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पुलकित शुक्ला, हरिद्वार उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में अवैध निर्माण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण द्वारा सील लगाए जाने के बाद भी अवैध निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। प्राधिकरण के अधिकारियों की अनदेखी ही इन अवैध निर्माणकर्ताओं के दुस्साहस का कारण बनी हुई है। हालांकि प्राधिकरण के बड़े अधिकारी ऐसे निर्माणों पर सख्त कार्रवाई की बात भी कह रहे हैं। जिले में अवैध और अनियोजित भवन निर्माण कार्यों पर रोक लगाने और विकास कार्यों को नियोजित ढंग से कराने के लिए हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। पूरा हरिद्वार जनपद प्राधिकरण के कार्य क्षेत्र में आने के बावजूद जिले में अवैध भवन निर्माण के काम धड़ल्ले से जारी हैं। कुछ बड़ी इमारतें तो ऐसी हैं, जिन्हें अवैध और अनियमित पाते हुए प्राधिकरण और हाई कोर्ट के आदेश पर सील लगा दी गई है। बावजूद इसके बेखौफ बिल्डर और पूंजीपति विभाग के साथ-साथ हाईकोर्ट के आदेशों को ताक पर रखकर कभी खुलेआम तो कभी सील लगी बहुमंजिला इमारतों में अंदर चोरी-छिपे अपने निर्माण का आकार देने में जुटे हैं। उदाहरण के तौर पर निर्मल छावनी क्षेत्र में बने निर्मल कुंज नाम के आवासीय फ्लैटों के निकट लगभग 2 साल पहले हाईकोर्ट के आदेशों के तहत प्रशसनिक टीम ने सील लगा दी थी। मौजूदा हालत ये है कि रोक के बावजूद बिल्डिंग में दर्जनों मजदूर काम कर रहे हैं। निर्माण के काम में लगी मशीनों की गड़गड़ाहट साफ सुनी जा सकती है। वहीं दूसरी ओर जगजीतपुर की राजागार्डेन कालोनी में प्राधिकरण की टीम द्वारा हाल ही में सील किए गए कई दुकानों का व्यवसायिक निर्माण भी जोर शोर से जारी है। भवन पर लगाई गई सील का भी कुछ अता-पता नहीं है। रोक लगाने के बावजूद भी दिन रात बड़े-बड़े भवनों के निर्माण में जुटे इन बिल्डरों को आखिर किस का संरक्षण प्राप्त है यह एक बड़ा प्रश्न है? इसे प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही कहें या मिलीभगत कि महीनों या सालों पहले सील किए गए बड़े-बड़े भवनों को सील लगाकर अधिकारी भूल जाते हैं और दोबारा कभी मौके पर जाकर जांच-पड़ताल नहीं करते। बड़े अधिकारी कर रहे हैं कड़ी कार्रवाई की बात हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष दीपक रावत ने खुद स्वीकार किया कि उनके संज्ञान में हरिद्वार और रुड़की क्षेत्र में कुछ सील तोड़कर निर्माण करने के मामले आए हैं। ऐसे भवन स्वामियों पर कार्रवाई करने के लिए एई और जेई को निर्देश दिए गए हैं। इन भवन स्वामियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी और उसके बाद भी अगर सील का उल्लंघन किया जाता है तो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
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