यहां संवाददाताओं से डिजिटल रूप से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि समय पर योजना के साथ प्रस्ताव रखने के कारण राज्य को केंद्र से यह धनराशि मिली है। उन्होंने कहा कि इसमें से 375 करोड़ रुपये कल रात ही मिले हैं और आज की तारीख तक केंद्र द्वारा 700 करोड़ रुपये जारी किये गए हैं।
उन्होंने बताया कि इसमें नमामि गंगे परियोजना के तहत सफाई व्यवस्था के लिए 58 करोड़ रुपये जबकि कुंभ मेले के लिए 100 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार भी व्यक्त किया।
हरिद्वार में बृहस्पतिवार को महाकुंभ की औपचारिक रूप से हुई शुरुआत का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने दोहराया कि 12 साल में एक बार होने वाले इस धार्मिक आयोजन के दौरान कोई सख्ती या रोकटोक नहीं की जाएगी और सभी को स्नान करने दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ क्षेत्र की सीमाओं पर मास्क, सैनिटाइजर आदि की व्यवस्था की गई है जिससे इस महामारी के प्रसार को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में होने वाले शाही स्नानों में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में आने की संभावना के मद्देनजर और अच्छी व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को कुंभ क्षेत्र की सीमाओं से स्नान घाटों तक पहुंचाने और स्नान के बाद वापस वहीं छोड़ने के लिए बसों की संख्या को चौगुना कर दिया गया है।
रावत ने कहा कि श्रद्धालुओं के अलावा साधु संतों के लिए भी महाकुंभ में अच्छी व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि पहली बार कुंभ के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गयी जिससे साधु संत बहुत प्रसन्न हैं जबकि उनकी जरूरत के हिसाब से उन्हें जमीनें भी आवंटित की गयी हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित अमृत महोत्सव के लिए उन्होंने अधिकारियों को 75 दिन के कार्यक्रमों का एक कैलेंडर बनाने को कहा है जिसमें जिला स्तर तक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
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