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कोटद्वार की रहने वाली मेडिकल की अंतिम वर्ष की छात्रा पायल पंवार ने कहा कि यूक्रेन में फंसे छात्रों को भारत सरकार और भारतीय दूतावास की मदद की जरूरत है।
छात्रा ने कहा, ‘‘जब आप सीमा पार कर लेते हैं तो आपकी समस्याओं का अंत हो जाता है, लेकिन जब तक आप यूक्रेन में हैं, तब तक हालात मुश्किल हैं क्योंकि खाद्य आपूर्ति तेजी से समाप्त हो रही है और एटीएम में भी नकदी नहीं है। फंसे हुए छात्रों को यूक्रेन की सीमा के भीतर रहते हुए भारतीय अधिकारियों की सहायता की जरूरत है।’’
आपबीती सुनाते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन से बाहर आने के लिए रोमानिया की सीमा तक पहुंचने के लिए 60—70 भारतीय छात्रों को एक बस में यात्रा करनी पड़ी और हाड़ कंपा देने वाली सर्दी (कड़ाके की ठंड) में 8—10 किलोमीटर की दूरी भी पैदल तय करनी पड़ी।
पंवार ने बताया कि ज्यादातर एटीएम से नकदी नहीं है और कई जगहों पर खाद्य आपूर्ति के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं।
पंवार घर लौट कर खुश हैं और राहत की सांस ले रही हैं, लेकिन उन्हें अभी भी खारकीव में फंसे अपने भाई की चिंता सता रही है।
रूस के हमले के बाद खराब हुए हालात के बीच यूक्रेन के विभिन्न शहरों में पढाई कर रहे उत्तराखंड के करीब 22 छात्र अब तक अपने घर लौट चुके हैं।
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