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देहरादून शीतकाल में छह महीने के लिए बदरीनाथ कपाट शनिवार 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद किए गए। इससे पहले पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को चारों ओर से गेंदे, गुलाब और कमल के फूलों से सजाया गया। शीतकाल में भगवान बदरीनाथ की पूजा पांडुकेश्वर और जोशीमठ में संपन्न हुई। मंदिर के पट बंद होने की प्रक्रिया शाम 4 बजे से शुरू हुई। इससे पहले सुबह 6 बजे भगवान बदरीनाथ की अभिषेक पूजा की गई। बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल हेतु आज शनिवार शाम 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद हो गये। इस अवसर पर बद्रीविशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा बदरीनाथ मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था। बदरीनाथ धाम में भी तापमान कम, मौसम हुआ सर्द बदरीनाथ धाम की सुदूर पहाड़ियों पर बर्फ जमी है जिससे बदरीनाथ धाम में भी तापमान कम है तथा मौसम सर्द बना हुआ है। कुछ देर पूजा-अर्चना एवं दर्शन पश्चात बाल भोग समर्पित किया गया ,श्रद्धालुओं ने दर्शन किये दिन का भोग प्रसाद चढाया गया। शाम साढे चार बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी । इसके पश्चात शाम साढे पांच बजे उद्धव जी एवं कुबेर जी, एवं गरूड़ जी के मंदिर गर्भ गृह से बाहर मंदिर परिसर में आते ही रावल जी द्वारा स्त्रैण भेष धारणकर मां लक्ष्मी को मंदिर भगवान बदरीविशाल के पास विराजमान किया। नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी भगवान की मूर्ति इस अवसर पर कपाट बंद होने का संपूर्ण कार्यक्रम उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी. सिंह की देखरेख में संपन्न हुआ। भगवान बदरी विशाल के खजाने के साथ श्री गरूड़ भगवान की प्रतिमा बदरीनाथ धाम से नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन(जोशीमठ) तथा मातामूर्ति मंदिर माणा सहित श्री घ़टाकर्ण मंदिर माणा के कपाट तथा बदरीनाथ धाम में अधीनस्थ मंदिरों के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं। 2 लाख के करीब श्रद्धालुओं ने किए दर्शन श्री कुबेर जी अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में तथा उद्धव जी श्री योग-बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान में हो जायेंगे जबकि 22 नवंबर को रावल जी एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान होंगे।इसके साथ ही योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह मंदिर जोशी मठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू होंगी। इस वर्ष कुल 197056 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किये।
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