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पुलकित शुक्ला, देहरादूनजीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली उत्तराखंड सरकार के विधायक ही सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं। लोहाघाट के बीजेपी विधायक पूरन सिंह फर्त्याल इन दिनों सरकार के लिए परेशानी बने हुए हैं। टनकपुर-जौलजीबी सड़क निर्माण में लगाते हुए फर्त्याल ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई ना होने से नाराज विधायक ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी से भी संपर्क साधा है। विधायक पूरन सिंह फर्त्याल के आरोप सरकार के जीरो टॉलरेंस वाले दावे पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। विधायकों से परेशान सरकार उत्तराखंड की बीजेपी सरकार इन दिनों अपने ही कुछ विधायकों से परेशान है। एक तरफ द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी दुष्कर्म के आरोपों से घिरे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर लोहाघाट के विधायक पूरन सिंह फर्त्याल लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए सरकार के लिए गतिरोध खड़ा कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है। ऐसे में विभागीय अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार को संरक्षण और मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद भी भ्रष्टाचारी ठेकेदार पर कार्रवाई ना होने के आरोप सीधे मुख्यमंत्री के लिए ही असहज स्थिति बना रहे हैं। मंगलवार को विधायक पूरन सिंह फर्त्याल ने कहा कि मुख्यमंत्री सब कुछ सुन कर भी अनसुना कर रहे हैं। भ्रष्टाचारी ठेकेदार को पहले हटाया जाता है और फिर बहाल कर दिया जाता है। नहीं मिला न्याय तो जाऊंगा कोर्टविधायक का कहना है कि मुख्यमंत्री से इस मामले में कई बार मुलाकात होने के बाद भी उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। जिसके बाद उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी से मुलाकात की है और उन्हें पत्र भी लिखे हैं। सरकार की कार्यशैली से खफा विधायक ने कहा कि वह आने वाले विधानसभा सत्र में भी इस मामले को उठाएंगे और अगर जरूरत पड़ी तो वे न्यायालय का भी रुख करेंगे। विधायक पूरन सिंह फर्त्याल के बागी तेवरों से सरकार और संगठन दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। क्यों है विधायक का विरोध सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नेपाल सीमा से लगा टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग के दूसरे चरण का काम शुरू होने वाला है। यह काम पिछले 3 सालों से अटका हुआ था। परियोजना की निविदा में गड़बड़ी के आरोपों के चलते निर्माण कार्य 2017 में बंद हो गया था। आरोप है कि शासन ने टेंडर में गड़बड़ी करने वाले पुराने ठेकेदार को ही फिर से काम करने की अनुमति दे दी है।
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