रविवार, 14 नवंबर 2021

भारत का पहला घास संरक्षणगृह रानीखेत में

देहरादून, 14 नवंबर (भाषा) देश के पहले घास संरक्षण गृह का रविवार को अल्मोडा जिले के रानीखेत में उद्घाटन किया गया। यह दो एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला है।

प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक (शोध) संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि केंद्र सरकार की क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) द्वारा वित्तपोषित इस संरक्षण गृह को तीन साल की मेहनत के बाद उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा विकसित किया गया है।

उन्होंने बताया कि यहां घास की 90 विभिन्न प्रजातियां उगाई गई हैं जिनके साथ ही उनसे संबंधित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक, पारिस्थितिकीय, औषधीय और सांस्कृतिक सूचना भी दर्शाई गई है।

चतुर्वेदी ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य घास प्रजातियों की महत्ता के बारे में जागरुकता पैदा करना, उनके संरक्षण को बढावा देना तथा इस क्षेत्र में शोध को मदद देना है।

उन्होंने बताया कि ताजा शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि कार्बन सोखने में घास के मैदान वन भूमि से अधिक प्रभावी हैं और इसे देखते हुए इस पहल का महत्व और बढ गया है।

घास प्रजातियों के संरक्षण का महत्व इसलिए भी और बढ गया है क्योंकि घास के मैदान सिकुड़ते जा रहे हैं और इन पर निर्भर कीड़ों-मकोड़ों, पक्षियों और स्तनधारियों का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में पड़ गया है।

चतुर्वेदी ने बताया कि घास फूलों वाले पौधों में आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है।

संरक्षित क्षेत्र में घास की सात विभिन्न श्रेणियां उगाई गयी हैं जिनमें सगंध, औषधीय, चारा, सजावटी, कृषि, धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण और मिश्रित श्रेणियां शामिल हैं।



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