नैनीताल की आधारशिला माने जाने वाले बलियानाला में बारिश के मौसम में बार-बार होने वाले भूस्खलन से नैनीताल के अस्तित्व को गंभीर खतरा हो सकता है।
राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में दाखिल किए गए हलफनामे से असंतुष्ट मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने आपदा प्रबंधन सचिव से 24 नवंबर को अदालत के सामने पेश होने और यह बताने को कहा कि अब तक इस संबंध में क्या कार्रवाई की गयी है।
अदालत ने यह भी पूछा कि 2018 में उच्च न्यायालय के निर्देश पर बनाई गई उच्चाधिकार समिति के सुझावों पर क्या कार्रवाई की गयी?
नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैयद नदीम मून ने उच्च न्यायालय में एक अर्जी दाखिल की थी और कहा था कि बारिश के मौसम में बलियानाला में भारी भूस्खलन होने से नैनीताल के अस्तित्व को खतरा हो सकता है।
याचिका में कहा गया है कि भूस्खलन के कारण प्रशासन ने कुछ परिवारों को विस्थापित किया है लेकिन करोड़ों रूपए खर्च किए जाने के बावजूद इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
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