सोमवार, 4 मई 2020

उत्तराखंड में गांवों में निगरानी का अधिकार ग्राम प्रधानों को

देहरादून, चार मई (भाषा) लॉकडाउन में उत्तराखंड आने वाले व्यक्तियों की केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर निगरानी किए जाने के लिए राज्य सरकार ने ग्राम प्रधानों की जिम्मेदारी तय करते हुए उन्हें कई अधिकार भी दे दिए हैं। प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जिला प्रशासन गांव में आने वाले समस्त बाहरी लोगों तथा उनके स्वास्थ्य से जुडी सूचनाएं संकलित करके संबंधित ग्राम प्रधान को उपलब्ध कराएगा जिसके बाद अपनी ग्राम सभा क्षेत्र में पहुंचने वाले व्यक्तियों के पंजीकरण का उत्तरदायित्व संबंधित ग्राम प्रधान का होगा। इसके साथ ही, बाहर से गांव में आए सभी पंजीकृत व्यक्तियों के मोबाइल फोनों पर कोविड-19 से सुरक्षा हेतु भारत सरकार के 'आरोग्य सेतु एप' को इंस्टॉल करवाने व इसे उपयोग में लाना सुनिश्चित कराने का दायित्व भी ग्राम प्रधान को दिया गया है। ग्राम प्रधान इसके साथ ही ग्राम सभा में निवासरत अन्य व्यक्तियों को भी एप के उपयोग हेतु प्रेरित करेगा। मुख्य सचिव ने बताया कि ग्रीन जोन के रूप में चिन्हित राज्य के जिलों के साथ-साथ अन्य जिलों में भी निर्धारित पृथकवास अवधि पूर्ण करने का साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले व्यक्तियों को छोड़कर अन्य सभी स्थानों से ग्राम सभा क्षेत्र में आने वाले सभी व्यक्तियों को 14 दिनों तक पृथक कराने की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान को सौंपी गयी है । सिंह ने बताया कि घर पर पृथक न हो पाने की स्थिति में ग्राम प्रधान इन व्यक्तियों को 14 दिन की निर्धारित अवधि के लिए निकटवर्ती विद्यालय या पंचायत घर या अन्य सामुदायिक स्थान में भेजेंगे और इन स्थानों में बिजली, पानी तथा साफ-सफाई आदि की व्यवस्था करेंगे। उन्होंने बताया कि ऐसे स्थानों पर पृथक किए जाने में होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से जिलाधिकारियों के माध्यम से की जाएगी । मुख्य सचिव ने कहा कि पृथक रहने की अवधि में व्यक्तियों की नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करवाने तथा किसी व्यक्ति में कोविड-19 के लक्षण पाए जाने की स्थिति में उसके बारे में संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बताने के लिए भी ग्राम प्रधान उत्तरदायी होंगे। इसके अलावा, घरों में पृथक रहने के निर्देशों का पालन न करने वाले व्यक्तियों या कोरोना वायरस प्रसार की रोकथाम के कार्यों में व्यवधान डालने के दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के साथ साथ एपिडेमिक डिजीजेस एक्ट के तहत विधिक कार्यवाही कराने का अधिकार भी ग्राम प्रधान को दिया गया है।


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