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प्रधानमंत्री मोदी के शुक्रवार के केदारधाम दौरे के बाद कांग्रेस महासचिव एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक टवीट में कहा, “ गर्भगृह से जिस तरीके से पूजा का प्रसारण किया गया, उसने मुझे कल से ही बड़ी उपापोह में डाला है।”
उन्होंने कहा, “... लेकिन शिव के सामने तो सारे भक्त बराबर हैं । भविष्य में कैसे किसी से कहा जाएगा कि गर्भगृह में आप कैमरा लेकर नहीं जा सकते! आप मोबाइल लेकर नहीं जा सकते! आप रिकॉर्डिंग नहीं कर सकते! फिर धीरे-धीरे लोग दूसरी परंपराओं एवं मान्यताओं को भी तोड़ेंगे।”
इसके बाद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो कई बार देखा गया जिसमें 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद वह केदारनाथ मंदिर के अंदर जूते पहने हुए एक टीवी चैनल के पत्रकार से बात करते दिखाई दे रहे हैं।
इस पर गोदियाल ने त्वरित और तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी के शुक्रवार को केदारनाथ मंदिर परिसर में हुए कार्यक्रम के दौरान सभी भाजपा नेता जूते पहने बैठे थे जबकि वह आपदा के दौरान जूते पहनकर गए थे जिसकी तुलना करना गलत है ।
उन्होंने कहा, “ एक ओर भाजपा के तमाम नेता पवित्र केदारनाथ धाम में जूते पहन कर परिसर में बैठे और मर्यादा के विपरीत गर्भगृह से लाइव प्रसारण करवा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर 2013 में केदारनाथ में आई प्रलय में हजारों लाशों के बीच जूते पहनने की बात की जा रही है, ऐसी परिस्थितियों की तुलना कतई उचित नहीं। आपत्ति काले मर्यादा नास्ति।”
कांग्रेस नेता रावत ने न केवल गोदियाल के इस टवीट को साझा किया बल्कि उनका बचाव करते हुए कहा कि गोदियाल उस समय जूते पहन कर मंदिर में गये, जब मंदिर का गर्भगृह लाशों से अटा पड़ा था और उनको बाहर निकालना सबसे पहली दैवीय प्राथमिकता थी।
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