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ओम प्रकाश भट्ट, देहरादून: उत्तराखण्ड में 14 फरवरी को होने वाले मतदान को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए निर्वाचन आयोग की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। हिमाच्छादित पोलिंग बूथों के लिए शुक्रवार को पोलिंग-पार्टियां रवाना की जा चुकी है। दूसरी ओर दूरस्थ मतदान केंद्रों के लिए शनिवार से पोलिंग-पार्टियों रवाना होगी। इन मतदान केंद्रों तक पहुंचने लिए मतदान अधिकारियों को खूब मशक्कत करनी होगी, खूब पसीना बहाना पड़ेगा। इनमें कई मतदान केन्द्रों तक पहुंचने के लिए इन दलों को पूरा एक दिन पैदल चलना पड़ेगा। डुमक गांव में है राज्य का सबसे ज्यादा पैदल दूरी वाला मतदेय स्थल चमोली जिले की बदरीनाथ विधानसभा का डुमक गांव का पोलिंग बूथ फिर से इस बार भी राज्य का सबसे अधिक पैदल दूरी वाला बूथ बना हुआ है। इस गांव में पोलिंग-पार्टी को 20 किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी होगी। दो दिन पहले ये गोपेश्वर से रवाना हो जाएंगे। इन्हें बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पीपलकोटी से कुछ आगे से पैदल निकलना होगा। कुछ दूरी तक उतराई और फिर पहाड़ी की कठिन खड़ी चढ़ाई चढ़नी होगी। बदरीनाथ विधानसभा में ही कलगोट भी ऐसा ही मतदेय स्थल है। इसके लिए भी कर्मिकों को लगभग 18 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई वाली पैदल यात्रा करनी होगी। इसके अलावा चमोली की थराली विधानसभा का तोरती और घाट विकास खण्ड के कनौल गांव के पोलिंग बूथ के लिए मतदान कर्मिकों को जमकर पसीना बहाना होगा। इन दोनों पोलिंग बूथ तक पहुंचने के लिए बारह-बारह किलोमीटर का पैदल सफर करना होगा। चमोली में 179 है पैदल वाले मतदेय स्थलचमोली जिले के कुल 568 मतदेय स्थलों में से तकरीबन 179 के लिए मतदान कराने वाले कर्मिकों को पोलिंग बूथ तक पहुंचने के लिए दो किलोमीटर से अधिक पैदल चलना होगा। सर्वाधिक पैदल दूरी वाली चमोली की 34 पोलिंग पार्टियां शनिवार को जिला मुख्यालय गोपेश्वर से रवाना होगीं। चमोली के बाकी सभी पोलिंग दल रविवार को गोपेश्वर से निकलेंगे। पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी की स्थिति भी चमोली जैसीचमोली की तरह ही पिथौरागढ़ की धारचूला विधानसभा क्षेत्र के कनार पोलिंग बूथ के लिए भी 18 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ कर पोलिंग पार्टी कनार गांव के पोलिंग बूथ तक पहुंचेगी। पूरे राज्य में 15 किलोमीटर से अधिक की पैदल दूरी वाले दुर्गम पोलिंग बूथों की संख्या 9 है ऐसे सबसे अधिक पोलिंग बूथ चम्पावत जिले में हैं, जिनकी संख्या तीन है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा दी गई सूचना पर गौर करे तों राज्य के 61 फीसदी से भी ज्यादा मतदेय केन्द्रों के लिए कुछ-न-कुछ पैदल चलना ही पड़ेगा। दूसरी ओर राज्य में 4504 मतदेय स्थलों तक मोटर सड़क की पहुंच है। सुुविधाजनक मतदेय स्थलों के मामले में देहरादून की स्थिति सबसे बेहतर है। यहां के कुल मतदेय स्थलों के लगभग 95 फीसदी सीधे मोटर सड़क से जुड़े हैं। जबकि नैनीताल के 73 फीसदी वोटिंग स्टेशन सड़क से सीधी पहुंच पर हैं। हरिद्वार और उधमसिंह नगर जैसे मैदानी जिले भी इस मामले में पहाड़ी जिलों जैसी ही स्थिति में हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यहा पहाड़ की खड़ी चढ़ाई नहीं चढ़नी पड़ेगी। हिमपात होने के स्थिति में इन कर्मचारियों को पोलिंग स्टेशन तक पहुंचने के लिए कठिन हालात का सामना करना पड़ेगा। हालांकि हिमपात संभावित जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा ऐसी स्थिति से निपटने की योजना पहले से तैयार की गई है। शुक्रवार को हिमपात वाले इलाके की 35 पोलिंग पार्टियां रवाना शुक्रवार को उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिले के हिमपात वाले पोलिंग बूथों के लिए मतदान दल निकलने शुरू हो गए है। शुक्रवार को इन दोनों जिलों से 35 पोलिंग पार्टियां को मतदेय स्थलों के लिए रवाना किया गया। इनमें पिथौरागढ़ जिले के 18 और उत्तरकाशी की 17 पार्टिया शामिल हैं। सबसे अधिक हिमाच्छादित मतदेय-स्थल पिथौरागढ़ मेंहिमपात वाले इन इलाकों के लिए तीन दिन पूर्व मतदान दलों को रवाना करने के लिए राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से चुनाव आयोग से अनुमति ली है। उत्तराखण्ड के 11697 पोलिंग बूथों में से 766 मतदेय-स्थल ऐसे स्थानों पर है जहां हिमपात होता है। इनमें सबसे अधिक पोलिंग बूथ कुमाऊं मण्डल के नैनीताल जिले में चिन्हित किए गए हैं, जिनकी संख्या 128 है। दूसरे स्थान पर उत्तरकाशी जिला है यहां ऐसे 113 बूथ है जबकि चमोली ऐसे 107 बूथ चिन्हित हैं। शनिवार को पूरे राज्य से 1442 बूथों के लिए पोलिंग पार्टियों को रवाना किया जायेगा। जबकि शेष 10222 बूथों के लिए रविवार को पोलिंग पार्टियां रवाना होगी।
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