शनिवार, 3 अप्रैल 2021

Uttarakhand Forest Fire: पिछले 24 घंटे में आग की 21 घटनाएं, फिर से क्यों धधक उठे हैं उत्तराखंड के जंगल?

देहरादूनउत्तराखंड के जंगल एक बार फिर आग से धधक उठे हैं। यहां के जंगल में लगी आग भीषण रूप लेने लगी है। इस आग से वन्य जीवों का जीवन खतरे में पड़ गया है। वन विभाग के अनुसार पिछले चौबीस घंटों में आग की 21 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। करीब 62.55 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। 93 हजार 538 रुपये मूल्य की वन संपदा जलकर खाक हुई है। गढ़वाल मंडल में 13 तो कुमाऊं मंडल में आठ घटनाएं पिछले 24 घंटे में सामने आ चुकी है। उत्तराखंड के हर जिले में इस वक्त आग की कोई न कोई घटना सामने आ रही हैं। बिजली सप्लाई पर भी असरअब जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है और हवाएं भी चल रही हैं तो यह आग विकराल रूप धारण कर रही है। शनिवार को आग की वजह से नैनीताल जिला और मंडल मुख्यालय नैनीताल सहित आसपास के क्षेत्रों बिजली सप्लाई बाधित रही। नैनीताल नगर और आसपास के क्षेत्रों में सुबह से बार-बार चल रहीं तेज हवाएं आग को भड़काने में मदद कर रही हैं। मुख्यालय के निकटवर्ती खुर्पाताल क्षेत्र में बिजली की लाइन पर पांच-छह पेड़ गिर गए। इस वजह से यहां 500-600 मीटर बिजली की लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। ज्योलीकोट और पाइंस क्षेत्र में भी बिजली की लाइन और ट्रांसफॉर्मर को नुकसान पहुंचा। अल्मोड़ा हाईवे के पास भी जंगल में भी आग नैनीताल के एसडीओ ने बताया कि आग की वजह से लाइनों को काफी नुकसान पहुंचा है। फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए आपूर्ति शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, भवाली अल्मोड़ा हाईवे से लगी पहाड़ी में आग लगने से सड़क पर आग से चटखे पत्थर आने से कुछ वाहनो के शीशे टूटने के भी समाचार मिले। अल्मोड़ा हाईवे पर खैरना से आगे डेंजर जोन कहे जाने वाले भोर्या बैंड पर थुआ की पहाड़ी में आग धधक रही है। कीर्तिनगर में 4 दिन से जल रहे हैं जंगल इससे हाईवे पर पत्थर चटखकर गिर रहे हैं। इस कारण मार्ग पर आवाजाही भी बाधित हुई। एनएच के कर्मी मौके पर पहुंचे और किसी तरह जान जोखिम में डालकर पहाड़ी से लगातार गिरते पत्थरों के बीच हाईवे पर फैले पत्थरों को हटाया। गढ़वाल मंडल के कीर्तिनगर क्षेत्र में पिछले चार दिन से जंगल जल रहे हैं। उत्तराखंड में 1 अक्टूबर 2020 से जंगलों में आग की घटनाएं सामने आने लगी थीं। वन विभाग के अनुसार तब से अब तक प्रदेश में आग की कुल 609 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इससे 1263.53 हेक्टेयर जंगल भस्म हो चुका है। 4 लोगों की मौत हो चुकी है। सात पशुओं को भी प्राण गवाने पड़े।


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