![](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/76682892/photo-76682892.jpg)
महेश पांडेय, देहरादून भारत और नेपाल के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित झूला पुल लॉकडाउन के चलते बंद हुए तो अब तक नहीं खुल पाए। इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय सीमा के बैतडी और दार्चुला क्षेत्र के गांवों के लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। राशन और सब्जियां खरीदना आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। भारत और नेपाल के बीच तवाघाट से पंचेश्वर तक 5 झूला और बनबसा में 1 मोटरपुल इसके अलावा 7 घाट भी हैं। दरअसल दार्चुला और बैतड़ी जिलों को राशन और सब्जियों की सप्लाई झूलाघाट, जौलजीबी, दार्चुला और बलुवाकोट नाकों से होती है। जूलाघाट, बाराकोट, धौल्याली, बुढ्ढा, सेरा, नगतड़ी, त्रिपुरा सुंदरी आदि दर्जनों गांव जो बैतड़ी जिले में पड़ते हैं। इन गांवों के ग्रामीण भारत के छोटे बाजार झूलाघाट पर निर्भर थे। नेपाल के लोगों को नेपाली मार्केट की अपेक्षा यहां सस्ता सामान मिल जाता था, लेकिन सीमा पर पुलों के बंद होने से नेपाली ग्रामीण अब महंगे सामान को खरीदने को अभिशप्त हैं। आसमान छू रहीं कीमतें बंदी के कारण नेपाल के दार्चुला और बैतडी के बाजारों में सामान दो सौ किलोमीटर दूर धनगड़ी के मंडी से मंगाना पड़ रहा है जो कि भारत के बाजार के मुकाबले काफी महंगा है। गेहूं, चावल, आलू, नमक, चीनी, तेल की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण नेपाल के पुरचूड़ी, जोशीबुंगा, गोकूलेश्वर सहित दूरस्थ के गांवों में सामान ग्रामीणों की पहुँच से बहुत दूर होने लगा है। बैतड़ी के पुरचूड़ी में चीनी 53 रुपये प्रति किलो भारतीय मुद्रा में, पैकेट वाला नमक और आटा 62 रुपये, जबकि 12 रुपये में मिलने वाली बीड़ी 37 में मिल रही है। चीन से कच्चे माल पर निर्भर उत्तराखंड के उद्योग भी प्रभावित उधर भारत चीन के बीच चल रहे घमासान का असर उत्तराखंड के उद्योग जगत पर पड़ने लगा है, उत्तराखंड में स्थित फार्मा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रोनिक और इलेक्ट्रिकल उद्योग कच्चे माल और स्पेयर पार्ट्स के लिए चीन पर निर्भर है। उद्योग से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कस्टम से आयातित माल को सहज क्लीयरेंस नहीं मिल पा रही है। जबकि वो इसका पूरा भुगतान कर चुके हैं। इस तरह एक तरफ पूंजी बेवजह डंप हो रही है, वहीं उन्हें मजबूरी में घरेलू बाजार से वही माल महंगी दरों पर खरीदना पड़ रहा है। संकट को देखते हुए मैनुफैकचरिंग एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है। पढ़ें: माणा और हर्षिल में जवानों को दी गई श्रृद्धांजलि उत्तरकाशी के चीन से लगे हर्षिल क्षेत्र में भी ग्रामीणों ने दीवारों पर पेंटिंग बनाकर गलवान के शहीदों को श्रृद्धांजलि दी है। हर्षिल क्षेत्र के उपला टकनौर के 8 गांव सुक्की, मुखबा, हर्षिल, बगोरी, धराली, झाला, जसपुर, पुराली के ग्रामीणों ने हर्षिल में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को पुष्प अर्पित किए।
from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/3id7ux2
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें