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देहरादून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भगवान शिव के धाम केदारनाथ में की मूर्ति का अनावरण किया। एक ही शिला काटकर बनाई गई शंकराचार्य की बारह फुट लंबी प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री ने उसके समक्ष बैठकर उनकी आराधना की। पीएम मोदी ने आखिर केदारनाथ में शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण क्यों किया। शंकराचार्य का केदरनाथ से क्या संबंध हैं, जानिए... शंकराचार्य का जन्मकाल लगभग 2200 वर्ष पूर्व का माना जाता है। वहीं कुछ इतिहासकार का मानना है कि आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईसवीं में हुआ था और उनकी मृत्यु 820 ईसवीं में हुई थी। केरल के ब्राह्मण परिवार में हुआ था जन्म आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में कालपी 'काषल' नाम के गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु भट्ट और माता का नाम सुभद्रा था। बताया जाता है कि उनके पिता ने शिव की दिनरात उपासना की, तब वह पैदा हुए थे। इसलिए उनका नाम शंकर रखा गया। जब वह तीन साल के थे उनके पिता का निधन हो गया। 8 साल की उम्र में ऐसे बने सन्यासी शंकर इतने ज्ञानी थे कि महज छह साल की उम्र में वह प्रकांड पंडित हो गए। 8 साल की उम्र में उन्होंने सन्यास ग्रहण कर लिया। कहा जाता है कि वह अपनी मां की इकलौती संतान थे इसलिए मां नहीं चाहती थीं कि वह सन्यासी बनें। एक दिन नदी में एक मगरमच्छ ने उनका पांव पकड़ लिया। शंकर ने मां से कहा कि अगर वह उन्हें सन्यास लेने की अनुमति नहीं देंगी तो मगरमच्छ उन्हें खा जाएगा। जैसे ही उनकी मां ने उन्हें अनुमति दी मगरमच्छ ने उनका पांव छोड़ दिया। आदि गुरु शंकराचार्य ने इन मठों की स्थापना की आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी। उत्तर दिशा में उन्होंने बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी। पश्चिम दिशा के द्वारिका में शारदामठ की स्थापना की थी। इसकी स्थापना 2648 युधिष्ठिर संवत में की थी। दक्षिण में उन्होंने श्रंगेरी मठ की स्थापना की। पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी में गोवर्धन मठ की स्थापना की। जोशीमठ इलाके में यही वह जगह है जहां शंकराचार्य विलुप्त हुए थे। अंतिम बार पहुंचे थे केदारनाथ शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनन्द स्वरूप ने बताया कि शंकराचार्य ने चारों धाम की स्थापना की सनातन धर्म की फिर से स्थापना कर की। जब उनके कार्य पूरे हो गए तो उन्हें लगा कि जिस उद्देश्य से उनका जन्म हुआ था, वह उन्होंने पूरे कर लिए हैं। वह अपने शिष्यों के साथ केदारनाथ में दर्शन करने पहुंचे। यहां उन्होंने शिष्यों के साथ भगवान के दर्शन किए। ऐसे अंतर्ध्यान हुए शंकराचार्य स्वामी आनंद स्वरूप ने बताया कि शिवलिंग के दर्शन के बाद आदि गुरु शंकराचार्य की भगवान शंकर से बात हुई। उन्होंने उनसे देह त्यागने की अनुमति ली। आदि शंकराचार्य मंदिर से बाहर आए। शिष्यों को रोका और कहा कि पीछे मुड़कर मत देखना। आदि शंकराचार्य यहां विलुप्त हो गए। जहां पर विलुप्त हुए उसी जगह पर शिवलिंग की स्थापना की गई। उनका समाधि स्थल बनाया गया। 2013 में आई त्रासदी में यह समाधि स्थल बह गया था।
- आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म कहां हुआ थाकेरल के एक ब्राह्मण परिवार में शंकराचार्य का जन्म हुआ था
- शंकराचार्य का केदरनाथ धाम के साथ क्या संबंध हैकेदारनाथ के दर्शन करने के बाद विलुप्त हुए थे शंकराचार्य
- शंकराचार्य ने किन मठों की स्थापना की?उत्तराखंड में ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और ओडिशा के पुरी में गोवर्धन पीठ।
- शंकराचार्य ने सन्यास कैसे धारण किया?छह साल की उम्र में वह प्रकांड पंडित बने और आठ साल की उम्र में सन्यासी हो गए।
- आदि गुरु शंकराचार्य के बचपन का क्या नाम था?शंकराचार्य के बचपन का नाम शंकर था। उनके पिता शिव के बड़े उपासक थे।
- शंकराचार्य का निधन कैसे हुआ?शंकराचार्य का निधन नहीं हुआ। वह केदारनाथ के दर्शन करने के बाद विलुप्त हो गए थे।
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