रुद्रप्रयाग बद्रीनाथ-केदारनाथ के रास्ते में पड़ने वाले रुद्रप्रयाग बाजार में कभी आप रुके हों, तो एक चीज जो आपका ध्यान सबसे पहले खींचती है, वह पीपल का एक विशालकाय पेड़ है। करीब 100 से ज्यादा साल पुराना यह पेड़ सड़क के बीचोंबीच खड़ा है। शायद यह कहना ज्यादा सही होगा कि समय पीपल के इस पेड़ को सड़क के बीचोंबीच ले आया है। उत्तराखंड में चल रहे चारधाम प्रॉजेक्ट के तहत सड़क चौड़ी हो रही है। पेड़ के तने में मौजूद हनुमान मंदिर को शिफ्ट कर दिया गया है। अब सवाल इस पीपल के पेड़ के अस्तित्व का है। क्या पीपल का यह पेड़ बच पाएगा? रुद्रप्रयाग शहर के लोग इस सवाल पर भावुक हो जाते हैं। जिस पेड़ की छांव में पले-बढ़े, उसके कट जाने की आशंका उनकी आंखों को नम कर जाती है। रुद्रप्रयाग के 59 साल के शख्स का गला पेड़ के कट जाने के सवाल पर रुंध जाता है। वह कहते हैं, 'हमारे पितृ देवताओं से भी पहले का भी यह पेड़ है। मेरी 59 साल की उम्र हो चुकी है, अब इसको काटने की बात हो रही है। हमें बहुत दुख हो रहा है। दिल टूट रहा है।' मंदिर तो दूसरा बन जाएगा, पेड़ कहां से लाएंगेरुद्रप्रयाग के दुकानदार भी इस पेड़ को बचाने के लिए एक जुट हैं। बाजार के एक दुकानदार कहते हैं, 'यह पेड़ रुद्रप्रयाग की शान है। इसकी वजह से ही रुद्रप्रयाग की पहचान है। मंदिर तो शिफ्ट हो गया, लेकिन पेड़ कट गया, तो शहर बेकार लगेगा।' वहीं एक दूसरे दुकानदार कहते हैं कि मंदिर तो दूसरा बन जाएगा, लेकिन पेड़ कहां से लाएंगे। पेड़ बचाने के लिए चलने लगी मुहिमपेड़ को बचाने के लिए कुछ लोगों ने मुहिम शुरू कर दी है। 'रुद्रप्रयागवासियो, मुझे बचाओ' पोस्टर पेड़ के तने पर लगा दिया गया है। मुहिम से जुड़े मोहित डिमरी कहते हैं कि शहर के लोग अगर साथ दें तो पीपल के पेड़ को बचाया जा सकता है। पेड़ अगर काट दिया गया तो पूरे इलाके को नुकसान होगा। यह हमारी धरोहर है। वह कहते हैं कि पीपल को छोड़ भी दिया जाए, तो भी आवाजाही में रुकावट नहीं आ रही है। मुहिम से जुड़े युवा भगत कहते हैं, 'जिस तरह से बच्चों के सिर पर माता-पिता का हाथ होता है, उसी तरह इस पेड़ का भी शहर के लोगों के सिर पर साया है। यह पेड़ शहर का पूर्वज है। इसको काटने का मतलब हमारे अतीत को खत्म कर देना होगा।'
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