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अल्मोड़ा उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 33 साल के जितेंद्र देवरारी रोजोना सुबह छह बजे से कोरोना टेस्टिंग का अपना काम शुरू कर देते हैं। अल्मोड़ा में वे ही अकेले शख्स हैं, जो यह काम करते हैं। वह एक दिन में 16 घंट अपने काम में लगे रहते हैं। अल्मोड़ा में निजी टेस्टिंग की सुविधा नहीं है। राज्य सरकार का अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज ही इकलौता संस्थान है, जहां कोरोना टेस्टिंग होती है। यहां 21 डॉक्टरों में से अकेले जितेंद्र ही माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। इनकी चार लैब टेक्निशियंस की टीम है, जो सैंपल इकट्ठा करती है और रिपोर्ट बनाती है। जितेंद्र छह महीनों से लगातार बिना छुट्टी लिए काम पर लगे हुए हैं। इस लैब में रोजाना 900 से 1100 तक सैंपल टेस्ट होते हैं। जितेंद्र बताते हैं कि मैं 25 हजार से ज्यादा सैंपल टेस्ट कर चुका हूं। अल्मोड़ा में बनाई गई इस लैब से परिणाम चार घंटे में मिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन दिनों काम का दबाव काफी बढ़ गया है। हम यहां 24 घंटे सातों दिन बिना थके काम कर रहे हैं। कभी-कभी मैं खाना खाना ही भूल जाता हूं या फिर इसके लिए समय ही नहीं मिल पाता, लेकिन अभी सबसे जरूरी यही है। जितेंद्र पास में ही रहते हैं, इसलिए समय बिल्कुल भी बर्बाद नहीं होता। अस्पताल के मेडिकल सुरिटेंडेंट एससी गडकोटी कहते हैं कि उनका (जितेंद्र का) यहां मौजूद होना हम सभी के लिए एक बड़ा सहारा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने सैंपल टेस्टिंग के लिए भेज रहे हैं, वह तब तक नहीं जाते जब तक सभी सैंपल्स का टेस्ट नहीं हो जाता। इस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आरजी नौटियाल ने कहा कि जब से हमने यहां टेस्टिंग शुरू की है जितेंद्र ने अपने दम पर इस जिम्मेदारी को संभाला है। यहां पहाड़ों पर डॉक्टरों को लाना बेहद मुश्किल है, लेकिन उन्होंने एक भी पल इसके लिए हिचक नहीं दिखाई।
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