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देहरादून: उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मी के बीच दो नाम काफी चर्चा में हैं। एक उत्तराखंड आंदोलन का चेहरा रहे काशी सिंह ऐरी हैं, जो इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे। आंदोलन की उपज ऐरी ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए धनबल और बाहुबल होना जरूरी हो गया है, और दोनों ही उनके पास नहीं हैं। उधर डॉ. अंतरिक्ष सैनी राज्य के सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। चुनाव नामांकन के शपथपत्र के अनुसार, वह 123 करोड़ की माली हैसियत रखते हैं। दोनों के बारे में बता रहे हैं महेश पाण्डेय : मौजूदा राजनीति में ‘अनफिट’ ऐरी एक वक्त ऐसा भी था, जब उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र की जनता भारत के नेताओं के रूप में सिर्फ दो नाम बताती थी- इंदिरा गांधी और काशी सिंह ऐरी। इतिहासविद डॉ. शेखर पाठक एक किस्सा बताते हैं कि उन्होंने साल 1981 में हिमालय क्षेत्र के सामाजिक अध्ययन के लिए अस्कोट-आराकोट की यात्रा की थी। अपनी उस यात्रा के दौरान जब वह लोगों से कहते- 'भारत के दो नेताओं के नाम बताओ', तो जवाब मिलता था- 'इंदिरा गांधी और काशी सिंह ऐरी।' साल 1972 में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के छात्रसंघ उपाध्यक्ष के तौर पर छात्र राजनीति में कदम रखने वाले काशी सिंह ऐरी साल 1979 में नैनीताल महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। सन 80 के दशक से ही पहाड़ की राजनीति में सक्रिय काशी सिंह ऐरी यूकेडी के शीर्ष नेताओं में शुमार किए जाते रहे हैं। वह 1985 में डीडीहाट सीट से पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे। अविभाजित यूपी में वह 1985, 1989 और 1993 में विधायक रहे। साल 1996 में वह राम लहर में बीजेपी के बिशन सिंह चुनाव से हार गए। लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में काशी सिंह ऐरी जीत कर फिर विधायक बने। उसके बाद 2007, 2012 और 2017 में वह विधानसभा चुनाव हारते चले गए। आज की राजनीति धनबल और बाहुबल पर: काशी सिंह ऐरी इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से ही तौबा कर ली और कहा कि आज की राजनीति धनबल और बाहुबल पर फोकस हो गई है। ऐसे में स्वच्छ छवि के नेताओं के लिए अब चुनावी राजनीति से किनारा करना ही एकमात्र विकल्प रह गया लगता है। काशी सिंह ऐरी ने साल 2017 के चुनाव में जो शपथपत्र दिया था, उसमें उन्होंने अपनी कुल संपत्ति लगभग 75 लाख की दर्शाई थी। यूपी में विधायक रहते हुए ऐरी के आवास पर पहाड़ के दोनों मंडलों के लोगों की भीड़ लगी रहती थी। काशी सिंह ऐरी कुमाऊं विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान के पोस्ट ग्रेजुएट हैं और अपने समय में इस विषय से उन्होंने गोल्ड मैडल हासिल किया था। यूपी में विरोध की राजनीति करने के बावजूद वह नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और वीपी सिंह के करीबियों में शुमार होते थे। पूर्व सीएम कल्याण सिंह भी उनकी राजनीति के कायल थे। सभी दलों में रह चुके सैनी डॉ. अंतरिक्ष सैनी नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं। उनकी पत्नी डॉ. प्रतिभा सैनी की फर्टिलिटी क्लिनिक है। डॉ. अंतरिक्ष सैनी बीजेपी में भी कई पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने साल 2019 में बीएसपी के टिकट पर हरिद्वार संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में उनको एक लाख 73 हजार से अधिक वोट मिले थे। डॉ. अंतरिक्ष सैनी के पिता स्व. डॉ. राधे लाल सैनी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में बारह महीने जेल की सजा काटी थी। उनको डॉ. राम मनोहर लोहिया और अजित जैन का विश्वासपात्र माना जाता था। बीजेपी में राज्य के प्रदेश उपाध्यक्ष भी बने डॉ अंतरिक्ष सैनी डॉ. अंतरिक्ष सैनी ने विकासनगर विधानसभा क्षेत्र से साल 2002 में चुनाव लड़ा। बीजेपी में वह प्रदेश मंत्री और राज्य के प्रदेश उपाध्यक्ष भी बने। डॉ. सैनी ने साल 2013 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली और लक्सर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी बनने का दावा किया। लेकिन यह दावा गलत साबित हुआ। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उसके बाद साल 2019 में उन्होंने बीएसपी से हरिद्वार संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। अपनी पत्नी के साथ मिलकर उन्होंने साल 2000 में पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर खोला था। वह देहरादून के पहले पांच सितारा होटल देहरादून ली- मेरीडियन रिसॉर्ट एंड स्पा सेंटर का भी निर्माण करवा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह अगले छह महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। साल 1972 से साल 1978 तक हरिद्वार से संसद सदस्य रहे कांग्रेस के मुल्की राज सैनी भी डॉ. अंतरिक्ष सैनी के ही परिवार के थे और उनके रिश्ते में चाचा लगते थे। देहरादून से लेकर हरिद्वार तक के कई क्षेत्रों में बसी सैनी समाज की आबादी पर उनकी पकड़ मानी जाती है। सैनी, शाक्य, मौर्या और कुशवाहा बिरादरी की उत्तराखंड में कुछ विधानसभा सीटों, विशेषकर हरिद्वार जिले में अच्छी संख्या मानी जाती है। उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी इन्हीं सीटों के समीकरण साधने के लिए डॉ. अंतरिक्ष सैनी को सैनी समाज के एक बड़े चेहरे के रूप में उभार रही है। साधन संपन्न होने के कारण वह कांग्रेस पार्टी के इस प्रयास को सफल बनाने की स्थिति में भी हैं।
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