मंदिरों में और उसके आसपास के संसाधनों पर ‘हक-हकूकधारियों’ का पारंपरिक अधिकार है। वे मंदिरों को आसपास के जंगलों से एकत्रित ‘पूजा सामग्री’ प्रदान करते हैं और बदले में उन्हें दस्तूर के रूप में भोग का एक हिस्सा दिया जाता है। देवस्थानम बोर्ड, तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान अस्तित्व में आया था और यह चारधाम सहित 51 मंदिरों का प्रबंधन करता है।
धामी ने देवप्रयाग से विधायक विनोद कंडारी और केदारनाथ से पूर्व विधायक शैला रानी रावत के नेतृत्व में पुजारियों, ‘हक-हकूकधारियों’ और पंडा समाज के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि किसी भी कीमत पर उनके हितों को नुकसान नहीं पहुंचने दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को तीर्थ पुरोहितों की बात सुनने और उनकी आशंकाओं को जानने के बाद ही राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने के लिए कहा गया है। धामी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार सभी पक्षों को सुनेगी और उनकी चिंताओं को दूर करेगी। देवस्थानम बोर्ड को तीर्थ पुरोहितों, हक हकूकधारियों और पांडा समाज के हितों को ठेस पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’
उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से कहा, ‘‘कोई संवादहीनता नहीं होनी चाहिए। बातचीत के माध्यम से समाधान निकाला जाएगा। सभी संदेहों को दूर किया जाएगा और जहां भी आवश्यक होगा, संशोधन किए जाएंगे।’’
उन्होंने आश्वासन दिया कि ‘बद्रीनाथ मास्टर प्लान’ लागू करने से पहले सभी संबंधित पक्षों को सुना जाएगा।
गौरतलब है कि तीर्थ पुरोहित, हक हकूकधारी और पंडा समाज के सदस्य देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह उनके अधिकारों का हनन है।
from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/2WcX8XV
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें