![](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/88012567/photo-88012567.jpg)
देहरादून उत्तराखंड के सीएम ने चार धाम लेने के बाद आंदोलनकारियों से अपील की है कि वे अपना प्रदर्शन खत्म कर दें। उन्होंने मंगलवार को कहा कि जो भी लोग विरोध कर रहे हैं, उनसे आंदोलन वापस लेने का आग्रह करता हूं। उन्होंने कहा कि चूंकि हमने बिल वापस ले लिया है, ऐसे में जो सुविधाएं पहले थीं, वह वैसी ही रहेंगी। इन सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए अगर कुछ किया गया तो वह सभी के सहयोग से होगा। मंगलवार को धामी सरकार ने तीर्थ पुरोहितों के लगातार विरोध के बाद चार धाम देवस्थानम् बोर्ड बिल वापस ले लिया। बीजेपी को डर था कि कुछ महीने बाद राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसे मुद्दा न बना लें। बिल पास लेने के बाद सीएम ने कहा कि मामले में उच्च स्तरीय रिपोर्ट पर विचार करते हुए उन्होंने अधिनियम वापस लेने का फैसला लिया है। सीएम ने बताया कि मनोहर कांत ध्यानी ने एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाई थी। उस कमिटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी है। जिस पर हमने विचार करते हुए निर्णय लिया है कि हम इस अधिनियम को वापस ले रहे हैं। आगे चल कर हम सभी से बात करते जो भी उत्तराखंड राज्य के हित में होगा उस पर कार्रवाई करेंगे। क्या था बिल देवस्थानम बोर्ड का गठन साल 2020 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने किया था। इसके जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण सीधे राज्य सरकार के पास आ गया था। इनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे चार धाम भी शामिल हैं। इस बिल के आने के बाद से ही तीर्थ-पुरोहित इसे वापस लेने की मांग करते हुए विरोध कर रहे थे। बताया जाता है कि इस बिल की वजह से ही त्रिवेंद्र रावत को इस्तीफा देना पड़ा था। नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार में आने के बाद तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमिटी बनाई थी। उन्होंने वादा किया था कि इस कमिटी की रिपोर्ट के बाद वह इस बिल पर फैसला लेंगे। मंगलवार को इसी कमिटी की सिफारिश पर सीएम ने बिल वापस ले लिया।
from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/3llUPuU
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें