नंबर पर सबसे कम 7 नामांकन पुरोला, गदरपुर, नैनीताल, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़, भगवानपुर, धनोल्टी, प्रतापनगर, देवप्रयाग विधानसभा सीट पर हुए हैं। जिलावार नामांकन की स्‍थ‍ित‍ि
जिला कुल विधानसभा सीट कुल नामांकन
देहरादून 10 144
हर‍िद्वार 11 131
उधमस‍िंह नगर 9 89
उत्तरकाशी 3 27
चमोली 3 34
रुद्रप्रयाग 2 27
टिहरी गढ़वाल 6 44
पौड़ी गढ़वाल 6 57
पिथौरागढ़ 4 32
बागेश्वर 2 20
अल्मोड़ा 6 57
नैनीताल 6 72
चंपावल 3 16


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कांग्रेस चुनाव में बन जाती है सैनिक प्रेमी—प्रहलाद जोशी

देहरादून, 30 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री और भाजपा के उत्तराखंड चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने रविवार को कांग्रेस पर चुनाव के मौके पर सैन्य प्रेमी बनने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उसे सैनिकों की इतनी चिंता थी तो उसने 'वन रैंक वन पेंशन' योजना लागू क्यों नहीं की।

प्रदेश में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले देहरादून में भाजपा का चुनावी थीम गीत और चुनावी बैनर जारी करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जोशी ने कहा कि अपनी सुविधा की द्रष्टि से कांग्रेस हिंदू बनने के साथ ही चुनाव में सैनिक प्रेमी बन जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस को बताना चाहिए कि उन्होंने 1972 के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के आने तक सैनिकों की सबसे अहम और वाजिब मांग ‘वन रेंक वन पेंशन’ को क्यों नहीं लागू किया और भारतीय सैनिकों और सीमा की सुरक्षा के लिए अत्याधिक जरूरी आधुनिक हथियार और साजो-सामान क्यों नहीं खरीदा।’’ उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता यह कभी नहीं भूल सकती कि कभी कांग्रेस के एक सांसद ने देश के पहले रक्षा प्रमुख दिवंगत जनरल विपिन रावत को गली का गुंडा कहा था और उसने भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे|

केंद्रीय मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि जब खून जमाने वाली ठंड में हमारे वीर जवान चीन के सैनिकों को खदेड़ रहे थे तो इनके नेता राहुल गांधी चोरी-छिपे चीनी दूतावास में हाई-टी पार्टी का लुफ्त उठा रहे थे | उन्होने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा के डबल इंजन के तालमेल के कारण उत्तराखंड में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से भी अधिक विकास परियोजनाएं संचालित हो रही हैं| उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य में डबल इंजन सरकार चलाने का मौका एक बार कांग्रेस को भी मिला था, लेकिन उनके राज्य और केंद्र सरकार के दोनों इंजन विपरीत दिशा में दौड़ते रहे और एक भी बड़ा काम उन्होंने प्रदेशवासियों के लिए नहीं किया।

कांग्रेस के चुनावी अभियान ‘चार धाम चार काम नहीं’ पर तंज कसते हुए जोशी ने कहा कि जनता बखूबी जानती है कि सत्ता में आने पर उनका एक ही काम होता है और वह है दाम वसूलना| कांग्रेस महासचिव हरीश रावत का नाम लिए बिना केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री रहे जो स्टिंग कैमरे पर अपने ही प्रदेश को लूटने का लाइसेंस देते नज़र आए | कांग्रेस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की जगह भारतीय राष्ट्रीय कन्फ़्यूजन पार्टी बताते हुए कहा कि उनके नेता राहुल गांधी की 'कन्फ्यूजन' की आदत उनकी पूरी पार्टी में फैल गई है और इसीलिए पहले चुनाव न लड़ने की बात कहने वाले एक नेता अब चुनाव लड़ रहे हैं।

जोशी ने कहा कि भाजपा अपने औपचारिक चुनाव अभियान की शुरुआत एक फरवरी को करेगी और इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौजूद रहेंगे।



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Opinion Poll: उत्‍तराखंड में बीजेपी को मिल रही जबर्दस्‍त टक्‍कर, इस इलाके में आगे निकली कांग्रेस: सर्वे

देहरादून: इंडिया टीवी के ग्राउंड जीरो ओपिनियन पोल में अनुमान लगाया गया है उत्‍त्‍राखंड में बीजेपी को कांग्रेस की तरफ से कड़ी टक्‍कर मिलने वाली है। खासकर उत्‍तराखंड के गढ़वाल पहाड़ी इलाके में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 8 से 10 सीटें मिलने का अनुमान है। दोनों का वोट पर्सेंट लगभग बराबर है। मैदानी इलाकों में बीजेपी बेहतर देख रही है लेकिन कुमाऊं के पहाड़ी क्षेत्र में कांग्रेस को फायदा मिलने की ज्‍यादा संभावना है। चुनाव जानकारों का कहना है कि बीजेपी के जो बड़े वोटर कट रहे हैं वे कांग्रेस की तरफ जा रहे हैं। कुमाऊं हिल्‍स में कांग्रेस को 10 से 12 सीटें और 60 पर्सेंट वोट शेयर का अनुमान है। बीजेपी को 2 से 4 सीटें और 37 पर्सेंट वोट मिलने की बात कही जा रही है। उत्‍तराखंड की 70 सीटों पर अनुमान बीजेपी: 20 से 26 कांग्रेस: 27 से 33 बीएसपी: 0 आप: 0 से 1 अन्‍य: 0 से 2 ठाकुर वोटर में भी कड़ी टक्‍कर इंडिया टीवी के ग्राउंड जीरो ओपिनियन पोल के मुताबिक, बीजेपी के पारंपरिक ठाकुर वोटों में भी कांग्रेस ने सेंध लगाई है। बीजेपी को 49 पर्सेंट, कांग्रेस को 46 पर्सेंट, आप को 2 पर्सेंट, बीएसपी को 0 पर्सेंट और अन्‍य को 3 पर्सेंट वोट मिलने की संभावना है। ब्राह्मण वोटरों का 58 पर्सेंट बीजेपी कोब्राह्मण वोटों की बात करें तो बीजेपी को 58 पर्सेंट, कांग्रेस को 31 पर्सेंट, आप को 6 पर्सेंट, बीएसपी को 1 पर्सेंट और अन्‍य को 4 पर्सेंट वोट मिल सकते हैं। दलित वोट शेयर में कांग्रेस बीजेपी से आगे है। बीजेपी को 41 पर्सेंट, कांग्रेस को 46 पर्सेंट, आप को 3 पर्सेंट, बीएसपी को 6 पर्सेंट, अन्‍य को 4 पर्सेंट मिलने की संभावना जताई जा रही है। मुस्लिम, सिख कांग्रेस के साथ मुस्लिम वोटरों का 85 पर्सेंट कांग्रेस के साथ है, बीजेपी को 5 पर्सेंट, आप को 4 पर्सेंट, बीएसपी को 5 पर्सेंट और अन्‍य को 1 पर्सेंट मिलने की उम्‍मीद जताई जा रही है। इसी तरह सिख वोटरों का 68 पर्सेंट शेयर कांग्रेस को, बीजेपी को 27 पर्सेंट, आप को 5 पर्सेंट मिलने की संभावना है।


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मिथक:उत्तराखंड में गंगोत्री से बनती है सरकार

देहरादून, 30 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में एक चुनावी मिथक है कि गंगा नदी के उदगम की तरह प्रदेश में सरकार बनने की राह भी गंगोत्री से ही निकलती है। वर्ष 2017 में मतगणना के दौरान राजनीतिक दलों से लेकर आम जनता की दिलचस्पी गंगोत्री सीट का परिणाम जानने में अधिक थी और भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत के जीतने की सूचना मिलने पर माना गया कि अब भाजपा की सरकार बन गई। बाद में यह सच भी साबित हुआ जब 70 में से 57 सीटें जीतकर एक बड़े जनादेश के साथ भाजपा त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में सत्ता पर काबिज हुई।

अब 14 फरवरी को होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले गंगोत्री सीट से जुडा यह मिथक एक बार फिर लोगों के बीच चर्चा में है, जहां भाजपा के सुरेश चौहान कांग्रेस के विजयपाल सिंह सजवाण से दो-दो हाथ कर रहे हैं। उत्तरकाशी की गंगोत्री सीट से भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का पिछले साल लंबी बीमारी से निधन हो गया था और उसके बाद से यह सीट खाली पड़ी थी, जहां अब चौहान को मौका दिया गया है। चौहान ने भरोसा जताया कि पिछली बार की तरह जनता इस बार भी भाजपा को ही अपना आशीर्वाद देगी और न केवल गंगोत्री बल्कि प्रदेश में भी पार्टी ही जीत का परचम लहराएगी।

गंगोत्री सीट से विजय दर्ज करने के लिए प्रत्याशी के अलावा उनकी पार्टियां भी पूरे दमखम से प्रचार में लगी हैं और वे यहां चूक का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहतीं । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शनिवार को उत्तरकाशी का दौरा कर लोगों से पार्टी के लिए वोट मांगे।

दूसरी तरफ, सजवाण भी अपने चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और उनकी पार्टी के नेता भी उनकी विजय सुनिश्चित करने के लिए कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे हैं। सजवाण ने कहा, ‘‘हम गंगोत्री चुनाव जीतेंगे और कांग्रेस की सरकार बनाएंगे ।’’ पिछली विधानसभा चुनावों के आंकड़े भी गंगोत्री के मिथक की पुष्टि करते हैं। वर्ष 2002 में हुए प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सजवाण जीते और नारायणदत्त तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। वर्ष 2007 में भाजपा के प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत को विजय मिली और मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में भाजपा सत्तारूढ हुई। वर्ष 2012 में एक बार फिर सजवाण के सिर पर जीत का सेहरा बंधा और विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस सत्तासीन हुई। अगले चुनाव में 2017 में रावत जीते और त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार बनी। हालांकि, इस बार कांग्रेस और भाजपा के साथ ही गंगोत्री से किस्मत आजमा रहे आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार कर्नल अजय कोठियाल ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है और राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि अब यह मिथक टूट भी सकता है।

राजनीतिक प्रेक्षक प्रोफेसर हर्षपति डोभाल ने कहा कि ऐसी मिथकें चुनावी राजनीति में सुनने में आती हैं और लोगों को आकर्षित भी करती हैं, लेकिन इसके बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। गंगोत्री की तरह चमोली जिले की बदरीनाथ सीट और नैनीताल जिले की रामनगर सीट भी एक चुनावी मिथक बन गई है कि यहां से जिस पार्टी का उम्मीदवार जीता, सरकार उसी की बनी। वर्ष 2002 और 2012 में क्रमश: कांग्रेस के अनुसूया प्रसाद मैखुरी और राजेंद्र भंडारी जीते तो सरकार उन्हीं की पार्टी की बनी जबकि वर्ष 2007 और 2017 में क्रमश: भाजपा के केदार सिंह फोनिया और महेंद्र भटट जीते तो भाजपा सत्तासीन हुई।

ठीक यही परिणाम रामनगर सीट के भी सामने आए हैं। वर्ष 2002 और 2012 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के योगंबर सिंह रावत और अमृता रावत जीते और उनकी पार्टी को सत्ता मिली, जबकि 2007 और 2017 में भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट को विजय मिली और उनकी पार्टी सत्तारूढ़ हुई।



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उत्तराखंड में 727 उम्मीदवारों के नामांकन वैध

देहरादून, 30 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों पर कुल 727 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र सही पाए गए हैं। उत्तराखंड के सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रताप सिंह शाह ने रविवार को देहरादून में बताया कि दाखिल नामांकन पत्रों की शनिवार को जांच की गई और 727 उम्मीदवारों के पर्चे सही पाए गए। कुल 23 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र विभिन्न आधार पर खारिज कर दिए गए।

नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 28 जनवरी को थी और कुल 750 प्रत्याशियों ने अपने पर्चे दाखिल किए थे। सोमवार तक प्रत्याशियों द्वारा अपने नाम वापस लिए जा सकेंगे। चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले प्रमुख नामों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (खटीमा), कांग्रेस महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (लालकुआं), प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक (हरिद्वार), प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल (श्रीनगर) और आप के मुख्यमंत्री पद के दावेदार कर्नल अजय कोठियाल (गंगोत्री) शामिल हैं। प्रदेश में कुल 82.37 लाख मतदाता हैं जो प्रदेश की पांचवीं विधानसभा के 70 प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।



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शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

हरीश रावत, गोदियाल ने नामांकन दाखिल किये

देहरादून, 28 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने के आखिरी दिन शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और गणेश गोदियाल सहित कई प्रत्याशियों ने अपने पर्चे दाखिल किए।

प्रदेश कांग्रेस अभियान समिति के प्रमुख रावत नैनीताल जिले की लालकुआं सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि गोदियाल श्रीनगर गढ़वाल सीट से चुनावी मैदान में हैं।

नामांकन पत्र दाखिल करने वाले अन्य प्रमुख प्रत्याशियों में किशोर उपाध्याय (टिहरी), रितु खंडूरी (कोटद्वार), अनुकृति गुसाईं (लैंसडौन) तथा ब्रजभूषण गैरोला (डोईवाला) शामिल रहे।



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हरीश रावत की सरकार में ‘घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार, स्टिंग आपरेशन’ थे: अमित शाह

देहरादून, 28 जनवरी (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड की पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार को ‘‘घपलों, घोटालों, भ्रष्टाचार और स्टिंग आपरेशन’’ की सरकार बताते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य की भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल में विपक्ष भी उस पर भ्रष्टाचार का एक आरोप नहीं लगा पाया।

प्रदेश में 14 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले रूद्रप्रयाग में भाजपा जिला कार्यालय में रूद्रप्रयाग, श्रीनगर, कर्णप्रयाग, बदरीनाथ, केदारनाथ और थराली विधानसभा क्षेत्रों से डिजिटल तरीके से जुडे भूतपूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘आपने कांग्रेस की सरकार देखी, (हरीश) रावत जी की सरकार देखी, कितने घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार और स्टिंग ऑपरेशन थे। भाजपा की पांच साल की सरकार पर भ्रष्टाचार का एक आरोप विपक्ष भी नहीं लगा पाया।’’

उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में और 2017 के विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड की जनता ने दिल खोलकर भाजपा को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आपने हमारा काम देखा है। अब आपको एक बार फिर पांच साल के सुशासन के लिए भाजपा को वोट देना है जिससे यहां चल रही बड़ी परियोजनाएं पूरी हो सकें।’’

गृह मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के सैनिक लद्दाख से लेकर कच्छ तक बहुत वीरता और समर्पण के साथ देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं लेकिन अब लोकतंत्र के मोर्चे पर भी उन्हें वहीं समर्पण दिखाना होगा।

चारधाम की ‘आल वेदर’ (हर मौसम में खुली रहने वाली) सड़क परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, केदारनाथ पुनर्निर्माण और बदरीनाथ मास्टर प्लान जैसी बड़ी परियोजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन सभी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण प्रगति हो चुकी है लेकिन इन्हें पूरा करने के लिए जनता को भाजपा को एक और कार्यकाल के लिए चुनना होगा।

शाह ने उत्तराखंड के सपूत दिवंगत जनरल बिपिन रावत को याद करते हुए कहा कि सेना प्रमुख और देश के पहले रक्षा प्रमुख अध्यक्ष (सीडीएस) के रूप में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि जनरल रावत ने सैन्य बलों के आधुनिकीकरण के लिए एक कार्ययोजना बनाई थी जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लागू कर रहे हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में 2013-14 में देश का रक्षा बजट दो लाख करोड़ रुपये था जो केंद्र की मोदी सरकार के समय में 2020-21 में बढ़कर चार लाख 78 हजार रुपये हो गया है। उन्होंने राज्य की जनता से युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अगले पांच साल तक एक अच्छी और गति से काम करने वाली पारदर्शी सरकार देने का वादा भी किया।

इससे पहले, शाह ने रूद्रप्रयाग में जनसंपर्क करके लोगों से भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान का अनुरोध किया। उन्होंने रूद्रप्रयाग बाजार में घूम-घूमकर दुकानदारों तथा लोगों के बीच केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों बताने वाले पर्चे भी बांटे। जनसंपर्क और चुनावी बैठकें करने से पहले शाह ने स्थानीय रूद्रनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी की।



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हरक दो दशकों में पहली बार चुनावी परिदृश्य से बाहर

देहरादून, 28 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों द्वारा अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दिए जाने के बाद यह साफ हो गया है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इस बार के चुनावी दंगल में दांव आजमाते दिखाई नहीं देंगे।

प्रदेश के उत्तराखंड के दो दशक के चुनावी सफर में ऐसा पहली बार होगा जब चुनावी राजनीति के महारथी माने जाने वाले हरक सिंह चुनाव नहीं लड़ रहे होंगे।

कथित रूप से अपने अलावा अपनी पुत्रवधू के लिए भी टिकट की मांग पर अड़ने और इसके लिए अन्यत्र संभावनाएं टटोलने के कारण हाल में भाजपा से निष्कासित होने के बाद कोटद्वार के विधायक हरक सिंह किसी तरह कांग्रेस में दोबारा वापसी करने में तो सफल रहे लेकिन अपने लिए टिकट हासिल नहीं कर सके।

उत्तराखंड के चार बार के विधायक हालांकि अपनी पुत्रवधू और फेमिना मिस इंडिया की पूर्व प्रतिभागी रहीं अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से कांग्रेस का टिकट दिलवाने में कामयाब रहे।

कांग्रेस में शामिल होने के बाद से रावत कह रहे थे कि वह चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक नहीं हैं लेकिन अगर पार्टी उनसे कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे।

हालांकि, ये अटकलें भी जोरों पर चलीं कि कांग्रेस उन्हें भाजपा के दिग्गज नेता और मौजूदा विधायक सतपाल महाराज के खिलाफ चौबट्टाखाल से मैदान में उतार सकती है। लेकिन, बाद में समय के साथ ये चर्चाएं दम तोड़ गयीं।

नवंबर, 2000 में बने उत्तराखंड राज्य में हुए सभी चारों विधानसभा चुनावों में विजयश्री का वरण करने वाले हरक सिंह ने 2002 और 2007 का चुनाव लैंसडौन से जीता जबकि 2012 में वह रुद्रप्रयाग और पिछला चुनाव कोटद्वार से जीते थे।

चुनावी दंगल से दूर रहने के बावजूद हर क सिंह के अपना पूरा प्रभाव और जोर अपनी पुत्रवधू को लैंसडौन से जिताने में लगाने की संभावना है।

प्रदेश के एक और प्रमुख नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस बार चुनावी समर में नहीं दिखाई नहीं देंगे। टिकट वितरण की प्रक्रिया शुरू होने से ऐन पहले उन्होंने पार्टी के सामने चुनाव न लड़ने की इच्छा व्यक्त की।

पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को लिखे पत्र में त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि वह भाजपा की सरकार दोबारा बनाने के लिए अपने प्रयास लगाना चाहते हैं और इसलिए उन्हें टिकट न दिया जाए।

वर्ष 2017 में 70 में से 57 सीट जीतकर ऐतिहासिक जनादेश के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बनाए गए त्रिवेंद्र सिंह को पिछले साल मार्च में अपने कार्यकाल के चार साल पूरे होने से महज कुछ दिन पूर्व पद से हटा दिया गया था।



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Uttarakhand Chunav: बीजेपी में बगावत, कई नेताओं के इस्तीफे, विधायक धन सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में

देहरादून: किशोर उपाध्याय के बीजेपी में जाने के बाद टिहरी से बीजेपी विधायक धन सिंह नेगी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस में शामिल होते ही धन सिंह नेगी ने बीजेपी पर आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने बीजेपी को टिकट बेचने वाली पार्टी करार दे दिया। पूर्व सीएम हरीश रावत ने धन सिंह नेगी के कांग्रेस में शामिल होने पर कहा कि धन सिंह की टिहरी को लेकर विचारधान बेहद अच्छी है। टिहरी में धन सिंह नेगी के रूप में पार्टी को एक शिल्पकार मिल गया है। कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी भी बना दिया। उधर रुद्रपुर के बीजेपी विधायक राजकुमार ठुकराल ने पार्टी से टिकट कटने के बाद बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी का टिकट शिव अरोड़ा को मिलने की सूचना से ही तमाम कार्यकर्ता राजकुमार ठुकराल के आवास पर पहुंच गए और विरोध जताने लगे। बीजेपी द्वारा लालकुआं सीट से मोहन सिंह बिष्ट को टिकट दे देने के बाद टिकट के प्रबल दावेदार पवन चौहान फफक कर रो पड़े। उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी का टिकट बंटवारा ताबूत में आखिरी कील सााबित होगा। उधर बीजेपी में शामिल हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए उनका कांग्रेस को छोड़ना जरूरी था। पार्टी छोड़ने की असली वजह से कांग्रेस से पूछी जानी चाहिए। वह 1978 में कांग्रेस से जुड़े थे। कांग्रेस के टिकट पर ही वह 2002 और 2007 में टिहरी से विधायक चुने गए। वहीं किशोर के संबंध में कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि उनका यह पतन देखकर वह काफी आहत हैं। ये है पूरा चुनाव कार्यक्रम उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) का ऐलान चुनाव आयोग (Election Commission) ने 8 जनवरी को किया। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों परएक ही दिन 14 फरवरी को वोटिंग (Polling Day) होगी। विधानसभा वार पहले दो चरणों में चुनाव की चर्चा थी। लेकिन, कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए आयोग ने इस बार एक चरण कम किया है। वर्ष 2012 में 9 और वर्ष 2017 में 5 राज्यों में 8 चरण में चुनाव हुए थे। इस बार एक चरण कम किया गया है। उत्तराखंड चुनाव की अधिसूचना 21 जनवरी को जारी हो रही है। इस दिन से नामांकन (Nomination) भरने शुरू हो जाएंगे। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 28 जनवरी है, वहीं 29 जनवरी को नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी की जाएगी। प्रत्याशी (Candidate) के नामांकन वापस लेने की तिथि 31 जनवरी है। इसके बाद मतदान 14 फरवरी को होंगे। 2017 में ये था परिणाम2017 विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly election 2017) में भाजपा (BJP) ने 56 सीटों के साथ बंपर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को अपना सीएम बनाया था। 5 साल में भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री दिए। इनमें त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद भाजपा तीरथ सिंह रावत (Teerath Singh Rawat) सीएम बने। लेकिन उन्हें भी जल्द ही बदल दिया गया और जुलाई 2021 में राज्य की कमान पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को सौंपी। 2017 में भाजपा को 56 सीटें, जबकि कांग्रेस (Congress) ने 11 सीटें ही जीतीं। विधानसभा की पांच सीटें रिक्त हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा को 46.5% और कांग्रेस को 33.5% वोट (Voting Percentage) मिले। उत्तराखंड राज्य का गठन साल 2000 में हुआ। इसके बाद यहां विस चुनावों में भाजपा और कांग्रेस की बारी-बारी से सरकार बनती रही है।


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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

उच्च न्यायालय ने उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष को बहाल किया

नैनीताल, 28 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण की बर्खास्तगी पर रोक लगाते हुए उन्हें पद पर बहाल कर दिया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सज्जन कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

हालांकि, अदालत ने मामले में विशेष जांच दल को जांच जारी रखने के निर्देश दिए लेकिन उसे कोई गिरफ्तार नहीं करने को कहा।

मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई।

बिजल्वाण पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।



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Uttarakhand School Reopen News: 31 जनवरी से खुलेंगे 10वीं से 12वीं तक के स्कूल, उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला

देहरादून : कोरोना संक्रमण की घटती रफ्तार (Corona Cases in Uttarakhand) के बीच उत्तराखंड में 31 जनवरी से 10वीं से 12वीं तक के स्कूल (Uttarakhand School Open) खोलने का फैसला लिया गया है। सरकार ने इन कक्षाओं के लिए फिजिकली क्लास शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। हालांकि, कक्षा 9 तक पढ़ाई अभी ऑनलाइन ही होगी। इससे पहले सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए 31 जनवरी तक सभी स्कूल बंद करने का फैसला लिया था। 10वीं, 11वीं और 12वीं तक के सभी स्कूल खोलने के निर्देश उत्तराखंड के मुख्य सचिव की ओर से जारी नए आदेश में 10वीं से 12वीं तक के सभी सरकारी और निजी स्कूल 31 जनवरी से खुल जाएंगे। अब 10वीं, 11वीं और 12वीं के छात्र 31 जनवरी से स्कूल जा सकेंगे और पढ़ाई कर सकेंगे। हालांकि, स्कूलों को कोरोना प्रोटोकाल का पूरा पालन करने का निर्देश भी दिए गए हैं। इस मामले में विस्तृत गाइडलाइंस शिक्षा विभाग की ओर से अलग से जारी की जाएगी। 9वीं तक की क्लासेज ऑनलाइन होंगीसरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावा कक्षा एक से 9वीं तक के सभी स्कूल अभी बंद ही रहेंगे। हालांकि, इन छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन क्लासेंज जारी रहेंगी। वहीं सूबे में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2439 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 13 कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई। वहीं गुरुवार को 3999 मरीजों ने कोरोना से जंग जीत ली।


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बुधवार, 26 जनवरी 2022

Uttarakhand Election Candidate: जानिए आपकी विधानसभा सीट पर किस पार्टी से कौन है प्रत्याशी, उत्तराखंड की 70 सीटों की पूरी डिटेल

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Vidhan sabha Chunav 2022) एक चरण में होने जा रहा है। राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को चुनाव का ऐलान किया। चुनाव ऐलान के साथ ही सभी सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) सहित प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस (Congress), आम आदमी पार्टी (AAP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), समाजवादी पार्टी (SP) अपने प्रत्याशियों (Candidate list) की घोषणा कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अब तक प्रत्याशियों की दो लिस्ट जारी की है। इसमें पहली लिस्ट में 59 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए, वहीं दूसरी लिस्ट में 9 प्रत्याशियों के नाम घोषत किए गए हैं। इनमें कुछ नाम बदले भी गए हैं। वहीं कांग्रेस ने अब तक दो लिस्ट जारी की है, इसमें पहली में 11 उम्मीदवार घोषित किए, वहीं दूसरी लिस्ट में 10 उम्मीदवार घोषित किए, इनमें भी कुछ की सीट में बदलाव किया है। इनमें पार्टी के कद्दावर चेहरा और पूर्व सीएम हरीश रावत को रामनगर की बजाए लालकुआं से प्रत्याशी बनाया गया है। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी ने 37 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने अब तक 18 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं। बता दें प्रदेश में नामांकन प्रक्रिया 21 जनवरी से शुरू हो चुकी है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 28 जनवरी है। 31 जनवरी नाम वापस लेने की तिथि है। मतदान 14 फरवरी को होगा। प्रमुख तारीखें उत्तराखंड चुनाव की अधिसूचना 21 को नामांकन की अधिसूचना : 21 जनवरी नामांकन फॉर्म दाखिल करने की तिथि : 28 जनवरी नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी : 29 जनवरी नामांकन वापस लेने की तिथि : 31 जनवरी मतदान : 14 फरवरी 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में ये था प्रदर्शन 2017 विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly election 2017) में भाजपा (BJP) ने 56 सीटों के साथ बंपर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को अपना सीएम बनाया था। 5 साल में भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री दिए। इनमें त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद भाजपा तीरथ सिंह रावत (Teerath Singh Rawat) सीएम बने। लेकिन उन्हें भी जल्द ही बदल दिया गया और जुलाई 2021 में राज्य की कमान पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को सौंपी। 2017 में भाजपा को 56 सीटें, जबकि कांग्रेस (Congress) ने 11 सीटें ही जीतीं। विधानसभा की पांच सीटें रिक्त हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा को 46.5% और कांग्रेस को 33.5% वोट (Voting Percentage) मिले। उत्तराखंड राज्य का गठन साल 2000 में हुआ। इसके बाद यहां विस चुनावों में भाजपा और कांग्रेस की बारी-बारी से सरकार बनती रही है। जानिए आपकी विधानसभा सीट पर किस पार्टी से कौन है प्रत्याशी


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उत्तराखंड कांग्रेस में टिकट बंटवारे के बाद बगावत पर बोले हरीश रावत- कोई प्रत्याशी नहीं बदला जाएगा

महेश पांडेय, देहरादून: प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के बाद शुरू हुई कांग्रेस में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। लैंसडाउन से कांग्रेस ने हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिया है, जिसको लेकर पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। लैंसडाउन से कांग्रेस टिकट के दावेदार रहे रघुवीर बिष्ट के समर्थकों ने पार्टी मुख्यालय में अनुकृति को टिकट दिए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। आनन-फानन में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने बैठक की। पूर्व मुख्यमंत्री , नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल बैठक में मौजूद रहे । बैठक के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि 27 जनवरी को प्रत्याशियों की आखिरी सूची जारी होगी। घोषित हो चुकी किसी सीट पर कोई भी प्रत्याशी नहीं बदला जाएगा। हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस 16 सीटों पर काफी कमजोर है, जिसमें से 8 सीटों को जिताने की जिम्मेदारी उन्हें मिली है। अन्य 4 सीटों की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को दी गई है, जबकि चार सीटों की जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह पर छोड़ी गई है। कांग्रेस में टिकट कटने पर कई दावेदार निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर रहे हैं। ऐसे में इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि बैठक में पार्टी कुछ सीटों पर चेहरा बदल सकती है, लेकिन हरीश रावत ने इस संभावना से साफ इनकार कर दिया। रामनगर से हरीश रावत और उनके चेले रणजीत रावत के बीच तकरार भी सामने आ रही है। हालांकि, हरीश रावत किसी भी मतभेद से इनकार कर रहे हैं। हरीश रावत रामनगर सीट को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं। उन्होंने मंगलवार देर रात सोशल मीडिया पर रामनगर के लिए एक भावनात्मक पोस्ट लिखा और यहां से 28 जनवरी को नामांकन भरने का ऐलान भी किया। बीजेपी छोड़ दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री यशपाल और उनके बेटे संजीव आर्य के अलावा किसी दूसरे परिवार से दो टिकट नहीं दिए गए हैं। लेकिन अब यह चर्चा भी है कि कुछ ताकतवर नेताओं के दबाव में इस फॉर्म्यूले को कहीं-कहीं छोड़ा जा सकता है। हरिद्वार ग्रामीण सीट से हरीश रावत की बेटी अनुपमा दावेदार हैं। रुड़की सीट को लेकर हरीश और प्रीतम सिंह कैंप आमने सामने हैं। इस सीट पर रावत कैंप जहां मनोहरलाल शर्मा के पक्ष में बताए जा रहे हैं, वहीं प्रीतम कैंप यशपाल राणा के पक्ष में हैं। चौबट्टाखाल में सतपाल महाराज के खिलाफ कोई नामचीन चेहरा कांग्रेस के पास नहीं है। बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए हरक के इस सीट पर दखल होने से अब यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें टिकट मिल सकता है।


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वंशवाद-परिवारवाद का दंश झेलती कांग्रेस, फिर टूट गया 'एक परिवार-एक टिकट' का मिथक

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार आज दौर से गुजर रही है उसमें एक परिवार-एक टिकट का उच्च स्थापित नैतिक प्रतिमान टिकता ही कितने दिन। तो टूट गया। जी-23 के निशाने पर तो सोनिया गांधी - राहुल गांधी - प्रियंका गांधी खुद हैं। वंशवाद और परिवारवाद के लिए कांग्रेस विरोधियों के निशाने पर रही है और अब अपनों के निशाने पर। सोनिया गांधी (Sonia Gandhi ) रायबरेली से सांसद हैं और कार्यकारी अध्यक्ष। राहुल गांधी (Rahul Gandhi ) वायनाड से सांसद हैं। पूर्व अध्यक्ष हैं पर मां की बढ़ती उम्र और सेहद का ध्यान रखते हुए पार्टी में अहम फैसले लेते हैं। महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Chunav 2022) में ज़ोर आजमाईश कर रही हैं। जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजी तो पार्टी के भीतर अनुशासन के लिए तय किया गया कि एक परिवार से किसी एक को ही टिकट मिलेगा। उत्तराखंड () और पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) के लिए तो इसे तय माना गया। आज से ठीक 15 दिन पहले देहरादून में उत्तराखंड इलेक्शन इंचार्ज अविनाश पांडे ने ये बात दोहराई पर थोड़ी ढील देकर कि जिस परिवार में पहले से दो विधायक हैं उनका टिकट कैसे काटा जाए। पंजाब में तो इस पर सख्ती दिखी। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपने भाई के लिए बस्सी पठाना की सीट चाह रहे थे। पर आलाकमान ने मना कर दिया। उनके भाई मोहन सिंह ने अब निर्दलिय मैदान में उतरने का मन बना लिया है। वह मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। जब पूछा गया तब पंजाब के पहले दलित सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि वह अपने भाई को समझाएंगे। और जब 25 जनवरी को कांग्रेस ने 23 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की तो अपवाद सामने आ गया। पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल संगरूर के लेहरा से पहले ही उम्मीदवार घोषित हो चुकी हैं, दूसरी लिस्ट में उनके दामाद विक्रम बाजवा को भी सहनेवाल से टिकट मिल गया है। चरणनजीत सिंह चन्नी परिस्थितियों के सीएम हैं, तो चुप ही रहेंगे लेकिन पार्टी ने चोला बदल दिया। उत्तराखंड में तो अविनाश पांडे ने एक अपवाद 11 जनवरी को ही बता दिया ता। यशपाल आर्य और संजीव आर्य। पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट में समाज कल्याण और परिवहन मंत्री रहे यशपाल आर्य भाजपा छोड़ बेटे समेत कांग्रेस में शामिल हुए थे। दोनों विधायक हैं। लिहाजा उत्तराखंड में वापसी की कोशिश कर रही पार्टी पहले ही तय कर चुकी होगी कि दोनों का टिकट बरकरार रहेगा। वही हुआ भी। यशपाल आर्य तो बाजपुर से पर्चा भी दाखिल कर चुके हैं। बेटा संजीव आर्य नैनीताल से उम्मीदवार बनाया गया है। पर सिलसिला थमा नहीं। भाजपा से ही कांग्रेस में पहुंचे हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं को लैंसडाउन से पार्टी उम्मीदवार बनाया है। हालांकि हरक सिंह रावत पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है पर इस कद्दावर नेता को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। पिछला चुनाव उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर कोटद्वार से जीता था। एक परिवार-एक टिकट का सारा फॉर्म्युला 26 जनवरी की आधी रात धरा का धरा रह गया जब पार्टी ने सीएम उम्मीदवार और प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के साथ उनकी बेटी को भी उम्मीदवारों की सूची में स्थान दे दिया। हरीश रावत लालकुंआ से और उनकी बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से मैदान में होंगी। परिवार को ध्यान रखना कांग्रेस की मजबूरी है। सैद्धांतिक धरातल पर ऐसे प्रतिमान शीर्ष पर गढ़े जाते हैं। जब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ही परिवारवाद के बूते पार्टी चलाना चाहता हो तो पार्टी धरातल पर उससे अलग प्रतिमान कैसे गढ़ सकती है। खासकर ऐसे समय में जब कांग्रेसमुक्त भारत अभियान चल रहा है। पार्टी उत्तराखंड मेें वापसी चाहती है और पंजाब में बने रहने की लड़ाई लड़ रही है। क्या रामनगर सीट काटने के बाद हरीश रावत को रूठने से रोकने का कोई और जरिया था। शायद नहीं, इसलिए बेटी को टिकट दिया गया। ऐसी ही मजबूरियों से पार्टी अभी और दो-चार हो सकती है।


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Uttarakhand Election : चेले की दबंगई हरीश रावत पर भारी, रामनगर सीट गई पर बेटी अनुपमा रावत का टिकट करा लिया पक्का

देहरादून : पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) के जंग को शांत कर संकटमोचक बनने की कोशिश कर रहे () जब सफल नहीं हुए तो वहां की कमान हरीश चौधरी को दी गई। ऐसा लगा हरीश रावत में शायद डीके शिवकुमार वाली बात नहीं है और उन्हें किनारा कर दिया जाएगा। लेकिन सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कांग्रेस के इस वफादार सिपाही को वापस उत्तराखंड भेजकर प्रचार समिति का मुखिया बना दिया। पूर्व सीएम और इस बार भी दावेदार हरीश रावत को लगा कि देवभूमि में पार्टी पर उनका सिक्का चलेगा। दाल गली नहीं। भारतीय जनता पार्टी ( Bhartiya Janata Party) से आयात हुए हरक सिंह रावत ( Harak Singh Rawat) ने उनकी टेंशन और बढ़ा दी। हालत ऐसी हो गई कि उन्हें उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election ) में मनमाफिक सीट तक नहीं मिली। पहली लिस्ट में रामनगर की सेफ सीट ( ) हासिल तो कर ली लेकिन उनके राजनैतिक शिष्य और पूर्व विधायक रणजी सिंह रावत (Ranjit Singh Rawat) बागी हो गए। साफ कह दिया यहीं से लड़ूंगा सल्ट (Salt Assembly Seat) से नहीं। वो भी तब जब वो यहां से हारे हुए उम्मीदवार हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट ने उन्हें हरा दिया था। चेले की दंबगई देख कांग्रेस ने आधी रात नई लिस्ट जारी कर दी। हरीश रावत को लालकुंआ (Lalkuan Assembly Seat) भेज दिया। हां, उनकी नाराजगी कम करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने उनके उस फेसबुक पोस्ट का मान रखा जिसमें उन्होंने लिखा था ‘अब थोड़ा मुझे अपने बेटे-बेटियों, जिन्होंने मेरी ही गलतियों वश राजनीति की ओर कदम बढ़ा दिए या मेरी ढिलाई समझ लीजिए, प्रोत्साहन तो मैंने कभी दिया नहीं, लेकिन मेरी ढिलाई के कारण वे भी इस काम में लग गए, उनकी चिंता होती है, क्योंकि उनके प्रति भी मेरा दायित्व है।’ सीएम पद के दावेदार हरीश रावत के परिजनों को टिकट का विरोध हो रहा था। लेकिन नई लिस्ट में हरिद्वार ग्रामीण सीट से उनकी बेटी अनुपमा रावत (Harish Rawat daughter ) को कांग्रेस का उम्मीदवार बना दिया गया है। शायद इससे हरीश रावत की नाराजगी दूर हो जाए। वहीं रणजीत सिंह रावत को भी रामनगर सीट नहीं दी गई है ताकि कोई गलत मैसेज न जाए। पार्टी ने उन्हें सल्ट सीट से ही टिकट दिया है। रणजीत सिंह रावत ने कहा था कि उन्होंने रामनगर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी। वाहिद अली वाहिद की कविता पढ़ते हुए उन्होंने विद्रोह का बिगुल कुछ यूं बजाया था.. 'द्वन्द्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए, तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए पांच बार सांसद रहे हरीश रावत जब विजय बहुगुणा के खिलाफ नाराजगी के बाद सीएम बनाए गए थे तब धारचूला का विधानसभा उपचुनाव उन्होंने जीता था। 2017 में वो हरिद्वार ग्रामीण और किच्चा दो क्षेत्रों से लड़े और दोनों ही हार गए। 1980 से लेकर 1999 तक उन्होंने अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र का लगातार पांच बार प्रतिनिधित्व किया। 2009 में हरिद्वार से जीते और 2019 में अजय भट्ट ने उन्हें नैनीताल सीट से हरा दिया।


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उत्तराखंड की टोपी पहनकर मोदी ने जनता से भावनात्मक रिश्ता जोड़ा

देहरादून, 26 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में बुधवार को ब्रह्मकमल फूल से सजी उत्तराखंड की टोपी पहनकर प्रदेश में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जनता से भावनात्मक संबंध जोड़ने का प्रयास किया।

मोदी द्वारा पहनी गयी मसूरी के सोहम हिमालयी केंद्र में बनी यह टोपी शहर में दिन भर चर्चा का विषय बनी रही जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा ने इसे राज्य की संस्कृति और परंपरा का सम्मान बताया वहीं कांग्रेस ने इसे 'चुनावी नौटंकी' करार दिया।

सोहम हिमालयी केंद्र उत्तराखंड हिमालय की विरासत, संस्कृति और जातीयता को संरक्षित करने और उसे बढावा देने का काम करता है।

धामी ने ट्वीट किया, ‘‘आज 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मकमल से सुसज्जित देवभूमि उत्तराखंड की टोपी धारण कर हमारे राज्य की संस्कृति एवं परंपरा को गौरवान्वित किया है। मैं उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता की ओर से उनका आभार प्रकट करता हूं।’’

प्रदेश भाजपा ने अपने आधिकारिक टि्वटर हैंडल पर लिखा है कि उत्तराखंड की आन-बान-शान की प्रतीक पहाड़ी टोपी पहन कर प्रधानमंत्री ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से राष्ट्रीय समर स्मारक पर श्रद्धांजलि दी।

मसूरी से विधायक गणेश जोशी ने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री उत्तराखंड के लोगों के ह्रदय में वास करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि 'वोकल फॉर लोकल' प्रधानमंत्री के लिए केवल एक नारा नहीं है बल्कि एक प्रतिबद्धता है।’’

उन्होंने सोहम हिमालयी केंद्र के समीर और शिल्पकारों की उनकी पूरी टीम को टोपी बनाने के लिए धन्यवाद भी दिया।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने हालांकि, इसे म हज एक 'चुनावी नौटंकी' बताया और कहा कि प्रधानमंत्री चुनाव में लाभ उठाने के लिए हमेशा ही ऐसा करते हैं।

प्रदेश पार्टी उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनावों में लाभ लेने के लिए उन्होंने अपनी दाढी बढा ली थी लेकिन चुनावों के बाद वह गायब हो गयी। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड के चुनाव समाप्त होने के बाद लोग वैसे ही उत्तराखंड की टोपी ढूढेंगे जैसे पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद गायब हुई उनकी दाढी ढूंढ रहे हैं। यह प्रधानमंत्री की केवल एक चुनावी नौटंकी है।’’

हालांकि, राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि इस प्रकार की भावनात्मक बातें मतदाताओं पर प्रभाव डालती हैं लेकिन समस्या यह है कि लगभग सभी पार्टियां ऐसा करती हैं।

राजनीतिक प्रेक्षक जय सिंह रावत ने इस संबंध में हाल में कांग्रेस के एक कार्यक्रम का हवाला दिया जहां मंच पर मौजूद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत सभी नेताओं को उत्तराखंड की टोपी पहनाई गई और उसे 'उत्तराखंडियत' की शान बताया गया।



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टिहरी, डोईवाला छोड़कर भाजपा ने बची नौ सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए

देहरादून, 26 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बुधवार को टिहरी और डोइवाला सीटें छोड़कर शेष बची नौ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।

भाजपा द्वारा जारी प्रत्याशियों की इस दूसरी सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी की यमकेश्वर से विधायक पुत्री ऋतु खंडूरी का है जिन्हें कोटद्वार सीट से चुनावी समर में उतारा गया है। इससे पहले जारी 59 उम्मीदवारों की पहली सूची में यमकेश्वर से खंडूरी का टिकट काट दिया गया था।

दूसरी सूची में भी भाजपा ने दो विधायकों के टिकट काटे हैं। झबरेडा से विधायक देशराज कर्णवाल की जगह बुधवार को भाजपा में शामिल हुए राजपाल सिंह को टिकट दिया गया है जबकि रूद्रपुर से मौजूदा विधायक राजकुमार ठुकराल की बजाय शिव अरोड़ा को मैदान में उतारा गया है।

अब तक भाजपा ने प्रदेश की 70 में से 68 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है।

शेष बची दो सीटों में से एक डोइवाला है जहां पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीत दर्ज की थी। टिहरी दूसरी सीट है जहां पार्टी ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।



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असंतुष्ट भाजपा नेता ओम गोपाल कांग्रेस में शामिल

देहरादून, 26 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में टिहरी जिले की नरेंद्रनगर सीट से पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत बुधवार को अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए।

उन्हें पार्टी में शामिल करने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि गोपाल के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।

रावत ने भाजपा में नरेंद्र नगर सीट से टिकट की दावेदारी की थी। लेकिन भाजपा के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को वहां से दोबारा टिकट दिए जाने के बाद से वह पार्टी से नाराज चल रहे थे।



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बेटी की तरह लैंसडौन की सेवा करूंगी : अनुकृति

देहरादून, 26 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में लैंसडौन से कांग्रेस का टिकट हासिल करने वाली पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं ने बुधवार को कहा कि वह अपने क्षेत्र की सेवा एक नेता की तरह नहीं बल्कि बेटी की तरह करना चाहती हैं।

अनुकृति ने एक साक्षात्कार में पीटीआई/भाषा से कहा, ‘‘लैंसडौन मेरा घर है। मैं यही पैदा हुई, पली-बढ़ी। अब जब मैं राजनीति में प्रवेश कर रही हूं, मैं अपने घर की सेवा एक बेटी के रूप में करना चाहती हूं, न कि बहु के रूप में।’’

सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनुकृति ने बताया कि फेमिना मिस इंडिया में 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी के रूप में हिस्सा लेने से उनमें लोगों के सामने अपनी बात रखने का आत्मविश्वास जगा, जिससे राजनीति में कैरियर बनाने में मदद मिलेगी।

लैंसडौन के लिए उनके रोडमैप पर सवाल करने पर उन्होंने कहा कि अगर वह चुनाव जीतीं तो अपने क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और कनेक्टिविटी (परिवहन सुविधा) बढाने पर ज्यादा ध्यान देंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ हम डिजिटल इंडिया जैसी चीजों के बारे में बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ लैंसडौन में मोबाइल टॉवर, अस्पतालों, सड़कों और स्कूलों की खराब स्थिति, कष्टदायक है।’’ अनुकृति ने कहा, ‘‘मैं वह सब बदलना चाहती हूं।’’

लैंसडौन में 'महिला उत्थान बाल कल्याण संस्थान' नाम का गैर सरकारी संगठन चलाने वाली अनुकृति ने कहा कि वह नए कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर और स्व रोजगार के मौके उपलब्ध करा कर उत्तराखंड की बेटियों की मदद करना चाहती हैं।

उन्होंने कहा कि लैंसडौन की जनता एक बदलाव की ओर देख रही है क्योंकि वर्तमान विधायक ने पिछले 10 साल में क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया है।

अनुकृति ने कहा कि उन्हें हरक सिंह रावत जैसे एक अनुभवी राजनीतिज्ञ की बहु होने पर गर्व है जो हमेशा उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं और समाजसेवा के लिए प्रेरित करते हैं।

भाजपा से निष्का सित किए गए अपने ससुर हरक सिंह के साथ हाल ही में अनुकृति ने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा है।



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उत्तराखंड की टोपी पहनने पर धामी ने मोदी का जताया आभार, कांग्रेस ने बताया 'चुनावी नौटंकी'

देहरादून, 26 जनवरी (भाषा) देश के 73वें गणतंत्र दिवस समारोह में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उत्तराखंड की टोपी पहनने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका आभार जताया जबकि कांग्रेस ने इसे महज एक 'चुनावी नौटंकी' करार दिया।

धामी ने यहां एक ट्वीट में कहा कि उत्तराखंड की टोपी पहनकर प्रधानमंत्री ने राज्य की संस्कृति एवं परंपरा को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ब्रह्मकमल से सुसज्जित देवभूमि उत्तराखंड की टोपी धारण कर हमारे राज्य की संस्कृति एवं परंपरा को गौरवान्वित किया है। मैं उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता की ओर से उनका आभार प्रकट करता हूं।’’

प्रदेश भाजपा ने अपने आधिकारिक टि्वटर पर लिखा कि उत्तराखंड की आन-बान-शान की प्रतीक पहाड़ी टोपी पहन कर प्रधानमंत्री ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से राष्ट्रीय समर स्मारक पर श्रद्धांजलि दी।

भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी के टोपी पहनने से हम सब उत्तराखंडवासी उत्साहित हैं।’’

दूसरी तरफ, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे महज एक 'चुनावी नौटंकी' बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री चुनाव में लाभ उठाने के लिए हमेशा ही ऐसा करते हैं।

कांग्रेस की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनावों में लाभ लेने के लिए उन्होंने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली थी लेकिन चुनावों के बाद वह गायब हो गयी। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड के चुनाव समाप्त होने के बाद लोग वैसे ही उत्तराखंड की टोपी ढूढेंगे जैसे पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद गायब हुई उनकी दाढ़ी को ढूंढ रहे हैं। यह प्रधानमंत्री की केवल एक चुनावी नौटंकी है।’’



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Yogi's Brother in law Challan: यूपी CM योगी के बहनोई का चालान... विधानसभा चुनाव में माहौल बिगाड़ने की आशंका

रजनीश कुमार, पौड़ी गढ़वाल: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के बहनोई पूरन पयाल सहित आठ लोगों पर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता के चलते शांतिभंग के तहत कार्रवाई की गई है। उत्तराखंड में पौड़ी जिले के विधानसभा यमकेश्वर स्थित कोठार गांव निवासी पूरन पयाल, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बहनोई हैं, जिन पर अतिरिक्त परगना मजिस्ट्रेट कोटद्वार यमकेश्वर ने चुनावी आचार संहिता के कारण शांतिभंग की आशंका के चलते चालान किया गया। साथ ही उनके अलावा अन्य आठ लोगों पर भी कार्रवाई की गई है, जो सम्भवतः किसी पार्टी का प्रचार-प्रसार करते हुए शांतिभंग की स्थिति पैदा कर सकते है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में आचार संहिता लागू होते ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बहनोई पूरन पयाल सहित अन्य आठ लोगों पर शांति भंग के तहत पुलिस प्रशासन द्वारा सख़्त कार्रवाई करते हुए मजिस्ट्रेट कोटद्वार को रिपोर्ट भेजी गई थी। जिस पर मजिस्ट्रेट कोटद्वार द्वारा संज्ञान लेते हुए सभी को न्यायालय में पेश होकर 25 हजार रुपये का मुचलका भरने का आदेश जारी किया है।


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उत्तराखंड चुनाव: हरीश रावत को रामनगर सीट से उतारे जाने पर रणजीत रावत ने जताई नाराजगी

देहरादून, 26 जनवरी (भाषा) कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने नैनीताल की रामनगर विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उतारे जाने पर नाराजगी जताई है।

सोशल मीडिया पर सामने आए एक कथित वीडियो में रणजीत रावत पार्टी महासचिव एवं प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत की उम्मीदवारी वापस लिये जाने की मांग करते हुए पार्टी के कदम पर सवाल उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

वीडियो में वह पार्टी कार्यकर्ताओं से पूछते दिख रहे हैं, ''क्या आप किसी और (हरीश रावत) को उस बंजर जमीन की फसल काटने देंगे, जिसे आपने उपजाऊ बनाया है।’’

इसमें रणजीत रावत जाहिर तौर पर हरीश रावत पर तंज कसते हुए कह रहे हैं, ‘‘जो व्यक्ति खुद को प्रदेश पार्टी का चेहरा बनाए जाने की बात कहता है और यह दावा करता है कि उसके नाम और काम पर वोट पड़ेंगे, तो उसे किसी दूसरी सीट से लड़ने में डर क्यों है।’’

उन्होंने पार्टी के फैसले को 'गलत' करार देते हुए पार्टी आलाकमान से इसे वापस लेने को कहा। उन्होंने हरीश रावत का जिक्र करते हुए कहा, "अगर ऐसा नहीं होता है, तो आप तय करें कि किसी ऐसे व्यक्ति के साथ क्या करना है जिसके पास मुख्यमंत्री होने के बावजूद सीट नहीं है।"

वीडियो में रणजीत रावत यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं, "आप जो भी तय करेंगे, मैं उसके साथ जाऊंगा। सामाजिक और राजनीतिक जीवन में कोई भी निर्णय एकतरफा नहीं लिया जा सकता है।"

इस संबंध में वह यह भी कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, ‘‘बेबाकी से विचार रखने पर अगर पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई करती है तो उन्हें इसका डर नहीं है।’’

रणजीत रावत ने भी रामनगर सीट से दावेदारी की थी। रामनगर सीट का प्रतिनिधित्व राज्य बनने के बाद 2002 में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी भी कर चुके हैं।

रणजीत रावत 2002 और 2007 में सल्ट सीट से विधायक चुने गए थे जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता सुरेंद्र सिंह जीना से उन्हें पटखनी मिली थी।



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मंगलवार, 25 जनवरी 2022

सिर पर उत्तराखंड की टोपी, क्या गणतंत्र दिवस के बहाने विधानसभा चुनाव साधने की कोशिश में PM मोदी?

देहरादून/नई दिल्ली राष्ट्रीय कार्यक्रम हो या फिर कोई चुनावी संबोधन, प्रधानमंत्री अक्सर निराले अंदाज में नजर आते हैं। बुधवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर नैशनल वॉर मेमोरियल में सलामी देने गए पीएम मोदी ने कुर्ते पजामे के साथ ही सिर पर काले रंग की उत्तराखंडी टोपी पहन रखी थी। पीएम के इस लुक से पहाड़ी राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के सिर पर ब्रह्म निशान वाली काले रंग की उत्तराखंडी टोपी को चुनाव के साथ ही दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देने के तौर पर भी देखा जा रहा है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर पीएम ने वॉर मेमोरियल पर जाकर श्रद्धांजलि दी। नया लुक देने वाले ने बताई उत्तराखंडी टोपी की खासियत उत्तराखंडी टोपी को यह नया लुक देने वाले सोहम हिमालयन सेंटर के समीर शुक्ला पीएम मोदी के गणतंत्र दिवस पर उसे पहनने से बहुत खुश है। उन्होंने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के साथ खास बातचीत में कहा कि उत्तराखंड के इस शीश वस्त्र को पहन पीएम ने पूरे पहाड़ी राज्य को सम्मान दिया है। उन्होंने कहा कि 2017 में हम इस टोपी में यह छोड़ा सा बदलाव लेकर आए थे। 2017 में हमने सपना देखा था कि एक टोपी हो, जो ट्रेंडी हो और यूथ के बीच भी लोकप्रिय हो। पारंपरिक टोपी में थोड़ा नयापन जोड़ा गया। इसमें ब्रह्म कमल लगाया गया। ऐसा इसलिए किया गया कि यह उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। उन्होंने कहा कि टोपी पर एक पट्टी जोड़ी गई, जिस पर चार रंग है। ये रंग जीव, प्रकृति, जमीन, आसमान इससे मिलकर बने हिमालयी राज्य के प्रतीक हैं। समीर के मुताबिक उनकी यह टोपी काफी पसंद की जा रही है। विदेशों में रह रहे प्रवासी भी इसकी मांग करते हैं। वायुसेना के हेलिकॉप्टर दुर्घटना हादसे में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत शहीद हो गए थे। रावत भी अक्सर कार्यक्रमों के दौरान इसी तरह की टोपी सिर पर पहने नजर आ जाते थे। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शहीद रावत को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर आगामी 14 फरवरी को मतदान होना है। सत्तारूढ़ बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से है। पुष्कर सिंह धामी वर्तमान बीजेपी सरकार में तीसरे मुख्यमंत्री बने हैं। उत्तराखंड के साथ ही यूपी, पंजाब, गोवा और मणिपुर में भी चुनाव है।


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मुस्लिम सेवा संगठन उत्तराखंड में 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगा

देहरादून, 25 जनवरी (भाषा) मुस्लिम सेवा संगठन (एमएसएस) ने मंगलवार को कहा कि उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों में वह उन 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी जहां अल्पसंख्यकों की आबादी ज्यादा है।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में इस आशय की घोषणा करते हुए एमएसएस के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि अब तक प्रदेश में शासन करने वाली पार्टियों से अल्पसंख्यकों को मिली निराशा के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।

भाजपा और कांग्रेस को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए कुरैशी ने कहा कि दोनों ने ही अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए कुछ नहीं किया।

उन्होंने कहा कि एमएसएस अल्पसंख्यकों की बहुलता वाली विकासनगर, सहसपुर, धरमपुर, देहरादून कैंट, हरिद्वार और रामनगर सहित 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा।

इस मौके पर एमएसएस ने अपना घोषणापत्र जारी करते हुए जनता से देहरादून और हरिद्वार में इस्लामिक संस्कृति केंद्र खोलने, सातवीं कक्षा तक उर्दू भाषा की शिक्षा अनिवार्य करने, उर्दू शिक्षकों की भर्ती करने, सच्चर कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने तथा आईआईटी और पॉलीटेक्निक संस्थानों में मुसलमान छात्रों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने जैसे वादे भी किए।

यह संगठन गरीबों को शिक्षा, भोजन और आश्रय के लिए सहायता उपलब्ध कराता है।



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Padma Awards Uttarakhand: सीडीएस बिपिन रावत समेत इन चार हस्तियों को मिला पद्म पुरस्कार, बढ़ाया उत्तराखंड का मान

देहरादून: गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत सरकार ने 128 पद्म पुरस्कारों ((Padma Awards) की घोषणा कर दी है। पद्म पुरस्कार पाने वालों में शहीद जनरल सीडीएस बिपिन रावत () समेत चार महान विभूतियां उत्तराखंड से भी शामिल है। उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल निवासी निवासी शहीद सीडीएम जनरल बिपिन रावत को सिविल सेवा में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। देहरादून निवासी माधुरी बर्थवाल (madhuri barthwal) को कला, पिथौरागढ़ निवासी बसंती देवी (basanti devi) को सामाजिक कार्य, हरिद्वार निवासी बंदना कटारिया (vandana katariya) को खेल (हॉकी) के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। शहीद जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ थे। सीडीएस बिपिन रावत ने भारतीय सेना के शौर्य को नई बुलंदियों पर पहुंचाया। हाल में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत अन्य सेना के अधिकारियों की मृत्यु हो गई थी। माधुरी बर्थवाल गढ़वाली सांस्कृतिक संगीत को नई ऊचांईयों तक पहुंचाया है। उन्हें इसके प्रचार-प्रसार के लिए विशेष श्रेय दिया जाता है। बसंती देवी ने पानी की समस्या को दूर करने पर काफी काम किया है। बसंती देवी को पिथौरागढ़ में कोशी नदी के पुनरोद्धार और पानी से जुड़े अभियान के लिए जाना जाता है। बंदना कटारिया ने ओलंपिक 2020 सबसे ज्यादा गोल किए थे। बंदना के नाम पहली महिला के रूप में हैट्रिक गोल करने का कीर्तिमान है।


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कोविड प्रतिबंधों के बीच जनता तक पहुंचने के लिए राजनीतिक दल कर रहे सोशल मीडिया का उपयोग

देहरादून, 25 जनवरी (भाषा) कोविड-19 प्रतिबंधों के बीच उत्तराखंड में नजदीक आते विधानसभा चुनाव में मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सोशल मीडिया और डिजिटल मंचों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं ।

भाजपा के सूचना प्रोद्यौगिकी प्रमुख हिमांशु संगतानी ने 'पीटीआई' को बताया कि चुनाव रैलियों पर जारी प्रतिबंध के बीच, पार्टी अब तक देहरादून और हल्द्वानी में स्थापित अपने दो स्टूडियो के माध्यम से 18 डिजिटल रैलियां कर चुकी है।

उन्होंने बताया कि इन रैलियों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भटट, पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा आदि नेता संबोधित कर चुके हैं ।

उन्होंने बताया कि इन रैलियों को मुख्य वक्ता स्टूडियो में बैठकर संबोधित करते हैं और उन्हें फेसबुक, टिवटर और यूटयूब के माध्यम से सीधा प्रसारित कर दिया जाता है । उन्होंने बताया कि हर डिजिटल बैठक को लगभग एक लाख 'व्यूज' मिले हैं ।

संगतानी ने कहा कि एक फरवरी से कोविड-19 प्रतिबंधों में कुछ ढ़ील मिलने की संभावना है जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नडडा जैसे पार्टी के स्टार प्रचारकों की रैलियां भी होंगी ।

भाजपा के इंटरनेट मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख शेखर वर्मा ने कहा, ‘‘उत्तराखंड में करीब 35 लाख फेसबुक उपभोक्ता हैं और इनमें से हम करीब 20 लाख तक पहुंच बना चुके हैं ।’’

कांग्रेस ने भी पार्टी का संदेश जन—जन तक पहुंचाने के लिए 400 सोशल मीडिया स्वयं सेवकों का एक दल तैनात किया है जो फेसबुक, टिवटर, इंस्टाग्राम और करीब 150 व्हाटसएप ग्रुप के जरिए मतदाताओं तक पहुंच बना रहे हैं ।

कांग्रेस के इंटरनेट मीडिया प्रकोष्ठ प्रमुख अमरजीत सिंह ने बताया कि 50 कंटेंट क्रिएटर्स की एक टीम आडियो वीडियो क्लिप्स और कार्टून भी बना रही है जिसमें भाजपा सरकार की विफलताओं और कांग्रेस की पूर्व सरकारों की उपलब्धियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए जनता तक पहुंचाया जाएगा ।

सिंह ने कहा कि उदाहरण के तौर पर सोमवार को यहां पार्टी द्वारा शुरू किए गए अभियान 'चार धाम चार काम' से करीब पांच हजार उपयोगकर्ता जुडे और कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यह ट्रेंड हुआ ।

उन्होंने बताया कि कांग्रेस महा सचिव और प्रदेश चुनाव अभियान समिति के प्रमुख हरीश रावत को छोडकर अभी पार्टी की ज्यादा डिजिटल रैलियां नहीं हुई हैं ।

हांलांकि, उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में चुनाव प्रचार के जोर पकडने पर बडी रैलियों की संभावना होगी ।



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सोमवार, 24 जनवरी 2022

उत्तराखंड में कई सीटों पर रोचक संघर्ष की संभावना

देहरादून, 24 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में ज्यादातर विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होने के बाद कई सीटों पर रोचक संघर्ष की संभावना है।

उत्तराखंड में किसी मुख्यमंत्री के दोबारा सरकार नहीं बना पाने के मिथक को तोड़ने के लिए आतुर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी चुनौती दे रहे हैं। पिछले चुनावों में धामी ने कापड़ी को 2,709 मतों के अंतर से हराया था।

आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एस. एस. कलेर की मौजूदगी खटीमा के चुनावी दंगल को और रोचक बना सकती है।

हालांकि, राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि सीट को कब्जे में रखना इस बार मुख्यमंत्री के लिए इतना आसान नहीं होगा। 2002 में प्रदेश में पहले विधानसभा चुनावों में तत्कालीन मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को छोड़कर कभी कोई मुख्यमंत्री जीत दर्ज नहीं कर पाया है।

राजनीतिक विश्लेषक जयसिंह रावत ने कहा, ‘‘भुवनचंद्र खंडूरी 2012 में अपनी सीट नहीं बचा पाए जबकि 2017 में हरीश रावत दोनों सीटों से चुनाव हार गए।’’

पांच साल का अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले राज्य के अकेले मुख्यमंत्री दिवंगत नारायणदत्त तिवारी ने चुनाव ही नहीं लड़ा था।

हरिद्वार शहर से हमेशा जीत दर्ज करने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के सामने कांग्रेस ने एक बार फिर सतपाल ब्रह्मचारी को उतारा है। पिछली बार 2012 में कौशिक ने ब्रह्मचारी को हराया था। हालांकि, प्रेक्षकों का मानना है कि इस बार सत्ता विरोधी लहर के चलते कौशिक को अपनी जीत का रिकार्ड बनाए रखने में परेशानी हो सकती है।

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह चकराता विधानसभा क्षेत्र से अब तक अजेय रहे हैं लेकिन इस बार उनके सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में बॉलीवुड गायक जुबिन नौटियाल के पिता रामशरण नौटियाल हैं।

प्रेक्षकों का मानना है कि क्षेत्र में खासा दबदबा रखने वाले सिंह को जुबिन की लोकप्रियता से कड़ी टक्कर मिल सकती है।

श्रीनगर गढवाल सीट पर भी रोचक संघर्ष देखने को मिल सकता है जहां कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल और कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत एक बार फिर आमने-सामने हैं। गोदियाल रावत को 2012 में हरा चुके हैं लेकिन 2017 में रावत ने जीत दर्ज की थी।

नैनीताल में संजीव आर्य और सरिता आर्य एक दूसरे के सामने हैं। हालांकि, रोचक बात यह है कि 2017 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ने वाली आर्य अब भाजपा के पाले में हैं जबकि बतौर भाजपा प्रत्याशी लड़े संजीव अब कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं।

भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किए जा रहे कर्नल अजय कोठियाल के गंगोत्री से ताल ठोंकने के कारण वहां रोचक त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। वैसे भी मान्यता है कि गंगोत्री से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है।



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कांग्रेस ने उत्तरांखड के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की, रामनगर से चुनाव लड़ेंगे हरीश रावत

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को 11 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की जिसमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का है।

पार्टी की ओर से जारी इस सूची के अनुसार, रावत को नैनीताल जिले की रामनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।

रावत पिछली बार हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा (ऊधम सिंह नगर) से चुनाव लड़े थे, हालांकि उन्हें दो स्थानों पर हार का सामना करना पड़ा था।

इस सूची के साथ ही, कांग्रेस उत्तराखंड में अब तक 64 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। अब उसे छह और सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने हैं।

कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को 53 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की थी जिसमें पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह के नाम शामिल थे।

पार्टी की दूसरी दूसरी सूची में हरीश रावत के बाद दूसरा प्रमुख नाम अनुकृति रावत का है जो पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू हैं। अनुकृति को गढ़वाल जिले की लैंसडाउन विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।

हरक सिंह रावत और अनुकृति गत 22 जनवरी को कांग्रेस में शामिल हुए थे। हरक सिंह रावत को 16 जनवरी को भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था और फिर भाजपा से भी निष्कासित कर दिया गया था।

कांग्रेस ने देहरादून कैंट से सूर्यकांत धसमाना और धोइवाला से मोहित उनियाल को टिकट दिया है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि रामनगर से हरीश रावत को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत रावत को सल्ट से टिकट दिया जा सकता है क्योंकि वह पिछले कई महीनों से रामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।

उत्तराखंड में सभी 70 सीटों के लिए 14 फ़रवरी को मतदान होगा। मतगणना 10 मार्च को होगी।



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Uttarakhand Election: 5 लाख परिवारों को मदद, गैस सिलेंडरों के दाम पर कंट्रोल समेत कांग्रेस ने किए चार वादे... 'चारधाम, चार काम' अभियान की शुरूआत

देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस ने सोमवार को 'उत्तराखंडी स्वाभिमान—चारधाम, चारकाम' चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत की। इसके तहत कांग्रेस ने सत्ता में आने पर पांच लाख परिवारों को सालाना 40 हजार रुपये दिए जाने, रसोई गैस सिलेंडर के दाम 500 रुपये के पार न जाने देने जैसे चार वादे किए। इस कार्यक्रम के दौरान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्‍थानीय कलाकारों के साथ नृत्‍य भी किया। उत्तराखंड चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत की मौजूदगी में इस अभियान की शुरूआत करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है और वर्तमान केंद्र सरकार के दौर में गरीब और गरीब जबकि अमीर और अमीर हो गए हैं जिसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति ने जनता से ये वादे किए हैं । कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मंच पर मौजूद सभी लोगों को उत्तराखंडी टोपी पहनाई। बघेल ने केंद्र सरकार पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए गरीब आदमी को भी ग्राहक बनाने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता में आने पर रसोई गैस के सिलेंडर की कीमत को किसी भी परिस्थिति में 500 रू से अधिक नहीं बढ़ने देगी जिससे घर की अर्थव्यवस्था न बिगडे़ । उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस ने पांच लाख परिवारों को 40 हजार रुपया सालाना देने का निर्णय किया है जिससे वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें । उन्होंने कहा कि इसके अलावा, चार लाख लोगों को रोजगार दिया जाएगा और प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए घर—घर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचायी जायेगी जिसके लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जाएगा । मंच पर उत्तराखंड के साथ ही झारखंड और छत्तीसगढ़ के पार्टी नेताओं के एक साथ बैठे होने का जिक्र करते हुए बघेल ने कहा कि तीनों राज्यों का निर्माण 2000 में एक साथ हुआ था । उन्होंने कहा कि झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित सरकारें हैं तो उनका दृढ विश्वास है कि अब उत्तराखंड में भी कांग्रेस की सरकार ही बनेगी । बघेल ने कहा कि पांच साल की पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद भाजपा ने प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की गरिमा को तार—तार करते हुए तीन—तीन बार मुख्यमंत्री बदले और एक मुख्यमंत्री ने तो चुनाव का सामना ही नहीं किया । पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम लिए बिना बघेल ने कहा कि एक मुख्यमंत्री ने तो अपने इतिहास के अपने ज्ञान का परिचय देते हुए देश को 200 वर्षों तक अमेरिका का गुलाम बताया जबकि दूसरे ने कोरोना को जीव बताया। उन्होंने कहा, 'ऐसे अदभुत ज्ञानी व्यक्तियों को खोज—खोज कर मोदीजी ने मुख्यमंत्री की कुर्सियों पर बैठाया है ।' ऐसा करके भाजपा पर उत्तराखंड का अपमान करने का आरोप लगाते हुए बघेल ने दावा किया कि 14 फरवरी को होने वाले मतदान के जरिए प्रदेश की स्वाभिमानी जनता भाजपा को सत्ता से बाहर कर देगी और कांग्रेस की स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाएगी । इस संबंध में उन्होंने कहा कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ की जनता से किए गए वायदों को पूरा किया जा रहा है और वह तरक्की और विकास के रास्ते पर चल रहा है । केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों पर केवल बातें करने का आरोप लगाते हुए बघेल ने कहा कि एक तरफ ये सरकारें कोरोना महामारी को नहीं रोक पायी और ताली—थाली बजाती रह गयी, दूसरी तरफ इन्होंने देश को नोटबंदी और जीएसटी में झोंक दिया जबकि ये मंहगाई और बेरोगजारी को भी रोकने में विफल रही हैं । हिमाचल प्रदेश में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार के बाद पेट्रोल के दामों में पांच रुपये तथा डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की कमी का जिक्र करते हुए बघेल ने कहा कि इससे सिद्ध हो गया है कि मंहगाई से निजात पाने के लिए भाजपा को हराना होगा। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मंदी का असर छत्तीसगढ़ में नहीं हुआ क्योंकि सरकार ने किसानों सहित जनता को सीधा लाभ पहुंचाया जबकि मंहगाई का असर भी अन्य जगहों की अपेक्षा कम हुआ ।


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कांग्रेस ने उत्तराखंड के लिए 11 और उम्मीदवार घोषित किए, रामनगर से चुनाव लड़ेंगे हरीश रावत

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को 11 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम भी शामिल हैं।

पार्टी की ओर से जारी इस सूची के अनुसार, रावत को नैनीताल जिले की रामनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।

इस सूची के साथ ही, कांग्रेस उत्तराखंड में अब तक 64 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। अब उसे छह और सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने हैं।

कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को 53 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की थी जिसमें पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह के नाम शामिल थे।

पार्टी की दूसरी दूसरी सूची में हरीश रावत के बाद दूसरा प्रमुख नाम अनुकृति रावत का है जो पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू हैं। अनुकृति को गढ़वाल जिले की लैंसडाउन विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।

हरक सिंह रावत और अनुकृति गत 22 जनवरी को कांग्रेस में शामिल हुए थे। हरक सिंह रावत को 16 जनवरी को भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था और फिर भाजपा से भी निष्कासित कर दिया गया था।

उत्तराखंड में सभी 70 सीटों के लिए 14 फ़रवरी को मतदान होगा। मतगणना 10 मार्च को होगी।



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हरीश रावत ने रामनगर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई: वायरल ऑडियो से खुलासा

देहरादून, 24 जनवरी (भाषा) कांग्रेस महा सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के रामनगर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाओं के बीच सोमवार को एक आडियो वायरल हुआ जिसमें कथित रूप से पार्टी का एक स्थानीय नेता इस सीट पर उनके धुर विरोधी रणजीत रावत की दावेदारी को उनसे मजबूत बता रहा है ।

वायरल आडियो में हरीश रावत कथित तौर पर स्वयं रामनगर से चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं जिसके जवाब में नेता कह रहा है कि वह हर तरीके से रणजीत सिंह रावत के साथ है और उसके लिए कांग्रेस का मतलब वे ही हैं ।

हरीश रावत द्वारा पार्टी के बारे में सोचने की बात कहने पर नेता ने कहा, 'हम यहां पार्टी को देख रहे हैं । हमारे लिए यहां पार्टी का मतलब रणजीत रावत हैं । उनके साथ हम पिछले 10 साल से रामनगर में पार्टी के लिए काम कर रहे हैं ।'

संपर्क किए जाने पर हरीश रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार ने कहा कि चुनाव लड़ने या अन्य विषयों पर आपस में बातचीत और सलाह—मशविरा होता रहता है और इसे राजनीतिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए ।

उन्होंने कहा, ‘‘ अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं और साथियों से सलाह और विचार—विमर्श करने में क्या बुराई है । आपस में बातचीत करते रहते हैं, इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाना उचित नहीं है ।’’

कभी हरीश रावत के 'बहुत करीबी' रहे रणजीत रावत फिलहाल उनके विरोधियों में शुमार किए जाते हैं और वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। वह कुमांउ की रामनगर सीट से अपनी दावेदारी जता चुके हैं। इस सीट पर पार्टी ने अभी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है।

इस आडियो से यह भी उजागर हुआ है कि हरीश रावत विधानसभा पहुंचने के लिए रामनगर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं । रामनगर सीट का प्रतिनिधित्व राज्य बनने के बाद 2002 में पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी भी कर चुके हैं ।

इस आडियो पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व विधायक रणजीत रावत ने कहा कि इससे प्रतीत होता है कि क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ता हरीश रावत के साथ नहीं हैं ।

उन्होंने कहा कि वह पिछले कई सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं और इसलिए वही यहां से टिकट के प्रबल दावेदार भी हैं ।

रणजीत रावत 2002 और 2007 में सल्ट सीट से विधायक चुने गए थे जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के दिवंगत नेता सुरेंद्र सिंह जीना से उन्हें पटखनी मिली थी ।



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कांग्रेस ने ‘चारधाम, चार काम’ अभियान की शुरूआत की

देहरादून, 24 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड कांग्रेस ने सोमवार को 'उत्तराखंडी स्वाभिमान—चारधाम, चारकाम' चुनाव प्रचार अभियान का आरंभ किया जिसमें उसने जनता से सत्ता में आने पर पांच लाख परिवारों को सालाना 40 हजार रुपये देने, रसोई गैस सिलेंडर के दाम 500 रुपये के पार न जाने देने जैसे चार वादे किए ।

उत्तराखंड चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत की मौजूदगी में इस अभियान की शुरूआत करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है और वर्तमान केंद्र सरकार के दौर में गरीब और गरीब जबकि अमीर और अमीर हो गए हैं जिसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति ने जनता से ये वादे किए हैं ।

कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मंच पर मौजूद सभी लोगों को उत्तराखंडी टोपी पहनाई ।

केंद्र सरकार पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए गरीब आदमी को भी ग्राहक बनाने का आरोप लगाते हुए बघेल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता में आने पर रसोई गैस के सिलेंडर की कीमत को किसी भी परिस्थिति में 500 रू से अधिक नहीं बढ़ने देगी जिससे घर की अर्थव्यवस्था न बिगडे़ ।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस ने पांच लाख परिवारों को 40 हजार रुपया सालाना देने का निर्णय किया है जिससे वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें । उन्होंने कहा कि इसके अलावा, चार लाख लोगों को रोजगार दिया जाएगा और प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए घर—घर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचायी जायेगी जिसके लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जाएगा ।

मंच पर उत्तराखंड के साथ ही झारखंड और छत्तीसगढ़ के पार्टी नेताओं के एक साथ बैठे होने का जिक्र करते हुए वघेल ने कहा कि तीनों राज्यों का निर्माण 2000 में एक साथ हुआ था । उन्होंने कहा कि झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित सरकारें हैं तो उनका दृढ विश्वास है कि अब उत्तराखंड में भी कांग्रेस की सरकार ही बनेगी ।

वघेल ने कहा कि पांच साल की पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद भाजपा ने प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की गरिमा को तार—तार करते हुए तीन—तीन बार मुख्यमंत्री बदले और एक मुख्यमंत्री ने तो चुनाव का सामना ही नहीं किया ।

पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम लिए बिना बघेल ने कहा कि एक मुख्यमंत्री ने तो अपने इतिहास के अपने ज्ञान का परिचय देते हुए देश को 200 वर्षों तक अमेरिका का गुलाम बताया जबकि दूसरे ने कोरोना को जीव बताया । उन्होंने कहा, 'ऐसे अदभुत ज्ञानी व्यक्तियों को खोज—खोज कर मोदीजी ने मुख्यमंत्री की कुर्सियों पर बैठाया है ।'

ऐसा करके भाजपा पर उत्तराखंड का अपमान करने का आरोप लगाते हुए बघेल ने दावा किया कि 14 फरवरी को होने वाले मतदान के जरिए प्रदेश की स्वाभिमानी जनता भाजपा को सत्ता से बाहर कर देगी और कांग्रेस की स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाएगी ।

इस संबंध में उन्होंने कहा कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ की जनता से किए गए वायदों को पूरा किया जा रहा है और वह तरक्की और विकास के रास्ते पर चल रहा है ।

केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों पर केवल बातें करने का आरोप लगाते हुए बघेल ने कहा कि एक तरफ ये सरकारें कोरोना महामारी को नहीं रोक पायी और ताली—थाली बजाती रह गयी, दूसरी तरफ इन्होंने देश को नोटबंदी और जीएसटी में झोंक दिया जबकि ये मंहगाई और बेरोगजारी को भी रोकने में विफल रही हैं ।

हिमाचल प्रदेश में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार के बाद पेट्रोल के दामों में पांच रुपये तथा डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की कमी का जिक्र करते हुए बघेल ने कहा कि इससे सिद्ध हो गया है कि मंहगाई से निजात पाने के लिए भाजपा को हराना होगा।

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मंदी का असर छत्तीसगढ़ में नहीं हुआ क्योंकि सरकार ने किसानों सहित जनता को सीधा लाभ पहुंचाया जबकि मंहगाई का असर भी अन्य जगहों की अपेक्षा कम हुआ ।



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Uttrakhand Chunav: हरक सिंह की बर्खास्तगी ऐसे हो सकती है बीजेपी के लिए झटका, फायदा उठा पाएगी कांग्रेस?

देहरादून: भले हरक इस बार बर्खास्त होने के चलते विवादित होने से कांग्रेस में एंट्री इस बार उतनी हनक से न करा पाए हों, लेकिन भाजपा को उनकी बर्खास्तगी से झटके झेलने पड़ें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हरक सिंह रावत की भाजपा से विदाई और कांग्रेस में वापसी को लेकर अब सियासी नफा नुकसान का आंकलन किया जाने लगा है। हालांकि हरक के दावे तो उनके 30 सीटों पर उनके राजनीतिक प्रभाव होने के रहे हैं। उत्तराखंड की राजनीति में 25-27 सीटों पर रावत बिरादरी का प्रभाव को देखते हुए बात करें तो दो दर्जन सीटों पर रावतों में उनकी पैठ कुछ न कुछ जरूर है। भाजपा ने हालांकि हरक को एक गलत सूचना के आधार पर पार्टी से बर्खास्त कर तो दिया, लेकिन उसको इस विदाई से हो सकने वाले नुकसान की भरपाई के तमाम उपाय करते हुए भी देखे जाने से उसमें इसको लेकर बढी चिंता के संकेत साफ़ दिख रहे हैं। राज्य में रावतों की राजनीति के सिरमौर हरीश रावत और हरक रावत ही माने जाते हैं। क्योंकि रावतों के प्रभाव वाली अधिसंख्य सीटें गढ़वाल मंडल में पड़ती हैं। इसलिए रावतों में हरक अधिक प्रभावी माने जाते हैं। जबकि हरीश रावत मूल रूप से कुमाऊं मंडल से होने और उनकी छवि ठाकुर नेता की होने से उनका प्रभाव सभी ठाकुरों में समान माना जाता है, जिनमे रावत समेत सभी अन्य जाति के ठाकुर आ जाते हैं।इन दोनों नेताओं के ठाकुर और जाति विशेष के रावतों की राजनीति में ब्यापक पकड़ के मुकाबले भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत जिनको भाजपा ने मुख्यमंत्री भी बनाया रावतों में उतना असर नहीं रखते।भाजपा ने इसी प्रभाव को भांपकर उसके पाले में दो रावत नेताओं तीरथ और त्रिवेंद्र को पूर्व में मुख्यमंत्री बनाने और उनके भाजपा में मौजूदगी के बावजूद हरक के पार्टी से विदा होते ही दिवंगत सीडीएस जनरल विपित रावत के भाई को भाजपा की राजनीति में शामिल किया है। हालांकि वे चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं । रावतों के इसी महत्व को भांप भीतरघात को रोकने के लिए कांग्रेस ने भी तमाम पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद हरक को बिल्कुल आखिरी समय में कांग्रेस पार्टी में शामिल किया है।हरक सिंह रावत के प्रभाव वाले तमाम विधानसभा क्षेत्रों में हरीश रावत के साथ खड़े होने वाले कांग्रेस के युवा नेताओं की भी कतार लम्बी रही है।ऐसे में हरक के कांग्रेस में आ जाने से इन क्षेत्रों में भाजपा को और अधिक झटका लग सकता है। लैंसडौन, डोईवाला, केदारनाथ, चौबट्टाखाल , रुद्रप्रयाग , पौड़ी, कोटद्वार और श्रीनगर जैसे तमाम विधानसभा क्षेत्रों में हरक सिंह रावत बड़े नेता का दबदबा रखते हैं। ऐसे में अगर रावतों के प्रभाव वाली इनके अलावा अन्य सीटों पर थोडा बहुत भी प्रभाव वे डालें तो इन शेष 19 सीटों पर भी वे प्तोरभाव डाल सकते हैं। उत्तराखंड की राजनीति में 25-27 सीटों पर रावत बिरादरी का प्रभाव है। कहा जाता है कि इसी के चलते वे राज्य की 30 सीटों पर अपना राजनीतिक प्रभाव होने के दावे कर उत्तराखंड की राजनीति में खुद को सबसे कद्दावर नेता के बतौर पेश कर भाजपा और कांग्रेस दोनों पर ही दबाव बनाने का प्रयास करते रहे हैं ।हरक सिंह रावत की गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की आठ सीटों पर मजबूत पकड़ के चलते उनका प्रभाव गढ़वाल संसदीय सीट पर होना भी स्वाभाविक है। राज्य बनने के बाद हुए राज्य के चार चुनावों में वे राज्य की तीन सीटों लैंसडौन, रुद्रप्रयाग और कोटद्वार से विधायक बनकर इसे साबित कर चुके हैं। जबकि पौड़ी सीट से तो वे अपनी राजनितिक पारी की शुरुवाद अविभाजित यूपी में ही कर चुके हैं। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में उनका घर पड़ता है वहां से छात्र जीवन में वे छात्र राजनीति करते रहे थे।इसी कारण भाजपा के कई मंत्री भी उनकी भाजपा से विदाई के चलते हार की जद में आ सकते हैं।खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने उनको कांग्रेस में शामिल करने के लिए अपने राजनीतिक आका हरीश रावत को मनाने में दिन रात एक इसलिए कर दिया क्योंकि श्रीनगर की जिस सीट से वे मैदान में भाजपा के मंत्री धन सिंह रावत के खिलाफ चुनाव में उतरे हैं। वहां हरक का प्रभाव उनको भी दीखता है।जबकि राज्य बनने से पूर्व यूपी के समय वे पौड़ी सीट से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुवाद करने के बाद वर्ष 1991 और 1993 में भाजपा के टिकट पर जीत चुके हैं। भाजपा के प्रदेश को लेकर तमाम विकास के दावों पर हमला करने के लिए हरक सिंह कांग्रेस पार्टी के लिए काम के साबित हो सकते हैं।कांग्रेस हरक सिंह रावत के सियासी रुतबे को अपनी खोई सियासी जमीन को वापस पाने के लिए बखूबी इस्तेमाल कर भाजपा को उनके जरिए मुसीबत में डाल सकती है।हरक सिंह के समर्थक भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में माने जाते हैं। हरक सिंह 1991 में ही यूपी सरकार के मंत्रिमंडल में सबसे कम आयु के मंत्री थे।भाजपा से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले हरक ने मनमुटाव होने के बाद 1996 में भाजपा छोड़ दी। उन्होंने बसपा का दामन थामा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पर्वतीय विकास परिषद में उपाध्यक्ष बनाया। एक महीने बाद ही वे उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड और महिला और बाल विकास बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए। रावण उत्तर प्रदेश बसपा के महामंत्री के साथ ही उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1998 चुनाव में वह बसपा के टिकट से पौड़ी गढ़वाल सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। उत्तराखंड बनने के बाद हरक सिंह के इर्द गिर्द राज्य की राजनीति घूमती रही। लैंसडौन सीट से 2002 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हरक साल 2002 के चुनाव में कांग्रेस की उत्तराखंड गठन के बाद पहली चुनी गई सरकार में मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने हरक को राजस्व, खाद्य और आपदा प्रबंधन जैसे मंत्रालयों में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी। मंत्री बनने के करीब डेढ़ साल बाद ही एक महिला यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते उन्हें मंत्री पद से त्यागपत्र देने पड़ा। इसके बावजूद भी 2007 के चुनाव में वे जीत दर्ज कर चुके हैं। साल 2007 में वह कांग्रेस के प्रतिपक्ष की भूमिका में आ जाने पर नेता प्रतिपक्ष बने थे और उत्तराखंड में हरीश रावत का दाहिना हाथ माने जाते थे। साल 2012 में कांग्रेस की सरकार बनने पर विजय बहुगुणा ने फिर उन्हें मंत्री बनाया।विजय बहुगुणा को कांग्रेस ने हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया तो फिर से हरक मंत्री बने 4 साल बाद यानी 2016 में अधूरे कार्यकाल में उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया।साल 2017 के चुनाव में हरक ने भाजपा से चुनाव जीता त्रिवेंद्र , तीरथ और धामी सरकार में बढ़ते मंत्री मंडल पोर्ट फोलियो के साथ अपनी बर्खास्तगी तक मंत्री बने रहे।


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रविवार, 23 जनवरी 2022

उत्तराखंड में बारिश-बर्फबारी से कड़ाके की ठंड

देहरादून, 23 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में लगातार जारी बारिश से ऊंचाई वाले स्थानों पर जमकर हिमपात हो रहा है जिसने कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारी बर्फवारी के चलते समूचे प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और ज्यादातर लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो गए जिससे सामान्य जनजीवन ठहर सा गया है।

मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को भी प्रदेश में बारिश और 3000 मीटर से अधिक ऊंचे स्थानों पर हिमपात जारी रहने का अनुमान है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, औली, मुनस्यारी जैसे ऊंचाई वाले स्थानों पर इस सीजन का सबसे भारी हिमपात हुआ। मसूरी के लाल टिब्बा और धनोल्टी में बर्फवारी हुई। नैनीताल के ऊंचाई वाले स्थानों में भी बर्फ पड़ रही है।

उत्तरकाशी से मिली जानकारी के अनुसार ऊंचाई वाले इलाकों में दो दिनों से हो रही बर्फबारी ने सुदूरवर्ती क्षेत्रों में मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बर्फबारी के कारण गंगोत्री-यमुनोत्री राजमार्ग सहित चार संपर्क मार्ग भी बंद पड़े हैं। केदारनाथ, घनसाली और लंबगांव मोटरमार्ग भी बर्फबारी के कारण ठप है।

दीप्ति संतोष

संतोष



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उत्तराखंड में कर्नल रावत चुनाव नहीं लड़ेंगे

देहरादून, 23 जनवरी (भाषा) हाल में भाजपा में शामिल देश के पहले रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत के छोटे भाई कर्नल (सेवानिवृत्त) विजय रावत ने रविवार को कहा कि वह 14 फरवरी को होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ेंगे।

यहां 'पीटीआई' से बातचीत में कर्नल रावत ने कहा, ‘‘मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैं केवल उत्तराखंड की जनता की सेवा करना चाहता हूं।'’ उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं ने उनसे चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। विधानसभा चुनावों में एक माह से कम का समय शेष रहते कर्नल रावत के भाजपा में शामिल होने के कारण उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे।

इस बारे में उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा में शामिल होने के पीछे मेरा उददेश्य कोई पद लेना नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना है। सेना में अपने 34 साल के करिअर में मेरा विभिन्न जगहों पर तबादला हुआ, लेकिन मुझे अपने राज्य की सेवा का मौका नहीं मिल पाया। अब मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूं, तो मैं यह कर सकता हूं।’’ पांच साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद से जयपुर में रह रहे कर्नल रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में संभावनाओं को स्थानीय लोगों को उनके घर में रोजगार देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे पलायन की समस्या भी कम होगी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार योग, ट्रेकिंग और अन्य साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के मौके उपलब्ध हो सकते हैं। कर्नल रावत ने बताया कि हाल में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए जनरल रावत भी राजनीति से बाहर रहकर उत्तराखंड के लोगों की सेवा करने को तत्पर थे और उनके पास अल्मोड़ा और रानीखेत सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों के लिए विशिष्ट योजनाएं थीं। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह अपने बड़े भाई के बारे में ज्यादा बात करना नहीं चाहते क्योंकि उनके दुखद निधन के बारे में सोचकर वह बहुत दुखी हो जाते हैं।



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उत्तराखंड में चुनावी राजनीति में फिर पिछड़ीं महिलाएं

देहरादून, 23 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड को पृथक राज्य बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाएं चुनावी राजनीति में एक बार फिर पिछड़ती दिखाई दे रही हैं।

पिछले दिनों जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकटों की घोषणा की तो सूची में यमकेश्वर से मौजूदा विधायक ऋतु खंडूरी का नाम गायब था।

पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की पुत्री और प्रदेश पार्टी महिला मोर्चा की अध्यक्ष होने के नाते खंडूरी का नाम राज्य की अग्रणी महिलाओं में शुमार है लेकिन इसके बावजूद उनका टिकट कटना सबके लिए चौंकाने वाला था।

इस फैसले से आहत प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की महामंत्री अनु कक्कड़ के नेतृत्व में महिला कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के संगठन महामंत्री अजय कुमार से मिलकर फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध भी किया।

रोचक बात यह है कि भाजपा की तरह ही पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य को भी चुनाव में टिकट मिलने को लेकर संशय के चलते कांग्रेस छोड़नी पड़ी। हालांकि, पिछले सप्ताह भाजपा में शामिल हुईं आर्य नैनीताल से टिकट लेने में सफल रहीं।

भाजपा द्वारा जारी 59 प्रत्याशियों की पहली सूची में आर्य सहित छह महिलाओं को टिकट दिया गया है जो कुल उम्मीदवारों की संख्या का 10 प्रतिशत है। सूची में तीन मौजूदा महिला विधायकों को स्थान नहीं मिल पाया। खंडूरी के अलावा, गंगोलीहाट से मीना गंगोला और थराली से मुन्नी देवी पर भी भरोसा नहीं जताया गया।

कांग्रेस ने भी 53 उम्मीदवारों की पहली सूची में केवल पांच प्रतिशत से कुछ ज्यादा यानी तीन महिलाओं को ही टिकट दिया है।

प्रदेश में 'मातृशक्ति' के सम्मान की बात करनेवाले राजनीतिक दल महिलाओं को नीति निर्माता की भूमिका देने से हिचकिचाते रहे हैं और टिकटों की सूची में उनकी संख्या अधिकतम 10-15 प्रतिशत के दायरे में ही सिमट जाती है।

इस संबंध में पूछे जाने पर खंडूरी ने 'भाषा' से कहा कि भाजपा ने छह महिलाओं को टिकट दिया है और उम्मीद है कि घोषित होने वाली दूसरी सूची में भी उन्हें स्थान मिलेगा।

हालांकि, चुनावी राजनीति में बराबरी के दर्जे के बारे में उन्होंने कहा कि यह समाज पुरुष प्रधान है और यह स्थिति न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में और राजनीति सहित सभी क्षेत्रों में है जहां योग्यता बराबर होने पर भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा प्रयास और मेहनत करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। पिछले कुछ साल में धीरे-धीरे स्थिति अच्छी हुई है और भविष्य में यह और बेहतर होगी।’’

उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की घोषणा के विपरीत उत्तराखंड में पार्टी ने केवल पांच प्रतिशत महिलाओं पर ही भरोसा जताया।

इस संबंध में एक कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी ने यहां जीत की संभावना वाले उम्मीदवारों को ही चुनावी समर में उतारा है।



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शनिवार, 22 जनवरी 2022

Uttarakhand BJP List: उत्तराखंड बीजेपी में विद्रोह के हालात, टिकट न मिलने से नाराज नेता सौंप रहे इस्‍तीफे

महेश पांडेय, देहरादून: बीजेपी में उम्मीदवारों की पहली लिस्ट का ऐलान होते ही पार्टी में बगावत नजर आने लगी है। पिथौरागढ़ से लेकर चमोली तक और नैनीताल से रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी तक पार्टी संगठन में विद्रोह पार्टी की साख बचाने के लिए सवाल बना हुआ है। कई टिकट की आश लगाए दावेदारों ने बीजेपी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। कुछ सीटों पर दावेदार अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस जॉइन करने का मन बना रहे हैं। पार्टी ने इस रुख को पहले ही भांप लिया था और कई वरिष्ठ नेताओं को इसे थामने की जिम्मेदारी भी दी लेकिन मामला इन लोगों के बूते से भी बाहर होता जा रहा है। कई दावेदार विरोध करने पार्टी के प्रदेश कार्यालय का भी रुख कर रहे हैं। पार्टी नेताओं ने मुख्यालय में बाउंसर तक तैनात कर दिए हैं। नरेंद्र नगर सीट पर पूर्व विधायक और टिकट के दावेदार ओम गोपाल रावत पार्टी छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से बात भी कर ली है। कपकोट में सुरेश गड़िया को टिकट दिए जाने से पूर्व विधायक शेर सिंह गड़िया के समर्थन में मंडल महामंत्री समेत 39 पदाधिकारियों ने पार्टी अध्यक्ष को इस्तीफे सौंप दिए। नैनीताल जिले की भीमताल सीट पर करीब 150 कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी। चमोली जिले की बीजेपी की विधायक मुन्नी देवी शाह टिकट न मिलने से निर्दलीय मैदान में उतरने की बात कही है। देवप्रयाग विधानसभा सीट से टिकट की लाइन में लगे पूर्व ब्लॉक प्रमुख मगनसिंह बिष्ट ने उत्तराखंड जन एकता पार्टी से चुनाव लड़ने का ऐलान कर डाला। 2007 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके और गदरपुर से बीजेपी टिकट के दावेदार रहे रविन्द्र बजाज ने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी। देहरादून की धर्मपुर सीट पर भी बगावत करते हुए बीजेपी नेता वीर सिंह पंवार ने अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाकर निर्दलीय मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया। किच्छा, यमुनोत्री, झबरेड़ा, रुद्रपुर, गदरपुर, नैनीताल में भी बवाल मचा हुआ है। काशीपुर बीजेपी में भी बगावत हो गई है। वर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा के बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को काशीपुर सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद आज काशीपुर के बाजपुर रोड स्थित गौतमी होटल में लगभग 400 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस्तीफे की पेशकश कर दी। काशीपुर सीट से पार्टी ने बरसों से टिकट पा रहे हरभजन सिंह चीमा के बेटे को टिकट दिया है। इससे कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के साथ ही आम कार्यकर्तओं में भी रोष है। देहरादून कैंट सीट से विधायक रहे स्वर्गीय हरबंश कपूर की पत्नी सविता कपूर को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इससे भी आक्रोश है।


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Uttarakhand News: उत्तराखंड में छिपे थे पंजाब धमाके के आरोपी, पनाह देने वाले 4 अरेस्ट

देहरादून: पंजाब के पठानकोट और लुधियाना में आतंकी विस्फोट के साजिशकर्ता सुखप्रीत उर्फ सुख को शरण देने वाले चार आरोपियों को एसटीएफ ने उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर से गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से एक पिस्टल, 04 कारतूस और एक कार बरामद हुई है। उत्तराखंड एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि नवंबर 2021 में पंजाब के पठानकोट, नवांशहर और लुधियाना में बम ब्लास्ट की घटनाएं हुई थीं, जिसमें पंजाब पुलिस द्वारा पूर्व में 6 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। एक आरोपी सुखप्रीत उर्फ सुख के उत्तराखंड में शरण लेने की सूचना उत्तराखंड एसटीएफ को मिली थी। एसटीएफ तीन दिनों से इनकी तलाश में थी। सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने एवं गोपनीय सूचनाएं एकत्रित कर चार लोगों शमशेर सिंह उर्फ शेरा उर्फ साबी और उसके भाई हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी, अजमेर सिंह उर्फ लाडी और गुरपाल सिंह उर्फ गुर्री ढिल्लों को गिरफ्तार किया है। चारों लोगों में से शमशेर उर्फ शेरा के कब्जे से एक पिस्टल बरामद की गई है। आरोपी को छिपाने के अपराध में इस्तेमाल की जा रही कार भी बरामद करने का दावा उत्तराखंड एसटीएफ ने किया है। एसटीएफ के अनुसार चारों आरोपी कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सरबिया से इन्टरनेट/वॉट्सऐप कॉल से जुड़े थे। फरार आरोपी सुखप्रीत उर्फ सुख के भी इंटरनैशनल कॉल्स के संपर्क में होने की पुष्टि हुई है।


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भाजपा की राष्ट्रवादी विचारधारा की वजह से मैं इसमें शामिल हुआ: कर्नल विजय रावत

देहरादून, 22 जनवरी (भाषा) भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) दिवंगत बिपिन रावत के भाई कर्नल (सेवानिवृत्त) विजय रावत ने शनिवार को कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रवादी विचारधारा की वजह से पार्टी में शामिल हुए हैं।

हाल में भाजपा में शामिल हुए रावत ने एक अनौपचारिक बातचीत में संवाददाताओं से कहा कि स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के चलते वह लंबे समय तक सामाजिक कार्यों से दूर रहे, लेकिन अब वह राजनीति के माध्यम से देश और राज्य की सेवा करने के लिए तैयार हैं।

हाल ही में दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में पार्टी में शामिल होने के बाद रावत का यह राज्य का पहला दौरा था।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में सशस्त्र बलों के सम्मान में कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं, चाहे वह 'एक रैंक, एक पेंशन' का मुद्दा हो जो दशकों से लंबित था या सशस्त्र बलों को राफेल जैसे विमान से लैस कर उनके आधुनिकीकरण का मुद्दा हो।

रावत ने कहा कि एक समय था जब सीमा पर शांति भंग होने की स्थिति में सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई के लिए दिल्ली की ओर देखना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने की आजादी है।

उन्होंने कहा, "राज्य में विकास, सुरक्षा और समृद्धि लाने के लिए भाजपा को वोट देना समय की मांग है।"

इस मौके पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी और बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय भी मौजूद थे।



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उत्तराखंड चुनाव से पहले हरक-यशपाल की पार्टी में वापसी से कांग्रेस को बड़ा लाभ

देहरादून, 22 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य का दोबारा कांग्रेस में शामिल होना पार्टी को हुए बड़े लाभ के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में 14 फरवरी को चुनाव होना है।

राज्य में वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार के खिलाफ विद्रोह के कारण कई प्रमुख नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के बाद से कांग्रेस बड़े नेताओं की कमी के संकट से जूझ रही थी। गढ़वाल के प्रमुख नेता हरक सिंह शुक्रवार को दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए, जबकि कुमाऊं के बड़े दलित नेता आर्य अपने विधायक पुत्र संजीव के साथ पिछले साल अक्तूबर में ही कांग्रेस में वापस आ गए थ। राव और आर्य, दोनों ही अनुभवी नेता हैं इसलिए इनकी वापसी को कांग्रेस की ताकत में अहम बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस महासचिव मथुरा दत्त जोशी ने कहा, ‘‘दोनों दशकों का अनुभव रखने वाले कद्दावर राजनेता हैं, पार्टी में इनके फिर से शामिल होने से निश्चित रूप से कांग्रेस की संभावनाएं और उज्ज्वल होंगी।’’

रावत की सबसे खास बात यह है कि वर्ष 2000 में उत्तराखंड के बाद से उन्होंने चार अलग-अलग स्थानों से चार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन कभी हार का मुंह नहीं देखा। रावत अविभाजित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसी तरह आर्य भी उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं। उत्तराखंड की विजय बहुगुणा और हरीश रावत के नेतृत्व वाली दोनों सरकार में आर्य मंत्री रहे।

आर्य उत्तराखंड की अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 12 सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने में सक्षम हैं, क्योंकि उन्हें राज्य में सबसे बड़े दलित नेता के रूप में देखा जाता है। आर्य की उपस्थिति जिन सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस की संभावनाएं बढ़ाएगी उनमें शामिल हैं- पुरोला, हराली, घनशाली, राजपुर रोड, ज्वालापुर, भगवानपुर, पौड़ी, गंगलीहाट, बागेश्वर, सोमेश्वर, नैनीताल और बाजपुर। आर्य ने वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर 54 हजार से अधिक मतों से जीता था।



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शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

टिकट नहीं मिलने पर उत्तराखंड के भाजपा नेताओं ने एकजुटता तोड़ने की धमकी दी

देहरादून, 22 जनवरी (भाषा) टिकट नहीं दिए जाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मजबूत दावेदारों में असंतोष की भावना पैदा हो गई और इनमें से कई ने या तो दूसरी पार्टियों में चले जाने या निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है।

पार्टी ने 59 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में कई सीटों पर समर्पित पार्टी कैडर पर कांग्रेस के दलबदलुओं को तरजीह दी है, जबक टिकट से वंचित किए गए कई लोग अपनी आहत भावनाओं के साथ खुलकर सामने आ गए हैं।

इनमें से सबसे बड़े नाम थराली से मौजूदा विधायक मुन्नी देवी शाह और दा्वाराहाट विधायक महेश नेगी के हैं।

शाह ने कहा, “पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को यह बताना चाहिए कि मुझे टिकट क्यों नहीं दिया गया। मैंने केंद्र एवं राज्य सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के साथ ही अपने निर्वाचन क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास कार्य किया है।”

उन्होंने कहा कि उन्हें दुख नहीं होता अगर पार्टी ने सीट से समर्पित पार्टी कार्यकर्ता को उनकी जगह टिकट दिया लेकिन उसने कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी को तवज्जो दी।

इस सीट से मौजूदा विधायक एवं अपने पति मगन लाल शाह के निधन के बाद 2018 में उपचुनाव में जीतने वाली शाह ने कहा, “इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है।’’

उन्होंने कहा कि उनके समर्थक उनपर दवाब बना रहे हैं कि वह सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ें जहां भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए भोपाल राम टमटा को उतारा है।

सितंबर 2020 में बलात्कार के एक मामले के आरोपी, नेगी ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत टिकट नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी संगठनात्मक सर्वेक्षणों में उनका नाम सबसे ऊपर था फिर भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया।

नरेंद्र नगर सीट से टिकट के मजबूत दावेदार माने जा रहे ओम गोपाल रावत कांग्रेस में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। भाजपा ने इस सीट से एक बार फिर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को उतारा है।

रावत ने कहा, “भाजपा समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं की परवाह नहीं करती जो संगठन को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत करते हैं। इसके कोई सिद्धांत या मूल्य नहीं हैं। यह बस सत्ता चाहती है।”

पूर्व विधायक महावीर रांगड़ भी भाजपा द्वारा धनौल्टी से प्रीतम सिंह पवार को उतारे जाने से नाखुश हैं।

उन्होंने शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं की राय ली और कहा कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे।

घनसाली से प्रत्याशी, दर्शन लाल ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है।

कर्णप्रयाग से टिकट पाने की कोशिश कर रहे टीका मैखुरी ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने की धमकी दी है क्योंकि पार्टी ने सीट से अनिल नौटियाल को उतारा है।

भीमताल में मनोज शाह ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी है क्योंकि पार्टी ने सीट से मौजूदा निर्दलीय विधायक राम सिंह कैरा को उतारा है जो पिछले साल के आखिर में भाजपा में शामिल हो गए थे।

उन्होंने कहा, “मैं 2002 से सीट से टिकट की दौड़ में हूं। मुझे टिकट न देना अन्याय है। मैं निर्दलीय के तौर पर लड़ूंगा।”

पार्टी के अंदर के मिजाज को भांपते हुए, भाजपा ने कहा कि असंतोष स्वाभाविक है और यह कड़वाहट कुछ दिनों में खत्म हो जाएगी।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, “एक सीट से टिकट के कई दावेदार हो सकते हैं लेकिन यह सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर ही एक को दिया जा सकता है। केंद्रीय नेतृत्व का फैसला सभी को मानना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “भाजपा एक अनुशासित पार्टी है। यह उनकी शुरुआती प्रतिक्रिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि वे समझेंगे।”



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