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'मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना' के लाभार्थी बच्चों के बैंक खातों में तीन—तीन हजार रुपये की सहायता राशि भेजने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बच्चों के जीवन में माता-पिता या संरक्षक की कमी पूरी करना संभव नहीं है, लेकिन राज्य सरकार एक अभिभावक की तरह इनका हमेशा ध्यान रखेगी। उन्होंने कहा कि योजना के तहत जिलाधिकारी इन बच्चों के सह—अभिभावक के रूप में काम करेंगे और उनका पूरा ध्यान रखेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाव में ही भगवान होते हैं और इन बच्चों के प्रति हमारा स्नेह, प्रेम और उत्तरदायित्व का भाव है।
इन बच्चों का 'मामा' की तरह ध्यान रखने का वादा करते हुए धामी ने कहा, ‘‘वात्सल्य, माता-पिता में अपने बच्चों के लिए होने वाला नैसर्गिक प्रेम है। जिन बच्चों की आंखों में आंसू आए हैं, हम उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास कर रहे हैं ।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली ऐसी योजना है जिसमें हम चाहते हैं कि लाभार्थियों की संख्या कभी ना बढ़े और भविष्य में कभी किसी बच्चे को इसकी जरुरत ना पड़े।
पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डा. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए धामी ने कहा कि अभावों में संघर्ष करने वाले अपनी संकल्प शक्ति से आसमान छूते हैं।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी को तीन हजार रुपये प्रतिमाह, निशुल्क राशन और निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। संबंधित जिलों के जिलाधिकारी इन बच्चों की संपत्ति का संरक्षण करेंगे। उन्होंने कहा कि इन बच्चों के लिए नौकरियों में पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है और ऐसा करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है।
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना बच्चों को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक तौर पर सशक्त बनाएगी।
योजना को सरकार का मानवीय चेहरा बताते हुए उन्होंने कहा कि एक मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 तक कोविड-19 महामारी एवं अन्य बीमारियों के कारण बेसहारा हुए बच्चों के लिए सरकार अभिभावक के रूप में काम करेगी।
इस योजना के तहत प्रदेश में कुल 2,347 बच्चे चिन्हित किए गए हैं जिनमें से प्रथम चरण में 1,062 बच्चों को लाभ मिल रहा है।
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