गुरुवार, 30 सितंबर 2021

आप नेता के पुत्र का शव होटल के कमरे से संदिग्ध परिस्थितियों में मिला

देहरादून, 30 सितंबर (भाषा) आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड इकाई के पूर्व अध्यक्ष एसएस कलेर के पुत्र का शव यहां राजपुर क्षेत्र के एक होटल के कमरे में बृहस्पतिवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मिला।

पुलिस ने बताया कि 24 वर्षीय सिकंदर कलेर किसी व्यापारिक काम के सिलसिले में बुधवार को नैनीताल से यहां आए थे और होटल में रूके हुए थे । सुबह उनके कमरे से बाहर न आने पर होटल कर्मचारियों ने दरवाजा खटखटाया और कोई जवाब न मिलने पर पुलिस को सूचित किया । पुलिस दवारा दरवाजा तोडे जाने पर सिकंदर अंदर मृत पाया गया।

पुलिस के अनुसार प्रथम द्रष्टया ऐसा जान पड़ता है है कि सिकंदर ने बुधवार रात को काफी ज्यादा शराब पी थी जिसके बाद उन्हें कई उल्टियां हुईं जिसके निशान उनके कपडों पर भी मौजूद थे ।

पुलिस ने बताया कि हांलांकि, मौत की सही वजह का पता लगाने के लिए घटनास्थल और शव से फोरेंसिक नमूने ले लिए गए हैं तथा शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा है ।

एसएस कलेर ने इस माह आप के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा सीट खटीमा से चुनाव लडने की घोषणा की थी ।



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दस अक्टूबर को बंद होंगे श्री हेमकुंड साहिब के कपाट

देहरादून, 30 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले में उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध सिख गुरूद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट इस वर्ष शीतकाल के लिए 10 अक्टूबर को बंद होंगे ।

श्री हेमकुंड गुरुद्वारा ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि 10 अक्टूबर को तीर्थस्थल के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण चारधामों की तरह श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा भी इस वर्ष देरी से 18 सितंबर को ही शुरू हुई ।

करीब 4,633 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब में मत्था टेकने अभी तक 5000 से अधिक श्रद्धालु पहुँच चुके हैं ।

श्री हेमकुंड साहिब गुरूद्वारा सर्दियों में भारी बर्फवारी की चपेट में रहने के कारण श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है जो अगले साल मई में फिर से खुलता है ।



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बुधवार, 29 सितंबर 2021

देहरादून में दोहरा हत्याकांड

देहरादून, 29 सितंबर (भाषा) देहरादून शहर के प्रेमनगर क्षेत्र में एक महिला और उसके नौकर की धारदार हथियारों से वार कर हत्या कर दी गयी।

पुलिस ने बताया कि करीब 55 वर्षीय महिला उन्नति शर्मा और उसके 50 वर्षीय नौकर राजकुमार थापा के शव उनके धौलास क्षेत्र में स्थित मकान के आंगन से बुधवार को बरामद हुए।

उन्होंने बताया कि महिला अपने पति सुभाष शर्मा के साथ 10 साल पहले ही लंदन से यहां रहने आई थी जबकि उनके दोनों बच्चे अभी लंदन में ही हैं।

देहरादून आने के बाद से नौकर थापा मकान के अहाते में बने सर्वेंट क्वार्टर में रह रहा था। पुलिस महिला के पति से पूछताछ कर रही है।

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खंडूरी ने कहा कि घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।



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जनसांख्यिकी बदलावों को लेकर भाजपा नेता ने समिति के प्रमुख से मुलाकात की

देहरादून, 29 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने राज्य के कुछ क्षेत्रों में बाहरी लोगों की जनसंख्या बढ़ने के कारण हो रहे कथित जनसांख्यिकी बदलावों पर अपनी चिंताओं को लेकर बुधवार को भूमि कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों का परीक्षण कर रही समिति के प्रमुख से मुलाकात की तथा समस्या के निदान के लिए अपने सुझाव दिए।

समिति के प्रमुख और पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार के साथ बैठक में अजय ने कहा कि केदारनाथ,बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित हिंदुओं की आस्था के प्रसिद्ध केंद्र उत्तराखंड में स्थित हैं और यहां से गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां भी निकलती हैं।

अजय ने कहा कि भारत के चीन और नेपाल से लगती सीमाओं के भी प्रदेश में स्थित होने के कारण कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में खासकर एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा वहां बडे पैमाने पर जमीनें खरीदा जाना चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में उनके द्वारा गुप्त रूप से धर्मस्थलों का निर्माण किए जाने की सूचनाएं भी मिल रही हैं।

भाजपा नेता ने पहाडी क्षेत्रों में बाहरी लोगों को जमीन खरीदने और वहां एक विशेष समुदाय द्वारा धार्मिक स्थलों के निर्माण को रोकने के लिए कड़े भूमि कानून बनाए जाने की मांग की।

अजय ने पूर्व में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र लिखकर राज्य के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने तथा उसके कारण वहां आ रहे जनसांख्यिकी बदलाव को लेकर चिंता जताई थी।

पिछले सप्ताह राज्य सरकार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक, सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इस प्रकार के मामलों के निदान के लिए कार्रवाई करने को कहा था।

इस संबंध में एहतियाती कदम उठाने के निर्देश देते हुए प्रत्येक जिले में एक जिलास्तरीय समिति गठित करने को कहा गया है जो इस समस्या के निदान के लिए अपने सुझाव देगी।

इसके साथ ही जिलेवार ऐसे व्यक्तियों की सूची तैयार करने को भी कहा गया है जो अन्य राज्यों से आकर यहां रह रहे हैं और जिनका आपराधिक इतिहास भी है। ऐसे लोगों का व्यवसाय और मूल निवास स्थान का सत्यापन करके उनका रिकॉर्ड तैयार करने को कहा गया है।

जिलाधिकारियों को इन क्षेत्र विशेष में भूमि की अवैध ख़रीद–फरोख्त पर विशेष निगरानी रखने को भी कहा गया है और यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कहीं कोई व्यक्ति किसी के डर या दवाब में तो अपनी संपत्ति नहीं बेच रहा है।

जिलाधिकारियों को जिलों में निवास कर रहे विदेशी मूल के उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है जिन्होंने धोखे से भारतीय वोटर कार्ड अथवा पहचान पत्र बनवाए हैं।

सुभाष कुमार ने अजय को आश्वासन दिया कि भूमि कानूनों में संशोधन के मामले पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने से पहले वह समाज के सभी वर्गों से सुझाव लेंगे।



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बूथ जीता, तो चुनाव जीता : नड्डा

देहरादून, 29 सितंबर (भाषा) भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने बुधवार को राज्य में चुनावी बिगुल फूंकते हुए कार्यकर्ताओं से बूथ जीतने का आह्वान किया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस बार भी पार्टी भारी बहुमत से चुनाव जीत जाएगी।

उत्तराखंड में पार्टी के शक्ति केंद्र संयोजकों और प्रभारियों को दिए अपने डजिटल संबोधन में कार्यकर्ताओं को चुनावी मंत्र देते हुए नड्डा ने कहा, ‘‘ बूथ जीता तो चुनाव जीता।’’ उन्होंने कहा कि अगर अच्छा बूथ प्रबंधन होता है तो हमें जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

प्रदेश में अगले साल की शुरूआत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं से जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने और ‘डबल इंजन’ की सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने का आह्वान करते हुए कहा कि यही पूर्व पार्टी अध्यक्ष कुशाभाउ ठाकरे के जन्म शताब्दी वर्ष में उन्हें सच्ची श्रद्धां जलि होगी।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ही एकमात्र कैडर आधारित पार्टी है और एकमात्र ऐसी पार्टी भी है जो कभी न टूटी और न बिखरी। नड्डा ने विपक्ष पर वार करते हुए कहा कि विपक्ष की ज्यादतर पार्टियां विशेषरूप से कांग्रेस पार्टी कई बार टूटी और बिखरी।

उन्होंने कहा कि आज के बड़े नेता जैसे ममता बनर्जी, शरद पवार और जगन रेडडी आदि सभी ने कांग्रेस से टूटकर अलग पार्टियां बनाई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड की जनता के विश्वास का जिक्र करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि उसने 2014 के आम चुनावों में पांचों लोकसभा सीटों को भाजपा की झोली में डालने के बाद 2017 विधानसभा चुनावों में भी पार्टी को जबरदस्त बहुमत दिया।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में हुए आम चुनावों में भी जनता ने एक बार फिर पांचों सीटों पर भाजपा को जीत दिलाई और उन्हें भरोसा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चल रहे विकास कार्यों के कारण अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा फिर भारी बहुमत से जीत जाएगी।

नडडा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ने कोविड महामारी के विरूद्ध एक प्रभावी लड़ाई लड़ी है।

उन्होंने कहा कि भारत विश्व का एकमात्र देश है जहां वैज्ञानिकों और दवा कंपनियों ने मिलकर कोविड का डीएनए आधारित टीका विकसित किया है और अब आरएनए आ धारित कोविड टीका भी बनने वाला है।

नड्डा ने 16 जनवरी से शुरू हुए कोविड टीकाकरण अभियान पर विपक्ष की आलोचना का भी जिक्र किया और कहा कि विपक्ष ने उसका मजाक उड़ाया, 'मेड इन इंडिया' टीके को ले कर नागरिकों को गुमराह किया और उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए।

उन्होंने कहा, हालांकि, देश के नागरिकों ने उनकी साजिशों को नाकाम करते हुए इसे दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बना दिया।

उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 90 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लग चुका है और उम्मीद जाहिर की कि दिसंबर तक पूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया जाएगा।

उन्होंने टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी बूथ कार्यकर्ताओं का सहयोग मांगा और कहा कि वे ऐसे लोगों की टीकाकरण में मदद करें जो अब तक पहली खुराक नहीं लगवा पाए हैं या जिनकी दूसरी खुराक लेने का समय हो चुका है।



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मंगलवार, 28 सितंबर 2021

एक अक्टूबर को उत्तराखंड आएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

देहरादून, 28 सितंबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक अक्टूबर को पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा और स्मारक का अनावरण करने उत्तराखंड में उनके पैतृक गांव पीठसैंण जाएंगे।

तत्कालीन रॉयल गढ़वाल राइफल्स में हवलदार रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को पूरे उत्तराखंड में 1930 के ''पेशावर कांड'' के नायक के रूप में माना जाता है, जब उन्होंने अंग्रेजों के आदेश को नकारते हुए भारत की आजादी के लिए लड़ रहे निहत्थे पठानों पर गोलियां चलाने से इनकार कर दिया था।

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि रक्षा मंत्री एक अक्टूबर को पीठसैंण जाएंगे और गढ़वाली की प्रतिमा व स्मारक का अनावरण करेंगे और उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री इस अवसर पर महिला स्वयं सहायता समूहों के बीच 5 लाख रुपये तक के ब्याज मुक्त ऋण के चेक भी वितरित करेंगे और घसियारी (घास काटने वाले) कल्याण परियोजना का शुभारंभ करेंगे।

योजना के तहत 25,000 ग्रामीण महिलाओं को उपकरण युक्त घसियारी किट वितरित की जाएगी।



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चारधाम यात्रा : पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने पर विचार कर रही है उत्तराखंड सरकार

देहरादून, 28 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड सरकार चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने पर विचार कर रही है ताकि यात्री ई-पास के लिए स्मार्ट सिटी और देवस्थानम बोर्ड के पोर्टल पर दोहरा पंजीकरण कराने की औपचारिकता से बच सकें।

अवर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने यात्रा से संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि इस संबंध में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अंतरिम याचिका दायर की गई है और मंदिरों में प्रतिदिन दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।

यात्रा प्रक्रिया सरल बनाने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि दोनों पोर्टल पर सभी शर्तें समान हैं, ऐसे में देवस्थानम बोर्ड से ई-पास प्राप्त करने वालों को स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण से छूट देने पर विचार किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड पोर्टल पर पंजीकरण और ई-पास चेक इन प्रक्रिया को जितना संभव हो उतना सरल बनाया जाना चाहिए।



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उच्च न्यायालय ने आईएफओएस अधिकारी को उनके मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने, बहस करने की अनुमति दी

नैनीताल, 28 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को उनका मामला स्थानांतरित करने के प्रकरण में कैट की दिल्ली बेंच में व्यक्तिगत रूप से पेश होने और बहस करने की अनुमति दे दी है। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की नैनीताल बेंच (पीठ) ने नौकरशाहों की सूची तैयार करने और सरकारी पदों पर सीधी भर्ती के खिलाफ चतुर्वेदी की शिकायत कैट की दिल्ली पीठ को स्थानांतरित कर दी थी।

हल्द्वानी में मुख्य वन संरक्षक चतुर्वेदी ने पिछले साल फरवरी में कैट की नैनीताल पीठ के समक्ष एक मामला दायर किया था जिसमें संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों के लिए 360-डिग्री मूल्यांकन (अप्रेजल) प्रणाली और सरकारी पदों पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सीधी भर्ती को चुनौती दी गई थी।

केंद्र सरकार के एक आवेदन के आधार पर, कैट के अध्यक्ष ने दिसंबर में आदेश दिया कि मामले की सुनवाई न्यायाधिकरण की दिल्ली पीठ को स्थानांतरित कर दी जाए, जो कर्मचारियों के सेवा मामलों का फैसला करती है।

इस स्थानांतरण आदेश को चतुर्वेदी ने उसी महीने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने इस मामले में 26 अगस्त तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रखा था।

मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने सोमवार को पारित आदेश में कहा, "इस अदालत का मानना है कि संजीव चतुर्वेदी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और अपने मामले पर बहस करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’

चतुर्वेदी ने अपने हलफनामे में दलील दी थी कि उन्हें न केवल कैट के समक्ष बल्कि अन्य उच्च न्यायालयों के समक्ष और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष भी व्यक्तिगत रूप से बहस करने की अनुमति दी गई थी।

अदालत के आदेश में कहा गया है, "प्रथमदृष्टया, यह भी पता चलता है कि संजीव चतुर्वेदी बड़ी संख्या में विवादों में उलझे हुए हैं, जिन्हें वह कई मंचों पर अपने पक्ष स्पष्ट करने और हल करने का प्रयास कर रहे हैं।"

इसमें कहा गया है कि विभिन्न मंचों द्वारा की गई कई टिप्पणियां वास्तव में चतुर्वेदी के पक्ष में हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘कानून का उनका ज्ञान, उनके विद्वतापूर्ण तर्क, कानून और तथ्यों के उनके महत्वपूर्ण विश्लेषण की कुछ कानूनी मंचों द्वारा सराहना की गई है, इस प्रकार, संजीव चतुर्वेदी वर्तमान मामले में तथ्यों और कानून दोनों पर बहस करने की स्थिति में हैं।

आदेश में कहा गया है कि उन्हें पेश होने और मामले पर बहस करने की अनुमति दी गई है।

चतुर्वेदी ने अपने पूरक हलफनामे में शीर्ष अदालत के उस फैसले का उल्लेख किया था, जिसके कुछ हिस्सों में लिखा है, "एक स्वाभाविक व्यक्ति, निश्चित रूप से, व्यक्तिगत रूप से पेश हो सकता है और व्यक्तिगत रूप से अपने मामले पर बहस कर सकता है।’’

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 23 अक्टूबर तय की।



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'टिहरी वाली मस्जिद हटाओ' ट्विटर पर ट्रेंड हो रहे इस हैशटैग के पीछे की पूरी बात

टिहरी गढ़वाल ट्विटर पर एक ट्रेंड चल रहा है। #RemoveTehriMosque हैशटैग के साथ ट्वीट किए जा रहे हैं। इस हैशटैग के पीछे की लंबी कहानी है। यह जानने के लिए नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की ओर से हिमांशु तिवारी ने उत्तराखंड के टिहरी से भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी प्रमोद उनियाल से बात की है। डॉ. प्रमोद उनियाल कहते हैं कि टिहरी बांध के कामकाज के लिए एक कंपनी आई थी। उस कंपनी के मजदूरों में कुछ लोग मुस्लिम समुदाय से भी जुड़े थे। ये लोग दोबाटा के पास नमाज पढ़ने लगे। कंपनी चली गई और 2006 में झील का पानी बढ़ गया तो दोबाटा का वह क्षेत्र भी लबालब हो गया। टिहरी बांध से संबंधित कामकाज के लिए दूसरी कंपनी आई। अब इस कंपनी के मुस्लिम श्रमिकों ने खांडखाला के नजदीक नमाज पढ़ने की जगह तलाश ली। 'पर्यटन विभाग की है यह जमीन' डॉ. प्रमोद उनियाल ने बताया, 'खांडखाला में नमाज के साथ ही अब टिन शेड डाल दिया गया। इसके साथ ही धीरे-धीरे ज्यादा जगह को घेरा जाने लगा। सवाल यह है कि टिहरी बांध क्षेत्र बहुत संवेदनशील है। इसके बावजूद यहां पर इस तरह से सुरक्षा से खिलवाड़ कैसे किया जा सकता है। जिस जमीन पर टीन शेड डालकर यह अवैध कार्य किया जा रहा है, यह पर्यटन विभाग की है।' '...तो हम खुद इस अतिक्रमण को हटा देंगे' प्रमोद उनियाल ने कहा, 'हमने 20 दिन पहले इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन मेरे नेतृत्व में किया गया था। इस संबंध में हमने ज्ञापन दिया। नतीजा यह निकला कि संबंधित विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस अतिक्रमण को हटाया जाएगा। हालांकि, इसका अबतक समाधान नहीं निकला। यदि निष्कर्ष नहीं निकलता है तो हम राष्ट्र सुरक्षा की दृष्टि से इसे खुद ही हटा देंगे।'


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उत्तराखंड में बाघ स्थानांतरण परियोजना जल्द फिर से शुरू होने की उम्मीद

ऋषिकेश, 28 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड में कुछ महीने से अस्थायी रूप से बंद बाघ स्थानांतरण परियोजना जल्द ही फिर से शुरू होने की उम्मीद है। एक वन अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

जनवरी में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेंज से राजाजी टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किये गए एक युवा नर बाघ के मोतीचूर के बाड़े से भागने के बाद परियोजना को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था।

पिछले साल 24 दिसंबर को एक युवा बाघिन को कॉर्बेट से राजाजी स्थानांतरित किया गया था, उसके बाद युवा नर बाघ को 9 जनवरी को स्थानांतरित कर दिया गया था। कुछ दिनों बाद यह अपने बाड़े से भाग गया।

अधिकारी ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर कहा कि उनके स्थानांतरण के लगभग नौ महीने हो चुके हैं, ऐसे में यह माना जाता है कि स्थानांतरित बाघों को अपने नए परिवेश में खुद को ढालने के लिए पर्याप्त समय मिल गया है। इसलिए, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण परियोजना पर से अस्थायी रोक हटा रहा है।

उन्होंने कहा कि दो बाघों को पहले ही कॉर्बेट से राजाजी में स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि दो और बाघों - एक नर और एक मादा - को परियोजना के फिर से शुरू होने के बाद रिजर्व में स्थानांतरित किया जाना है।



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सोमवार, 27 सितंबर 2021

Uttarakhand Population law: लैंड जिहाद पर बवाल के बीच उत्तराखंड में जनसंख्या नियंत्रण कानून की तैयारी, यूपी के ड्राफ्ट बिल का हो रहा अध्ययन

देहरादून उत्तरांखड में लैंड जिहाद पर मचे बवाल के बीच सरकार ने उत्तर प्रदेश के जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के मसौदे का गहराई से अध्ययन शुरू कर दिया है। इसे पुष्कर सिंह धामी सरकार को उत्तराखंड की स्थानीय जनसांख्यिकीय और सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण बिल तैयार करने की ओर पहला कदम माना जा रहा है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक राज्य के गृह विभाग ने इसकी पुष्टि की है और साथ ही दावा किया है कि जल्द ही उत्तराखंड में भी यह बिल लाया जाएगा। धामी सरकार का यह कदम 35 आरएसएस सहयोगियों के पदाधिकारियों के साथ उस बैठक के दो महीने बाद उठाया गया है जिसमें उत्तराखंड में भी असम और यूपी की तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की सलाह दी गई थी, ताकि पहाड़ी राज्य में जनसांख्यकीय नियंत्रण बना रहे। देहरादून में हुई इस मीटिंग के कुछ दिन बाद ही स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएम धामी ने अपने भाषण के दौरान एक कमिटी का गठन करने की घोषणा की थी जो राज्य में जनसंख्या कंट्रोल का प्रभावी मसौदा तैयार करने में मदद करेगा। यूपी के ड्राफ्ट बिल का हो रहा अध्ययन गृह विभाग के अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'अभी तक कमिटी का गठन नहीं हुआ है लेकिन उत्तर प्रदेश की ओर से बनाए गए जनसंख्या नियंत्रण बिल का अध्ययन किया जा रहा है। ड्राफ्ट बिल कानून विभाग को भेजा गया है जिसे पढ़कर उत्तराखंड की सामाजिक और जनसंख्याकीय स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपनी राय रखी जाएगी।' उत्तराखंड में लैंड जिहाद का मुद्दा उत्तराखंड में इन दिनों लैंड जिहाद का मुद्दा गर्माया हुआ है। दरअसल स्थानीय बीजेपी नेता अजेंद्र अजय ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को खत लिखकर ऐतराज जताया था कि एक समुदायन विशेष के लोग पहाड़ों पर जमीन खरीदकर अपना प्रार्थना स्थल बना रहे है। अजय ने इस लैंड जिहाद का नाम दिया था। यूपी जनसंख्या नियंत्रण बिल में क्या है? यूपी लॉ कमीशन ने पिछले महीने ही विचार और आगे की कार्यवाही के लिए सीएम कार्यालय के पास उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) ड्राफ्ट बिल भेजा है। इस विधेयक का उद्देश्य यूपी में प्रत्येक दंपती को दो या दो से कम बच्चों के लिए प्रोत्साहित करना था। इस ड्राफ्ट बिल में उन्हें सरकारी सुविधाओं जैसे नौकरी, या किसी तरह की सब्सिडी के साथ स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित रखने की सलाह दी गई थी जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।


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उत्तराखंड में बनेगा पर्यटन सुविधा एवं निवेश प्रकोष्ठ : धामी

देहरादून, 27 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में पर्यटन को बढावा देने के लिए पर्यटन विशेषज्ञों के साथ मिलकर पर्यटन सुविधा एवं निवेश प्रकोष्ठ का निर्माण करने तथा पर्यटन से संबंधित सभी प्रस्तावों पर उद्योग की जगह पर्यटन विभाग द्वारा कार्रवाई किए जाने की घोषणा सोमवार को की।

विश्व पर्यटन दिवस पर आयोजित दो दिवसीय ‘उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट’ में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी विकास और आवास विभाग द्वारा विशेष रूप से राज्य के पर्यटन स्थलों के लिए बहुस्तरीय कार-लिफ्ट स्थान स्थापित करने के लिए एक परियोजना शुरू की जायेगी।

उन्होंने कहा कि आगामी नवंबर में कुमाऊं क्षेत्र के रामनगर में साहसिक कार्य पर निवेश सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा।

धामी ने कहा कि खेल विभाग की ओर से पंडित नैन सिंह सर्वेयर पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान पर्यटन विभाग को सौंपा जाएगा। इसके अलावा, उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल उद्योग के रूप में विकसित करने का रास्ता तलाशने के लिए पर्यटन मंत्रालय के तहत एक समर्पित ईकोटूरिज्म विंग का गठन किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि ईकोटूरिज्म विंग का उद्देश्य दीर्घकालिक विचारों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक सहभागिता व सामाजिक नेतृत्व की भागीदारी के साथ ईकोटूरिज्म का विकास सुनिश्चित करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है और हर साल करोड़ों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है और उनके मार्गदर्शन में चल रही विभिन्न विकास योजनाओं से प्रदेश को लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान पर्यटन से जुड़े लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा और ऐसे लोगों को सरकार ने 200 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज दिया है।



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कांग्रेस को 'मलाई' खाने की आदत, लेकिन मोदी सरकार ने 'लीकेज’ बंद कर दी है : नड्डा

देहरादून, 27 सितंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस को 'मलाई' खाने की आदत है लेकिन केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने अलग—अलग होने वाली 'लीकेज’ बंद कर दी है।

यहां भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के समापन सत्र को वर्चुअली संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि एक रुपए में से केवल 15 पैसे ही लोगों तक पहुंच पाते हैं लेकिन कांग्रेस सरकार इस 'लीकेज' को बंद नहीं कर पाई क्योंकि उन्हें मलाई खाने की आदत है।

उन्होंने दावा किया कि भाजपा की मोदी सरकार ने इस 'लीकेज’ को बंद कर दिया है।

नड्डा ने कहा कि भाजपा देश की मातृशक्ति को सामर्थ्यवान और सबल बनाना चाहती है और यह हमारी प्राथमिकता है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए मोदी सरकार ने तीन तलाक के संबंध में कानून बनाया। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रथा (तीन बार तलाक बोलकर तलाश लेने की) बहुत से इस्लामिक देशों जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में नहीं थी।

उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास पुराण तथा अन्य प्रभावशाली ग्रंथ मातृशक्ति की विशिष्टता की चर्चा करते रहे हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हम आज ‘लेडीज़ फर्स्ट’ की बात करते हैं लेकिन हमारे यहां गौरीशंकर, सीताराम, राधाकृष्ण जैसे शब्द सदियों से प्रचलित हैं जो इस बात का प्रतीक हैं कि हमारे देश में मातृशक्ति विशेष सम्मानित रही है।

देश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली रानी लक्ष्मीबाई सहित हजारों मातृशक्ति को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास की इन महिलाओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब तक सबसे अधिक महिलाओं की संख्या है जो स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि हम सबको अपनी बौद्धिक क्षमता का सदुपयोग संगठन के लिए करना चाहिए।

इस अवसर पर नड्डा ने महिलाओं के लिए चलाई जा रही कई कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि मातृशक्ति के माध्यम से हमारी योजनाएं जनता तक पहुंचेगी और इनका लाभ आम आदमी को मिलेगा।



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उत्तराखंड में भारत बंद का मिला-जुला असर

देहरादून, 27 सितंबर (भाषा) केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आहूत भारत बंद का उत्तराखंड में मिला-जुला असर देखने को मिला।

प्रदेश के हरिद्वार जिले के रुड़की और उधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर, काशीपुर, खटीमा तथा गदरपुर आदि शहरों में किसान संगठनों ने बाजार तथा अन्य प्रतिष्ठान बंद कराने का प्रयास किया लेकिन ज्यादातर लोगों ने अपनी दुकानें व प्रतिष्ठान खुले रखे।

देहरादून में भी भारत बंद का कोई खास असर नहीं दिखा और सामान्य दिनों की तरह लोगों को अपना कामकाज करने में कोई दिक्कत नहीं आई।

हालांकि, इस दौरान किसान संगठनों ने कई जगह धरना दिया और सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।

पुलिस ने बताया कि भारत बंद शांतिपूर्ण रहा और प्रदेश में कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।



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सैनिक के शव के अवशेष गाजियाबाद स्थित उसके घर भेजे गए

उत्तरकाशी, 27 सितंबर (भाषा) सतोपंथ चोटी के पास हाल में बर्फ में पड़े मिले एक शव के अवशेष 16 साल पहले पर्वतारोहण के दौरान लापता हुए सेना के जवान अनीश त्यागी के होने के मजबूत संकेतों के बीच सोमवार को इन्हें सैन्य सम्मान के साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मोदीनगर स्थित उनके पैतृक गांव भेज दिया गया।

घर भेजने के लिए राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे अवशेषों को संदूक में रखे जाने से पहले जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में गार्ड ऑफ ऑर्नर दिया गया। प्रभारी जिलाधिकारी गौरव कुमार तथा सैन्य अधिकारियों ने जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए।

हाल में भारतीय सेना का एक दल स्वर्णिम विजय वर्ष के उपलक्ष्य में 7075 मीटर पर स्थित गंगोत्री घाटी की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ के आरोहण के लिए गया था। इसी दौरान 22 सितंबर को उसे एक पर्वतारोही के शव के अवशेष मिले थे जिन्हें सेना के जवानों ने एकत्रित कर गंगोत्री पहुंचाया और पुलिस को सौंप दिया था।

सेना ने बरामद शव के अवशेषों तथा उस पर सेना के कपड़ों को देखते हुए उसके वर्ष 2005 में सतोपंथ आरोहण के दौरान हिमस्खलन में लापता हुए नायक अनीश त्यागी के होने की संभावना जताई थी।

हालांकि, पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमॉर्टम भी कराया है और उसका डीएनए नमूना भी लिया है ।

लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षदीप गहलोत ने बताया कि वर्ष 2005 की घटना की परिस्थितियों व शव के मिलने के स्थान के आधार पर उसके सैनिक अनीश त्यागी होने की संभावना व्य क्त की गयी है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 के दल के सदस्यों से भी इसे लेकर बातचीत की गई है जबकि सैनिक के परिजनों से भी रविवार को इस संबंध में बात हुई।

इस बीच, पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्र ने कहा कि जब तक डीएनए जांच नही होती, वह इसकी पुष्टि नहीं कर सकते।



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आईटीबीपी अधिकारियों ने माउंट मानास्लू चोटी फतह की

पिथौरागढ़, 27 सितंबर (भाषा) कमांडेंट रतन सिंह सोनल के नेतृत्व वाली भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के दो अधिकारियों की एक टीम ने नेपाल में स्थित विश्व की आठवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मानास्लू को फतह कर लिया है।

बल के उपमहानिरीक्षक एपीएस निंबाडिया ने बताया कि रतन सिंह सोनल के साथ आईटीबीपी के उप कमांडेंट अनूप नेगी भी थे। उन्होंने कहा कि सात सितंबर को शुरू हुई इस साहसिक यात्रा के तहत दोनों अधिकारियों ने 25 सितंबर को माउंट मानास्लू चोटी पर सफल आरोहण किया।

सोनल इससे पहले, माउंट एवरेस्ट, नंदा देवी पूर्वी, सतोपंथ, मुकुट और ससेरकांगारी चोटियों पर भी आरोहण कर चुके हैं।



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भारत बंद का देशभर में मिलाजुला असर दिखा

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को विभिन्न किसान यूनियन के 10 घंटे के भारत बंद के कारण देश के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन प्रभावित रहा। विभिन्न ट्रेनों के रद्द होने और राजमार्ग व प्रमुख सड़कों के बंद होने से हजारों यात्री फंसे रहे।

सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक के भारत बंद के दौरान कई जगहों पर प्रदर्शन हुए, जो अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए। इनमें किसी के घायल होने या गंभीर झड़पों की कोई खबर नहीं आई। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आसपास इसका सबसे अधिक असर दिखा, जो कृषि विरोध के केंद्र रहे हैं। इसके अलावा केरल, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बड़े इलाकों में भी इसका असर दिखा।

चालीस किसान संघों के छाता निकाय संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और मुख्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और सुबह से ही कई स्थानों पर ट्रेन पटरियों पर बैठ गए।

नाकाबंदी शाम चार बजे खत्म हो गई।

हालांकि भारत का बड़ा हिस्सा बंद से अछूते रहे। उत्तर भारत में लगभग 25 ट्रेनें प्रभावित रहीं। इसके अलावा यात्री वाहनों के साथ-साथ आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही भी अवरुद्ध रही।

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा विशेष रूप से प्रभावित रहे, जिनमें हर दिन हजारों लोग आवाजाही करते हैं।

दिल्ली अधिकांशत: अप्रभावित रही, लेकिन इसकी सीमाओं पर ट्रैफिक जाम के कारण लोगों को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोगों को दफ्तर, कॉलेज और डॉक्टर के पास जाने में देरी हुईं। सड़कों पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं।

किसानों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित राष्ट्रीय राजधानी में जाने वाली अन्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। इसके अलावा हरियाणा के सोनीपत में कुछ दूर, कुछ किसान पटरियों पर बैठ गए। पंजाब के पटियाला में भी, बीकेयू-उग्राहन के सदस्य अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘‘ मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केन्द्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं। हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय से लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए। मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं।’’

पड़ोसी हरियाणा में, सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्ग अवरुद्ध कर दिए गए। दोनों राज्यों में कुछ स्थानों पर किसानों के रेल पटरियों पर बैठने की भी खबरें हैं।

उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, “दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर डिवीजनों में 20 से अधिक स्थानों को अवरुद्ध किया जा रहा है। इससे करीब 25 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं।''

किसान नेता योगेंद्र यादव ने एक टीवी चैनल को बताया कि बंद ''असाधारण रूप से सफल'' रहा। उन्होंने इसपर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि कई राज्यों में किसान संगठन सड़कों पर हैं। उन्होंने प्रभावित लोगों से माफी भी मांगी।

कई गैर-एनडीए दलों ने बंद को समर्थन दिया। इनमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और स्वराज इंडिया शामिल थे। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने भी भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की थी।

पश्चिम बंगाल में भी बंद का असर देखा गया जहां वाम मोर्चे ने बंद के आह्वान का समर्थन किया है। कोलकाता से सामने आई तस्वीरों में प्रदर्शनकारियों को एक रेलवे ट्रैक पर बैठे देखा जा सकता है। इसी तरह की तस्वीरें पश्चिम मिदनापुर से भी आईं, जिसमें वाम मोर्चा समर्थकों ने आईआईटी खड़गपुर-हिजरी रेलवे लाइन को बाधित किया।

ओडिशा में भी सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद दिखा, जिससे राज्य में जनजीवन प्रभावित हुआ। कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों सहित बंद समर्थकों ने बारिश के बीच राज्य भर में महत्वपूर्ण चौराहों पर धरना दिया। भुवनेश्वर, बालासोर, राउरकेला, संबलपुर, बारगढ़, बोलांगीर, रायगढ़ा और सुबर्णपुर सहित अन्य जगहों पर सड़कें अवरुद्ध कर दी गईं।

लॉकडाउन के बाद फिर से खुलने वाले शैक्षणिक संस्थान भी भारत बंद के मद्देनजर नहीं खुले। बाजार बंद थे, लेकिन दवा दुकानों और दूध की दुकानों सहित आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानें इससे अछूती रहीं। कई ट्रेड यूनियन और बैंक कर्मचारी संघ भी 12 घंटे के बंद का समर्थन कर रहे हैं।

केरल में सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुआ, जहां हड़ताल का सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ समर्थन कर रहा है। राज्य के लगभग सभी व्यापार संघों ने बंद का समर्थन किया और केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसें भी सड़कों से नदारद रहीं। अधिकतर लोगों ने जरूरत पड़ने पर निजी वाहनों से ही यात्रा की।

‘इंटक’ के प्रदेश अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन सहित यूनियन नेताओं का कहना है कि बंद शांतिपूर्ण रहेगा और वाहनों को रोका नहीं किया जाएगा या दुकानों को जबरन बंद नहीं कराया जाएगा।

कर्नाटक में शुरुआती कुछ घंटों में जनजीवन कुछ खास प्रभावित नहीं हुआ, सामान्य रूप से कामकाज हुआ तथा यातायात सेवाएं सामान्य रूप से उपलब्ध रहीं। हालांकि विरोध प्रदर्शनों और प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर किसानों द्वारा रास्ता रोकने के प्रयासों के कारण राज्य के कई हिस्सों, खासकर बेंगलुरु में वाहनों की आवाजाही बाधित हुई।

गुवाहाटी में ‘सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया’ के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला। अस्पताल, दवा की दुकानें, राहत एवं बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों, आवश्यक सेवाओं और किसी परेशानी का सामना कर रहे लोगों को हड़ताल से छूट दी गई है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह अखंड है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है।’’

कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, राज्य इकाई प्रमुखों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों को 'भारत बंद' में हिस्सा लेने को कहा है। कई राजनीतिक दलों ने 10 घंटे के बंद का समर्थन किया है।

भारत बंद का मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोई असर नहीं दिखा और जन-जीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं।

मुंबई में भी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं। कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हुए और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके अलावा शहर में बंद का अब तक कोई असर नहीं दिखा।

वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस, वाम दलों, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और अन्य ने राज्य में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने बसों का संचालन बाधित करने के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर बस अड्डों के बाहर प्रदर्शन किया। केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और तेलंगाना की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। वनपर्थी, नलगोंडा, नागरकुरनूल, आदिलाबाद, राजन्ना-सिरसिला, विकराबाद और अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए।

राजस्थान में, किसानों के 'भारत बंद' का असर कृषि बहुल गंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अनेक जिलों में दिखा जहां प्रमुख मंडियां तथा बाजार बंद रहे। किसानों ने प्रमुख मार्गों पर चक्काजाम किया और सभाएं की।

‘भारत बंद’ के कारण सोमवार को करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर संभागों में 20 से अधिक स्थानों पर जाम हैं। इसके कारण करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई है।’’

गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसानों को भय है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली खत्म हो जाएगी। हालांकि सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं।



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भाजपा में शामिल कांग्रेस विधायक राजकुमार ने विधानसभा से इस्तीफा दिया

देहरादून, 27 सितंबर (भाषा) हाल में भाजपा में शामिल हुए उत्तरकाशी जिले की पुरोला सीट से कांग्रेस विधायक राजकुमार ने सोमवार को राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

राजकुमार के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने दल-बदल कानून के तहत राज्य विधानसभा से उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी।

राजकुमार के इस्तीफे की घोषणा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि विधायक के स्वेच्छा से त्यागपत्र देने के बाद दल-बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य घोषित करने का सवाल ही नहीं उठता।

वर्ष 2017 में कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले राजकुमार इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गए थे। अगले साल के शुरू में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होना है।



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धामी ने की ज्ञानवाणी चैनल की शुरुआत

देहरादून, 27 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड में छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षण माध्यम से जोड़ने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग और टेलीकॉम कंपनी जियो के संयुक्त प्रयास से स्थापित ज्ञानवाणी चैनल की सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुरुआत की ।

यहां ज्ञानवाणी चैनल की वर्चुअल शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने इसे एक अच्छा प्रयास बताया और कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षण के उद्देश्य से तैयार किए गए इस शिक्षा चैनल का लाभ प्रदेश के सभी बच्चों को मिले।

धामी ने कहा कि ज्ञानवाणी चैनल की सार्थकता तभी होगी जब समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक इसका लाभ पहुंचे।

बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्कूलों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षण के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए गए और स्कूलों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी शैक्षणिक गतिविधियां चल रही हैं।

वहीं, प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने कहा कि कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षण का प्रचलन शुरू हुआ और आज ऑनलाइन माध्यम से अनेक शैक्षणिक गतिविधियां की जा रही हैं।

इस अवसर पर शिक्षा सचिव राधिका झा ने कहा कि स्कूलों में शिक्षण के साथ ही बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से भी शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ज्ञानवाणी- 1 चैनल प्राथमिक कक्षाओं एवं ज्ञानवाणी- 2 चैनल माध्यमिक कक्षाओं के लिए चलाया जा रहा है।

जियो के प्रदेश के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल अग्रवाल ने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान से जुड़े सभी गैर सरकारी संगठन भी शिक्षा विभाग के माध्यम से ज्ञानवाणी में सामग्री का प्रसारण कर सकते हैं।



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उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में कुदरत का करिश्मा, दो साल बाद खिले नीलकमल और अन्य दुर्लभ प्रजाति के फूल

रजनीश कुमार, रुद्रप्रयागबीते दो वर्षों से उच्च हिमालयी क्षेत्र में मानवीय हस्तक्षेप न होने से चमत्कार देखने को मिला है। केदारनाथ के हिमालयी वासुकीताल क्षेत्र में नीलकमल व अन्य दर्जनों किस्म के दुर्लभ फूल खिले हैं। वहीं पहली बार हिमालयी क्षेत्र में सोसरिया फूल भी खिला है। इन दुर्लभ फूलों के खिलने से हिमालयी क्षेत्र की सुंदरता में चार चांद लग गए हैं। कई बीमारियों में रामबाण हैं हिमालयी पुष्प बीते दो वर्षों में हिमालयी क्षेत्र में मानव गतिविधियां कम होने से बुग्याल अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगे है। जिससे केदारनाथ धाम से लगभग आठ किमी दूर स्थित वासुकीताल के आस-पास का क्षेत्र नीलकमल, सोसरिया, हेराक्लम, वालिचि, मीठा विष सहित अन्य प्रकार के हिमालयी दुर्लभ फूलों से गुलजार हो गया है जबकि सोसरिया का फूल केदारनाथ के हिमालयी क्षेत्र में पहली बार पाया गया है। वैसे यह फूल चार हजार मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में खिलते हैं। जानकारों का कहना है कि हिमालयी पुष्प कई बीमारियों के इजाज में रामबाण भी साबित होते हैं। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अधिकारियों ने किया दौरा केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि यात्रियों की आवाजाही हिमालयी क्षेत्रों में होने से इन फूलों का दोहन भी हो सकता है और हिमालय को भी नुकसान पहुंच सकता है। जबकि बीते दो वर्षों से हिमालयी क्षेत्रों में मानव गतिविधियां कम होने के कारण अनेक दुर्लभ प्रजाति के फूल खिले हैं। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग ने हिमालयी फूल खिलने के बाद वासुकीताल क्षेत्र का निरीक्षण भी कर लिया है।


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पंजाब की तरह क्या कांग्रेस उत्तराखंड में भी खेल सकती है 'दलित कार्ड'? जानें- क्यों लग रहे कयास

देहरादून/नई दिल्लीपंजाब में दलित मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद राजनीतिक गलियारों में जिस सवाल का जवाब सबसे ज्यादा तलाशा जा रहा है वह यह है कि क्या कांग्रेस पंजाब () की तरह उत्तराखंड में भी किसी दलित नेता को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर सकती है? यह वादा क्या करके चुनाव मैदान में जा सकती है कि सत्ता में आने पर वह दलित नेता को ही मुख्यमंत्री बनाएगी? इस सवाल की अहमियत इसलिए ज्यादा है, क्योंकि यह कहीं बाहर से नहीं बल्कि कांग्रेस के अंदर से ही खड़ा हुआ है। जिन हरीश रावत को, कांग्रेस के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार समझा जा रहा है, एक संयोग यह भी है कि पंजाब के प्रभारी होने के नाते दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को वहां के मुख्यमंत्री चुनने के सियासी नफा-नुकसान के आकलन में जिनकी बराबर की भागीदारी रही है, यह सवाल उनके जरिेये खड़ा हुआ है। रावत की सलाह में कितना दम? उन्होंने कहा है कि वह उत्तराखंड में भी दलित मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। उनकी यह बात भी बहुत ही अर्थपूर्ण है कि -'दलित वर्ग कितना हमारे साथ है, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि उन्होंने कितने वर्षों तक कांग्रेस को सहारा देकर केंद्र और राज्यों में सत्ता में पहुंचाने का काम किया। हम प्रतिदान देंगे।' इस बयान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण घटनाक्रम यह है कि कांग्रेस के अंदर रावत की सलाह पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है। पार्टी की टॉप लीडरशिप को भी लगता है कि इस सलाह में कहीं न कहीं दम है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता से जब हमने जानना चाहा कि क्या कांग्रेस ऐसा फैसला ले सकती है तो उनका जवाब था-'हम अभी किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं, पहुंचना इतना आसान भी नहीं है लेकिन क्रिकेट मैच में आजमाया हुआ नुस्खा है कि जब नियमित बॉलर विकेट नहीं ले पा रहे होते हैं तो चतुर कप्तान किसी अनियमित बॉलर को मौका दे देता है और विकेट ले लेता है। उसके बाद मैच का रुख बदल जाता है।' उत्तराखंड में क्या हैं दलित समीकरण? उत्तराखंड राज्य को सवर्ण प्रभुत्व वाले राज्य के रूप में देखा जाता है। यहां जितने भी मुख्यमंत्री हुए वे सभी सवर्ण वर्ग से ही हुए हैं, वह चाहे बीजेपी के रहे हों या कांग्रेस लेकिन राज्य में दलित आबादी कम नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की दलित आबादी 18.50 प्रतिशत है। उसी के अनुरूप राज्य की 70 विधानसभा सीटों में 13 सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। राज्य बनने के बाद से हुए चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो बीएसपी यहां 2002, 2007, 2012 चुनाव में लगातार 11 से 12 प्रतिशत वोट पाती रही है। माना जाता रहा है, उसके इस वोट में बड़ा हिस्सा दलित समाज का ही रहा है, हालांकि बहुत ज्यादा सीट जीतने में वह कामयाब नहीं रही। वह 3 से 8 सीट तक ही जीती। 2014 से देश की राजनीति में जो बदलाव हुआ, उसका असर उत्तराखंड की राजनीति पर भी पड़ा। 2017 के चुनाव में दलित वोटर्स का बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ चला गया। बीएसपी का वोट सिर्फ सात प्रतिशत ही रह गया। 'दलित कार्ड' से कांग्रेस को कितना फायदा? उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की भी एंट्री हो रही है। वह जितना नुकसान बीजेपी का करेगी, उतना कांग्रेस का भी करेगी। ऐसे में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के जरिए होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त वोट की जरूरत होगी। उधर बीएसपी ने इस बार दलित+मुसलमान का कार्ड खेला हुआ है। राज्य में करीब 14 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं जोकि कांग्रेस के साथ जाते रहे हैं। बीएसपी के दलित+मुस्लिम कार्ड से भी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा है। ऐसे में कांग्रेस को यह लगता है कि अगर वह एकमुश्त 19 प्रतिशत दलित वोट के साथ चुनाव मैदान में दांव लगाती है तो यह कहीं ज्यादा फायदेमंद रहेगा। इस दांव के पीछे कांग्रेस की आंतरिक राजनीति भी काम कर रही है। हरीश रावत को अभी तक कांग्रेस नेतृत्व इस वजह से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाया है, क्योंकि दूसरा गुट उनका विरोध कर रहा है। प्रीतम सिंह हरीश रावत को सीएम के रूप में नहीं देखना चाहते। हरीश रावत ने दलित सीएम की मांग कर सबको चित कर दिया है। कांग्रेस आलाकमान को भी लगता है कि दलित सीएम का विरोध कोई भी नहीं कर पाएगा। कौन हो सकता है दलित चेहरा? राज्य में कांग्रेस के पास इस वक्त सबसे बड़ा दलित चेहरा प्रदीप टम्टा हैं, जो राज्यसभा सदस्य हैं। इसके अलावा पार्टी के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. जीत राम भी दलित ही हैं। कभी यशपाल आर्य राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े दलित नेता हुआ करते थे लेकिन वह अब बीजेपी में हैं। प्रदीप टम्टा को हरीश रावत का करीबी माना जाता है। इसी वजह से यह भी कहा जा रहा है कि हरीश रावत ने दलित सीएम का दांव इसलिए चला है कि अगर उन्हें यह पद नहीं मिलता है तो उनके किसी करीबी के पास ही यह पद बना रहे।


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कांग्रेस ने की भाजपा नेता गौतम के खिलाफ कार्रवाई की मांग

देहरादून, 27 सितंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम के गांधी परिवार को लेकर दिए गए बयान के विरोध में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को देहरादून कोतवाली में उनके खिलाफ तहरीर दी और उनका पुतला फूंका।

कांग्रेस के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पल्टन बाजार स्थित कोतवाली पहुंचे और गौतम के खिलाफ तहरीर देकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

गौतम ने यहां रविवार को भाजपा महिला मोर्चा की एक बैठक में कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा था, ‘‘इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा की शादी हिंदुओं से नहीं हुई है लेकिन उनके परिजन अपने को ब्राह्मण घोषित करने का प्रयास कर रहे हैं।’’

राज्य कांग्रेस मुख्यालय के बाहर यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गौतम का पुतला फूंका और कहा कि वे ऐसी कोई बात बर्दाश्त नहीं करेंगे, जो उनके नेताओं के खिलाफ की गई हो।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि भाजपा ‘एक छोटी और घटिया सोच‘ वाली पार्टी है और उसके नेता का यह बयान इसी सोच को दर्शा रहा है।



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भारत बंद : देश में दिखा मिलाजुला असर

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान यूनियन के भारत बंद के कारण भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन सोमवार को बाधित हो गया। विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। कई स्थानों पर वे रेल की पटरियों पर भी बैठ गए जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ।

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 से अधिक किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहे ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (एसकेएम) ने किसान विरोध के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के तीनों कानून पर मोहर लगाने का एक साल पूरा होने पर सोमवार को बंद का आह्वान किया है। बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा।

हालांकि देश का ज्यादा हिस्सा इससे प्रभावित नहीं दिखा, उत्तर भारत में ट्रेनों के रद्द होने या देरी से चलने और सीमा पार आवाजाही को रोकने से बड़े पैमाने पर यातायात जाम के कारण लोगों को दिक्कत हुई। बंद का अधिकतर असर गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में दिखा, जहां से रोजाना हजारों लोग कामकाज के सिलसिले में सीमा पार करते हैं।

दिल्ली से लगी गाजियाबाद और नोएडा की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी, जबकि कुछ प्रमुख मार्गों पर यातायात प्रभावित हुआ। गाजियाबाद पुलिस ने दिल्ली में गाजियाबाद और निजामुद्दीन को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पवन कुमार ने कहा कि जिले में भारी पुलिस बल और प्रांतीय सशस्त्र पुलिस (पीएसी) को तैनात किया गया है और मार्गों का रुख बदल दिया गया है।

किसान नेताओं ने घोषणा की थी कि मोदी नगर का 'राज टॉकीज' चौराहा अवरुद्ध किया जाएगा, इसलिए वाहनों को परतापुर, मेरठ से एक्सप्रेस-वे की ओर मोड़ दिया गया है। पुलिस ने कहा कि हापुड़ और गाजियाबाद से आने वाले वाहनों को नोएडा की ओर मोड़ दिया गया है क्योंकि पेरिफेरल एक्सप्रेसवे बंद है।

भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के विरोध स्थल यूपी गेट पर पुलिस ने वाहनों की जांच के लिए अवरोधक लगाए हैं। नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने भी दिल्ली से आने या जाने के लिए गाजियाबाद से सटे गाजीपुर से गुजरने वाले मार्गों की ओर जाने वाले यात्रियों को आगाह किया है।

ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘नोएडा और दिल्ली के बीच चिल्ला और डीएनडी फ्लाईवे के बीच मार्ग खुले हैं। लेकिन सुबह इन मार्गों पर ट्रैफिक बढ़ गया, जिसके कारण यातायात की गति थोड़ी धीमी हो गई थी।''

अधिकारियों के अनुसार, यमुना एक्सप्रेसवे सहित, ग्रेटर नोएडा से उत्तर प्रदेश के आंतरिक जिलों जैसे मथुरा, आगरा, अलीगढ़, लखनऊ में जाने वाले एक्सप्रेसवे, बिना किसी बाधा के सुबह खुले थे। इसी तरह के जुलूस और प्रदर्शन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों जैसे मेरठ, बागपत, हापुड़ और बुलंदशहर में भी देखे गए। बागपत में राष्ट्रीय लोक दल के सदस्य और समर्थक किसान संघों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए।

ओडिशा में भी सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद दिखा, जिससे राज्य में जनजीवन प्रभावित हुआ। कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों सहित बंद समर्थकों ने बारिश के बीच राज्य भर में महत्वपूर्ण चौराहों पर धरना दिया। भुवनेश्वर, बालासोर, राउरकेला, संबलपुर, बरगढ़, बोलांगीर, रायगढ़ा और सुबर्णपुर सहित अन्य जगहों पर सड़कें अवरुद्ध कर दी गईं।

लॉकडाउन के बाद फिर से खुलने वाले शैक्षणिक संस्थान भी भारत बंद के मद्देनजर नहीं खुले। बाजार बंद थे, लेकिन दवा दुकानों और दूध की दुकानों सहित आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानें इससे अछूती रहीं। कई ट्रेड यूनियन और बैंक कर्मचारी संघ भी 12 घंटे के बंद का समर्थन कर रहे हैं।

केरल में सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुए, जहां हड़ताल का सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने समर्थन कर रहे हैं। राज्य के लगभग सभी व्यापार संघों ने बंद का समर्थन किया और केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसें भी सड़कों से नदारद रहीं। अधिकतर लोगों ने जरूरत पड़ने पर निजी वाहनों से ही यात्रा की।

‘इंटक’ के प्रदेश अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन सहित यूनियन नेताओं का कहना है कि बंद शांतिपूर्ण रहेगा और वाहनों को रोका नहीं किया जाएगा या दुकानों को जबरन बंद नहीं किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में भी बंद का असर देखा गया जहां वाम मोर्चे ने बंद के आह्वान का समर्थन किया है। कोलकाता से सामने आई तस्वीरों में प्रदर्शनकारियों को एक रेलवे ट्रैक पर बैठे देखा जा सकता है। इसी तरह की तस्वीरें पश्चिम मिदनापुर से भी आईं, जिसमें वाम मोर्चा समर्थकों ने आईआईटी खड़गपुर-हिजरी रेलवे लाइन को बाधित किया।

राष्ट्रीय राजधानी में, ऑटो-रिक्शा और टैक्सी की आवाजाही सामान्य रही और वहीं दुकानें खुली रहीं, जिनके दुकानदार भारत बंद को केवल ‘‘सैद्धांतिक समर्थन’’ दे रहे हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित शहर की सीमाओं पर अफरा-तफरी मची रही, जहां किसानों ने वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए राजमार्ग को जाम कर दिया। वहीं, हरियाणा के सोनीपत में कुछ किसान धरने पर बैठे। पंजाब के पास के पटियाला में भी, बीकेयू-उग्रहां के सदस्य भी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए। पंजाब के मोगा सहित कई जगहों पर पूर्ण रूप से बंद रहा। किसानों ने मोगा-फिरोजपुर और मोगा-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जाम कर दिया।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘‘ मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केन्द्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं। हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए। मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं।’’

हरियाणा में सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्गों को किसानों ने जाम किया। सुरक्षा कारणों के चलते पंडित श्रीराम शर्मा मेट्रो स्टेशन भी बंद कर दिया गया। हरियाणा स्थित यह स्टेशन ‘ग्रीन लाइन’ पर है और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के निकट स्थित है।

कर्नाटक में शुरुआती कुछ घंटों में जनजीवन कुछ खास प्रभावित नहीं हुआ, सामान्य रूप से कामकाज हुआ तथा यातायात सेवाएं सामान्य रूप से उपलब्ध रहीं। हालांकि विरोध प्रदर्शनों और प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर किसानों द्वारा रास्ता रोकने के प्रयासों के कारण राज्य के कई हिस्सों, खासकर बेंगलुरु में वाहनों की आवाजाही बाधित हुई।

गुवाहाटी में ‘सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया’ के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला। अस्पताल, दवा की दुकानें, राहत एवं बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों, आवश्यक सेवाओं और किसी परेशानी का सामना कर रहे लोगों को हड़ताल से छूट दी गई है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह अखंड है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है।’’

कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, राज्य इकाई प्रमुखों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों को 'भारत बंद' में हिस्सा लेने को कहा है। कई राजनीतिक दलों ने 10 घंटे के बंद का समर्थन किया है।

इनमें आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और स्वराज इंडिया शामिल हैं। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने भी भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की है। केन्द्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एकजुटता दिखाते हुए किसान संगठनों और वाम दलों ने तमिलनाडु के कई हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किया। तमिलनाडु में भाकपा और माकपा के राज्य सचिवों, आर मुथारासन तथा के. बालकृष्णन, विदुथलाई चिरुथिगल काची प्रमुख थोल थिरुमावलवन और सत्तारूढ़ द्रमुख से संबद्ध ‘लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन’ के पदाधिकारियों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

भारत बंद का मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोई असर नजर नहीं दिखा और जन-जीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं।

मुंबई में भी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं। कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हुए और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके अलावा शहर में बंद का अब तक कोई असर नहीं दिखा।

वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस, वाम दलों, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और अन्य ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने बसों का संचालन बाधित करने के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर बस अड्डों के बाहर प्रदर्शन किए। केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और तेलंगाना की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। वनपर्थी, नलगोंडा, नागरकुरनूल, आदिलाबाद, राजन्ना-सिरसिला, विकराबाद और अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए।

राजस्थान में, किसानों के 'भारत बंद' का असर कृषि बहुल गंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अनेक जिलों में दिखा जहां प्रमुख मंडिया तथा बाजार बंद रहे। किसानों ने प्रमुख मार्गों पर चक्काजाम किया और सभाएं की।

‘भारत बंद’ के कारण सोमवार को करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर संभागों में 20 से अधिक स्थानों पर जाम हैं। इसके कारण करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई है।’’

गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसानों को भय है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली खत्म हो जाएगी। हालांकि सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं।



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Uttarakhand News: बिना ई-पास केदारनाथ धाम जाने पर अड़े यात्री, प्रशासन ने रोका तो बोले- देंगे धरना

रजनीश कुमार, रुद्रप्रयाग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्रसिद्ध बाबा केदारनाथ धाम दर्शन के लिए दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और पंजाब आदि राज्यों से पहुंचे यात्रियों को ई-पास नहीं म‍िला। इसके कारण यात्रियों ने हाईवे पर बैठकर धरना दिया। इसके साथ ही नाराज यात्रियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। सूचना पर पुलिस ने भारी मशक्कत कर यात्र‍ियों को हाइवे से हटाया। बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा पर आए कुछ यात्रियों के पास ई-पास नहीं था। इस पर उन्हें पुलिस ने केदारनाथ जाने से रोक दिया। इससे गुस्साए यात्रियों ने सोनप्रयाग में केदारनाथ हाईवे पर बैठ कर धरना शुरू कर दिया। यात्री केदारनाथ धाम जाने की जिद पर अड़ गए। पुलिस ने भारी मशक्कत कर यात्रियों को समझा-बुझाकर सड़क से हटाया। बीते कुछ दिनों से बाबा केदारनाथ धाम दर्शन के लिए आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन ई-पास की अनिवार्यता होने के कारण एक दिन में मात्र आठ सौ यात्रियों को ही केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाने की अनुमति दी जा रही है। जिन यात्रियों के पास ई-पास नहीं हैं उन्हें केदारनाथ धाम नहीं भेजा जा रहा है। पहले ही पूरे बुक हो चुके हैं ई-पास यात्रियों का कहना था कि ई-पास पहले ही पूरे बुक हो चुके हैं। ई-पास न मिलने की दशा में उनके पास डबल वैक्सीन की रिपोर्ट और कोरोना नेगेटिव की भी रिपोर्ट है। इसके बावजूद भी उन्हें केदारनाथ धाम नहीं भेजा जा रहा है।


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भारत बंद: देश में दिखा मिलाजुला असर

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान यूनियनों के भारत बंद के कारण भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन सोमवार को बाधित हो गया। विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। कई स्थानों पर वे रेल की पटरियों पर भी बैठ गए जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ।

बंद में शामिल 40 से अधिक किसान यूनियनों के मंच ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (एसकेएम) ने किसान विरोध के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के तीनों कानून पर मोहर लगाने के एक साल पूरा होने के मौके को चिह्नित करने के लिए सोमवार को बंद का आह्वान किया है। बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा।

हालांकि देश का ज्यदा हिस्सा इससे प्रभावित नहीं दिखा, उत्तर भारत में ट्रेनों के रद्द होने या देरी से चलने और सीमा पार आवाजाही को रोकने वाले बड़े पैमाने पर यातायात जाम के कारण लोगों को दिक्कत हुई। बंद का अधिकतर असर गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में दिखा, जहां से रोजाना हजारों लोग कामकाज के सिलसिले में सीमा पार करते हैं।

केरल में सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुए, जहां हड़ताल का सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने समर्थन कर रहे हैं। राज्य के लगभग सभी व्यापार संघों ने बंद का समर्थन किया और केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसें भी सड़कों से नदारद रहीं। अधिकतर लोगों ने जरूरत पड़ने पर निजी वाहनों से ही यात्रा की।

‘इंटक’ के प्रदेश अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन सहित यूनियन नेताओं का कहना है कि बंद शांतिपूर्ण रहेगा और वाहनों को रोका नहीं किया जाएगा या दुकानों को जबरन बंद नहीं किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में भी बंद का असर देखा गया जहां वाम मोर्चे ने बंद के आह्वान का समर्थन किया है। कोलकाता से सामने आई तस्वीरों में प्रदर्शनकारियों को एक रेलवे ट्रैक पर बैठे देखा जा सकता है। इसी तरह की तस्वीरें पश्चिम मिदनापुर से भी आईं, जिसमें वाम मोर्चा समर्थकों ने आईआईटी खड़गपुर-हिजरी रेलवे लाइन को बाधित किया।

राष्ट्रीय राजधानी में, ऑटो-रिक्शा और टैक्सी की आवाजाही सामान्य रही और वहीं दुकानें खुली रहीं, जो किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को केवल ‘‘सैद्धांतिक समर्थन’’ कर रहे हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित शहर की सीमाओं पर अफरा-तफरी मची रही, जहां किसानों ने वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए राजमार्ग को जाम कर दिया। वहीं, हरियाणा के सोनीपत में कुछ किसान धरने पर बैठे। पंजाब के पास के पटियाला में भी, बीकेयू-उग्रहां के सदस्य भी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए। पंजाब के मोगा सहित कई जगहों पर पूर्ण रूप से बंद रहा। किसानों ने मोगा-फिरोजपुर और मोगा-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जाम कर दिया।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘‘ मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केन्द्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं। हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए। मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं।’’

वहीं, हरियाणा में सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्गों को किसानों ने जाम किया।

कर्नाटक में शुरुआती कुछ घंटों में जनजीवन कुछ खास प्रभावित नहीं हुआ, सामान्य रूप से कामकाज हुआ तथा यातायात सेवाएं सामान्य रूप से उपलब्ध रहीं। हालांकि विरोध प्रदर्शनों और प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर किसानों द्वारा रास्ता रोकने के प्रयासों के कारण राज्य के कई हिस्सों, खासकर बेंगलुरु में वाहनों की आवाजाही बाधित हुई है तथा बाद में और किसानों के एकत्र होने के कारण प्रदर्शन और व्यापक हो सकता है।

गुवाहाटी में ‘सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया’ के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला। अस्पताल, दवा की दुकानें, राहत एवं बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों, आवश्यक सेवाओं और किसी परेशानी का सामना कर रहे लोगों को हड़ताल से छूट दी गई है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह अखंड है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है।’’

कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, राज्य इकाई प्रमुखों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों को 'भारत बंद' में हिस्सा लेने को कहा है। कई राजनीतिक दलों ने 10 घंटे के बंद का समर्थन किया है।

इनमें आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और स्वराज इंडिया शामिल हैं। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने भी भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की है। केन्द्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एकजुटता दिखाते हुए किसान संगठनों और वाम दलों ने तमिलनाडु के कई हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किया। तमिलनाडु में भाकपा और माकपा के राज्य सचिवों, आर मुथारासन तथा के. बालकृष्णन, विदुथलाई चिरुथिगल काची प्रमुख थोल थिरुमावलवन और सत्तारूढ़ द्रमुख से संबद्ध ‘लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन’ के पदाधिकारियों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

भारत बंद का मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोई असर नजर नहीं दिखा और जन-जीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं।

मुंबई में भी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं। कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हुए और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके अलावा शहर में बंद का अब तक कोई असर नहीं दिखा।

वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस, वाम दलों, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और अन्य ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने बसों का संचालन बाधित करने के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर बस अड्डों के बाहर प्रदर्शन किए। केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और तेलंगाना की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वनपर्थी, नलगोंडा, नागरकुरनूल, आदिलाबाद, राजन्ना-सिरसिला, विकराबाद और अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए।

राजस्थान में, किसानों के 'भारत बंद' का असर कृषि बहुल गंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अनेक जिलों में दिखा जहां प्रमुख मंडिया तथा बाजार बंद रहे। किसानों ने प्रमुख मार्गों पर चक्काजाम किया और सभाएं की।

‘भारत बंद’ के कारण सोमवार को करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर संभागों में 20 से अधिक स्थानों पर जाम हैं। इसके कारण करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई है।’’

सुरक्षा कारणों के चलते पंडित श्रीराम शर्मा मेट्रो स्टेशन भी बंद कर दिया गया। हरियाणा स्थित यह स्टेशन ‘ग्रीन लाइन’ पर है और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के निकट स्थित है।

गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसानों को भय है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली खत्म हो जाएगी। हालांकि सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं।



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Uttarakhand News: टिहरी के शिवपुरी राफ्टिंग कैंप में दर्दनाक हादसा, जंगली हाथियों ने एक युवक को पटक कर मार डाला

रजनीश कुमार, टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में ऋषिकेश-बदरीनाथ नैशनल हाईवे पर शिवपुरी के पास दर्दनाक घटना सामने आई है। शिवपुरी में र‍िवर राफ्टिंग कैंप क्षेत्र में हाथियों ने गंगा नदी के किनारे एक युवक को कुचल दिया। इससे उसकी मौत हो गई। सूचना पर पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। जानकारी के मुताब‍िक, टिहरी जिले के थाना मुनिकीरेती के शिवपुरी में गंगा किनारे र‍िवर राफ्टिंग कैंप क्षेत्र है। यहां पर देर रात जंगली हाथी ने कैंप के कर्मचारी को पटक कर मार डाला। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और उपप्रभागीय वन अधिकारी मनमोहन सिंह बिष्ट और वनक्षेत्राधिकारी जुगल किशोर चौहान वन कर्मियों की टीम के साथ मौके पहुंचे। पुलिस और वन विभाग ने आसपास घटना के बारे में जानकारी ली तो उन्हें घटना स्थल पास जंगली हाथियों के संघर्ष और उनके पैरों के निशान दिखाई दिए। देहरादून का रहने वाला था युवक थानाध्यक्ष मुनिकीरेती कमल मोहन भंडारी ने मृतक युवक की पहचान मयंक डोभाल पुत्र आसाराम डोभाल निवासी विकासनगर, देहरादून के रूप में बताई। घटना की जानकारी परिजनों को देकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।


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रविवार, 26 सितंबर 2021

इंदिरा गांधी के परिजन खुद को ब्राह्मण घोषित करने का प्रयास कर रहे: गौतम

देहरादून, 26 सितंबर (भाषा) भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम ने रविवार को कांग्रेस पार्टी को घेरते हुए कहा कि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और प्रियंका गांधी की शादी हिंदुओं से नहीं हुई है लेकिन उन के परिजन अपने को ब्राह्मण घोषित करने का प्रयास कर रहे हैं।

यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भाग लेते हुए गौतम ने कहा कि देश की जनता यह देख रही है।

उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह 'पप्पू' बनना बंद करें और जनता के मर्म को समझें ।

गौतम ने कहा कि एक ओर मां और बेटे (सोनिया व राहुल) जमानत पर हैं वहीं दूसरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां दस वर्ग फुट के कमरे में रहती हैं। उन्होनें कहा कि धारा 370, राम मंदिर जैसे मुद्दों को उठाकर भाजपा ने जनता के मर्म की बात की है। गौतम ने कहा कि अखंड भारत के नक्शे को बनाने की शुरुआत हो गई है और धारा 370 को हटाकर जम्मू—कश्मीर को भारत में जोडा गया है । उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के समय जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनने की जिद के कारण देश विभाजित हुआ और उस समय 10 लाख लोगों की शहादत हुई ।

महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वानाति श्रीनिवासन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में मातृशक्ति सबसे ज्यादा मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि भाजपा विजय की ओर निरंतर बढ़ेगी और और महिला मोर्चा की टीम पूरी तरह इस संदर्भ में तैयार है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भाजपा एक ऐसा दल है जिसमें किसे, कब, कहां और कौन सा पद दे दिया जाए, यह उसे भी नहीं पता नहीं होता जिसे वह मिलता है और इसके लिए सबको अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन करना चाहिए।

पुष्कर ने इस मौके पर इस क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना की घोषणा की और कहा कि इसके तहत उन्हें स्वरोजगार के लिए लगभग एक लाख तक की सब्सिडी दी जाएगी जिससे बडी संख्या में महिलाओं को लाभ मिलेगा ।



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उत्तराखंड में उत्तर भारत के सबसे बडे पामेटम का उद्घाटन

देहरादून, 26 सितंबर (भाषा) हल्द्वानी में रविवार को उत्तराखंड के पहले और उत्तर भारत के सबसे बडे़ पामेटम (पेड़ की किस्म 'पाम' उगाने का स्थान) का उद्घाटन किया गया।

मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा केंद्र सरकार की कैम्पा योजना के तहत विकसित यह पामेटम तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहां पाम की 100 प्रजातियां हैं। इनमें से 20 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर या खतरे में पहुंच चुकी श्रेणी में आती हैं।

पामेटम में मौजूद ताकील पाम उत्तराखंड में पाई जाने वाली स्थानीय प्रजाति है। चतुर्वेदी ने बताया कि यह पाम की एकमात्र ऐसी प्रजाति है जो शून्य से नीचे तापमान में भी जीवित रह सकती है और उत्तराखंड जैवविविधता बोर्ड ने इसे खतरे की स्थिति में पहुंच चुकी प्रजाति घोषित किया हुआ है।

उन्होंने बताया कि इस पामेटम को तीन साल में करीब 16 लाख रुपये की लागत से विकसित किया गया है। इस पामेटम को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य विभिन्न पाम प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देना, इनके बारे में और अनुसंधान करना तथा इनके महत्व और पारिस्थितिकीय भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाना है।

चतुर्वेदी ने बताया कि पाम वृक्षों से कई तरह के खाद्य पदार्थ जैसे नारियल, खजूर, सुपारी और पाम तेल प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, घर के भीतर और बाहर सजावट में भी इनका खास महत्व है।



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धामी ने परिवहन क्षेत्र के लिए कोविड राहत पैकेज लागू किया

देहरादून, 26 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कोविड-19 से प्रभावित परिवहन क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों के लिए आर्थिक राहत पैकेज शुरू किया।

पैकेज के तहत प्रदेश भर के 1,03,235 चालक, परिचालक और क्लीनरों को छह माह तक 2,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे।

इस मौके पर धामी ने कहा कि कोविड के कारण सरकार की राजस्व प्राप्तियां सीमित हुई हैं लेकिन कोविड से प्रभावित हर वर्ग और हर व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाभ पहुँचाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार चारधाम यात्रा के यात्रियों की संख्या बढ़ाने का भी प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से चारधाम यात्रा में कोविड प्रोटोकॉल के पूर्ण पालन के साथ सभी आवश्यक व्यवस्था की जा रही है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार ने हाल में ही एविएशन फ्यूल टैक्स में 18 प्रतिशत की कटौती का बड़ा निर्णय लिया है जिससे राजस्व को नुकसान होगा लेकिन प्रदेश के लिए यह फायदेमंद होगा।

उन्होंने कहा कि इसे उड्डयन कंपनियां रिफ्यूलिंग और नाइट स्टे हेतु अधिक से अधिक प्रदेश का रुख करेंगी जिसका सीधा फायदा स्थानीय व्यवसायियों और टैक्सी संचालकों को होगा।

प्रदेश के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने परिवहन व्यावसायियों को आर्थिक पैकेज देने पर मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि प्रदेश में कोविड काल के बाद आर्थिक गतिविधियों पर काफी प्रभाव पड़ा है और सरकार ने सीमित संसाधनों के बावजूद परिवहन क्षेत्र के व्यवसायियों के हित में यह निर्णय लिया।



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उत्तराखंड : सरयू नदी में दो सगे भाई डूबे

देहरादून, 26 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में सरयू नदी में नहाने गए दो नाबालिग सगे भाई डूब गए। बच्चों में से एक का शव बरामद हो गया है जबकि दूसरे की तलाश जारी है।

कपकोट थाने के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हादसे का पता सुबह साढे ग्यारह बजे तब लगा जब 10 वर्षीय मोहित कुमार और सात वर्षीय सुमित कुमार की चप्पलें नदी किनारे पड़ी हुई दिखीं। बच्चों का घर नदी तट से कुछ ही दूरी पर है।

सूचना मिलने पर पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की टीमों ने बच्चों की खोज में तलाश और बचाव अभियान चलाया। घंटों की मशक्कत के बाद मोहित का शव घटनास्थल से एक किलोमीटर दूर बरामद हो गया जबकि सुमित की तलाश अभी जारी है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि बारिश के कारण इस समय नदी का बहाव बहुत तेज है।



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उत्तराखंड : हाथियों ने युवक को कुचल कर मारा

ऋषिकेश, 26 सितंबर (भाषा) ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर शिवपुरी में राफ्टिंग कैंप क्षेत्र में हाथियों ने गंगा नदी के किनारे एक युवक को कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गई।

मुनि की रेती क्षेत्र के पुलिस निरीक्षक कमल मोहन भंडारी ने बताया कि संभवत: शनिवार देर रात हुई घटना की सूचना रविवार सुबह मिली। मृतक की पहचान देहरादून के विकासनगर निवासी मयंक डोभाल के रूप में हुई है। वह शिवपुरी क्षेत्र में गंगा किनारे कैंप का संचालन करता था।

जिस क्षेत्र में दुर्घटना हुई है, वह सदियों से हाथियों का गलियारा रहा है जहाँ से वे गंगा नदी में पानी पीने के लिए आते रहे हैं। सर्दियों में गंगा नदी का जलस्तर कम होने पर इसी रास्ते से हाथियों के झुंड नदी पार करके पौड़ी गढ़वाल की तरफ चले जाते हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में गंगा के दोनों तटों पर राफिटंग जैसी साहसिक पर्यटन की गतिविधियां होने से वन्य जीव व इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति बन रही है जो चिंता का विषय है।



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उत्तराखंड में बने उत्तर भारत के सबसे बड़े पामेटम का उद्घाटन

देहरादून, 26 सितंबर (भाषा) हल्द्वानी में रविवार को उत्तराखंड के पहले और उत्तर भारत के सबसे बड़े पामेटम का उद्घाटन किया गया।

पामेटम, पेड़ की किस्म 'पाम' की बागबानी करने का स्थान है।

पामेटम का उद्घाटन कुमांऊ विश्वविद्यालय, नैनीताल के वनस्पति विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर ललित तिवारी द्वारा किया गया।

मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा केंद्र सरकार की कैम्पा योजना के तहत विकसित यह पामेटम करीब तीन एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि इस पामेटम को तीन साल में करीब 16 लाख रुपये की लागत से विकसित किया गया है।

यहां पाम की 100 विभिन्न प्रजातियां हैं जिनमें से 20 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर या खतरे में पहुंच चुकी श्रेणी में आती हैं। पामेटम में मौजूद ताकील पाम उत्तराखंड में पाई जाने वाली स्थानीय प्रजाति है।

चतुर्वेदी ने बताया कि यह पाम की एकमात्र ऐसी प्रजाति है जो शून्य से नीचे तापमान में भी जीवित रह सकती है और उत्तराखंड जैवविविधता बोर्ड ने इसे खतरे की स्थिति में पहुंच चुकी प्रजाति घोषित किया हुआ है।

पामेटम को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य विभिन्न पाम प्रजातियों के संरक्षण को बढावा देना, उनके बारे में और अनुसंधान करना तथा उनके महत्व और पारिस्थितिकीय भूमिका के बारे में जागरुकता फैलाना है।

चतुर्वेदी ने बताया कि पाम वृक्षों से कई तरह के खाद्य पदार्थ जैसे नारियल, खजूर, सुपारी और पाम तेल प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, इनडोर और आउटडोर सजावट में भी इनका खास महत्व है।



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उत्तराखंड में बना उत्तर भारत का सबसे बड़ा पामेटम

देहरादून, 26 सितंबर (भाषा) हल्द्वानी में उत्तराखंड का पहला और उत्तर भारत का सबसे बड़ा पामेटम विकसित किया गया है।

पामटेम, पेड़ की किस्म 'पाम' की बागबानी करने का स्थान है।

मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने रविवार को बताया कि उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा कैम्पा योजना के तहत विकसित यह पामेटम तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहां पाम की 100 विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगे हुए हैं। इनमें से 20 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं या खतरे की स्थिति में पहुंच चुकी श्रेणी में आती हैं।

पामेटम में मौजूद ताकील पाम उत्तराखंड में पाई जाने वाली स्थानीय प्रजाति है। चतुर्वेदी ने बताया कि यह पाम की एकमात्र ऐसी प्रजाति है जो शून्य से नीचे तापमान में भी जीवित रह सकती है और उत्तराखंड जैवविविधता बोर्ड ने इसे खतरे की स्थिति में पहुंच चुकी प्रजाति घोषित किया हुआ है।



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उत्तराखंड में जनांकिकी परिवर्तन बना चिंता का विषय

देहरादून, 26 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड में पिछले कई वर्षों से जनसंख्या के सामुदायिक अनुपात में आ रहा बदलाव स्थानीय जनता के बीच बहस का मुद्दा रहा है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रदेश सरकार ने इस पर अधिकारियों को कार्रवाई करने को कहा है।

पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर चिंता प्रकट की और कहा कि यह जांच किसी समुदाय विशेष को ‘निशाना बनाकर’ नहीं की जा रही है। उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘‘सम्यक विचार करने के बाद ही सरकार ने यह कदम उठाया है। पलायन और जनसंख्या असंतुलन चिंता का विषय है।’’

जनांकिकी परिवर्तन को लेकर कार्रवाई की मांग भाजपा के अंदर से भी समय-समय पर उठती रही है। उत्तराखंड भाजपा के महासचिव अजेंद्र अजय भी पहाड़ी क्षेत्रों में ‘लव जिहाद’ और एक विशेष समुदाय के लोगों के धर्मस्थलों की संख्या में वृद्धि को लेकर मुख्यमंत्री धामी से मिलकर चिंता जता चुके हैं।

लैंसडौन के भाजपा विधायक दिलीप सिंह रावत ने कहा कि इस समय हिंदू संस्कृति के खिलाफ एक बड़ा युद्ध चल रहा है और हम लोग अपनी संस्कृति बचाने के लिए संघर्षरत हैं। उन्होंने कहा कि वह शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि कुछ संस्थाएं धर्मांतरण के काम में लगी हैं।

हालांकि, कांग्रेस ने इसे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा जनता को भ्रमित करने का प्रयास बताया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि यह राज्य सरकार द्वारा अपनी नाकामी से जनता का ध्यान हटाने का प्रयास है।

हाल में अल्मोड़ा जिले में सामने आई एक घटना में एक स्थानीय लड़की को अल्पसंख्यक समुदाय के चार युवकों के साथ देखे जाने के बाद लोगों ने भारी विरोध किया था जिसके बाद पुलिस ने बहलाने फुसलाने और अपहरण के प्रयास के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया था। इससे पहले, टिहरी के घनसाली क्षेत्र में भी ऐसी ही एक घटना के बाद तनाव फैल गया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि पिछले कुछ सालों में दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में भी ऐसी घटनाएं देखने को मिल रही हैं जिससे तनाव पैदा हो रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में पुलिस को सतर्क किया गया है और खुफिया जानकारी मांगी जा रही है ताकि ऐसे स्थानों को चिह्नित किया जा सके जहां सांप्रदायिक सौहार्द के बिगड़ने की आशंका है।

उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक, सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों तथा जिलाधिकारियों को इस प्रकार के मामलों के निदान के लिए कार्रवाई करने को कहा है। अधिकारियों को कहा गया है कि प्रदेश के कुछ विशेष क्षेत्रों में जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से जननांकीय परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।

इस संबंध में एहतियाती कदम उठाने के निर्देश देते हुए प्रत्येक जिले में एक जिलास्तरीय समिति गठित करने को कहा गया है जो इस समस्या के निदान के लिए अपने सुझाव देगी। इसके अलावा संबंधित क्षेत्रों में शांति समितियों का गठन करने, समय-समय पर इन समितियों की बैठकें आयोजित करने, क्षेत्रों का चिह्नित कर असामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर करवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं।



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शनिवार, 25 सितंबर 2021

उत्तराखंड : पंजीकृत यात्री उन यात्रियों की जगह दर्शन कर सकते हैं जो नियत तारीख को नहीं पहुंचे

देहरादून, 25 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड के धार्मिक मामलों के विभाग ने शनिवार को कहा कि चारधाम के लिए पंजीकृत यात्री उन लोगों के स्थान पर दर्शन कर सकते हैं जो देवस्थानम बोर्ड के पोर्टल पर पंजीकृत कराने के बावजूद निर्धारित तारीख पर नहीं पहुंचते।

धार्मिक और तीर्थयात्री मामलों के सचिव हरी चंद्र सेमवाल ने कहा कि यह आदेश उन शिकायतों के मद्देनजर जारी किया गया है कि चार मंदिरों के लिए निर्धारित दैनिक कोटे से भी कम श्रद्धालु दर्शन कर पा रहे हैं।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देशों पर 18 सितंबर से शुरू हुई चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की अधिकतम दैनिक संख्या निर्धारित कर दी गई है जिसके तहत प्रतिदिन बद्रीनाथ में एक हजार, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी गई है।

गढ़वाल के आयुक्त, देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी के जिलाधिकारियों को इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया गया है।



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उत्तरखंड : पंजीकृत यात्री उन यात्रियों की जगह दर्शन कर सकते हैं जो नियत तारीख को नहीं पहुंचे

देहरादून, 25 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड के धार्मिक मामलों के विभाग ने शनिवार को कहा कि चारधाम के लिए पंजीकृत यात्री उन लोगों के स्थान पर दर्शन कर सकते हैं जो देवस्थानम बोर्ड के पोर्टल पर पंजीकृत कराने के बावजूद निर्धारित तारीख पर नहीं पहुंचते।

धार्मिक और तीर्थयात्री मामलों के सचिव हरी चंद्र सेमवाल ने कहा कि यह आदेश उन शिकायतों के मद्देनजर जारी किया गया है कि चार मंदिरों के लिए निर्धारित दैनिक कोटे से भी कम श्रद्धालु दर्शन कर पा रहे हैं।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देशें पर 18 सितंबर से शुरू हुई चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की अधिकतम दैनिक संख्या निर्धारित कर दी गई है जिसके तहत प्रतिदिन बद्रीनाथ में एक हजार, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी गई है।

गढ़वाल के आयुक्त, देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी के जिलाधिकारियों को इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया गया है।



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उत्तराखंडः 5 साल की बहन के साथ 6 महीने तक रेप करता रहा 32 साल का सौतेला भाई, कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

विनिता कुमार, पिथौरागढ़ उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में शुक्रवार को जिला फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 5 साल की बच्ची के साथ 6 माह तक दुष्कर्म करने वाले सौतेले भाई को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी से पीड़िता को 7 लाख रुपये का मुआवजा भी देने को कहा है। जानकारी के अनुसार बीते अप्रैल में नेपाल मूल का रहने वाला जनक बहादुर अपने दो नाबालिग बच्चों और 5 साल की सौतेली बहन के साथ जाजरदेवल थाना क्षेत्र में रह रहा था। नाबालिग बच्चों ने बताया कि लगभग 32 साल का जनक बहादुर अपनी सौतेली बहन को कई बार मारता-पीटता था। इसकी जानकारी जाजरदेवल थाने में पहुंची। पुलिस ने मामला संवेदनशील होता देख आरोपी जनक बहादुर को गिरफ्तार कर लिया। उसके दो नाबालिग बच्चों और पीड़ित को अपने संरक्षण में लिया। 4 अप्रैल को बच्ची को एक संस्था के संरक्षण में दे दिया गया, जिसके बाद में पीड़ित बच्ची ने संस्था के सदस्यों को अपने साथ हुए दुष्कर्म के बारे में बताया। पीड़ित बच्ची ने बताया कि उसके माता-पिता का निधन हो गया था। वह अपने सौतेले भाई जनक बहादुर के साथ रह रही थी। जनक बहादुर 6 माह से उसके साथ लगातार दुष्कर्म कर रहा था। पुलिस ने चिकित्सकीय परीक्षण करवाया तो बच्ची के शरीर में कई गंभीर घाव भी मिले। पुलिस ने मामले पर गम्भीरता बरतते हुए आरोपी के खिलाफ पॉक्सो-आईपीसी की धारा 376, 323 सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद पंत और विशेष लोक अभियोजन प्रेम सिंह भंडारी ने पैरवी करते हुए संबंधित गवाहों को पेश किया। दोनों पक्षों और गवाहों को सुनते हुए विशेष न्यायाधीश पॉक्सो डा. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने जनक बहादुर को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाते हुए कहा कि सौतेला भाई जिस तरह के कृत्य कर रहा था वह क्षमा योग्य नहीं है। न्यायालय ने पीड़ित बच्ची के भरण पोषण और भविष्य को देखते हुए 7 लाख रुपए की धनराशि मुआवजे के रूप में देने के आदेश भी दिए।


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जनसंख्या में तेज वृद्धि के चलते हो रहा है जनसांख्यिकीय परिवर्तन, उत्तराखंड सरकार की चेतावनी

देहरादून, 25 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि जनसंख्या में तेज वृद्धि से राज्य के कुछ क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उन स्थानों से कई समुदायों का पलायन हो रहा है, साथ ही सांप्रदायिक शांति के लिए खतरा भी उत्पन्न हो रहा है।

सरकार ने शुक्रवार को यहां एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) को समस्या के समाधान के लिए एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिये।

विज्ञप्ति में कहा गया है, सरकार ने अधिकारियों से सभी जिलों में समितियों का गठन करने को कहा जो इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रशासन को सुझाव देंगी। इसके अलावा, शांति समितियों का भी गठन किया जाना चाहिए और स्थिति की समीक्षा के लिए समय-समय पर उनकी बैठकें आयोजित की जानी चाहिए। सभी जिलों में ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए और वहां रहने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य के बाहर से आने वाले और इन क्षेत्रों में रहने वाले आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों की सूची भी उनके मूल निवास स्थान का सत्यापन करने के बाद तैयार की जानी चाहिए। जिलाधिकारियों (डीएम) को ऐसे क्षेत्रों में अवैध भूमि सौदों पर नजर रखने और यह देखने के लिए कहा गया है कि लोग डर या दबाव में अपनी जमीन न बेचें। जाली पहचानपत्र या मतदाता पहचानपत्र प्राप्त करने वाले विदेशी मूल के लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐसे लोगों का रिकॉर्ड तैयार किया जाना चाहिए और कानूनी प्रावधानों के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

ये निर्देश भाजपा नेता अजेंद्र अजय द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हाल ही में लिखे गए एक पत्र के बाद आये हैं जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि एक विशेष समुदाय के लोग न केवल अपने उपासना स्थल बना रहे हैं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में थोक में जमीन भी खरीद रहे हैं जिससे राज्य के मूल निवासियों का पलायन हो रहा है। भाजपा नेता द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखे जाने के बाद गृह विभाग को मामले को देखने के लिए कहा गया था।



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शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

Akhil Bharatiya Akhara Parishad: ABAP में नरेंद्र गिरी के बाद कौन बनेगा अध्यक्ष? कठिन टास्क बना चुनाव, प्रमुख अखाड़ों ने बनाई दूरी

हरिद्वार अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी खोजना शीर्ष संस्था के लिए एक कठिन काम होगा। तीन प्रमुख अखाड़े इस पद के चुनाव में मतदान से परहेज करेंगे। अब तक, 13 अखाड़ों में से प्रत्येक के दो प्रतिनिधियों ने परिषद अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया में भाग लिया था, लेकिन बैरागियों ने अखाड़ा परिषद से खुद को दूर कर लिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया इस पर अनिश्चितता बनी हुई है। नरेंद्र गिरी पर लगाए थे आरोप बैरागी वैष्णव अखाड़ोंनमें निर्मोही, दिगंबर और निर्वाण अखाड़े शामिल हैं। उन्होंने इस साल हरिद्वार कुंभ में अपने स्वयं के परिषद की घोषणा की थी। अखाड़े नरेंद्र गिरी से नाराज थे और उन्होंने आरोप लगाया था कि वह उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं। बलबीर गिरि को बनाया बाघंबरी मठ का महंत गिरि ABAP के अध्यक्ष थे, उनका शव 20 सितंबर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ में लटका हुआ पाया गया था। महंत ने कथित रूप से सुइसाइड नोट में कहा कि उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने इस नोट में अपने शिष्य आनंदर गिरि पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है। नोट में यह भी कहा गया कि बलबीर गिरि को बाघंबरी मठ के महंत के रूप में वह अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करते हैं। एबीएपी अध्यक्ष का पद निर्वाचित पद होता है। संतों ने पहले टीओआई को बताया था कि एबीएपी के उपाध्यक्ष निर्मल अखाड़े के महंत देवेंद्र शास्त्री पद के चुनाव होने तक कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे। लेकिन कब होगा, यह अभी तक तय नहीं है। प्रयागराज कुंभ 2024 से पहले होगा चुनाव संतों ने कहा कि ABAP की प्रमुख भूमिका कुंभ व्यवस्था की देखभाल करना है। निरंजनी अखाड़ा के सचिव स्वामी रवींद्र पुरी ने कहा कि चुनावों पर अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है, लेकिन चूंकि प्रयागराज कुंभ जनवरी 2024 में होना है, इसलिए चुनाव कराने के लिए बहुत समय है। 'बैरागी खेमा लौटेगा या नहीं, समय बताएगा' बैरागी खेमे के संतों ने इस साल की शुरुआत में अखिल भारतीय वैष्णा अखाड़ा परिषद का गठन किया था। उन्होंने कहा कि समय तय करेगा कि वे एबीएपी में वापस आएंगे या नहीं। रवींद्र पुरी अध्यक्ष बने तो... एक महंत ने बताया कि महानिरवाणी अखाड़े के रवींद्र पुरी के अध्यक्ष पद की दौड़ में होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वह एक मजबूत दावेदार है और बैरागियों के साथ अच्छे संबंध हैं। अगर बैरागी अखाड़ा एबीएपी में लौटता है और यदि रवींद्र पुरी अध्यक्ष बनते हैं, तो महासचिव का पद बैरागी अखाड़ों के पास जा सकता है।


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Uttarakhand news: भड़क सकता है सांप्रदायिक दंगा? उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जारी किया अलर्ट

देहरादून भाजपा सदस्य अजेंद्र अजय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने पहाड़ी और पूजा स्थालों में एक खास समुदाय के जमीन खरीदने पर आपत्ति की थी। उन्होंने इस जमीन खरीद को भूमि जिहाद करार दिया था। अब उत्तराखंड सरकार का एक पत्राचार सामने आया है। शुक्रवार को एक आधिकारिक संचार में, कहा गया है, यह उसके संज्ञान में आया है कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में तेजी से जनसंख्या वृद्धि के कारण जनसांख्यिकीय बदलाव आया है, जिसका दुष्परिणाम कुछ समुदायों के लोगों के प्रवास के रूप में दिखना शुरू हो गया था। सरकार ने जाहिर की चिंता आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'कुछ जगहों पर सांप्रदायिक माहौल खराब होने की आशंका है। सरकार ने स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए डीजीपी, सभी जिलाधिकारियों और एसएसपी को समस्या के समाधान के लिए एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया है। आपराधिक इतिहास वालों की बनेगी सूची विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में शांति समितियों के गठन का आह्वान किया है। पुलिस और जिला अधिकारियों को ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित करने और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। उन्हें उन लोगों की जिलेवार सूची तैयार करने को भी कहा गया है जो दूसरे राज्यों से आए हैं और जिनका आपराधिक इतिहास है।


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Kedarnath Dham: ई-पास के बिना बाबा केदारनाथ दर्शन के अनुमति नहीं, वापस लौटे श्रद्धालु हुए मायूस

रजनीश कुमार, रुद्रप्रयाग बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए बिना ई-पास के पहुंचे सात सौ से अधिक यात्रियों को पुलिस और जिला प्रशासन ने बीच रास्ते से वापस लौटाया। बाबा के दर्शन न कर पाने से श्रद्धालु मायूस हो गए। नियमानुसार, प्रतिदिन 800 श्रद्धालुओं को ही ई-पास की अनिवार्यता के साथ बाबा केदारनाथ के दर्शन करने की अनुमति दी जा रही है। उत्तराखंड में बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा करने के लिए बिना ई-पास के पहुंच रहे यात्रियों को प्रशासन और पुलिस बाबा केदारनाथ के दर्शन कराये बगैर ही बैरंग वापस लौटाया जा रहा है। ऐसे में यात्रियों को मायूस होना पड़ रहा है। प्रशासन के अनुसार, अभी तक बिना ई-पास के केदारनाथ पहुंच रहे 684 और गलत ई-पास के 35 यात्रियों को अलग-अलग चैक पोस्टों से वापस लौटाया गया है। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद बीते 18 सितम्बर से उत्तराखंड राज्य की चारधाम यात्रा शुरू की गई है। उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी एसओपी और देवस्थानम बोर्ड उत्तराखंड द्वारा निर्धारित ई-पास की अनिवार्यता के साथ ही केदारनाथ यात्रा का संचालन किया जा रहा है। यात्रियों का कहना है कि उन्हें अभी तक ई-पास के बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी। जबकि अधिकांश यात्री ई-पास को सही तरीके से नहीं भर पा रहे हैं। यात्रियों का आरोप है कि उनके पास कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ ही दोनों वैक्सीन लगाने का सर्टिफिकेट भी है। फिर भी उन्हे दर्शन करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।


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नाबालिग सौतेली बहन से दुष्कर्म करने के दोषी को मिली मौत की सजा

पिथौरागढ, 24 सितंबर (भाषा) अपनी साढे चार साल की सौतेली बहन से दुष्कर्म करने के दोषी व्यक्ति को यहां की एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को मृत्युदंड की सजा सुनाई।

सरकारी अधिवक्ता प्रमोद पंत ने बताया कि विशेष सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने नेपाली मजदूर जनक बहादुर को घृणित अपराध के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई।

सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि यह अपराध दुर्लभतम श्रेणी का है क्योंकि साढे चार साल की पीड़ित बच्ची उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति की सौतेली बहन थी जो अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद उसके साथ रह रही थी।

पंत ने बताया कि यह मामला इस साल अप्रैल में तब सामने आया जब पीड़िता ने घर से भागकर पड़ोस में रहने वाली एक महिला के घर शरण ली और उसे आपबीती सुनाई। महिला ने पुलिस को फोन किया जिसके बाद बहादुर के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा-376 एबी और पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।



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Uttarakhand News: चुनाव से पहले उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला, 11 फीसदी बढ़ाया राज्य कर्मचारियों का DA

करन खुराना, देहरादून विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनर्स को एक बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने उनके वेतन में महंगाई भत्ते में 11 फीसदी की बढ़ोतरी की है। पहले सरकारी कर्मचारियों को 17 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जाता था,अब इसको बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है। इसे सीएम पुष्कर सिंह धामी का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है क्योंकि काफी समय से कोरोना महामारी के कारण फ्रीज हुए डीए को देने का अनुरोध किया जा रहा था। शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। कैबिनेट बैठक में महंगाई भत्ता में 11 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है। वर्तमान में महंगाई भत्ते के तौर पर वेतन में 17 फीसदी दिया जाता था लेकिन अब सितंबर महीने की सैलरी में 28 फीसदी महंगाई भत्ता मिलेगा। साथ ही जुलाई और अगस्त का एरियर भी मिलेगा। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया कि आज की बैठक में अहम फैसले लिए गए है। कोरोना महामारी के कारण महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया गया था लेकिन आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अब सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स को 28 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जाएगा। इस फैसले से तकरीबन 1.6 लाख कर्मचारी और 1.5 लाख पेंशनर्स को लाभ मिलेगा।


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उच्च न्यायालय ने लोकायुक्त की नियुक्ति न होने पर उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा

नैनीताल, 24 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने लोकायुक्त की नियुक्ति न होने के मामले में राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है ।

प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला वर्षों से लंबित होने के संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को तय समय सीमा के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा ।

याचिका में कहा गया है कि भ्रष्टाचार रोधी निकाय के अभाव में भ्रष्टाचार और भ्रष्ट लोग बढ़ गए हैं ।

हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर ने कहा कि राज्य सरकार ने 2013 में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एक कड़ा कानून बनाया था लेकिन 2014 में कानून को वापस लेते हुए उसे संशोधित कर दिया गया ।

संशोधन के अनुसार, लोकायुक्त की नियुक्ति होने के दिन से यह कानून प्रभावी होगा ।

याचिकाकर्ता ने कहा कि भुवन चंद्र खंडूरी के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान राज्य विधानसभा ने एक प्रभावी लोकायुक्त विधेयक पारित किया था लेकिन 2014 में कांग्रेस सरकार ने इसे रद्द करते हुए इसकी जगह एक नया लोकायुक्त विधेयक लाया जो कभी लागू नहीं हुआ ।

प्रदेश में 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की भाजपा सरकार ने विधेयक को राज्य विधानसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया और उसके बाद आज तक यह अस्तित्व में नहीं आ सका है ।



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उत्तर प्रदेश के बुजुर्ग भाई - बहन ने गंगा में कूदकर आत्महत्या की

देहरादून, 24 सितंबर (भाषा) वर्षों तक साथ रहने के बाद उत्तर प्रदेश के एक बुजुर्ग भाई - बहन ने उत्तराखंड के देवप्रयाग में गंगा में कूदकर क थित तौर पर आत्महत्या कर ली ।

टिहरी जिले के देवप्रयाग के थानाध्यक्ष संजय मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि बुधवार शाम को गंगा तट पर पूजा कराने के बाद दोनों भाई - बहन सबकी नजरों से बचते हुए गंगा में क थित तौर पर कूद गए ।

कुछ क्षण पहले ही उनकी पूजा कराने वाले पंडित ने उन्हें वहां न पाकर पहले उनकी खोज की और उनके कहीं दिखाई नहीं देने पर पुलिस को इसकी सूचना दी ।

सूचना मिलने पर पुलिस ने तलाश अभियान चलाया । हालांकि, अभी तक उनका कोई पता नहीं चला है ।

पुलिस ने बताया कि अरविंद प्रसाद (65) और उनकी छोटी बहन सुमन प्रसाद (62) मंगलवार को देवप्रयाग आए थे और एक होटल में रूके थे ।

वर्ष 2018 में लखनऊ स्थित अपना मकान बेचने के बाद से दोनों कानपुर में रह रहे थे ।



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Uttarakhand news: हिंदू-मुस्लिम महिलाओं ने एक-दूसरे के पतियों को किडनी देकर बचाई जान

देहरादून उत्तराखंड के देहरादून के डोईवाला और पौड़ी जिले के कोटद्वार क्षेत्र के हिंदू और मुस्लिम परिवारों ने भाईचारे की मिसाल पेश की है, जिसकी सब तारीफ कर रहे हैं। डोईवाला के जॉलिग्रांट स्थित हिमालयन हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट में हिंदू-मुस्लिम परिवार की महिलाओं ने एक-दूसरे के पति की जान बचाने के लिए अपनी-अपनी किडनी एक दूसरे के पतियों को डोनेट की हैं। डोईवाला के तेलीवाला निवासी अशरफ अली और कोटद्वार के विकास उनियाल किडनी की समस्या को लेकर हिमालयन हॉस्पिटल में भर्ती थे। दोनों को किडनी डोनर नहीं मिल पा रहे थे। दोनों परिवारों में खुशी का माहौल ऐसे में पहले अशरफ अली की पत्नी सुल्ताना ने कोटद्वार निवासी विकास उनियाल को, फिर विकास उनियाल की पत्नी सुषमा ने अशरफ अली को अपनी किडनी डोनेट कर दी। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनों स्वस्थ तो हैं ही, दोनों परिवारों में खुशी का माहौल भी है। ब्लड ग्रुप मैच न करने से परेशान थीं पत्नी 51 साल के अशरफ अली की दोनों किडनियां खराब होने के बाद दो सालों से वे हेमो डायलिसिस पर थे। उनकी पत्नी सुल्ताना खातून उन्हें अपनी एक किडनी देने को तैयार तो थी, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप उनके पीटीआई से मैच न कर सकने के कारण वे असहाय महसूस कर रही थीं। डॉक्टर ने दोनों परिवारों को मिलाया कोटद्वार निवासी पचास वर्षीय विकास उनियाल के साथ भी यही समस्या थी। दो साल से वे भी हेमो डायलिसिस पर थे। ऐसे में हिमालयन अस्पताल के इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शादाब अहमद ने दोनों परिवारों को एक दूसरे से मिलाया। ब्लड ग्रुप हुआ मैच फिर हुआ ट्रांसप्लांट जब दोनों एक दूसरे को किडनी डोनेट करने के लिए राजी हो गए तब ब्लड ग्रुप मैच कराया गया। सुषमा का ब्लड ग्रुप अशरफ और सुल्ताना का ग्रुप विकास से मैच हो गया। सुषमा और सुल्ताना दोनों ने एक दूसरे के पति को किडनी ट्रांसप्लांट कर दी।


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केदारनाथ पहुंची PMO की टीम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं दौरा

करन खुराना, रुद्रप्रयाग गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे और उप सचिव महेश घिल्डियाल केदारनाथ पहुंचे और केदारनाथ में चल रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इसके बाद दोनों अधिकारी बद्रीनाथ के लिए रवाना हो गए। प्रधानमंत्री कार्यालय से टीम आने के बाद यह कयास लगाए जा रहे है की अगले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए आ सकते है। अभी कपाट बंद होने में एक माह का समय बाकी है। एक महीने बाद बंद होंगे कपाट, दर्शन करने आ सकते हैं पीएम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय से माननीय प्रधानमंत्री के सलाहकार भास्कर खुल्बे और उप सचिव महेश घिल्डियाल पहुंचे थे। इन दोनों के द्वारा निर्माण कार्यों का जायजा लिया गया। अभी तक प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम की कोई आधिकारिक घोषणा तो नही हुई है लेकिन चूंकि अभी एक महीने का समय शेष है। इसलिए हो सकता है की प्रधानमंत्री केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे। गर्भ गृह में जाने पर लोगों ने किया विरोधप्रधानमंत्री के सलाहकार भास्कर खुल्बे और उप सचिव महेश घिल्डियाल के गर्भ गृह में प्रवेश करने पर वहां मौजूद तीर्थ यात्रियों ने विरोध कर दिया। यात्रियों ने कहा की आम जनता तो बारिश में घूम रही है और बड़े अधिकारी गर्भ गृह में पूजन करवा रहे हैं।


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गुरुवार, 23 सितंबर 2021

Uttarakhand news: उत्तराखंड में 'शक्तिमान' की मौत मामले में आरोपी मंत्री बरी, जानें क्या है पूरा मामले

देहरादून उत्तराखंड पुलिस के प्रशिक्षित घोड़े शक्तिमान की मौत मामले में आरोपी कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को देहरादून की सीजेएम कोर्ट ने बरी कर दिया है। 2016 से शक्तिमान की मौत का केस देहरादून की निचली अदालत में चल रहा था। देहरादून के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह ने मामले में कोई पुख्ता प्रमाण न होने के आधार पर जोशी तथा अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। डॉक्टरों ने लगाया था कृत्रिम पैर 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ विधानसभा के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड पुलिस के घोड़े शक्तिमान की एक टांग टूट गई थी। शक्तिमान की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर कृत्रिम पैर लगाया। पशु क्रूरता अधिनियम में दर्ज हुआ था केस लंबा इलाज चलने के बावजूद संक्रमण बढ़ता चला गया और शक्तिमान की मौत हो गई थी। मामले में पुलिस ने जोशी के खिलाफ अन्य अधिनियमों के अलावा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया था। जिला प्रशासन ने लगाए थे आरोप तत्कालीन विधायक गणेश जोशी के खिलाफ घोड़े पर डंडा चलाते हुए फोटो दिखाई देने के बाद उन्हें कटघरे में खड़ा किया गया था। तत्कालीन जिला प्रशासन ने यह भी आरोप लगाया था कि गणेश जोशी के लाठी से हमला किया। बरी होने के बाद क्या बोले विधायक विधायक पर आरोप लगा था कि विधायक के साथ अन्य कार्यकर्ता प्रमोद बोरा द्वारा लगाम खींचने से घोड़े का सारा भार उसके पीछे के हिस्से पर आ गया। इससे वह गिर गया जिससे उसकी पिछली टांग की हड्डी टूट गई। अदालत से बरी होने के बाद जोशी ने कहा कि वह शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि वह इस मामले में दोषी नहीं हैं और आज सत्य की विजय हुई है।


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Nainital News: मां ने छह साल के बेटे का गला घोंटा, फ‍िर फंदे पर लटक गई

करन खुराना, नैनीताल उत्तराखंड के नैनीताल ज‍िले में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 28 साल की शादीशुदा महिला ने अपने छह साल के बेटे की हत्या कर दी। इसके बाद उसने खुद फांसी लगा ली। एक साथ दो लोगों की मौत से इलाके में हड़कंप मच गया। सूचना पर पहुंची पुल‍िस ने दोनों के शवों को पोस्‍टमॉर्टम के ल‍िए भेजा है। पुल‍िस के अनुसार, शिवनगर ट्रांजिट कैंप में रहने वाली काजल उम्र 28 वर्ष की शादी मेवाराम से हुई थी। मेवाराम पेशे से टेलर है। मंगलवार को काजल अपने चचेरे ससुर के यहां रहने गई थी। बुधवार रात खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में सोने चले गए। सुबह जब काजल के कमरे में झांक कर देखा तो सब के पैरों तले जमीन खिसक गई। काजल फंदे पर लटकी मिली और बेटे का मुंह तकिए से दबा हुआ मिला। पत‍ि से परेशान थी मह‍िला वरिष्ठ उपनिरीक्षक कोतवाली रुद्रपुर प्रवीण सिंह ने बताया क‍ि बुधवार रात महिला ने फांसी लगाई थी। गुरुवार सुबह परिजनों को पता चला। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। शुरुआती जांच में यह पता चला है क‍ि महिला अपने पति से परेशान चल रही थी। इसीलिए मंगलवार वो अपने चचेरे ससुर के यहां रहने चली गई थी।


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