शुक्रवार, 29 मई 2020

माइग्रेशनः उद्योगों को खलने लगी मजदूरों की कमी, 15 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान

देहरादून लॉकडाउन में मजदूरों के घर की ओर पलायन का असर सामने आने लगा है। उत्तराखंड में इंडस्ट्रीज के खुलने की प्रक्रिया शुरू तो हो गई है लेकिन मजदूरों के अभाव में उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। इंडियन इंडस्ट्रीज असोसिएशन (आईआईए) के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से औद्योगिकीकरण में भयानक व्यवधान आया है, और इसे पटरी पर आने पर काफी लंबा वक्त लगेगा। गुप्ता ने बताया कि मजदूरों और बाजार में मांग की कमी के कारण इंडस्ट्रीज अपने उत्पादन को बढ़ा पाने में सक्षम नही हैं। उन्होंने बताया कि लघु उद्योगों में कच्चे माल और बाजार की कमी है जबकि बड़े स्तर के उद्योग भी से जूझ रहे हैं। अभी तक केवल 80 हजार से 90 हजार इंडस्ट्रीज ही खुल पाई हैं। ऐसे में तकरीबन 15 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। रोजगार बंद होने पर लौटे श्रमिक कोरोना महामारी के चलते दो महीने से ज्यादा समय से लागू लॉकडाउन में अपने राज्यों से बाहर फंसे मजदूरों का रोजगार बंद हो गया। खाने-पीने का संकट आने के बाद मजदूरों ने अपने-अपने गांव वापस लौटने का फैसला किया। बहुत से मजदूर हजारों किमी की दूरी पैदल तय कर अपने घर पहुंचे। लाखों श्रमिकों को स्पेशल ट्रेनों के जरिए उनके घर भेजा गया। ऐसे में श्रमिकों के न रहने पर लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी उद्योगों के परिचालन पर संकट बने रहने की संभावना जताई जा रही है। 1 जून से खुलेंगे सरकारी दफ्तर बता दें कि लॉकडाउन 4.0 के खत्म होने के बाद प्रदेश में सरकारी दफ्तरों को भी खोलने की तैयारी चल रही है। उत्तराखंड के प्रभारी सचिव के मुताबिक, 1 जून 2020 से प्रदेश के समस्त शासकीय कार्यालय लॉकडाउन की अवधि से पहले की तरह विभाग स्तर पर प्रात: 10 बजे से सांय 5 बजे तक और पांच दिवसीय कार्यालयों यथा राज्य सचिवालय एवं राज्य विधानसभा आदि में प्रात: 9:30 से सांय 6:00 बजे तक खोले जाएंगे।


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