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ऋषिगंगा और धौलीगंगा में सात फरवरी को आकस्मिक बाढ़ आ जाने से 77 लोगों की जान चली गयी थी और 100 से अधिक लोग लापता हो गये थे। इसके अलावा रैनी एवं तपोवन में दो पनबिजली परियोजनाओं को भी बड़ा नुकसान पहुंचा था।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आगामी मानसून के मौसम के मद्देनजर सभी तैयारियां करने का निर्देश दिया क्योंकि उस दौरान राज्य में प्राकृति आपदाएं आने की आशंका रहती है।
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आपात स्थिति में अलर्ट और अद्यतन जानकारी पाने के लिए जिलाधिकारियों का ग्रामस्तर पर अपना संपर्क सूत्र होना चाहिए तथा न्याय पंचायत स्तर तक टीमों का गठन किया जाना चाहिए एवं उन्हें आवश्यक सभी उपकरणों से लैस किट उपलब्ध कराये जाने चाहिए।
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