मंगलवार, 30 जून 2020

'प्यार' में रोड़ा बन रहा था पति, 15 साल छोटे आशिक से करवा दी हत्या

पुलकित शुक्ला, हरिद्वारहरिद्वार में एक महिला ने अपने से 15 साल छोटे प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करवा दी। पति को पत्नी के प्रेम संबंधों के बारे में पता चल गया था जिसके बाद पति को रास्ते से हटाने के लिए पत्नी ने गहरी साजिश रची थी। प्लान के मुताबिक, उसके प्रेमी ने पति की चाकू से गोदकर हत्या कर दी। फिलहाल दोनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। यह घटना हरिद्वार के लक्सर थाना क्षेत्र की है। यहां झींवरहेड़ी गांव में पेशे से ट्रक चालक प्रदीप उर्फ भूरा की 26 जून की देर रात चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। जिस वक्त वारदात को अंजाम दिया गया उस वक्त प्रदीप अपने घर में सो रहा था और उसकी पत्नी बच्चों के साथ मायके गई हुई थी। प्रदीप की निर्मम हत्या से क्षेत्र में हड़कंप मच गया और सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की। लक्सर कोतवाली में घटना का खुलासा करते हुए एसपी देहात एसके सिंह ने बताया कि मृतक की 40 वर्षीय पत्नी ममता के प्रदीप के साथ ही काम करने वाले एक ट्रक चालक अमन (25) के साथ अवैध संबंध हैं। अमन सहारनपुर जिले के बेहट क्षेत्र का रहने वाला है। दोनों के अवैध संबंधों की जानकारी प्रदीप को हो गई थी और प्रदीप ने अमन को देख लेने की धमकी दी थी। इसके बाद ममता और अमन ने प्रदीप को रास्ते से हटाने के लिए उसकी हत्या की योजना बनाई। योजना के तहत 26 जून की रात अमन झींवरहेड़ी गांव पहुंचा और छुरे से गोदकर प्रदीप की निर्मम हत्या कर दी। साजिश के मुताबिक ममता उस दिन आपने मायके गई हुई थी और उसी ने प्रदीप के घर लौटने की सूचना अमन को दी। हि रासत में लेने पर उगली सच्चाईजांच के दौरान पुलिस ने मृतक प्रदीप के फोन की जांच की तो पता चला कि प्रदीप ने पत्नी से अवैध संबंधों के चलते अमन को फोन कर बुरा-भला कहा था। पुलिस ने अमन को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो उसने सारी सच्चाई बयां कर दी। अमन ने बताया कि उसके प्यार में पागल ममता उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी और ममता ने ही उसे प्रदीप की हत्या के लिए तैयार किया था।


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कोरोनिल से केवल कोरोना के मरीज ठीक होने की बात कही- आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार, 30 जून :भाषा: 'कोरोनिल' को लांच किए जाने के ठीक एक सप्ताह बाद योग गुरू स्वामी रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने मंगलवार को कहा कि उसने कभी कोरोना की दवाई बनाने का दावा नहीं किया और केवल यही कहा कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाली इस दवाई से कोरोना के मरीज ठीक हुए हैं । यहां कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए रामदेव के करीबी सहयोगी और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा, 'हमने दवाई :कोरोनिल: के लिए कभी नहीं कहा कि हम कोरोना को नियंत्रित करते हैं, उसका इलाज करते हैं, हमने केवल यही कहा कि हमने ये दवाइयां बनाई थीं, इन्हें क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल के लिये दिया और इससे कोरोना के रोगी ठीक हो गये । इसमें कहीं भी कोई भ्रम नहीं है ।' उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आयुष विभाग द्वारा दिए गये नोटिस के जवाब में भी स्थिति स्पष्ट कर दी गयी है और उनके प्रश्नों के जवाब में बता दिया है कि हमने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने की दवाई बनाने के लिये लाइसेंस लिया था और लेबल में भी उसी का दावा किया गया है । बालकृष्ण ने कहा कि यह दवाई तुलसी ,गिलोय, अश्वगंधा का मिश्रण है और जब कोरोना मरीजों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल किया तो उससे वह ठीक हो गये । उन्होंने कहा कि अगर आयुष मंत्रालय उनसे दोबारा क्लीनिकल ट्रायल करने को कहेगा तो उसके लिए भी वह तैयार हैं । उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ षड्यंत्र के तहत भ्रम फैलाया गया है । 'कोरोनिल' को पतंजलि द्वारा कोरोना की दवाई के रूप में प्रचारित और प्रसारित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर आचार्य ने कहा कि ऐसा कभी नहीं किया और केवल दवाई के क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल के परिणामों को देश के सामने रखा और कहा कि इस दवाई के प्रयोग से कोरोना के रोगी ठीक हो गये । पिछले सप्ताह 23 जून को स्वामी रामदेव ने कोरोनिल लांच की थी और इससे कोरोना मरीजों को ठीक करने का दावा किया था । इस संबंध में उन्होंने बताया था कि राजस्थान के एक मेडिकल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कोरोनिल के क्लिनिकल ट्रायल किए जा चुके हैं और इससे शत प्रतिशत कोरोना मरीज ठीक हो गये हैं । हांलांकि, इसके लांच होते हुए देश में विवाद छिड गया और केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस मामले की जांच होने तक दवाई की बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। साथ ही उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था ।


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कोरोनिल के निर्माण में किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया-पतंजलि

देहरादून, 30 जून (भाषा) कोरोनिल दवाई के निर्माण पर जारी नोटिस के जवाब में योगगुरू बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने कहा है कि कंपनी ने इस प्रक्रिया में किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया । कंपनी ने 'कोरोना किट' नामक किसी भी दवा का उत्पादन करने और उसे घातक वायरस के खिलाफ उपचार के रूप में प्रचारित करने से भी इनकार किया है । कंपनी ने कहा कि उसने केवल दिव्य श्वासरी वटी, दिव्य कोरोनिल टैबलेट और दिव्य अणुतेल नाम की दवाइयों को एक पैकेजिंग कार्टन में पैक किया था ताकि उन्हें आसानी से बाहर भेजा जा सके । नोटिस के जवाब में फर्म ने यह भी कहा है कि उसने कोरोना किट नामक किसी भी किट को व्यावसायिक रूप से नहीं बेचा है और न ही इसे कोरोना के खिलाफ उपचार के रूप में प्रचारित किया है। योग गुरु की कंपनी ने कहा, “हमने मीडिया के समक्ष दवा के सफल परीक्षण को केवल प्रमोट किया है।” जवाब में यह भी कहा गया है कि नोटिस मीडिया द्वारा तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का परिणाम था। जवाब में इस बात पर जोर दिया गया है कि उसने किसी नियम या कानून का उल्लंघन नहीं किया और इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विभाग ने कहा कि वह पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की एक शाखा दिव्य फार्मेसी द्वारा भेजे गए इस उत्तर का अध्ययन कर रहा है । उत्तराखंड आयुर्वेदिक विभाग के लाइसेंसिंग अधिकारी वाई एस रावत ने बताया कि सोमवार को जवाब मिलने के बाद एक औषधि निरीक्षक को कंपनी में भौतिक सत्यापन के लिए भेजा गया जहां उसे कोई कोरोना किट नहीं मिली। यह पूछे जाने पर कि क्या वह जवाब से संतुष्ट हैं, रावत ने कहा, “हर किसी ने योग गुरु को उत्पाद को कोरोना के लिए इलाज के रूप में दावा करते देखा है और उत्तर की अभी और जांच करने की आवश्यकता है।” पिछले मंगलवार 23 जून को बाबा रामदेव ने कोरोनिल नामक दवा लांच की थी जिस पर उत्तराखंड आयुष विभाग ने पतंजलि को नोटिस जारी करते हुए उनसे इस संबंध में जवाब मांगा था ।


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उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण से दो और मरीजों की मौत, 51 नए मामले मिले

देहरादून, 29 जून (भाषा) उत्तराखंड में मंगलवार को दो और कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों ने दम तोड़ दिया जबकि 51 नए मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने से महामारी से पीड़ितों की संख्या बढ़कर 2881 पर पहुंच गयी। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा यहां जारी बुलेटिन के अनुसार, कोरोना संक्रमण से मौत के दोनों नये मामले देहरादून के हैं, जहां महंत इंद्रेश अस्पताल में भर्ती 22 वर्षीया एक युवती और 63 वर्षीय एक पुरूष मरीज ने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही प्रदेश में महामारी से मरने वालों की संख्या 41 हो गयी है । प्रदेश में आज सामने आए 51 नए कोरोना मरीजों में से 28 उधमसिंह नगर जिले से हैं जबकि 12 देहरादून जिले से हैं। उत्तराखंड में 2231 मरीज उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं और उपचाराधीन मरीजों की संख्या 582 हैं।


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BJP की वर्चुअल रैली में बोलीं पूनम महाजन, उत्तराखंड को प्रकृति का वरदान, इसके आगे कुबेर की संपत्ति भी कम

देहरादून भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की राष्ट्रीय अध्यक्ष () ने मंगलवार को नॉर्थ मुंबई से की युवा संवाद वर्चुअल रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को प्रकृति से मिला वातावरण, नैसर्गिक सुंदरता ईश्वरीय वरदान है। इसके आगे कुबेर की संपत्ति भी कम है। पूनम महाजन ने वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हम यहां जो सांस लेते हैं, उत्तराखंड जैसे राज्य उसके फेफड़े हैं। वहां के जल, जंगल, जमीन हमें शुद्ध वायु प्रदान करते हैं तब हम महानगरों में रह पाते हैं। पूनम महाजन ने उत्तराखंड वासियों की बार-बार आने वाली आपदाओं से लड़कर खड़े होने की शक्ति को प्रणाम करते हुए कहा कि यहां का सरल परंतु अनुशासित अध्ययनशील जीवन देश के बाकी इलाकों के लिए अनुकरणीय है। केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाई केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए पूनम महाजन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आपदा के समय जान और जहान दोनों की रक्षा का जो संकल्प पूरा किया है, उससे विश्व चकित भी है और प्रेरणा भी ले रहा है। महामारी के बावजूद प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की संकल्प शक्ति उन्हें विश्व के अग्रणी नेताओं मैं खड़ा करती है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रशासनिक अनुभवहीनता की तुलना उन्होंने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की प्रशासनिक क्षमता से करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड ही है जहां से आए राज्यपाल महाराष्ट्र राज्य की जनता और बीजेपी कार्यकर्ताओं की आशा का केंद्र बने हैं। कार्यकर्ताओं से योजना को घर-घर तक पहुंचाने का आह्वान इस दौरान मुख्य अतिथि, में मंत्री डा. ने उत्तराखंड सरकार की ओर से युवाओं के रोजगार के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। साथ ही कार्यकर्ताओं से योजना को घर-घर तक पहुंचाने का आह्वान किया। इस दौरान प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा अध्यक्ष कुंदन लटवाल, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी नेहा जोशी, प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, प्रदेश महामंत्री एवं युवा मोर्चा प्रभारी कुलदीप कुमार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा महामंत्री गुंजन सुखीजा ने भी संबोधित किया।


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पतंजलि की 'कोरोनिल' का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, केंद्र को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

पुलकित शुक्ला, नैनीतालस्वामी की पतंजलि का कोरोना की दवा का मामला अब हाई कोर्ट पहुंच गया है। दवा के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी। 23 जून को योगगुरु स्वामी रामदेव ने जयपुर स्थित के साथ मिलकर कोरोना की दवा बनाने का दावा किया था। हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने बताया था कि दवा का क्लिनिकल टेस्ट किया गया है और दवा से कोरोना के मरीज ठीक हुए हैं। खबरें प्रसारित होते ही केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने उन सभी दावों का खंडन किया और पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा। उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी इस मामले में नोटिस जारी किया और कहा कि पतंजलि की ओर से सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर के लिए लाइसेंस मांगा गया है। कोरोना के इलाज करने की दवा के बारे में कोई भी अनुमति नहीं दी गई है। पतंजलि की ओर से इन नोटिसों का जवाब भी दिया गया। पिछले 8 दिनों से जारी सवाल-जवाब के बाद अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। ऊधमसिंहनगर के अधिवक्ता मणि कुमार ने कोरोनिल के खिलाफ जनहित याचिका दायर ही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि रामदेव की कंपनी ने आईसीएमआर की गाइडलाइंस का पालन नहीं किया, ना ही भारत सरकार के आयुष मंत्रालय से अनुमति ली है। उत्तराखंड के आयुष विभाग के समक्ष भी कोरोना की दवा बनाने के लिए आवेदन नहीं किया, जो आवेदन किया गया है वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा बनाने के लिए किया गया है। उधर दिव्य फार्मेसी के अनुसार, दवा का परीक्षण निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर में किया गया है जबकि निम्स यूनिवर्सिटी ने इस बात से इनकार किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि रामदेव ने दवा का भ्रामक प्रचार-प्रसार भी किया है। उन्होंने मांग की है कि दवा पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और आईसीएमआर की गाइडलाइंस का पालन ना करने पर संस्था पर कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए। याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को की जाएगी।


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उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों को बेहतर संचार सुविधाओं की जरूरत

पिथौरागढ़, 30 जून (भाषा) इंटरनेट कनेक्टिविटी के अभाव में नेपाली मोबाइल टावरों से मिलने वाले संकेतों पर अधिक निर्भर रहने की मजबूरी का हवाला देते हुए पिथौरागढ़ जिले में भारत-नेपाल सीमा के पास व्यास घाटी के ग्रामीणों ने बेहतर संचार सुविधाओं की मांग की है । धारचूला के एक अधिकारी ने भी माना कि खराब कनेक्टिविटी घाटी के सीमावर्ती गांवों में भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भी बाधा उत्पन्न कर रही है। धारचूला के उपजिलाधिकारी एके शुक्ला ने कहा, "धारचूला सब डिवीजन के अधिकांश हिस्सों में उचित संचार सुविधा नहीं होने के कारण मनरेगा के कामों से संबंधित भुगतान लाभार्थियों को नहीं किये जा सकते और न ही क्षेत्र के स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की जा सकती हैं।" उन्होंने कहा कि सब डिवीजन में संचार सुविधाओं की कमी के कारण कई सरकारी कार्य बाधित हैं और हमें नेपाल के साथ धारचूला सीमा पर संचार का एक मजबूत और भरोसेमंद नेटवर्क चाहिए। ग्रामीणों ने इस संबंध में पूर्व में भी कई बार प्रशासन के सामने अपनी यह समस्या रखी है और कई ज्ञापन सौंपे हैं। उन्होंने कहा कि धारचूला में केवल एक कम क्षमता का भारत संचार निगम का मोबाइल टॉवर है जो केवल शहर की आवश्यकताओं के लिए ही पर्याप्त है । खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी को यह कहकर सही ठहराया जाता रहा है कि ऐसा सीमा क्षेत्र में सक्रिय तस्करों और अपराधियों को इंटरनेट की पहुंच से दूर रखने के लिए है लेकिन यहां रह रहे लोगों का मानना है कि उनके लिए क्षेत्र में नेपाली नेटवर्क पहले से ही व्यापक रूप से उपलब्ध है । इस संबंध में उपजिलाधिकारी ने कहा, “इन तथ्यों के आलोक में स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि सीमावर्ती लोगों के लिए बेहतर संचार सुविधाओं की जरूरत है।” धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने क्षेत्र में संचार सुविधाएं विकसित करने के लिए अपने विधायक कोष से धन देने की पेशकश की। उन्होंने कहा, “मैं भारत-नेपाल और भारत-चीन सीमा पर संचार के बुनियादी ढांचे को स्थापित करने के लिए धन देने को तैयार हूं ।” व्यास घाटी के स्थानीय निवासियों के अनुसार, नेपाल की तीन कंपनियों के मोबाइल टॉवर भारत-नेपाल सीमा पर पंचेश्वर से कालापानी तक 186 किमी लंबे क्षेत्र में फैले हुए हैं और उनकी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए करीब 3000 भारतीय नागरिक नेपाली सिम कार्ड का उपयोग करते हैं । अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा ने बताया कि बीएसएनएल लोगों की संचार आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए क्षेत्र में एक सर्वेक्षण कर रहा है और जैसे ही सर्वेक्षण पूरा होगा, टावरों को स्थापित करने पर काम शुरू कर दिया जाएगा । व्यास घाटी के कुटी गांव के निवासी कुंवर सिंह कुटियाल ने कहा कि हाल ही में नेपाल के चांगरू सुरक्षा चौकी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को संचार सुविधा देने के लिए नेपाली सरकार ने चांगरु गांव में वाई-फाई सुविधा प्रदान की है। कुटियाल ने कहा कि हमारे गांवों में भी ऐसी संचार सुविधाओं की आवश्यकता है।


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कोरोनिल टैबलेट पर लगी कोरोना की फोटो हटाए पतंजलि: उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग

देहरादून कोरोनिल दवा पर पतंजलि ने उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग को नोटिस का जवाब देते हुए कोरोना के इलाज के दावे से इनकार किया है। उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस ऑफिसर वाई.एस. रावत ने बताया कि पतंजलि ने नोटिस के जवाब में लिखा है-कोरोना किट के नाम से कोई किट हमने पैक नहीं की है। हमने केवल दिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य अणु तेल और श्वासारी वटी को पैक किया है। उसे कोरोना किट नाम से पैक नहीं किया गया है इसलिए परमिशन की जरूरत नहीं है। वाई.एस. रावत ने बताया कि हमें लगता है कि इन्होंने (पतंजलि) कोरोनिल की टैबलेट पर कोरोना का चित्र लगाया है जबकि इससे ये इनकार कर रहे हैं। हम इन्हें इस चित्र को हटाने के लिए कहेंगे। बता दें कि से मिले नोटिस के जवाब में पतंजलि ने कहा है कि उसने कोरोना की कोई दवा नहीं बनाई है। हाल ही में योगगुरु और आचार्य बालकृष्ण की मौजूदगी में कोरोनिल की लॉन्चिंग हुई थी। आचार्य बालकृष्ण का नया बयान उधर, कोरोनिल दवा को लेकर चल रहे विवाद के बीच आचार्य बालकृष्ण, सीईओ पतंजलि का नया बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्लानिंग के साथ भ्रम और षड्यंत्र किया गया है। उन्होंने बताया कि पतंजलि ने कोरोनिल की दवाओं का क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का रिजल्ट आउट किया था। कहा कि हमने कभी भी दवा (कोरोनिल) से कोरोना ठीक करने या कंट्रोल करने का दावा नहीं किया था। हमने कहा था कि उन्होंने एक ऐसी दवाई बनाई है जिससे कोरोना के मरीज ठीक हुए हैं। इसमें कोई भ्रम नहीं है। पतंजलि ने दिया उत्तराखंड आयुष विभाग के नोटिस का जवाब बता दें कि इससे पहले पतंजलि ने उत्तराखंड के आयुष विभाग को भेजे गए नोटिस के जवाब में कहा कि उन्होंने कभी भी बनाने का दावा नहीं किया। बल्कि उन्होंने एक ऐसी दवाई बनाई है जिससे कोरोना के मरीज ठीक हुए हैं। पतंजलि आयुर्वेद के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण का कहना है, कि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अनुमति लेकर जो दवाई बनाई गई है, उससे कोरोना के मरीज भी ठीक हुए हैं। आयुष विभाग की ओर से जारी नोटिस का जवाब दे दिया गया है। पतंजलि ने किया था कोरोना की दवा बनाने का दावा बीती 23 जून को पतंजलि आयुर्वेद ने राजस्थान की निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना की दवा बनाने का दावा किया था। इस दवा का नाम कोरोनिल और श्वासारी बटी रखा गया था। योग गुरु बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और निम्स यूनिवर्सिटी के चेयरमैन की उपस्थिति में हरिद्वार में कोरोनिल को लॉन्च किया गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पतंजलि आयुर्वेद की ओर से यह दावा भी किया गया था कि कोरोना मरीजों पर इसका क्लिनिकल टेस्ट भी किया गया है।


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भारत-चीन सीमा के पास तीन सड़कों को उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी

देहरादून, 30 जून (भाषा) चीन के साथ जारी तनाव के बीच उत्तराखंड राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड ने राष्ट्रीय सुरक्षा की द्रष्टि से महत्वपूर्ण तीन सड़कों के निर्माण के लिए भारत-चीन सीमा के पास गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के भीतर करीब 73 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में बोर्ड ने वन भूमि हस्तांतरण को स्वीकृति देते हुए इसे अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजने का फैसला लिया। प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने यहां बताया कि चीन के साथ लगती सीमा पर स्थित इन तीनों सड़कों का निर्माण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा । उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के अधीन सुमला से थांगला तक 11.85 किलोमीटर सड़क के लिए 30.39 हेक्टेअर, त्रिपाणी से रंगमचगड तक 6.21 किलोमीटर सड़क के लिए 11.61 हेक्टेअर वन भूमि तथा 17.60 किलोमीटर लंबी मंडी-सांगचोक्ला सड़क के लिए 31 हेक्टेअर वन भूमि का हस्तांतरण शामिल हैं । मंत्री ने कहा कि इन तीनों सड़कों के निर्माण से चीन सीमा की दूरी काफी कम होने के साथ ही वहां आवाजाही भी आसान हो जाएगी । वर्तमान में भारत तिब्बत सीमा पुलिस के कर्मियों को भारत-चीन सीमा तक पहुँचने के लिए 25 किलोमीटर तक की पैदल यात्रा करनी पड़ती है ।


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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ मुकदमा, बिना अनुमति प्रदर्शन का मामला

देहरादून बिना अनुमति प्रदर्शन के मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। देहरादून के रायपुर थाने में हरीश रावत और उनके 20 सहयोगियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। सोमवार को पूर्व सीएम हरीश रावत समेत कई अन्य कांग्रेसी नेताओं ने महंगाई का विरोध किया था। लगातार पेट्रोल डीजल के दाम में हो रही बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस ने उत्तराखंड में प्रदर्शन किया था। पूर्व सीएम हरीश रावत समेत कई कांग्रेसी महंगाई के विरोध में बैलगाड़ी पर सवार होकर प्रदर्शन करने सड़क पर उतरे। जिसके बाद देहरादून की रायपुर पुलिस ने कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं करने और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं करने के आधार पर मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने पूर्व सीएम हरीश रावत और 20 अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम धारा 51 और आईपीसी सेक्शन 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया। रायपुर थानाध्यक्ष अमरजीत सिंह ने बताया कि लॉक डाउन के नियम पालन न करने पर 20 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, इन 20 लोगों में 8 लोग नाम दर्ज,बाकी अज्ञात हैं। सब की पहचान करके विधिक कार्यवाही की जाएगी। इस मुकदमे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार को घेरा और कहा 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है,देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।' हरीश रावत ने आगे कहा कि मुकदमों के दबाव से आप विपक्ष की आवाज को कुचलना चाहते हैं, पर ऐसा होगा नहीं।


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जब भारत पर लगा था बैन तो हिंदुजा ब्रदर्स बने थे संकटमोचक, अब एक लेटर की वजह से भाइयों में छिड़ी 'जंग'

इन दिनों चार हिंदुजा भाइयों के साइन किए हुए लेटर को लेकर हिंदुजा भाइयों में जंग (Hinduja brothers fighting over letter) छिड़ी हुई है. लेटर ने हिंदुजा परिवार की 11.2 अरब डॉलर यानी करीब 83 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है. आइए जानें इनके बारे में...

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सोमवार, 29 जून 2020

Coronil: कोरोनिल पर पतंजलि का यू टर्न, कहा- कोरोना की नहीं बनाई दवा

पुलकित शुक्ला, हरिद्वार कोरोनिल दवा पर पतंजलि आयुर्वेद ने यू-टर्न ले लिया है। उत्तराखंड आयुष विभाग से मिले नोटिस के जवाब में पतंजलि ने कहा है कि उसने कोरोना की कोई दवा नहीं बनाई है। हाल ही में योगगुरु और आचार्य बालकृष्ण की मौजूदगी में कोरोनिल की लॉन्चिंग हुई थी। आयुष मंत्रालय के नोटिस से घिर जाने के बाद बना लेने के अपने दावे से स्वामी रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद पलट गई है। उत्तराखंड के आयुष विभाग को भेजे गए नोटिस के जवाब में पतंजलि की ओर से कहा गया है कि उन्होंने कभी भी कोरोना की दवा बनाने का दावा नहीं किया। बल्कि उन्होंने एक ऐसी दवाई बनाई है जिससे कोरोना के मरीज ठीक हुए हैं। पतंजलि आयुर्वेद के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण का कहना है, 'पतंजलि आयुर्वेद अब भी अपने दावे और दवा पर कायम है। हमने कभी भी कोरोना की दवा बनाने का दावा नहीं किया है। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अनुमति लेकर जो दवाई बनाई गई है, उससे कोरोना के मरीज भी ठीक हुए हैं। आयुष विभाग की ओर से जारी नोटिस का जवाब दे दिया गया है।' पढ़ें, बीती 23 जून को पतंजलि आयुर्वेद ने राजस्थान की निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना की दवा बनाने का दावा किया था। इस दवा का नाम कोरोनिल और श्वासारी बटी रखा गया था। योग गुरु बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और निम्स यूनिवर्सिटी के चेयरमैन की उपस्थिति में हरिद्वार में कोरोनिल को लॉन्च किया गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पतंजलि आयुर्वेद की ओर से यह दावा भी किया गया था कि कोरोना मरीजों पर इसका क्लिनिकल टेस्ट भी किया गया है। हालांकि इसके ठीक बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष विभाग ने पतंजलि आयुर्वेद के इस दावे को नकार दिया। मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि की ओर से कोरोना की दवा बनाने के लिए लाइसेंस नहीं लिया गया है। वहीं उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से इम्यूनिटी बूस्टर बनाने का लाइसेंस लिया गया था। इसके साथ ही आयुष विभाग ने पतंजलि आयुर्वेद को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक हफ्ते के भीतर जवाब भी मांगा था। इसी नोटिस के जवाब में पतंजलि की ओर से अपने दावों से पलटी मारते हुए कहा गया है कि उन्होंने कोरोना की दवा बनाने का कभी दावा नहीं किया।


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सीमा विवाद से बढ़ी 7 गांवों के ग्रामीणों की चिंता, नेपाल में है हजारों हेक्टेयर भूमिधरी जमीन

महेश पांडेय, पिथौरागढ़ भारत और नेपाल के बीच संबंधों में आ रही खटास के बाद अब भारत की सीमा पर स्थित उन तमाम गांवों में चिंता पसरी हुई है, जिनकी नेपाल में भी भूमिधरी जमीन थी। भारत की के 7 गांवों बूंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यू, गुंजी, नाबी, रोंगकोंग और कुटी के ग्रामीणों की सीमा पर काली नदी के पार नेपाली भू-भाग में हजारों हेक्टेयर भूमि है। इसके दस्तावेज इन भारतीय नागरिकों के पास मौजूद हैं। नेपाल में माओवादी शासन के दौरान इन भारतीयों को डर से यह जमीन छोड़नी पड़ी। यहां के ग्रामीणों का आरोप है कि इस भूमि को हड़पने के लिए नेपाल सरकार कालापानी, का मामला उठाकर ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है। के बाद तय हुई थी सीमा ग्रामीणों का कहना है कि 1815 में अंग्रेजों और नेपाल के बीच हुई सुगौली की संधि में कालापानी से निकलने वाली काली नदी को भारत-नेपाल की सीमा तय हुई। इससे भारत का बहुत बड़ा भू-भाग नेपाल के हिस्से में चला गया। अस्कोट के पाल राजवंश के तत्कालीन राजा को सुगोली बुलाकर उनकी भूमि का मुआवजा भी मिला। सीमा तय होने के बाद वर्तमान नेपाल में भूमिधर रहे व्यास घाटी के ग्रामीण अपनी भूमि पर खेती बाड़ी करते रहे। यहां तक कि भारत के इन ग्रामीणों के मकान, खेत और अन्य जायदाद नेपाल में हैं। अब यहां की भूमि का उपयोग अब वही लोग कर पा रहे हैं, जो नेपाल में ही बस गए। हजारों हेक्टेयर जमीन का है मामला नेपाल भारत के जिन हिस्सों को अपना बता रहा है, वो इलाके साल 1962 के बंदोबस्त से भारतीय अभिलेखों में दर्ज हैं। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक कालापानी से नाभीढांग तक की करीब 9 किलोमीटर का इलाका गर्ब्यांग गांव का तोक है। भूमि अभिलेखों में ये जमीन कैंप कालापानी के नाम से दर्ज है। करीब 5 हजार नाली के इस भू-भाग में 711 नाप खेत मौजूद हैं, जो गर्ब्यांग गांव के ग्रामीणों के नाम दर्ज हैं। वहीं नाभीढांग से लिपुलेख तक का इलाका गुंजी ग्राम सभा की वन पंचायत का हिस्सा है। जबकि छोटा कैलाश क्षेत्र में पड़ने वाला लिम्पियाधुरा कुटी ग्रामसभा के अंतर्गत आता है। अब नेपाल भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में दिखा रहा है। राजस्व के जानकारों के अनुसार ब्रिटिश शासनकाल में साल 1865 में हुए बंदोबस्त में भी कालापानी भारत का ही हिस्सा था। नेपाल, भारत के कालापानी क्षेत्र को 1990 के बाद से ही अपना बता रहा है, जबकि भारतीय सुरक्षा तंत्र यहां पर साल 1955 से ही काबिज है। कालापानी इलाके में 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान यहां पर बंकर बनाए गए थे, जो कि ये बंकर आज भी मौजूद हैं। वर्तमान में आईटीबीपी और एसएसबी बल के जवान सीमाओं की सुरक्षा के लिए तैनात रहती हैं। धारचूला के एसडीएम एके शुक्ला के अनुसार नेपाल में भारत के व्यास के ग्रामीणों की भूमि है। इसके अकाट्य प्रमाण अस्कोट रियासत के उत्तराधिकारी के पास है। अंग्रेजों ने सुगोली संधि के बाद यह भूमि नेपाल को दी, जिसमें कुछ भूमि का तो अंग्रेजों ने अस्कोट के तत्कालीन राजा को मुआवजा दिया था। भारत सीमा से लगे नेपाल में शांति और किसी तरह का कोई तनाव न होने के बाद भी नेपाल सरकार पैदल पुल नहीं खोल रही है। बेहतर संचार भी सपना भारतीय सीमा के निवासी इस तरह अपनी भूमिधरी जमींन से तो महरूम हैं ही, बेहतर संचार सुविधाओं के लाभ को भी उनको तड़पना पड़ रहा है। नेपाल की सरकारी संचार एजेंसी स्काई ने नेपाल के सीमा के गांवों में बेहतर संचार सेवाएं उपलपब्ध कराई हैं। स्काई इनसेट से संचालित होती है, जिसके सिग्नल भारत में नेपाल सीमा से 40 किलोमीटर दूर भारतीय क्षेत्र तक स्पष्ट पकड़ते हैं। नेपाल के स्काई के सिग्नल सीमा से 36 किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ नगर तक मिलते हैं। सिग्नल पिथौरागढ़ के निकटवर्ती कासनी तक और एनसेल के सिग्नल गौरीहाट तक मिलते हैं। सिग्नलों की उपलब्धता के कारण ही नेपाल से लगे जिले की कालापानी से लेकर पंचेश्वर तक की 186 किलोमीटर सीमा पर दो से लेकर ढाई हजार की संख्या के सिम नेपाली संचार सेवा के भारतीय लोग भी उपयोग में ला रहे हैं। नेपाली सिमों में भारतीय 6 रुपये में सौ मिनट बात कर सकते हैं। लॉकडाउन के बाद इन सिम कार्ड्स को काली नदी को अवैध ढंग से पार कर भारत पहुंचाया जा रहा है, जिस कारण इनको ब्लैक में बेचा जा रहा है। उच्च हिमालय में भारत सरकार ने हालांकि सेटेलाइट उपलब्ध कराए हैं। हालांकि शिकायत है कि इनमें प्रतिमिनट आउटगोइंग और इनकमिंग की दर 12 रुपये होने से ये नेपाली सिम के मुकाबले महंगा पड़ती है।


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भूस्खलन में चार घायल

पिथौरागढ, 29 जून (भाषा) पिथौरागढ जिले के दखिम गांव में रातभर भारी बारिश के बाद पहाड़ी से हुए भूस्खलन में मकानों के क्षतिग्रस्त होने से दो महिलाओं और एक बच्चे समेत चार व्यक्ति घायल हो गये। क्षेत्र के उपजिलाधिकारी ए के शुक्ला ने बताया कि बचाव और राहत के लिये राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के जवान मौके पर पहुंच गए हैं। अधिकारी ने बताया कि घायलों की पहचान रामौती देवी :75:, नारा देवी :35:, भूपाल सिंह :35: और चार वर्षीय लक्की के रूप में हुई है। भूस्खलन में सात मवेशियों के मरने के अलावा गांव के पांच मकान भी नष्ट हो गए ।


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उत्तराखंड के श्रद्धालु एक जुलाई से चार धाम के दर्शन कर सकेंगे

देहरादून, 29 जून (भाषा) उत्तराखंड सरकार के नियंत्रण वाले चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने सोमवार को राज्य के निवासियों को एक जुलाई से बदरीनाथ, केदारनाथ सहित सभी चार धामों के दर्शन की सशर्त अनुमति दे दी। बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने इस संबंध में यहां आदेश जारी करते हुए कहा कि निषिद्ध क्षेत्रों और ‘बफर जोन’ में रहने वाले लोगों को किसी भी धाम क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इससे पहले जारी आदेशों के अनुसार, 30 जून तक केवल उसी जिले में रहने वाले श्रद्धालुओं को जिलाधिकारी की अनुमति से चारों धामों में दर्शन की अनुमति थी जहां ये मंदिर स्थित हैं । कोविड-19 के मद्देनजर चार धामों के दर्शन की अनुमति कुछ प्रतिबंधों के तहत दी गयी है । आदेश के अनुसार, राज्य में रहने वाला व्यक्ति यदि राज्य के बाहर से यात्रा करके आया है तो पृथकवास अवधि पूरी करने के बाद ही चारधामों के दर्शन के लिये पात्र होगा । यात्रा प्रारंभ करने से पहले श्रद्धालु को बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा जिसके बाद उसे ई—पास जारी होगा । श्रद्धालु प्रत्येक धाम क्षेत्र में यात्रा विश्राम स्थल पर केवल एक रात ही रूक सकते हैं । कोविड-19 या फ्लू के लक्षणों वाले व्यक्तियों को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी । भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, 65 साल से अधिक के बुजुर्गों तथा दस वर्ष से कम उम्र के बच्चे तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति यात्रा नहीं कर पाएंगे । धाम क्षेत्र में यात्रा के दौरान हैंड सैनिटाइजर और मास्क का उपयोग तथा सामाजिक दूरी का पालन करना अनिवार्य होगा । रावल, धर्माधिकारी, पुजारियों तथा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर किसी भी धाम के गर्भगृह तथा गर्भगृह से सटे हुए सभामंडप के आगे के भाग में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित होगा । मंदिर प्रवेश से पूर्व श्रद्धालुओं को हाथ—पैर धोना अनिवार्य होगा तथा बाहर से प्रसाद या चढ़ावा मंदिर परिसर में नहीं लाया जा सकेगा ।


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उत्तराखंड में 1 जुलाई से शुरू होगी चारधाम यात्रा, दूसरे राज्य के लोगों को अनुमति नहीं

पुलकित शुक्ला, देहरादून पर जारी ऊहापोह अब खत्म हो गई है। उत्तराखंड के देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड ने 1 जुलाई से ही 'चारधाम यात्रा' शुरू करने का फैसला ले लिया है। सोमवार को हुई बैठक में तय हुआ कि इस यात्रा में सिर्फ उत्तराखंड के ही लोग हिस्सा ले सकेंगे। आपको बता दें कि उत्तराखंड में पड़ने वाले चार धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा 'चारधाम' यात्रा नाम से मशहूर है। बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमण ने चारधाम यात्रा के संदर्भ में सोमवार को एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक, उत्तराखंड के नागरिक 1 जुलाई के चारधाम के मंदिरों में जा सकेंगे। हालांकि, इस दौरान उन्हें कोरोना से जुड़ी सावधानियों और जरूरी पाबंदियों का पालन करना होगा। यह भी कहा गया है प्रतिदिन मंदिर आने वालों की संख्या सीमित रखी जाएगी। सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर चारों धामों से संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों से चर्चा करके ही यात्रा शुरू करने का फैसला लिया है। सोमवार को देवस्थानाम बोर्ड की ओर से यात्रा के लिए गाइडलाइन जारी की गई। हालांकि, धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहितों के संगठन लगातार चार धाम यात्रा शुरू किए जाने का विरोध कर रहे हैं। प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगो की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाने और राज्य सरकार के राजस्व की बुनियाद हिल जाने के बाद सरकार ने सीमित ढंग से चार धाम यात्रा शुरू करने का फैसला लिया है। कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने यात्रा शुरू करने के लिए कई एहतियातन कदम उठाए हैं। देवस्थानम बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने आगे कहा, 'चाररधाम यात्रा को पदेश स्तर पर खोलने का निर्णय लिया गया है। जिलाधिकारियों से सुझाव प्राप्त होने के बाद यात्रा शुरू की जा रही है। ई पास के माध्यम से ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। सभी श्रद्धालुओं को दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी है।' चार धाम यात्रा के लिए ये हैं सरकार के निर्देशचार धाम यात्रा को रवाना हो रहे श्रद्धालुओं को उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण करवाना होगा। पंजीकरण के आधार पर ही ई-पास जारी किए जाएंगे। इन ई-पास से ही श्रद्धालु धामों के दर्शन कर सकेंगे। श्रद्धालु को किसी भी सूरत में एक धाम में एक रात से ज्यादा रुकने की अनुमति नहीं होगी। इस नियम का भी सख्ती से पालन किया जाना जरूरी है। 65 साल से ज्यादा और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को पास जारी नहीं किया जाएगा। साथ ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी। कंटेनमेंट जोन में रहने वाले लोगों और क्वारंटीन किए गए लोगों को भी यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी। यात्रा शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं पुरोहित चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित 1 जुलाई से यात्रा शुरू किए जाने के पक्ष में नहीं हैं। पहले स्थानीय स्तर पर यात्रा शुरू किए जाने और अब प्रदेश स्तर पर 1 जुलाई से यात्रा शुरू करने के फैसले को लेकर तीर्थ पुरोहितों के संगठन विरोध कर रहे हैं। तीर्थ पुरोहित महापंचायत का कहना है कि अभी तक चारों धामों में धरातल पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है। चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने कहा, 'अगर हनुमान चट्टी, जानकी चट्टी क्षेत्र में कोई यात्री कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उसे क्वारंटाइन करने और इलाज करने की वहां क्या व्यवस्था है? अस्पताल में ना तो चिकित्सक हैं और ना ही दवाइयां।' यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव जगमोहन उनियाल ने कहा, 'धामों में रहने-ठहरने, खाने-पीने का भी सही प्रबंध नहीं है और ना ही स्वास्थ्य की सुविधाएं बेहतर हैं। कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त होनी चाहिए। डंडी, कंडी, घोड़ा, खच्चर वाले लोग भी नहीं हैं।' श्री पांच मंदिर समिति गंगोत्री धाम के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा, 'सितंबर तक अगर कोरोना के मामलों में कमी आती है तो सितंबर से यात्रा शुरू करने पर विचार करना चाहिए। मौजूदा हालत को देखते हुए यात्रा शुरू करना ठीक निर्णय नहीं है।' श्री केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा, 'फिलहाल यात्रा शुरू करने से यात्रा मार्ग से जुड़े क्षेत्रों में संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। इन मार्गों पर अभी कोई व्यवस्था नहीं है। फिलहाल यात्रा शुरू नहीं की जानी चाहिए।'


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उत्तराखंड में कोरोना वायरस के आठ नये मामले सामने आये

देहरादून, 29 जून (भाषा) उत्तराखंड में सोमवार को एक और कोरोना वायरस संक्रमित मरीज की मौत हो गयी जबकि इसके आठ नए मामले सामने आने से इसकी कुल संख्या बढ़कर 2831 हो गयी। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा यहां जारी बुलेटिन के अनुसार, देहरादून में सरकारी अस्पताल में भर्ती 65 वर्षीय एक मरीज ने दम तोड़ दिया। इसी बीच, उसकी जांच रिपोर्ट में उसके कोविड-19 से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। इसके साथ ही प्रदेश में महामारी से मरने वालों की संख्या 39 हो गयी है। प्रदेश में सोमवार को सामने आए आठ नए मरीजों में से चार देहरादून से और दो —दो नैनीताल और उधमसिंह नगर जिले से हैं। उत्तराखंड में 2111 मरीज उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं और उपचाराधीन मामलों की संख्या 659 हैं ।


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कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना बोले- भगवान कृष्ण ने दिया है कोरोना

देहरादून उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने एक विवादित बयान दे डाला है। एक टीवी चैनल पर बहस के दौरान सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने ही कोरोना भेजा है। उन्होंने अपनी बात के साथ यह भी कहा कि 'क' से कृष्ण होता है और 'क' से ही कोरोना होता है। दो दिन पुराने उनके इस बयान का वीडियो वायरल होने के बाद धस्माना की जमकर आलोचना हो रही है। दरअसल, कांग्रेस की ओर से सूर्यकांत धस्माना चारधाम यात्रा शुरू करने के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे थे। कोरोना काल में इस प्रकार की धार्मिक गतिविधियों को शुरू करने को लेकर उन्होंने सख्त ऐतराज जाता। उन्होंने कहा कि इससे दूसरे राज्यों के लोग केदारनाथ धाम जाने के लिए उत्तराखंड आएंगे और कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ सकती है। 'श्रीकृष्ण ही दुनिया के निर्माता, उन्होंने ही दिया कोरोना' सूर्यकांत धस्माना यहीं नहीं रुके। उन्होंने श्रीकृष्ण और गीता का संदर्भ देते हुए कहा, 'गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि वे ही दुनिया के निर्माता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं। उन्होंने ही कोरोना दिया है। 'क' से कृष्ण होता है और 'क' से ही कोरोना होता है।' हाल ही में सूर्यकांत धस्माना ने पतंजिल विवाद पर भी बीजेपी सरकार को घेरा था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी बाबा रामदेव को बचा रही है और हम लोगों को निशाना बना रही है। दरअसल, 'कोरोना की दवा' बनाने को लेकर चर्चा में आए बाबा रामदेव की दवा 'कोरोनिल' के प्रचार पर फिलहाल आयुष मंत्रालय ने रोक लगा दी है। कांग्रेस का आरोप है कि गड़बड़ी के बावजूद बीजेपी बाबा रामदेव को बचा रही है। बयान पर सफाई देते हुए बोले धस्माना- कोई कर दे तुलसीदास की बात का खंडन अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए सूर्यकांत धस्माना ने कहा, 'मैंने ये कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि इस सृष्टि का रचयिता, पालनकर्ता और संहारकर्ता मैं हूं। मैंने अपने जीवन में, वचन में, कर्म में और साधना में गीता को उतार रखा है इसलिए उसी का उदाहरण हमेशा देता हूं। इसी तरह कहीं कोरोना का संदर्भ आ गया तो मैने यही कहा कि कोरोना भगवान कि बिना मर्जी के आ गया क्या? इस संसार में तो जो भी होगा, हानि-लाभ, जीवन-मरण सब ईश्वर के हाथ में है। कोई इसका खंडन कर दे। तुलसीदास की कही इस चौपाई का खंडन कर दे कोई। मैं यही कह रहा था, पता नहीं किस तरह से मैनिपुलेट कर दिया।'


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उत्तराखंड में हाथियों की संख्या बढ़कर 2026 हुई

देहरादून, 29 जून (भाषा) उत्तराखंड में हाथियों की संख्या बढ़कर 2026 हो गयी है और वर्ष 2017 के मुकाबले यह 10.17 प्रतिशत बढ़ी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सोमवार को हुई उत्तराखण्ड राज्य वन्य जीव सलाहकार बोर्ड की बैठक में जानकारी दी गयी कि छह जून से आठ जून तक तीन दिन उत्तराखण्ड में हाथियों की गणना की गई जिसमें पाया गया कि राज्य में कुल 2026 हाथी हैं। वर्ष 2012 में 1559 जबकि 2017 में 1839 हाथी थे और इस प्रकार वर्ष 2017 से अब तक हाथियों की संख्या में 10.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बैठक में बताया गया कि इसी तरह इस वर्ष 22 से 24 फरवरी तक जलीय जीवों की गणना की गई जिसमें राज्य में 451 मगरमच्छ, 77 घड़ियाल और 194 ऊदबिलाव मिले। बोर्ड की बैठक में यह भी बताया गया कि वर्ष 2020 से 2022 तक राज्य में स्नो-लैपर्ड (हिम तेंदुओं) की संख्या का आकलन भी किया जाएगा। राज्य के 23 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में स्नो-लैपर्ड हैं। बैठक में बताया गया कि कार्बेट बाघ अभयारण्य व राजाजी बाघ अभयारण्य में बाघों और जंगली हाथियों की धारण क्षमता का अध्ययन भारतीय वन्यजीव संस्थान से कराने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। इसी प्रकार गैंडे के ‘रिइन्ट्रोडक्शन’ (यहां के लिए अन्य जगह से गैंडों को लाये जाने) के लिए स्थल उपयुक्तता रिपोर्ट मिल गई है तथा राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा के ‘रैशनलाइजेशन’ (पुन: सीमांकन) के लिए संबंधित जिलाधिकारियों, प्रभागीय वनाधिकारियों और भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन कर लिया गया है। यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि बैठकों में लिए गए निर्णयों की अनुपालना समयबद्धता के साथ सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनएच 72-ए उत्तराखण्ड के लिए बहुत अधिक महत्व का है और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्वीकृतियों के लिए आवश्यक औपचारिकताओं में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए । रावत ने कहा कि कार्बेट रिजर्व व राजाजी टाईगर रिजर्व में गैंडे के ‘रिइन्ट्रोडक्शन’ का काम समयबद्ध तरीके से होना चाहिए । बैठक में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण विभिन्न मार्गों के निर्माण के लिए प्रस्तावों को अनुमति के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजे जाने पर सहमति दी गई। इसी प्रकार सौंग बांध परियोजना के निर्माण से संबंधित वन भूमि हस्तांतरण और जौलीग्रान्ट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए वन भूमि हस्तांतरण के लिए अनुमति का प्रस्ताव भी राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा जाएगा।


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हरीश रावत ने बैलगाड़ी पर बैठकर पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों का किया विरोध

देहरादून, 29 जून (भाषा) कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने सोमवार को बैलगाड़ी में चढ़कर एक अलग अंदाज में पेट्रोल-ड़ीजल की बढ़ती कीमतों का विरोध किया तथा एक शिव मंदिर में पूजा करके भगवान शंकर से केंद्र सरकार की 'सदबुद्धि' के लिए प्रार्थना की । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रावत यहां रायपुर क्षेत्र में आर्डिनेंस फैक्टरी के गेट के निकट पहुंचकर पहले से तैयार एक बैलगाड़ी में बैठ गये। उनके साथ कुछ पार्टी कार्यकर्ता भी बैलगाड़ी में बैठ गये । इस दौरान रावत सहित सभी कार्यकर्ताओं ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मुंह पर मास्क लगा रखे थे। इस मौके पर कांग्रेस नेता रावत ने कहा कि पूरे विश्व में कच्चे तेल की कीमतें कम हो रही हैं लेकिन केन्द्र सरकार एक दर्जन से अधिक बार पेट्रोल, ड़ीजल व गैस के दामों को बढ़ा चुकी है जो परिवहन व्यवस्था, खेती किसानी व आटों उद्योग के लिये घातक सिद्ध हो रहा है । उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों की बढ़ोत्तरी से आवश्यक वस्तुओं के दाम भी बेताहाशा बढ़ गये हैं जिससे कोरोना वायरस सकंट में पहले से ध्वस्त अर्थव्यवस्था और चौपट हो गयी है और आम आदमी की कमर भी टूट गयी है । बैलगाड़ी में बैठकर क्षेत्र के शिव मंदिर पहुंचे रावत ने कहा कि वह भोले बाबा के चरणों में यह प्रार्थना लेकर आये हैं कि केन्द्र सरकार में बैठे तमाम लोगों को सदबुद्धि आये। उन्होंने कहा कि हमारे देश— प्रदेश के शीघ्र कोरोना वायरस मुक्त होने की भी उन्होंने प्रार्थना की। दूसरी तरफ, उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रीतम सिंह के आह्वान पर प्रदेशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की कीमतों में लगातार हो रही बेतहाशा वृद्धि के विरोध में धरना-प्रदर्शन किए तथा मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए । यहां प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित धरने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पिछले छह वर्षों में 2014 से लेकर जून 2020 तक मोदी सरकार ने देश की जनता की गाढ़ी कमाई के 80 लाख करोड़ रुपये ‘‘लूट’’ लिए हैं और कोरोना वायरस काल में पेट्रोल और डीजल के दामों को बढ़ाकर वैश्विक महामारी के दंश से दुखी जनता की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब मोदी सरकार की इस लूट को बर्दाश्त नहीं करेगी और महंगाई के खिलाफ आंदोलन चलायेगी।


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रविवार, 28 जून 2020

भारत-नेपाल के बीच झूला पुलों की बंदी से नेपाली झेल रहे महंगाई की मार

महेश पांडेय, देहरादून भारत और नेपाल के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित झूला पुल लॉकडाउन के चलते बंद हुए तो अब तक नहीं खुल पाए। इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय सीमा के बैतडी और दार्चुला क्षेत्र के गांवों के लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। राशन और सब्जियां खरीदना आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। भारत और नेपाल के बीच तवाघाट से पंचेश्वर तक 5 झूला और बनबसा में 1 मोटरपुल इसके अलावा 7 घाट भी हैं। दरअसल दार्चुला और बैतड़ी जिलों को राशन और सब्जियों की सप्लाई झूलाघाट, जौलजीबी, दार्चुला और बलुवाकोट नाकों से होती है। जूलाघाट, बाराकोट, धौल्याली, बुढ्ढा, सेरा, नगतड़ी, त्रिपुरा सुंदरी आदि दर्जनों गांव जो बैतड़ी जिले में पड़ते हैं। इन गांवों के ग्रामीण भारत के छोटे बाजार झूलाघाट पर निर्भर थे। नेपाल के लोगों को नेपाली मार्केट की अपेक्षा यहां सस्ता सामान मिल जाता था, लेकिन सीमा पर पुलों के बंद होने से नेपाली ग्रामीण अब महंगे सामान को खरीदने को अभिशप्त हैं। आसमान छू रहीं कीमतें बंदी के कारण नेपाल के दार्चुला और बैतडी के बाजारों में सामान दो सौ किलोमीटर दूर धनगड़ी के मंडी से मंगाना पड़ रहा है जो कि भारत के बाजार के मुकाबले काफी महंगा है। गेहूं, चावल, आलू, नमक, चीनी, तेल की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण नेपाल के पुरचूड़ी, जोशीबुंगा, गोकूलेश्वर सहित दूरस्थ के गांवों में सामान ग्रामीणों की पहुँच से बहुत दूर होने लगा है। बैतड़ी के पुरचूड़ी में चीनी 53 रुपये प्रति किलो भारतीय मुद्रा में, पैकेट वाला नमक और आटा 62 रुपये, जबकि 12 रुपये में मिलने वाली बीड़ी 37 में मिल रही है। चीन से कच्चे माल पर निर्भर उत्तराखंड के उद्योग भी प्रभावित उधर भारत चीन के बीच चल रहे घमासान का असर उत्तराखंड के उद्योग जगत पर पड़ने लगा है, उत्तराखंड में स्थित फार्मा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रोनिक और इलेक्ट्रिकल उद्योग कच्चे माल और स्पेयर पार्ट्स के लिए चीन पर निर्भर है। उद्योग से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कस्टम से आयातित माल को सहज क्लीयरेंस नहीं मिल पा रही है। जबकि वो इसका पूरा भुगतान कर चुके हैं। इस तरह एक तरफ पूंजी बेवजह डंप हो रही है, वहीं उन्हें मजबूरी में घरेलू बाजार से वही माल महंगी दरों पर खरीदना पड़ रहा है। संकट को देखते हुए मैनुफैकचरिंग एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है। पढ़ें: माणा और हर्षिल में जवानों को दी गई श्रृद्धांजलि उत्तरकाशी के चीन से लगे हर्षिल क्षेत्र में भी ग्रामीणों ने दीवारों पर पेंटिंग बनाकर गलवान के शहीदों को श्रृद्धांजलि दी है। हर्षिल क्षेत्र के उपला टकनौर के 8 गांव सुक्की, मुखबा, हर्षिल, बगोरी, धराली, झाला, जसपुर, पुराली के ग्रामीणों ने हर्षिल में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को पुष्प अर्पित किए।


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अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार आने वालों को, 24 घंटे रुकने की मिली छूट

कोरोना वायरस के चलते में आने-जाने वालों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। के लिए हरिद्वार आने वालों के लिए मुसीबत होती थी। उन्हें ठहरने की अनुमति न होने के कारण आनन-फानन में लौटना पड़ता था। हालांकि अब उनके लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। अस्थि विसर्जन के लिए यहां आने वाले लोग 24 घंटे तक यहां प्रवास कर सकेंगे। गंगा सभा के पदाधिकारियों और अस्थि विसर्जन के लिए बाहर से आने वाले लोगों की असुविधा को देखते हुए ऐसी व्यवस्था की गई है। अभी तक हरिद्वार अस्थि विसर्जन को आने वाले लोगों को नारसन बॉर्डर पर रोका जाता था। यहां से उन्हें सिर्फ छह घंटे पास जारी किया जा रहा था। इस छह घंटे की अवधि में लोगों को अस्थि विसर्जन करके लौटना जरूरी था। कई बार अस्थि विसर्जन कर छह घंटे के अंदर लौटना संभव नहीं हो पा रहा था। नहीं किया जाएगा क्वारंटीन हरिद्वार के डीएम सी रविशंकर ने इस बारे में संशोधित आदेश जारी करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपने दिवंगतजनों के अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार आएंगे, जरूरत पड़ने पर वे 24 घंटे का प्रवास किसी भी होटल, धर्मशाला या लॉज में कर सकते हैं। ऐसे लोगों को क्वारंटीन नहीं किया जाएगा। हालांकि ऐसे लोगों को लॉकडाउन के सारे नियमों का पालन करना होगा। नए नियम के आड़ में खेल पड़ेगा मंहगा डीएम ने बताया कि यात्री को ठहराने वाले होटल, अतिथि गृह या धर्मशाला संचालक को उनका पूरा विवरण रखना होगा ताकि जरूरत पड़ने पर उनका पता चल सके। उन्होंने साथ ही ये भी चेतावनी दी कि अगर अस्थि विसर्जन के लिए आने वालों की आड़ में अन्य यात्रियों को ठहराया गया तो ऐसे होटल और धर्मशाला संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।


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उत्तराखंड: मुनस्यारी में बना देश का पहला ‘कवक पार्क’

देहरादून उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के खूबसूरत पहाड़ी इलाके मुनस्यारी में राज्य के वन विभाग के अनुसंधान प्रकोष्ठ ने देश का पहला ‘कवक पार्क’ विकसित किया है। कवक (लाइकेन) एक प्रकार की वनस्‍पति है। यह पेड़ों के तनों, दीवारों, चट्टानों और मिट्टी पर पनपता है। मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान प्रकोष्ठ) संजीव चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में इस पार्क को विकसित किया गया है। चतुर्वेदी ने रविवार बताया कि बर्फ से ढंकी चोटियों से घिरे मुनस्यारी को उद्यान विकसित करने के लिये इसलिये चुना गया क्योंकि इसे कवक के पनपने के लिये अनुकूल माना जाता है। कवक को स्थानीय भाषा में 'झूला' या 'पत्थर के फूल' भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि लगभग दो एकड़ भूमि पर फैले इस पार्क में कवक की 80 से अधिक प्रजातियां हैं। इन्हें मशहूर हैदराबादी बिरयानी में भी डाला जाता है। यह पकवान को स्वादिष्ट बनाता है और इससे सुगंध भी आती है। पार्क का शनिवार को उद्घाटन कर इसे आम लोगों के लिये खोल दिया गया है। दुनिया भर में कवक की 20,000 से ज्यादा प्रजाति पायी जाती है। भारत में कवक की 2714 प्रजाति है। उत्तराखंड में इसकी करीब 600 प्रजाति है, जो कि मुनस्यारी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, रामनगर, और नैनीताल में पाई जाती है।


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हरिद्वार में नकली दवा बनाने की फैक्‍ट्री का भंडाफोड़, 7 अरेस्‍ट

हरिद्वार रुड़की में पुलिस ने नकली दवा बनाने की फैक्‍ट्री का पर्दाफाश किया है। नकली दवा बनाते सात लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है। मौके से करीब 5 लाख नकली टैबलेट बरामद की गई है। नकली दवा फैक्‍ट्री सील कर पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। जानकारी के अनुसार, रुड़की के सलेमपुर राजपुताना में नकली दवा बनाने की सूचना ड्रग इंस्पेक्टर मानवेन्द्र राणा को मिली थी। विभाग की तरफ से छापेमारी की गई तो नकली दवा बनाते लोग पकड़े गए। अमूमन रात के समय चलाई जाने वाली इस फैक्‍ट्री में एसिलोक के नाम से दवाई बनाई जा रही थी। लाइसेंस नहीं दिखा पाए पकड़े गए लोग ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि मौके पर मौजूद लोग दवाइयां बनाने का कोई लाइसेंस नही दिखा पाए। काफी मात्रा में दवाइयां, उपकरण और पैकिंग का सामान बरामद हुआ है। पकड़े गए लोग एसिलोक आरडी नाम की टेबलेट यह लोग बना रहे थे। वहीं, क्षेत्राधिकारी रुड़की चंदन बिष्ट ने बताया कि नकली दवाई बनाने वाली फैक्ट्री में छापेमारी की गई थी, जिसमे 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। 4 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर फैक्ट्री को सील कर दिया गया है।


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उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के 32 नए मामले, एक और मरीज की मौत

देहरादून, 28 जून (भाषा) उत्तराखंड में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 32 नए मामलों के साथ राज्य में संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा बढ़कर 2,823 पहुंच गया। इसके अलावा संक्रमण से एक और मरीज की मौत होने के बाद राज्य में मरने वालों की संख्या 38 हो गई। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बुलेटिन में यह जानकारी दी।बुलेटिन के अनुसार नैनीताल में एक संक्रमित मरीज की मौत हो गई और सबसे ज्यादा 14 नए मामले सामने आए। इसमें बताया गया कि नैनीताल के हल्द्वानी जिले के नीलकंठ अस्पताल में भर्ती कोविड-19 से संक्रमित 65 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। उन्हें पेट संबंधी समस्यायों की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। नए 32 मामलों में नैनीताल में 14, देहरादून में 10, टिहरी में चार, चमोली में दो, चंपावत, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग में एक-एक मामला सामने आया है।राज्य में कुल 2,823 मरीजों में 2,018 इस रोग से उबर चुके हैं, जबकि 38 की मौत हो चुकी है।


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उत्तराखंड में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 38 पहुंची

देहरादून, 28 जून (भाषा) उत्तराखंड में रविवार को एक और कोरोना वायरस मरीज की मौत हो गयी जबकि 32 और लोगो में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि होने से राज्य में महामारी से पीडितों की संख्या 2823 पर पहुंच गयी । स्वास्थ्य विभाग द्वारा यहां जारी बुलेटिन के अनुसार, नैनीताल जिले के हल्द्वानी में एक अस्पताल में 65 वर्षीय पुरूष मरीज ने दम तोड दिया । इसके साथ ही राज्य में महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या 38 हो गयी है । राज्य में रविवार को सामने आए कोविड-19 के 32 नए मरीजों में से सर्वाधिक 14 नैनीताल जिले से और 10 देहरादून जिले से हैं। उत्तराखंड में 2018 मरीज उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं और उपचाराधीन मामलों की संख्या 649 हैं ।


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भारत—चीन सीमा के पास टूटा बेली ब्रिज पांच दिन में फिर खडा हुआ

देहरादून, 28 जून (भाषा) उत्तराखंड में पिथौरागढ जिले के मुनस्यारी में भारत-चीन सीमा के पास ओवरलोड ट्रक के गुजरने से भरभराकर ढह गए बेली ब्रिज को सीमा सडक संगठन :बीआरओ: ने केवल पांच दिन में दोबारा बना दिया । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए इसके निर्माण कार्य में दिन रात जुटे रहे बीआरओ के तमाम अधिकारियों और इंजीनियरों को बहुत बधाई दी है । रावत ने कहा कि बीआरओ ने मुनस्यारी में केवल पांच दिन में ही अति सामरिक महत्व के बेली ब्रिज को दोबारा बनाकर उच्चस्तरीय तकनीकी क्षमता का परिचय दिया है। उन्होंने बताया कि नए पुल की भार वहन करने की क्षमता दोगुनी है। मुख्यमंत्री ने टिवटर पर इस पुल से गुजरती एक भारी भरकम मशीन का वीडियो भी साझा किया है । बाइस जून को भारत—चीन सीमा से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित बेली ब्रिज एक भारी ट्रक के गुजरने के दौरान टूट गया था । चालीस फीट लंबे और 2009 में निर्मित उस बेली ब्रिज की भार सहने की क्षमता 18 टन थी जबकि उसपर से गुजरने वाले ट्रक और उस पर लदी जेसीबी मशीन का कुल भार 26 टन था । पुल के टूटने से जौहार घाटी के करीब 15 सीमांत गांवों का संपर्क कट गया था ।


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तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिए देश प्रधानमंत्री मोदी के साथ:त्रिवेन्द्र सिंह रावत

देहरादून, 28 जून (भाषा) वर्ष 2020 को चुनौतियों का वर्ष बताते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को कहा कि तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरा देश अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है । यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम को सुनने के बाद बाद रावत ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी महामारी से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सफलतापूर्वक लङाई लङी जा रही है और उनके द्वारा सही समय पर लिए गए सही निर्णयों से ही भारत में इस महामारी को नियंत्रित रखा जा सका है । उन्होंने कहा कि साल 2020 चुनौतियों का वर्ष है और हम इन चुनौतियों पर जीत हासिल करेंगे। हाल में लददाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झडप के परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी हमारे देश की ओर आंख उठाकर नहीं देख सकता, यह हमारे वीर जवानों ने अपनी वीरता से साबित किया है। उन्होंने कहा कि देश रक्षा के लिए उनके बलिदान को पूरा देश नमन करता है और आज अपने जवानों का मनोबल बढ़ाने और उनका साथ देने का समय है । मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का हर नागरिक राष्ट्र के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि अपनी सृजनशीलता से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा तथा इसके लिए लोकल के लिए वोकल हमारा ध्येय होना चाहिए और हर संकट का सामना करते हुए देश आगे बढ़ता रहेगा। एक अन्य कार्यक्रम में, मुख्यमंत्री रावत ने स्वदेशी जागरण मंच द्वारा स्वदेशी स्वावलंबन अभियान के तहत चलाए जा रहे डिजिटल अभियान के तहत जुड़कर डिजिटल हस्ताक्षर किए। इस अभियान का उद्देश्य विदेशी चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के प्रयासों को सफल बनाने के लिए हमें स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना होगा और इसके लिए लोगों को स्वावलंबी होना जरूरी है।


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पार्क में नाग-नागिन की अठखेलियां, कैमरे में कैद हुआ डांस का वीडियो

करन खुराना, हरिद्वार उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रुड़की में सोलानी पार्क स्तिथ एक अजीबोगरीब घटना देखने को मिली है, जिसमें नाग और नागिन प्रेम की अठखेलियां करते हुए दिखाई दिए। गंगा घाटों पर घूमने गए लोगों की नजर जब इन नाग और नागिन की अठखेलियों पर पड़ी तो सब बस देखते ही रह गए। कुछ लोगों ने नाग और नागिन की इन अठखेलियां को अपने-अपने मोबाइल में कैद कर लिया। जानकारी के मुताबिक, रुड़की के सोलानी पार्क में कल शाम जब कुछ लोग पार्क में घूमने गए, तभी कुछ लोगों की नजर झाड़ियों की तरफ गई तो वहां नाग और नागिन एक दूसरे से लिपटे हुए डांस करते हुए दिखाई दिए। काफी देर तक नाग नागिन का डांस लोगों के मनोरंजन का साधन बना रहा लोगों ने तभी अपने मोबाइल में इन लम्हों को कैद किया और उसके बाद वायरल कर दिया। वायरल हुआ वीडियो आपको बता दें कि नाग-नागिन के डांस की बहुत कम घटनाएं पूरे देश में देखने को मिली हैं। रुड़की में यह नजारा हकीकत में नजर आया। मौके पर मौजूद एक व्यक्ति ने बताया कि हम सब घूम रहे थे,तभी झाड़ियों की तरफ से अलग सी आवाज आई, पहले तो नजरअंदाज किया, लेकिन जब आवाज बढ़ गई, तब जाकर देखा तो हमेशा फ़िल्म में देखने वाला दृश्य पहली बार जीवन मे आंखों से देखा,एक बारी को तो विश्वास नहीं हुआ।


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नियमों को ताक पर रखकर बन रहीं इमारतें, कोर्ट के आदेशों का भी कोई असर नहीं

पुलकित शुक्ला, हरिद्वार उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में अवैध निर्माण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण द्वारा सील लगाए जाने के बाद भी अवैध निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। प्राधिकरण के अधिकारियों की अनदेखी ही इन अवैध निर्माणकर्ताओं के दुस्साहस का कारण बनी हुई है। हालांकि प्राधिकरण के बड़े अधिकारी ऐसे निर्माणों पर सख्त कार्रवाई की बात भी कह रहे हैं। जिले में अवैध और अनियोजित भवन निर्माण कार्यों पर रोक लगाने और विकास कार्यों को नियोजित ढंग से कराने के लिए हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। पूरा हरिद्वार जनपद प्राधिकरण के कार्य क्षेत्र में आने के बावजूद जिले में अवैध भवन निर्माण के काम धड़ल्ले से जारी हैं। कुछ बड़ी इमारतें तो ऐसी हैं, जिन्हें अवैध और अनियमित पाते हुए प्राधिकरण और हाई कोर्ट के आदेश पर सील लगा दी गई है। बावजूद इसके बेखौफ बिल्डर और पूंजीपति विभाग के साथ-साथ हाईकोर्ट के आदेशों को ताक पर रखकर कभी खुलेआम तो कभी सील लगी बहुमंजिला इमारतों में अंदर चोरी-छिपे अपने निर्माण का आकार देने में जुटे हैं। उदाहरण के तौर पर निर्मल छावनी क्षेत्र में बने निर्मल कुंज नाम के आवासीय फ्लैटों के निकट लगभग 2 साल पहले हाईकोर्ट के आदेशों के तहत प्रशसनिक टीम ने सील लगा दी थी। मौजूदा हालत ये है कि रोक के बावजूद बिल्डिंग में दर्जनों मजदूर काम कर रहे हैं। निर्माण के काम में लगी मशीनों की गड़गड़ाहट साफ सुनी जा सकती है। वहीं दूसरी ओर जगजीतपुर की राजागार्डेन कालोनी में प्राधिकरण की टीम द्वारा हाल ही में सील किए गए कई दुकानों का व्यवसायिक निर्माण भी जोर शोर से जारी है। भवन पर लगाई गई सील का भी कुछ अता-पता नहीं है। रोक लगाने के बावजूद भी दिन रात बड़े-बड़े भवनों के निर्माण में जुटे इन बिल्डरों को आखिर किस का संरक्षण प्राप्त है यह एक बड़ा प्रश्न है? इसे प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही कहें या मिलीभगत कि महीनों या सालों पहले सील किए गए बड़े-बड़े भवनों को सील लगाकर अधिकारी भूल जाते हैं और दोबारा कभी मौके पर जाकर जांच-पड़ताल नहीं करते। बड़े अधिकारी कर रहे हैं कड़ी कार्रवाई की बात हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष दीपक रावत ने खुद स्वीकार किया कि उनके संज्ञान में हरिद्वार और रुड़की क्षेत्र में कुछ सील तोड़कर निर्माण करने के मामले आए हैं। ऐसे भवन स्वामियों पर कार्रवाई करने के लिए एई और जेई को निर्देश दिए गए हैं। इन भवन स्वामियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी और उसके बाद भी अगर सील का उल्लंघन किया जाता है तो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।


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उत्तराखंड में बाजार खोलने के समय में बदलाव, अब 8 बजे तक खुलेंगी दुकानें

देहरादून कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के बाद अनलॉक की स्थिति में उत्तराखंड में बाजार का समय बढ़ा दिया गया है। पहले दुकानें 7 बजे से एक बजे तक के लिए खुलती थीं। फिर इसे बढ़ाकर 4 बजे कर दिया गया। रविवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के आदेश के अनुसार अब बाजार का समय सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे तक कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने रविवार को एक बैठक ली, जिसमें उन्होंने आदेश दिया कि सभी जिलों के जिलाधिकारी अपने जिलों में बाजार खोलने और बन्द करने के समय में बदलाव करते हुए खुलने का समय सुबह 7 और बाजार बंद करने का समय रात 8 बजे कर दें। इसके अलावा सीएम ने देहरादून में अगले सप्ताह से शनिवार और रविवार को भी मार्केट खोलने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को सुबह 05 बजे से मॉर्निंग वॉक की भी अनुमति दी जाए। रिकवरी रेट में तेजी से सुधार रावत ने कहा कि कोविड-19 के प्रभावी नियंत्रण के लिए सर्विलांस सिस्टम को और अधिक मजबूत किया जाए और नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने बताया कि राज्य में कोरोना पॉजिटिव की रिकवरी रेट में तेजी से सुधार हुआ है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग को सतर्कता एवं सुरक्षतात्मक दृष्टि से कार्य करने को कहा। बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में अब 1700 से अधिक टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं। सोमवार से मुक्तेश्वर में भी कोरोना की टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। यहां पर प्रतिदिन 100 टेस्ट होंगे। बैठक में सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, सचिव शैलेश बगोली, सौजन्या, एसए मुरूगेशन, पंकज पाण्डेय, डीजी स्वास्थ्य अमिता उप्रेती उपस्थित थे।


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शनिवार, 27 जून 2020

सीमा पर तेजी से सड़क निर्माण और सशस्त्र सुरक्षा पोस्ट बनाने में जुटा नेपाल, भारत भी हुआ मुस्तैद

महेश पांडेय, देहरादून भारत की तरफ से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क निर्माण करने के बाद से नेपाल के सुर क्या बदले, वह भारत के सीमा क्षेत्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने लगा है। एक पखवाड़े के भीतर जिस तेजी के साथ सड़क निर्माण हो रहा है, उससे प्रतीत होता है कि नेपाल भारत सीमा पर तेजी से पैदल मार्गों और सड़क निर्माण करना चाह रहा है। चीन के बाद नेपाल भी भारतीय सीमा तक सड़कों का जाल बिछाने में जुट गया है। नेपाल के दार्चुला जिले के छांगरू-तिंकर के साथ ही सीमा से सटे अन्य गांवों के लिए भी तेजी से सड़कें बनाई जा रही हैं। भारत की सीमा से लगे नेपाली क्षेत्र दार्चुला के अलावा बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण जारी है। ये अधिसंख्य सड़कें भारत की सीमा बनाने वाली के किनारे बसे गांवों के लिए बन रही हैं। तीनों जिलों में केवल चंपावत जिले के बनबसा में ही मोटर पुल है, जबकि पिथौरागढ़ जिले में झूलाघाट से लेकर कालापानी में स्थित सीतापुल तक झूला पुलों से ही आवागमन होता है। पढ़ें: पिथौरागढ़, चंपावत और उधमसिंहनगर जिलों की सीमाओं से लगी भारत-नेपाल सीमा की लंबाई पिथौरागढ़ जिले में सबसे अधिक लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है। उत्तराखंड से नेपाल की 275 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिलों की 350 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से लगी है, जबकि इन जिलों की सीमाओं तक चीन पहले ही हाईटेक सड़कें बना चुका है। बदलते माहौल को भांपकर भारत भी अलर्ट बताया जा रहा है कि नेपाल की योजना सीमा से लगे अधिक से अधिक गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने की है। भारतीय क्षेत्र से लगे दार्चुला के छांगरू, तिंकर के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ जाने के बाद भारतीय सीमा पर नेपाली सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हो जाएगी। भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव समेत नेपाल में बन रहे भारत विरोधी माहौल के चलते धारचूला से कालापानी तक सशस्त्र सीमा बल भी अपने जवानों की तैनाती बढ़ा रहा है। धारचूला से आगे नेपाल सीमा पर कालापानी तक भारत में एसएसबी की एलागाड़, पांगला, मालपा, लामारी, बूंदी, गर्ब्यांग और कालापानी में कंपनी तैनात है। ITBP और सेना को अलर्ट पर रखा गया सामान्यतया इन कंपनियों में 130 से 140 तक जवान रहते हैं लेकिन इन दिनों हालात को देख इन कंपनियों में जवानों की संख्या को कहीं दोगुना, तो कहीं ढाई गुना तक कर दिया गया है। नेपाल के दार्चुला क्षेत्र के छांगरु में चीन सीमा पर आइटीबीपी की गुंजी, कालापानी, ऊं पर्वत, लिपुलेख में स्थित पोस्टों सहित कुटी, ज्योलिंगकोंग में भी जवानों की संख्या बढ़ाई गई है। जोहार से लगी सीमा पर भी आइटीबीपी और सेना के जवानों की संख्या बढ़ा कर दोनों बलों को अलर्ट पर रखा गया है। सशस्त्र बल की बॉर्डर आउट पोस्ट शुरू करने के बाद अब नेपाल भारतीय क्षेत्र गुंजी के उस पार नेपाली क्षेत्र में सशस्त्र बल की आउटपोस्ट बनाने की तैयारी कर रहा है। नेपाल के छांगरु, तिंकर गांव और बीओपी चौकी तक पहुंचने के लिए उसे भारत के रास्ते नहीं जाना पड़े , इसलिए उसने नेपाल ने घाटीबगड़ के निकट दो सौ मीटर लंबा पैदल मार्ग पखवाड़े भर में तैयार कर दिया है। नेपाल में घाटीबगड़ क्षेत्र का पैदल मार्ग कई साल पूर्व ध्वस्त हो गया था। नेपाल के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के दो गांवों छांगरु और तिंकर के ग्रामीण भारत के रास्ते माइग्रेशन करते रहे। भारत के रास्ते गर्ब्यांग गांव जाने के बाद काली नदी पर सर्वाधिक ऊंचाई वाले पैदल पुल से ये नेपाली माइग्रेंट नेपाल में प्रवेश करते थे। लेकिन अब जब से नेपाल ने भारत से विमुख होने की ठानी है, तब से नेपाल के लोगों की भारतीय सीमा से होकर जाने पर रोक लगा दी है। घाटीबगड़ में नेपाल ने अपनी सेना की टुकड़ी बैठा दी है तो छांगरु में नेपाल सशस्त्र बल की बीओपी खोल दी है। मार्ग के बनते ही नेपाल के दो गांवों के ग्रामीणों को अब माइग्रेशन के लिए भारत के रास्ते नहीं जाना होगा, नेपाल सशस्त्र बल के जवान भी इसी मार्ग पर गश्त कर सकेंगे। डेढ़ महीने में मालपा और बूंदी में ग्रिफ ने बनाए दो बेली ब्रिज पिथौरागढ़ जिले को चीन सीमा से जोड़ने वाली सड़क धारचूला-लिपुलेख ग्रिफ ने का निर्माण पूरा कर पुल से वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी है। रणनीतिक रूप से अहम इस सड़क पर ग्रिफ बहुत तेजी से कार्य कर रही है। इस पुल के बनने बाद सीमा पर जाने वाले सेना के जवानों और व्यास घाटी के सात गांवों के लोगों को तो लाभ मिलेगा ही, इससे सीमा पर तैनात सेना और आईटीबीपी को भी लाभ होगा। तवाघाट-लिपुलेख मार्ग पर बीआरओ हीरक परियोजना के तहत सड़क निर्माण में लगी है। आठ मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सड़क का ऑनलाइन उद्घाटन करने के बाद 67 आरसीसी ग्रिफ ने सीमा विवाद और आगामी मानसून को देखते हुए युद्ध स्तर पर दिन रात सड़क निर्माण करके डेढ़ महीने के अंदर बुदि और मालपा में दो बेली ब्रिज तैयार कर दिए हैं। अब ग्रिफ गुंजी, नाबी, कुटी लिम्पियाधुरा और चीन सीमा में गुंजी, कुटी ज्योलिंगकांग सड़क का कार्य भी युद्ध स्तर से कर रही है। इस सड़क के बनने से आदि कैलाश यात्रियों को भी फायदा मिलेगा। यहां पर 34 किलोमीटर सड़क का 67आरसीसी ग्रिफ तेजी निर्माण कर रही है। इस सड़क के तीन माह में तैयार होने की संभावना है।


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उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के 66 नए मामले, कुल मामले बढ़ कर 2,791 हुए

देहरादून, 27 जून (भाषा) उत्तराखंड में शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 66 नए मामलों के साथ राज्य में संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा बढ़कर 2,791 पहुंच गया। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। विभाग ने कहा कि नैनीताल में सबसे ज्यादा 29 मामले सामने आए। इसके बाद अल्मोड़ा में 11, देहरादून में आठ, बागेश्वर में सात, रुद्रप्रयाग में तीन, टिहरी और चमोली में दो-दो, पौड़ी, चंपावत, उत्तरकाशी और उधमसिंह नगर में एक-एक मामला सामने आया है। उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर संक्रमित व्यक्तियों ने दिल्ली-एनसीआर और मुंबई की यात्रा की थी। राज्य में कुल 2,791 मरीजों में 1,912 इस रोग से उबर चुके हैं, जबकि 37 की मौत हो चुकी है।


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उत्तराखंड में चीन-भारत सीमा के निकट यातायात के लिए वैकल्पिक पुल को खोला गया: बीआरओ अधिकारी

पिथौरागढ़, 27 जून (भाषा) उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन-भारत सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर एक पुल के ढहने के कुछ दिन बाद सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने शनिवार को यातायात के लिए एक वैकल्पिक पुल को खोल दिया। बीआरओ के एक अधिकारी ने बताया कि जिले के ऊंचाई वाले गांवों तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण इस वैकल्पिक पुल को पांच दिन में बनाया गया है। अधिकारी पी के राय ने कहा, ‘‘इस पुल के निर्माण से 15 गांव मुनस्यारी में उप-प्रखंड मुख्यालय के साथ फिर से जुड़ गये है और सुरक्षाकर्मियों के लिए इस मार्ग से गुजरना अब सुगम हो गया है।’’ मुनस्यारी-मिलम रोड पर यह पुल सोमवार को उस समय ध्वस्त हो गया था जब एक ट्रक एक जेसीबी मशीन को लेकर इस पुल से गुजर रहा था।


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मोदी के नेतृत्व के बगैर राम मंदिर विवाद निपटारा और सीएए संभव नहीं था: अनुराग ठाकुर

देहरादून, 27 जून (भाषा) केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को कहा कि राम मंदिर मामले का निपटारा और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व के बगैर संभव नहीं था। ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने उत्तराखंड भाजपा युवा मोर्चे की एक डिजिटल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने मोदी के नेतृत्व में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी तरीके से लड़ाई लड़ी है। युवा मोर्चा भाजपा की युवा इकाई है। डिजिटल रैली के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा युवा मोर्च को पार्टी का ‘ऊर्जा घर’ बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा युवा मोर्च के कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के साथ मिलकर कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने का प्रशंसनीय काम किया और उन्होंने इस बीमारी के बारे में जागरूकता भी फैलाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट (आगे के लिए किए जाने वाले कामों के वादे) में से 85 फीसदी वादों को पूरा कर दिया। रावत ने कहा, ‘‘ गैरसैंण को लोगों की उम्मीदों के अनुसार ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई गई और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू हुई।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड के विभिन्न कोविड केंद्रों में 19,000 बिस्तरों के साथ इस महामारी से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है।


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22 जून को टूटा था चीन बॉर्डर तक जाने वाला बैली ब्रिज, सेना ने 6 दिन में तैयार कर दिया

पिथौरागढ़उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित मुनस्यारी में 6 दिन पहले टूटा (bailey bridge) दोबारा बनकर तैयार हो गया है। मुन्स्यारी से मिलम जाने वाले रूट पर धापा के पास सेनर नाले पर बना बैली ब्रिज () उस वक्त टूट गया था जब सड़क कटिंग के लिए बड़े ट्रक पर पोकलैंड मशीन ले जाई जा रही थी। हादसे में दो लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कड़ी मेहनत से सिर्फ 6 दिन में ही नया ब्रिज तैयार कर लिया है। इसे बनाने में बीआरओ को कई विषम भौगोलिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, मगर बीआरओ ने रात-दिन काम किया और महज 6 दिन के रेकॉर्ड टाइम में ब्रिज बनाकर तैयार कर दिया। 70 मजदूरों ने 6 दिन में तैयार किया 120 फीट लंबा ब्रिज बैली ब्रिज तैयार होने से सेना और आईटीबीपी के जवानों को चीन सीमा तक पहुंचने में काफी राहत मिलेगी। सैन्य जरूरत का सामान भी आसानी से मिलम तक जा सकेगा। बीआरओ ने 120 फीट लम्बे बैली ब्रिज को बनाने के लिए 70 मजदूरों के साथ एक पोकलैंड मशीन का इस्तेमाल किया। ब्रिज के जरिए चीन सीमा तक रोड के लिए पहुंचाया जा रहा था सामानमुनस्यारी के धापा में बना यह ब्रिज सामरिक रूप से बेहद अहम है और सीमावर्ती गांव मिलम को बाकी उत्तराखंड से जोड़ता था। मिलम से चीन सीमा तक इन दिनों 65 किमी लंबी रोड बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए पहाड़ों को काटने और मलबा हटाने के काम में आने वाली भारी भरकम मशीनों और कन्स्ट्रक्शन के सामान को मिलम पहुंचाया जा रहा है। ब्रिज टूटने से चीन को जोड़ने वाली सड़क काटने का काम कुछ प्रभावित हुआ, मगर बीआरओ ने 6 दिन के अंदर इस ब्रिज को तैयार कर बड़ी राहत दी है।


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उत्तराखंड कांग्रेस ने अपने नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की

देहरादून, 27 जून (भाषा) उत्तराखंड कांग्रेस ने शनिवार को पार्टी नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को तत्काल वापस लेने की मांग की है। पार्टी ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार लोगों का मुद्दा उठा रहे विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। उल्लेखनीय है कि 25 जून को पेट्रोल और डीजल के दाम में की गई वृद्धि के खिलाफ गांधी पार्क इलाके में सामाजिक दूरी के नियम का कथित रूप से उल्लंघन कर धरना प्रदर्शन करने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह सहित 150 से अधिक कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्राथिमिकी दर्ज की गई है। कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि यह विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश है जो केवल विरोध प्रदर्शन करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहा था। प्रदेश कांग्रेस समिति के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्मना ने कहा कि सरकार की डराने-धमकाने की रणनीति काम नहीं करेगी क्योंकि पार्टी आम लोगों के लिए लड़ रही है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ हम इस दबाव की रणनीति के आगे नहीं झुकेंगे क्योंकि हम आम आदमी के लिए लड़ रहे हैं।’’ हालांकि, कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा, ‘‘ कोई भी विपक्ष की आवाज नहीं दबा रहा। सामाजिक दूरी की अनुपालन नहीं करने पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है क्योंकि कोरोना वायरस से सभी की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है।’’


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हरिद्वार: वाहन चेकिंग के दौरान कांग्रेसी नेता ने की पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई, मुकदमा दर्ज

पुलकित शुक्ला, हरिद्वार उत्तराखंड के हरिद्वार के रोशनाबाद क्षेत्र में चेकिंग के दौरान दो भाइयों ने पुलिस चौकी इंचार्ज के साथ हाथापाई कर दी। हाथापाई करने वाला एक युवक खुद को कांग्रेस का नेता बता रहा था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को जेल भेज दिया है। यह घटना शुक्रवार देर रात उस वक्त हुई, जब सिडकुल थाना क्षेत्र के अंतर्गत पढ़ने वाली कोर्ट चौकी इंचार्ज दिलबर सिंह रोशनाबाद में कर रहे थे। चेकिंग के दौरान एक युवक बाइक पर आया उसने ना तो हेलमेट लगाया हुआ था और ना ही मास्क पहन रखा था। वाहन के कागजात मांगे पर वह कागजात भी नहीं दिखा सका। पुलिस ने जब उसका चालान करना चाहा तो वह आग बबूला हो गया और पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता करने लगा। इस बीच युवक ने अपने भाई को भी फोन करके मौके पर बुला लिया युवक का भाई मौके पर पहुंचा और उसने खुद को कांग्रेस में नेता होने का रौब झाड़ना शुरू कर दिया। इसी दौरान युवकों ने चौकी इंचार्ज के हाथ से ई-चालान मशीन भी छीनने की कोशिश की, जिससे मशीन जमीन पर गिर कर टूट गई। चौकी इंचार्ज को हाथ में कुछ मामूली चोट आईं। पुलिस टीम के साथ हुई अभद्रता पर सूचना पाकर अन्य पुलिसकर्मी भी मौके पर पहुंचे और दोनों आरोपियों को थाने ले आए। सीओ सदर विजेंद्र दत्त डोभाल ने बताया कि आरोपियों अमन और गुरनीत के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता करने संबंधी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया है। कांग्रेस में सक्रिय है आरोपी अमन पुलिसकर्मियों से अभद्रता करने का एक आरोपी अमन कुमार कांग्रेस पार्टी में सक्रिय है। फेसबुक पर युवक कांग्रेस के कई कार्यक्रमों और बड़े नेताओं के साथ देखा जा सकता है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आरोपी झगड़ालू स्वभाव के हैं और आए दिन लड़ाई झगड़े करते रहते हैं। बीजेपी नेताओं ने साधा निशाना खुद को कांग्रेस का नेता बताने वाले युवक ने पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता की तो भाजपाइयों को भी आरोप लगाने का मौका मिल गया। भाजपा के जिला महामंत्री विकास तिवारी ने कहा कि कांग्रेसी कार्यकर्ता गुंडागर्दी पर उतारू हैं। दिन रात कोरोना की ड्यूटी कर रहे कोरोना वॉरियर्स पर हमला करना निंदनीय है। ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।


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1 जुलाई से प्रदेश स्तर पर शुरू हो सकती है चार धाम यात्रा, देवस्थानम बोर्ड ने शुरू की कवायद

पुलकित शुक्ला, देहरादून लॉकडाउन के कारण थमी हुई चार धाम यात्रा 1 जुलाई से शुरू हो सकती है। ने चार धाम वाले सभी जिलों से यात्रा शुरू करने को लेकर रिपोर्ट मांगी है। उम्मीद जताई जा रही है कि एक-दो दिन में रिपोर्ट मिल जाएगी और उसके बाद होने वाली बोर्ड बैठक में यात्रा का स्वरूप तय किया जा सकता है। हालांकि प्रथम चरण में यात्रा प्रदेश स्तर पर ही शुरू होगी। चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाई ने शुक्रवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। इस दौरान चार धाम यात्रा शुरू करने को लेकर चर्चा हुई। ममगाई ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस बात पर सहमति दी है, हालांकि पहले सभी चार धामों से संबंधित पक्षों से भी बातचीत की जाएगी। 1 जुलाई से बद्री धाम की यात्रा पूरे प्रदेश में खोलने पर धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने भी सहमति दे दी है। 30 जून तक अनलॉक - 1 जारी रहेगा। उसके बाद ही 1 जुलाई से यात्रा शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। यात्रा का स्वरूप क्या होगा यह बोर्ड की बैठक में तय होगा। संबंधित जिलों से मांगी रिपोर्ट देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि चारों धामों से संबंधित जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद बोर्ड बैठक होगी और बैठक में ही तय होगा कि यात्रा कब और किस स्वरूप में शुरू की जाए।


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शुक्रवार, 26 जून 2020

वन विभाग का सपेरों की बस्ती में छापा, प्रतिबंधित सांप बरामद, आरोपी फरार

हरिद्वार उत्तराखंड में और वन मुख्यालय ने गुरुवार को संयुक्त ऑपेरशन के तहत पथरी थाना क्षेत्र के घीसूपुरा क्षेत्र में स्थित सपेरा बस्ती से तीन प्रतिबंधित प्रजाति के तीन सांप और वन्यजीव का मांस बरामद किया है। निरीक्षण की भनक लगते ही मुख्य आरोपी फरार हो गया। वन मुख्यालय को सूचना मिली थी कि हरिद्वार जनपद के पथरी थाना क्षेत्र में सपेरा बस्ती में कुछ प्रतिबंधित और दुर्लभ सांपो की खरीद फरोख्त होने वाली है। जिसके बाद मामले को गंभीर देखते हुए देहरादून से एक टीम हरिद्वार वन विभाग के साथ मौके पर पहुंची और एक सपेरे के घर पर निरीक्षण किया। वहां से टीम को रेड ऐंड बोआ नामक तीन सांप पोटली में बंद मिले। हैरानी का विषय यह था कि झोपड़ीनुमा घर मे तीन सांपो के साथ तीन छोटे बच्चे रह रहे थे। मुख्य आरोपी मौके से फरार मिला। आरोपी का चालान हरिद्वार वन विभाग रेंजर दिनेश नौडियाल ने बताया कि प्रतिबंधित सांप मौके से बरामद हुए। कुछ मांस भी मिला है। जिसको जांच के लिए भेजा जा रहा है। फिलहाल आरोपी का चालान कर दिया गया है। गिरफ्तारी का प्रयास जारी है। ये सांप मिट्टी में रहते हैं। कुछ खास काम के नाम पर इनकी खरीद-फरोख्त की जाती है।


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उत्तराखंड में 50 फीसदी सस्ता हुआ कोरोना टेस्ट, अब इतने में होगी जांच

पुलकित शुक्ला, देहरादून ने कोरोना की रोकथाम के मद्देनजर जांचों का दायरा बढ़ाने के लिए निजी प्रयोगशालाओं में Covid-19 की जांच के लिए अधिकतम दरें निर्धारित कर दी हैं। अब निजी प्रयोगशालाएं सरकारी और निजी अस्पतालों की ओर से भेजे गए कोरोना सैम्पलों पर 2000 रुपए और स्वयं लिए गए सैम्पल की जांच के लिए 2400 से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकेंगी। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने इसके आदेश जारी किए। अभी तक राज्य में सरकारी और निजी लैब में के लिए 4500 रुपये प्रति सैम्पल की दर निर्धारित थी। सरकारी अस्पतालों में ये जांच निशुल्क थी, जबकि निजी लैब में मरीज को ही जांच का खर्च उठाना पड़ता है। केंद्र सरकार ने हाल ही में राज्यों को अपनी स्थिति के अनुसार जांच की दरें कम करने को कहा था। दिल्ली और यूपी ने इस कड़ी में जांचे नए सिरे से तय कर दी थी। अब इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने भी निजी लैब्स में कोरोना जांच की दरें निर्धारित की हैं। शुक्रवार को सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने इसका आदेश भी जारी कर दिया है। आदेश के तहत निजी प्रयोगशालाओं में कोरोना संक्रमण की पहली जांच के लिए अधिकतम 2400 रुपए और सरकारी या निजी अस्पताल द्वारा प्रयोगशालाओं को भेजें गए सैंपल जांच की दर जीएसटी समेत 2000 रुपये होगी। जांच के खर्च में कमी आने से जांच का दायरा बढ़ेगा और अधिक से अधिक लोग खुद भी निजी लैब में जांच कराने पहुंचेंगे।


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धारचूला: सीमा के पास सड़क तैयार करने में जुटी नेपाली सेना, चीन तक पहुंच होगी आसान, हेलिपैड भी तैयार

पिथौरागढ़ भारत के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच नेपाल ने बॉर्डर पर सड़क तैयार करना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले से सटे बॉर्डर के पास धारचूला-तिनकर रोड के निर्माण का काम तेज कर दिया है। नेपाल ने इस काम के लिए अपनी सेना को तैनात किया है। इसके साथ ही सीमा के पास एक हेलिपैड भी तैयार कर लिया है। इस सड़क के निर्माण से चीन की सीमा तक नेपाल की पहुंच आसान हो जाएगी। नेपाल ने 'महाकाली कॉरिडोर' के नाम से धारचूला-तिनकर रोड का निर्माण कार्य तेज कर दिया है। सूत्रों के अनुसार नेपाल सरकार की तरफ से यह कदम 'भारतीय सड़कों पर नेपाली नागरिकों की निर्भरता को कम करने के लिए' उठाया गया है। कई सारे नेपाली नागरिकों को अपने गांवों तक पहुंचने के लिए भारत की सीमा में सड़कों का इस्तेमाल करना पड़ता है। पढ़ें: चीन बॉर्डर तक आसान होगी पहुंच इस सड़क के निर्माण से नेपाली सशस्त्र पुलिस के लिए पेट्रोलिंग करना भी आसान हो जाएगा। नेपाल ने बॉर्डर के इलाकों में कई सारे आउटपोस्ट बनाए हैं। इसके साथ ही बड़ा फायदा चीन की सीमा तक पहुंचने में हो जाएगा। इस रोड के लास्ट पॉइंट तिनकर के बाद चीन की सीमा लगती है। सूत्रों के अनुसार कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को ले जाने में नेपाल के टूर ऑपरेटर्स को भी फायदा मिलेगा। तेजी से सड़क निर्माण में जुटी नेपाली सेना सूत्रों के अनुसार नेपाल सरकार ने कुछ महीने पहले 134 किलोमीटर लंबी इस सड़क को पूरा करने के लिए सेना को तैनात किया था। पिछले एक दशक में इस सड़क का केवल 43 किलोमीटर हिस्सा ही पूरा हो सका है। पिथौरागढ़ के धारचूला में सरकारी अधिकारियों ने हमारे सहयोगी अखबार टीओआई से बातचीत में बताया कि नेपाल की सेना प्राथमिकता के आधार पर इस सड़क को तैयार कर रही है। घाटियाबागर में हेलिपैड भी तैयार धारचूला के एसडीएम ने बताया, 'हमें इस बात की जानकारी मिली है कि नेपाल में सीमा के पास घाटियाबागर इलाके में सड़क निर्माण के लिए सामानों की आवाजाही के लिए एक हेलिपैड भी तैयार किया गया है।' हमारे सहयोगी अखबार टीओआई ने नेपाल के धारचूला के चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर शरद कुमार पोखरेल से इस संबंध में बात की, जिन्होंने सड़क निर्माण की पुष्टि। हालांकि उन्होंने आगे कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पढ़ें: सीमा के पास बसे लोगों में चिंता सड़क निर्माण की यह प्रक्रिया भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद की वजह से बढ़े तनाव के बीच सामने आई है। उत्तराखंड में स्थित कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के इलाकों पर नेपाल ने अपना दावा किया है। वहां की संसद में संशोधित नक्शे को भी पास कर दिया गया है। फिलहाल सीमा के पास रहने वाले लोगों में चिंता है।


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देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों का अनशन जारी

उत्तरकाशी, 26 जून :भाषा: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद्द करने की मांग को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों का क्रमिक अनशन शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा और गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों ने प्रदेश सरकार और गंगोत्री विधायक के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि सरकार के चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद्द करने तक तीर्थ पुरोहितों का धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। अक्टूबर 2019 में राज्य सरकार ने वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाने का निर्णय लिया था और उसके बाद एक विधेयक लाकर इसका गठन कर दिया लेकिन तीर्थ पुरोहित लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि वे लंबे समय से चार धामों में पूजा अर्चना का कार्य कर रहे हैं जो उनका अधिकार है लेकिन प्रदेश सरकार ने उनकी अनदेखी कर उस जन विरोधी कानून को बिना उनकी सहमति के पारित कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने तीर्थ पुरोहितों को आंदोलन के लिए विवश कर दिया है। गंगोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष अरुण सेमवाल ने कहा कि जब तक सरकार देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद्द नहीं करती तब तक तीर्थपुरोहितों का आंदोलन जारी रहेगा।


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पतंजलि की 'कोरोनिल' पर विवाद जारी, अब बालकृष्ण बोले, ट्रायल से पहले कोरोनिल को कभी दवा नहीं कहा

देहरादून पतंजलि की ओर से लॉन्च की गई कोरोनिल औषधि को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ और स्वामी रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण ने सफाई दी है कि उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल से पहले कोरोनिल को कभी कोरोना की दवा नहीं कहा। दरअसल पतंजलि आयुर्वेद ने राजस्थान की जिस निम्स यूनिवर्सिटी में औषधि के क्लिनिकल ट्रायल किए जाने का दावा किया था, वह भी इससे पलट गई है। आचार्य बालकृष्ण ने शुक्रवार को सोशल मीडिया के जरिए कोरोनिल पर सफाई दी। उन्होंने एक के बाद एक किए कई ट्वीट्स में कोरोनिल को लेकर पैदा हुए विवाद पर पूरी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने लिखा, 'निम्स यूनिवर्सिटी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर श्वासारी वटी और अणु तेल के साथ अश्वगंधा, गिलोय घनवटी और तुलसी घनवटी के घनसत्वों से बनी औषधियों का निर्धारित मात्रा में सफल क्लिनिकल ट्रायल किया गया। इसके बाद औषधि प्रयोग के रिजल्ट्स को 23 जून 2020 को सार्वजनिक किया गया। पतंजलि ने इन तीन मुख्य जड़ी-बूटियों अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी के घनसत्वों के संतुलित मिश्रण वाली इस कोरोनिल औषधि का कानून के मुताबिक रजिस्ट्रेशन कराया।' 'ट्रायल पूरा होने से पहले कोरोनिल को नहीं कहा कोरोना की दवा' उन्होंने आगे कहा, 'पतंजलि ने क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल पूरा होने से पहले कोरोनिल टैबलेट को क्लिनिकली और लीगली कोरोना की दवा कभी भी नहीं कहा। इस CTRI रजिस्टर्ड क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल को लेकर विवाद की किसी भी तरह की कोई गुंजाइश नहीं है। हमें सम्पूर्ण मानवता को इस कोरोना संकट से बाहर निकालने में संगठित रूप से मदद करने के लिए आगे आना चाहिए।' 23 जून को लॉन्च की थी कोरोनिल, रातोंरात बनी चर्चा का विषय 23 जून को मीडिया के सामने स्वामी रामदेव ने अपने सहयोगी बालकृष्ण के संग मिलकर पतंजलि की ओर से तैयार की गई कोरोनिल लॉन्च की थी। 'कोरोना की आयुर्वेदिक दवा' के नाम से रातोंरात देशभर में चर्चा का विषय बनी इस औषधि पर पहले दिन से ही विवाद के बादल मंडराने लगे। आयुष मंत्रालय कोरोनिल को कोरोना की दवा बताकर प्रचार करने पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी ने भी खींचे हाथ, दबाव में पतंजलि इसके अलावा उत्तराखंड आयुर्वेदिक ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी ने बताया कि बाबा रामदेव ने जो लाइसेंस लिया था, वह इम्युनिटी बूस्टर के नाम पर लिया था न कि कोरोना की दवा के नाम पर। इसके बाद और हंगामा मच गया। हालांकि बालकृष्ण के ताजा बयान से साफ है कि चौतरफा विवाद के बाद कहीं न कहीं पतंजलि भी अब दबाव में है।


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उत्तराखंड में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढकर 2725 हुई, एक और मौत

देहरादून, 26 जून :भाषा: उत्तराखंड में शुक्रवार को 34 नए लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि होने से राज्य में ऐसे लोगों की संख्या बढकर 2725 हो गयी जबकि प्रदेश में एक और मरीज की मौत हो गयी । यहां प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, ऋषिकेश में एक निर्माण स्थल पर कार्यरत एक मजदूर गिर गया जिसे एम्स ऋषिकेश मे मृत अवस्था में लाया गया । पोस्टमार्टम से पहले लिए गये नमूने की जांच में वह कोरोना संक्रमित निकला । ताजा मामले को मिलाकर प्रदेश में अब तक 37 संक्रमितों की मृत्यु हो चुकी है । प्रदेश में सामने आए 34 नए मामलों में से सर्वाधिक 14 नैनीताल और 13 उधमसिंह नगर से हैं जबकि देहरादून से चार, चमोली से दो और चंपावत से एक मामला सामने आया है । उत्तराखंड में अब तक 1822 कोविड मरीज उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं और 848 लोगों का इलाज चल रहा है ।


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लापता युवक का शव मिला

पिथौरागढ, 26 जून :भाषा: पिछले एक सप्ताह से लापता एक युवक का शव शुक्रवार को शहर के बाहरी इलाके में स्थित चेरा गांव में मिल गया । पुलिस उपनिरीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि 26 वर्षीय हिमांशु बिष्ट 20 दिन पहले ही मुंबई से लौटा था । पिछले सप्ताह से वह गायब था और उसके परिवार ने उसके लौट आने की उम्मीद में उसके गायब होने की पुलिस में कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज कराई थी । उन्होंने बताया कि उसका शव चेरा गांव में दो चटटानों के बीच पड़ा मिला । शव बुरी तरह से सड़-गल गया था । अधिकारी ने कहा कि मौत की सही वजह जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है लेकिन ऐसा लगता है कि पहाड से गिरने के कारण उसकी मौत हो गयी। युवक के एक करीबी रिश्तेदार गोविंद सिंह बिष्ट ने बताया कि हिमांशु अवसाद से ग्रस्त था ।


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गुरुवार, 25 जून 2020

देहरादून: नहीं मिल रहे यात्री, 12 अगस्त तक इन ट्रेनों पर रोक

देहरादून देहरादून से संचालित होने वाली 18 ट्रेनों के संचालन पर रेलवे बोर्ड ने 12 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी है। इन ट्रेनों का 30 जून से नियमित तौर पर संचालन होना था। उत्तराखंड से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु , महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों के हजारों यात्रियों ने इन ट्रेनों में आरक्षण भी करा लिया था। लेकिन अब जबकि रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों के संचालन पर फिलहाल 12 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी है तो यात्रियों में अफरातफरी और निराशा है। कोरोना संकट के चलते रेलवे बोर्ड ने तमाम ट्रेनों के संचालन पर रोक लगा दी थी। लेकिन जब केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को लेकर थोड़ी ढील दी तो प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार और रेलवे बोर्ड के निर्देश पर विशेष श्रमिक ट्रेनों का संचालन किया गया। दर्जनभर ट्रेनों को संचालित कर 30 हजार से अधिक प्रवासियों को उत्तराखंड से देश के विभिन्न राज्यों में पहुंचाया भी गया। 30 जून से चलाने का था प्लान रेलवे बोर्ड ने पिछले दिनों देहरादून से नई दिल्ली और देहरादून से काठगोदाम जाने वाली जनशताब्दी ट्रेनों को यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए नियमित संचालित करने का निर्णय लिया था। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर दोनों ट्रेनों को संचालित कर भी दिया गया। शेष ट्रेनों को 30 जून से संचालित किया जाना था। अब कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या और वर्तमान में संचालित 200 से अधिक ट्रेनों में यात्रियों की बेहद कम संख्या को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने देहरादून से संचालित होने वाली 18 ट्रेनों के संचालन पर 12 अगस्त तक रोक लगा दी है। इन ट्रेनों पर रोक रेलवे बोर्ड की ओर से देहरादून- हावड़ा दून एक्सप्रेस, उपासना एक्सप्रेस, देहरादून-दिल्ली मसूरी एक्सप्रेस, देहरादून-इलाहाबाद लिंक एक्सप्रेस, देहरादून-वाराणसी दून एक्सप्रेस, देहरादून-उज्जैन उज्जैनी एक्सप्रेस, देहरादून-इंदौर इंदौर एक्सप्रेस, देहरादून-मुंबई बांद्रा एक्सप्रेस, देहरादून-ओखा उत्तरांचल एक्सप्रेस, देहरादून-अमृतसर, देहरादून-मुजफ्फरनगर, देहरादून मदुरई, देहरादूनव- कोटा नंदा देवी एक्सप्रेस, देहरादून - सहारनपुर पैसेंजर, देहरादून -कोच्चिवैली एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के संचालन पर रोक लगाई गई है।


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बाबा रामदेव की कोरोना दवा पर बोले उत्तराखंड के सीएम- कोई प्रोसीजरल फॉल्ट रहा होगा

देहरादून योग गुरु की कोरोना की दवाई '' ( medicine)की प्रमाणिकता पर उपजे विवाद के बीच गुरुवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इसे बनाने में कोई 'प्रोसीजरल फॉल्ट' (प्रक्रियात्मक त्रुटि) रही होगी। राजधानी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि की यह दवाई अपने ट्रायल पर खरी उतरी है। सीएम रावत ने कहा कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि इसके ट्रायल के परिणाम बहुत अच्छे रहे हैं। कोरोनिल से मरीज तीन दिन में 69% और एक सप्ताह में शत प्रतिशत ठीक हो जाते हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि हर काम विधिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर काम की एक प्रक्रिया होती है जिसका पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि दवाई बनाने में कोई प्रोसीजरल फाल्ट रहा होगा। बता दें कि मंगलवार को बाबा रामदेव के कोरोनिल को बाजार में उतारते ही इसे लेकर विवाद शुरू हो गया जिसके बाद केंद्र के ने इसके ट्रायल की पूरी जानकारी तलब करते हुए इसके कोरोना की दवाई के रूप में प्रचार पर रोक लगा दी। हमने नहीं तोड़ा कोई कानून: पतंजलि 'कोरोनिल' दवा बनाकर बाबा रामदेव और पतंजलि कंपनी मुश्किल में फंस गई है। के नाम पर इसके प्रचार को आयुष मंत्रालय ने रोक दिया है और जांच जारी है। इस बीच राजस्थान के निम्स यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर बीएमस तोमर ने भी क्लिनिकल ट्रायल की बात से पल्ला झाड़ लिया है। अपने ऊपर लग रहे आरोपों का बचाव करते हुए पतंजलि ने कहा कि उसने दवा के निर्माण में किसी भी प्रकार के कानून का उल्लंघन नहीं किया है। पतंजिल के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने ट्वीट करके कहा, 'पतंजिल ने इस औषधि के लेबल पर कोई अवैध दावा नहीं किया है। औषधि का निर्माण और बिक्री सरकार के द्वारा तय नियम-कानून के अनुसार होता है। किसी की व्यक्तिगत मान्यताओं और विचारधारा के अनुसार नहीं। पतंजलि ने सारी विधिसम्मत अनुपालना की है। बेवजह बयानबाजी से परहेज करें।'


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उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण से और एक व्यक्ति की मौत

देहरादून, 25 जून :भाषा: उत्तराखंड में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस संक्रमण से और एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 69 नए मरीजों में संक्रमण की पुष्टि होने से प्रदेश में महामारी से पीडितों का आंकडा बढकर 2691 हो गया । यहां प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, दून अस्पताल में भर्ती कोविड-19 से पीडित 34 वर्षीय पुरूष मरीज ने बृहस्पतिवार को दम तोड दिया । यह मरीज उत्तरकाशी से रेफर होकर यहां आया था । बृहस्पतिवार को सर्वाधिक 28 ताजा मामले नैनीताल जिले में सामने आए हैं जबकि उधमसिंह नगर जिले में 11, हरिद्वार से 10, देहरादून से आठ तथा बागेश्वर में छह मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है । कुल 1758 लोग उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं ।


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हमने ‘विजन डॉक्यूमेंट’ की 85 फीसदी घोषणाएं पूरी कीं : मुख्यमंत्री रावत

देहरादून, 25 जून (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलने, गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने सहित अपने विजन डॉक्यूमेंट में की गयी 85 फीसदी घोषणाएं पूरी कर दी हैं। अल्मोडा और हल्द्वानी में वर्चुअल रैलियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला है। उन्होंने कहा, ‘‘हम पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हमने राज्य को माफिया से मुक्त किया है। किसी को नहीं बख्शा गया है। बहुतों को गिरफ्तार किया गया।’’ उन्होंने कहा कि हमने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने पर विचार करने का वादा किया था और पहाड़ की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए उसे ना सिर्फ ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की हमने घोषणा की बल्कि इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। भाजपा के ‘विजन डॉक्यूमेंट’ की 85 प्रतिशत घोषणाएं पूरी करने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम केवल वायदा नहीं करते बल्कि उन्हें निभाते भी हैं। कोविड-19 के मद्देनजर अपनी सरकार की उपलब्धियां बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में 2500 से ज़्यादा डॉक्टर हैं, सभी जिला अस्पतालों में आईसीयू और वेंटिलेटर हैं, स्वास्थ्य सेवाओं को टेली मेडिसीन आदि से जोड़ा गया है, जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को अपने स्तर पर जरूरत के हिसाब से मेडिकल कर्मियों की भर्ती का अधिकार दिया गया है। राज्य के कोविड केयर सेंटर (कोविड-19 देखाभाल केन्द्रों) में 18 हजार बिस्तर होने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन केन्द्रों में फिलहाल करीब 800 लोग ही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में धन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देश का ऐसा पहला राज्य है जहां पंचायतों को पैसा सीधे उनके खाते में भेजा गया है।


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