मंगलवार, 26 मई 2020

नैना पीक के पास आई 100 फीट लंबी दरार, नैनीताल में दहशत

नैनीताल नैनीताल की 2610 मीटर ऊंची चोटी नैना पीक के नीचे लगभग 100 फीट लंबी और आधे से तीन फीट तक चौड़ी दरार नजर आने से नैनीताल नगर वासियों में दहशत है। इस साल बीती 29 जनवरी और 2 फरवरी को भी नैना पीक की पहाड़ी में दरार आई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन की टीम ने लोक निर्माण विभाग, जीएसआई, आपदा प्रबंधन और भू वैज्ञानिकों के साथ मिलकर टूटी पहाड़ी का निरीक्षण किया था। इस टीम ने मैपिंग के आधार पर पहाड़ी का ट्रीटमेंट भी किये जाने की बात कही थी, लेकिन अब तक कोई कार्य शुरू नहीं हो पाया। 5 अप्रैल 2020 को नैना पीक की तलहटी पर रहने वाले क्षेत्रीय लोगों के अनुसार एकाएक पहाड़ के सरकने से आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों में हड़कंप मच गया। उस दिन दोपहर बाद करीब डेढ़ बजे नैना पीक की ओर जोरदार धमाके की आवाज आई और धुल धुंए का गुबार उठने लगा जिससे लोग डर गए। बारिश में खतरा और बढ़ेगाअब इस पहाड़ी पर आई इस लम्बी चौड़ी दरार को क्षेत्र के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखा जा रहा है। खासकर लॉकडाउन के चलते विभिन्न कार्य प्रभावित होने और बरसात का मौसम निकट होने के कारण दरार के गंभीर समस्या बन जाने का खतरा है। लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पाया कामभूस्खलन की बढती संभावना के बाद नैना पीक चोटी के संरक्षण कार्यों के लिए जांच के लिए एक हाईपावर कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी में वाडिया इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञ और अन्य भू-वैज्ञानिक शामिल हैं। कमेटी को विस्तृत रिपोर्ट देनी है। लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई कार्य नहीं हो पाया। 90 के दशक में हुआ था भूस्‍खलन नैना पीक की तलहटी में उच्च न्यायालय, उत्तराखंड प्रशासन अकादमी सहित कई महत्वपूर्ण होटल स्थित है। चोटी से 90 के दशक में हुए भारी भूस्खलन से तत्कालीन ब्रुक हिल हॉस्टल (वर्तमान में हाईकोर्ट का भवन), पंत सदन (वर्तमान मुख्य न्यायाधीश का आवास), गैस गोदाम, स्विस होटल और शेरवानी होटल से लगे क्षेत्र प्रभावित हुए थे और झील को जाने वाले तमाम नाले मलबे से भर गए थे। तब इन क्षेत्रों से बड़ी आबादी को विस्थापित कर अन्यत्र रखा गया था।


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