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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के निदेशक डॉ. रविकांत ने बताया कि ‘आर नॉट काउंट’ कोरोना वायरस से संक्रमण फैलने की गति का संकेत देता है और इससे यह पता चलता है कि एक संक्रमित मरीज कितने अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आर नॉट काउंट एक से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यह संख्या एक से जितनी ज्यादा होगी, लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने की दर भी उतनी ही ज्यादा होगी।’’
आर नॉट काउंट एक का अर्थ है कि जितने लोग संक्रमित हैं उतने ही लोगों को संक्रमित करेंगे जबकि आर नॉट काउंट 1.2 का अर्थ है कि 100 संक्रमित लोग 120 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे और 0.9 का आशय है कि 100 व्यक्ति 90 लोगों को संक्रमित करेंगे।
डॉ. रविकांत ने इस संबंध में अमेरिका की मिशीगन यूनिवर्सिटी के एक ताजा अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि उत्तराखंड सहित भारत के आठ राज्यों में ‘आर नॉट काउंट’ एक से ऊपर चला गया है जो चिंता का विषय है।
मिज़ोरम में आर नॉट काउंट 1.56, मेघालय में 1.27, सिक्किम में 1.26, मणिपुर में 1.08, केरल में 1.2, दिल्ली में 1.01, उत्तराखंड में 1.17 व हिमाचल प्रदेश में 1.13 है।
उत्तराखंड में आर नॉट काउंट बढ़ने के मुख्य कारण देश-विदेश से आने वाले सैलानी और श्रद्धालु हैं जिनमें से अधिकांश घूमने, गंगा-स्नान और पूजा आदि गतिविधियों के दौरान कोरोना से बचाव के उपायों को नहीं अपनाते हैं। इसके अलावा, लॉकडाउन समाप्त होने के बाद लोगों की आवागमन की गतिविधियां बढ़ना भी कोरोना संक्रमण को बढा रहा है।
इस संबंध में बहुत सावधानी बरतने की सलाह देते हुए डॉ. रविकांत ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोविड का टीका लगाना चाहिए और टीके की दोनों खुराकें लेने के बाद भी अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करना चाहिए।
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