गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

उत्तराखंड के सीएम ने Covid-19 पीसीआर टेस्टिंग लैब का ऑनलाइन किया लोकार्पण

देहरादून के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को श्रीनगर स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 पीसीआर टेस्टिंग लैब का ऑनलाइन लोकार्पण किया। इस मौके पर सीएम रावत ने कहा कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में कोरोना टेस्टिंग लैब से पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली और टिहरी जिले के लोगों के सैंपल लेने में आसानी होगी। अल्मोड़ा और हरिद्वार में भी जल्द टेस्टिंग लैब बनाई जाएगी। इसके चलते कोरोना के सैंपल लेने में और तेजी आएगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज से श्रीनगर में सैंपल टेस्ट होने शुरू हो गए हैं। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन 100 से अधिक सैंपलों की टेस्टिंग होगी। बता दें कि उत्तराखंड में बृहस्पतिवार को दो और लोगों के कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई। इससे प्रदेश में इस महामारी से संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 57 हो गया। प्रदेश सरकार की ओर से बुलेटिन के अनुसार, ताजा दोनों मामले उधमसिंह नगर जिले के रूद्रपुर के हैं और इन्हें रूद्रपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 36 मरीज राज्य में हुए ठीक बता दें कि उत्तराखंड में अब तक कोरोना महामारी से पीड़ित 36 मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। इसके चलते अब राज्य में कुल 21 लोग वायरस से संक्रमित हैं जिनका इलाज राज्य के विभिन्न अस्पतालों में किया जा रहा है।


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उत्तराखंडः बदरीनाथ के कपाट तय मुहुर्त पर नहीं खुले, पुरोहितों ने हवन-पूजन कर मांगी भगवान से माफी

देहरादून संकट के चलते गुरुवार को पुरोहितों द्वारा तिथि घोषित होने के बावजूद भगवान बद्रीनाथ के कपाट नहीं खुले। टिहरी राजपुरोहितों की उपस्थिति में तीर्थ पुरोहितों ने बसंत पंचमी वाले दिन बद्रीनाथ के कपाट खोलने की तिथि घोषित कर दी थी। कोरोना की वजह से लागू होने के नाते गुरुवार को मंदिर के कपाट नहीं खुले। बद्रीनाथ के दरवाजे नहीं खुलने की वजह से तीर्थ पुरोहितों में अपराधबोध दिखाई दिया, जिसके लिए उन्होंने अपने घरों में तय मुहुर्त पर पूजा कर भगवान से क्षमा याचना की। इसके तहत बदरीनाथ धाम के तीर्थपुरोहितों, पंडा समाज और मंदिर परंपरा के लोगों ने ब्रह्म मुहुर्त में भगवान नारायण की पूजा-अर्चना, हवन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया। पुरोहितों ने बताया कि ऐसा सदियों से चली आ रही परंपरा को अक्षुण्ण न रख पाने के कारण किया गया। देवभूमि तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल के दिशा-निर्देशन में महापंचायत से जुड़ी हुई डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत, ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित पंचायत, बद्रीश पंडा पंचायत, देवप्रयाग और बदरीनाथ धाम से जुड़ी परंपरा के लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इसमें जोशीमठ, पाखी, उमटाटा, मैंठाणा, श्रीनगर, देवप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश आदि स्थानों में तीर्थ पुरोहितों ने पूजा की। जो तीर्थ पुरोहित अन्य राज्यों में रह रहे हैं, उन्होंने भी वहां पर नारायण का स्मरण किया।


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पिथौरागढ़: लॉकडाउन के चलते फंसे 1,352 नेपाली अपने देश लौटे

के चलते उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में फंसे करीब 1,352 नेपाली नागरिकों को गुरुवार को झूलाघाट, चार्चा और बालाकोन में बने सीमा पुलों के जरिए अपने देश जाने की अनुमति दे दी गई। पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी वीके जोगदंडे ने बताया, ‘पिथौरागढ़, धारचूला, बरम, जैमिनी और बालाकोन स्थानों में बने छह शिविरों में रह रहे नेपाली नागरिकों को बसों के जरिए सीमा पुलों तक ले जाया गया और नेपाली अधिकारियों के हवाले कर दिया गया।' जिलाधिकारी ने बताया कि ये नेपाली नागरिक अपने देश लौटने की उम्मीद में मार्च में पिथौरागढ़ जिले में इकट्ठा हो गए थे, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दोनों देशों में लगे लॉकडाउन के कारण वे फंस गए थे। उन्होंने बताया कि जिले में जमा हुए ज्यादातर नेपाली पश्चिमी नेपाल के निवासी हैं। धारचूला के उपजिलाधिकारी एके शुक्ला के अनुसार, फंसे नेपाली नागरिकों को केंद्र से विशेष अनुमति लेने के बाद सभी प्रकार की एहतियात और सामाजिक दूरी का पालन कराते हुए उनके देश भेजा गया।


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लॉकडाउन के कारण पिथौरागढ में फंसे 1352 नेपाली अपने देश लौटे

पिथौरागढ, 30 अप्रैल :भाषा: लॉकडाउन के कारण पिथौरागढ जिले में फंसे करीब 1352 नेपाली नागरिकों को बृहस्पतिवार को झूलाघाट, चार्चा और बालाकोन में बने सीमा पुलों के जरिए अपने देश जाने की अनुमति दे दी गयी । पिथौरागढ के जिलाधिकारी वीके जोगदंडे ने बताया, ‘‘पिथौरागढ, धारचूला, बरम, जैमिनी और बालाकोन स्थानों में बने छह शिविरों में रह रहे नेपाली नागरिकों को बसों के जरिए सीमा पुलों तक ले जाया गया और नेपाली अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया ।'’ जिलाधिकारी ने बताया कि ये नेपाली नागरिक अपने देश लौटने की उम्मीद में मार्च में पिथौरागढ जिले में इकटठा हो गये थे लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दोनों देशों में लगे लॉकडाउन के कारण वे फंस गए थे । उन्होंने बताया कि जिले में जमा हुए ज्यादातर नेपाली पश्चिमी नेपाल के निवासी हैं । धारचूला के उपजिलाधिकारी एके शुक्ला के अनुसार, फंसे नेपाली नागरिकों को केंद्र से विशेष अनुमति लेने के बाद सभी प्रकार की एहतियात और सामाजिक दूरी का पालन कराते हुए उनके देश भेजा गया ।


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लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों को वापस लाने के लिये उत्तराखंड में नोडल अधिकारी नामित

देहरादून, 30 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड सरकार ने लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए बृहस्पतिवार को आईएएस अधिकारी शैलेश बगोली और आईपीएस अधिकारी संजय गुंज्याल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने इन दोनों अधिकारियों को यह जिम्मेदारी विभिन्न राज्यों में फंसे पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, छात्रों और प्रवासी मजदूरों को बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिशानिर्देश जारी करने के बाद दी है । इस बीच, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि राज्य आपस में बात करके फंसे हुए पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, छात्रों, प्रवासी मजदूरों तथा अन्य व्यक्तियों को उनके घर भेजने की व्यवस्था करें । सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार से मिले दिशानिर्देशों के अनुसार, आने से पहले हर व्यक्ति के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी और उसके सही पाए जाने पर आने की अनुमति दी जाएगी । उन्होंने कहा कि यहां आने के बाद भी हर व्यक्ति की दोबारा जांच होगी और प्रथमद्रष्टया सही पाए जाने पर उसे घर में अलग रखा जाएगा जबकि कुछ संदिग्ध लक्षण दिखने पर उसे पृथक-वास केंद्र में रखा जाएगा । सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों को लाने के लिए अन्य राज्यों के नोडल अधिकारियों से बातचीत शुरू कर दी गयी है । इसके अलावा, यह भी देखा जा रहा है कि कितने लोग आएंगे, कब आएंगे और कहां आयेंगे और इसी के आधार पर बसों की व्यवस्था की जाएगी ।


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उत्तराखंड में 55 वर्ष से ज्यादा उम्र के पुलिसकर्मियों की फ्रंटलाइन में नहीं लगेगी डयूटी

देहरादून, 30 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड पुलिस ने 55 वर्ष से अधिक उम्र के अपने कर्मियों को रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की संभावना के मददेनजर उनकी डयूटी ऐसे क्षेत्रों में लगाने का निर्णय लिया गया है जहां वे आमजन के संपर्क में कम से कम आएं । प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) अशोक कुमार ने यहां बताया कि 55 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इस कारण उनके संक्रमित होने की अधिक आशंका होती है। इस के मददेनजर जिला प्रभारियों से उनकी डयूटी यथासंभव ऐसे स्थानों पर लगाने को कहा गया है जहां वे आमजन के संपर्क में कम से कम आएं । उन्होंने कहा कि 55 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मियों से यथासम्भव कार्यालय में कार्य लिए जाने को कहा गया है । कुमार ने बताया कि अभी 384 पुलिसकर्मी ‘फ्रन्टलाइन’ में ड्यूटी कर रहे हैं जिनकी आयु 55 वर्ष से अधिक है । उन्होंने बताया कि सभी जिला कप्तानों को इस आदेश का पालन करने के आदेश दिए गये हैं ।


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उत्तराखंड में कोरोना मरीजो की संख्या 57 हुई

देहरादून, 30 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड में बृहस्पतिवार को दो और लोगों के कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुयी जिससे प्रदेश में इस महामारी से पीडितों का आंकडा बढकर 57 हो गया । प्रदेश सरकार द्वारा यहां जारी एक बुलेटिन के अनुसार, ताजा दोनों मामले उधमसिंह नगर जिले के रूद्रपुर के हैं और इन्हें रूद्रपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है । इस बीमारी से पीडित 36 मरीज अब तक स्वस्थ हो चुके हैं और राज्य में अभी 21 लोग इससे संक्रमित हैं जिनका विभिन्न अस्पतालों में उपचार किया जा रहा है ।


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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने ऋषि कपूर के निधन पर शोक जताया

देहरादून, 30 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसे हिंदी सिनेमा जगत की अपूरणीय क्षति बताया है । मुख्यमंत्री रावत ने यहां जारी अपने शोक संदेश में कहा कि ऋषि कपूर न केवल एक महान अभिनेता बल्कि एक बेहतरीन इंसान एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी भी थे। उन्होंने कहा कि कपूर और उनके परिवार का सिनेमा जगत में अतुलनीय योगदान रहा है और उनके निधन से हिंदी सिनेमा जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषि कपूर सदैव फिल्म प्रेमियों के दिलों में छाए रहेंगे।


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ऋषिकेश एम्स के स्टॉफ के अलग रहने की व्यवस्था

ऋषिकेश, 30 अप्रैल :भाषा: ऋषिकेश एम्स में तीन दिनों में कोरोना वायरस के चार मामले आने के बाद अस्पताल की मांग पर देहरादून जिला प्रशासन ने बृहस्पतिवार को उसके चिकित्सकों और अन्य कर्मियों को होटलों व आश्रमों में ठहरने की व्यवस्था शुरू कर दी ताकि घातक विषाणु के सामुदायिक प्रसार की आशंका को कम किया जा सके। गढ़वाल क्षेत्र के मंडलायुक्त रविनाथ रमन ने बुधवार को एम्स ऋषिकेश के ड्यूटी पर कार्यरत कर्मचारियों तथा स्थानीय निवासियों के व्यापक हित में एम्स स्टाफ के लिए अलग से रहने तथा खाने की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे । एम्स कर्मी रहने और खाने की अलग व्यवस्था होने पर फिलहाल अपने परिवार और समाज से दूर रहेंगे और वहीं से अस्पताल में डयूटी करने आएंगे जिससे सामुदायिक संक्रमण की आशंका कम हो सकेगी। एम्स ऋषिकेश में 25 से 28 अप्रैल के बीच कोरोना वायरस के चार मामले आए जिनमें से दो एम्स के स्टॉफ हैं जबकि एक मरीज और एक अन्य मरीज का तीमारदार है । ऋषिकेश के उपजिलाधिकारी प्रेमलाल ने बताया कि एम्स ऋषिकेश ने तीन कमरे डॉक्टरों के लिए और पाँच कमरे हेल्थकेयर स्टाफ के लिए मांगे थे, वे उन्हें उपलब्ध करा दिए गये हैं । उन्होंने बताया कि एम्स की मांग के अनुसार कमरों और खाने की व्यवस्था आगे भी की जाएगी ।


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उत्तराखंड के श्रीनगर में एक और कोरोना जांच प्रयोगशाला शुरू

देहरादून, 30 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बृहस्पतिवार को पौड़ी जिले के श्रीनगर में वीर चंद्रसिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 जांच प्रयोगशाला का ऑनलाइन लोकार्पण किया । इस मौके पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में कोरोना जांच प्रयोगशाला स्थापित होने से पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली एवं टिहरी जिलों में लोगों के नमूने लेने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा एवं हरिद्वार में भी जल्द जांच प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी जिससे प्रदेश में जांच में और तेजी आएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में नमूनों की जांच शुरू हो गयी है और प्रतिदिन 100 से अधिक नमूनों की जांच होगी। अभी तक प्रदेश में 5602 नमूनों की रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें 55 लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है । इनमें से 36 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और प्रदेश में इस बीमारी से अभी तक कोई मृत्यु नहीं हुई है। अभी प्रदेश में दून मेडिकल कॉलेज, एम्स ऋषिकेश तथा सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में कोरोना वायरस की जांच की जा रही है ।


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बुधवार, 29 अप्रैल 2020

उत्तराखंडः पंजाब से लौटे शख्स में कोरोना की पुष्टि, 55 हुआ मरीजों का आंकड़ा

देहरादून उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में आज एक और कोरोना संक्रमण का मामला सामने आया है। जिले के बाजपुर में एक 55 वर्षीय बुजुर्ग में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। जिसके बाद प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 55 हो गई है। इनमें से 36 मरीज ठीक हो चुके हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीज उधमसिंह नगर जिले के बाजपुर का रहने वाला है। वह कुछ दिन पहले ही पंजाब से लौटा था। आशा वर्कर के माध्यम से मरीज को ट्रेस कर सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। जिसमें आज कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। हालांकि ऊधमिसंहनगर में पिछले करीब 26 दिनों से कोई भी कोरोना संक्रमित मामला सामने नहीं आया था। इसके चलते सरकार जल्द ही जिले को रेड जोन से ग्रीन जोन में शामिल करने वाली थी लेकिन नया मामला सामने आने के बाद अब यह योजना टाली जा सकती है।


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उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 55 हुई

देहरादून, 29 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड में बुधवार को एक और मरीज में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने से प्रदेश में महामारी से पीड़ितों की संख्या 55 तक पहुंच गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा यहां जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, कोरोना संक्रमण का नया मामला उधमसिंह नगर जिले में आया है । राज्य में अब तक कोरोना के 34 मरीज ठीक भी हो चुके हैं ।


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मानसरोवर मानसरोवर यात्रा पर संशय के बादल

पिथौरागढ़, 29 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियों के अभी तक शुरू न हो पाने के कारण इसके समय से आरंभ होने को लेकर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं । मानसरोवर तीर्थयात्रा हर साल जून के दूसरे सप्ताह तक शुरू हो जाती है और इसके लिए तैयारियां भी दो महीने पहले आरंभ हो जाती हैं लेकिन कोविड 19 के प्रसार को कम करने के लिए लागू लॉकडाउन ने इस प्रक्रिया में विलंब कर दिया है । यात्रा की नोडल एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम :केएमवीएन: के अधिकारियों को भी लॉकडाउन के चलते यात्रा के समय से शुरू होने पर संशय है । केएमवीएन के महाप्रबंधक अशोक जोशी ने कहा कि अगर यात्रा को भारत और चीन सरकारों की तरफ से अनुमति मिल भी जाती है तो समय से यात्रा शुरू करने के लिए तैयारियों के वास्ते नोडल एजेंसी के पास वक्त पर्याप्त नहीं है । उन्होंने कहा, ‘‘अगर यात्रा जून में शुरू होगी तो पैदल मार्ग पर पड़ी बर्फ हटाने के लिए बहुत देर हो गयी है ।’’ अधिकारी ने कहा कि बूंदी शिविर से लेकर लिपुलेख दर्रे तक के 35 किलोमीटर लंबे पूरे मार्ग पर बर्फ पड़ी हुई है और उसे हटाने में एक पखवाडे़ से ज्यादा का समय लगेगा । उन्होंने कहा कि इसके अलावा यात्रा को आयोजित करना केवल भारत सरकार के हाथ में नहीं है और इसके लिए चीन सरकार की मंजूरी भी चाहिए । केएमवीएन के अलावा पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और भारत तिब्बत सीमा पुलिस भी मानसरोवर यात्रा की तैयारियों में शामिल रहते हैं लेकिन इस बार किसी भी एजेंसी को अब तक विदेश मंत्रालय से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं और अब तक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है ।


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उत्तराखंड में कोरोना योद्धाओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 2.48 करोड़ रुपये की मंजूरी

देहरादून, 29 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने कोविड-19 से संघर्ष में लगे कोरोना योद्धाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए बुधवार को 2.48 करोड़ रुपये की मंजूरी दी । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने संवाददाताओं को बताया कि कोरोना योद्धाओं के लिए मंजूर किए गए 2.48 करोड़ रुपये की राशि से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां खरीदी जाएंगी । उन्होंने बताया कि होम्योपैथी की आर्सेनिक अल्बम-30 और आयुर्वेद की गिलोय, अश्वगंधा ,तुलसी ,काढ़ा जैसी दवाएं खरीदने में यह धनराशि इस्तेमाल की जाएगी। मंत्री ने बताया कि गुरुवार 30 अप्रैल से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में भी कोविड जांच की मंजूरी मिल गयी है । उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा और हरिद्वार में भी कोविड जांच शुरू करने के प्रस्ताव को केंद्र से जल्द अनुमति मिलने की उम्मीद है । उन्होंने बताया कि इस समय प्रदेश में 16 समर्पित कोविड अस्पताल हैं । इसके अलावा प्रदेश में 3944 आइसोलेशन बेड और 19219 पृथक-वास बिस्तर हैं । प्रदेश में फिलहाल कोविड रोगियों का आंकडा 54 है जिनमें से 34 ठीक हो चुके हैं । कौशिक ने बताया कि भारत सरकार द्वारा हाल में मंजूर 325 करोड़ रपुये की लागत से बनने वाले हरिद्वार, रुद्रपुर और पिथौरागढ़ राजकीय मेडिकल कॉलेजों के लिए राज्य मंत्रिपरिषद ने प्राचार्य और डीन सहित पांच—पांच पद स्वीकृत किए हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए केंद्र ने 292.50 करोड रुपये का अपना अंशदान जारी कर दिया है जबकि इन कॉलेजों के लिए उत्तराखंड सरकार दस प्रतिशत अंशदान देगी जो 32.50 करोड़ रुपये का होगा । मंत्री ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर तीनों कॉलेजों में एमबीबीएस की 100—100 सीटें होंगी । कौशिक ने बताया कि एक अन्य निर्णय में खरीफ फसल के बीज में मिलने वाली सब्सिडी के अलावा 25 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी भी कृषकों को दी जाएगी। इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने 72 मेगावाट की त्यूणी पलासू और 80 मेगावाट की आराकोट त्यूणी परियोजना को उत्तराखंड जलविद्युत निगम के माध्यम से बनाने को मंजूरी दी है । मंत्री ने बताया कि दोनों परियोजनाओं पर 800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी ।


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उत्तराखंड में टेलीमेडिसिन सेवा शुरू

देहरादून, 29 अप्रैल :भाषा: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को उत्तराखंड में बहु—प्रतीक्षित टेलीमेडिसिन सेवा की शुरुआत की । इस मौके पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कोविड-19 जैसी विश्वव्यापी महामारी में संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए अस्पतालों में भीड़ को कम करने में टेलीमेडिसिन सेवा एक सटीक उपकरण साबित होगी । यहां जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सुदूर क्षेत्रों में आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सा सेवाओं के लिए विशेषज्ञों की राय भी पहुंच जाएगी । टेलीमेडिसिन के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए टेलीमेडिसिन सॉफ्टवेयर को प्रदेश के जिला चिकित्सालय व अन्य चिकित्सालयों में प्रयोग में लाया जाएगा। वर्तमान में यह सेवा प्रदेश के छह अस्पतालों—— जिला चिकित्सालय अल्मोड़ा, दीन दयाल चिकित्सालय (कोरोनेशन) देहरादून, बेस चिकित्सालय हल्द्वानी, संयुक्त चिकित्सालय देहरादून, सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी और दून मेडिकल कॉलेज देहरादून में प्रारंभ की गई है। भविष्य में यह सभी जिला चिकित्सालयों एवं मेडिकल कॉलेजों में विस्तारित की जाएगी।


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उत्तराखंड: लॉकडाउन में फंसे लोग अपने घर लौटने को हो रहे बेचैन

देहरादून के कारण घोषित के कारण कई लोग दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं। जम्मू के रहने वाले विजय बरू व्यापार के सिलसिले में उत्तराखंड के नैनीताल आए थे, लेकिन कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने के लिए लागू हुए लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गये। बरू के साथ जम्मू-कश्मीर के दो दर्जन से अधिक लोग नैनीताल में फंसे हुए है। ऊनी वस्त्रों के व्यापारी बरू ने बताया, 'मैं पिछले महीने से नैनीताल में कैद हूं। मैं अपने घर जम्मू जाने के लिए बहुत बेचैन हूं लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी नैनीताल से नहीं निकल पा रहा हूं।’’ कश्मीर के कुपवाडा क्षेत्र के रहने वाले लियाकत हुसैन, आशिक हुसैन, किश्तवाड के अंकुश कोतवाल और जम्मू के राकेश कुमार की व्यथा भी बरू से जुदा नहीं है, जो अपने-अपने घर लौटने के लिए परेशान हैं। विदेशी सैलानी समेत कई लोग फंसे जम्मू-कश्मीर के इन लोगों की तरह उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर अन्य राज्यों के करीब 1,700 लोग लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं। इनमें 700-800 विदेशी सैलानी भी हैं जो ऋषिकेश, हरिद्वार जैसे अलग-अलग स्थानों पर रुके हुए हैं। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था, अशोक कुमार ने बताया कि अभी तक 700 विदेशी पर्यटकों को उनके देशों के दूतावासों द्वारा यहां से निकालकर अपने घरों को भेज दिया गया है लेकिन इतने ही विदेशी सैलानी अभी उत्तराखंड में मौजूद हैं। घर लौटना चाहते हैं लोग उन्होंने बताया कि यहां से वापस जाने वालों में ज्यादातर अमेरिका, फ्रांस, स्पेन तथा अन्य यूरोपीय देशों के लोग हैं। इनके अलावा, विभिन्न राज्यों के 30 से 40 हजार प्रवासी मजदूर भी यहां फंसे हुए हैं जो अपने घरों को लौटना चाहते हैं। हालांकि, कुमार ने कहा कि उद्योग गतिविधियों के प्रारंभ होने से घर लौटने की इच्छा रखने वाले मजदूरों की संख्या में बदलाव आ सता है। लॉकडाउन के कारण फंसे लोग इसी महीने सेवानिवृत्त होने वाले मध्य प्रदेश के सिंगरोली जिले के त्रिलोकी कुमार कर भी देहरादून की बद्रीश कॉलोनी में कैद होकर रह गये हैं। कर ने कहा कि वह देहरादून में अपनी पुत्री से मिलने आए थे लेकिन लॉकडाउन के कारण यहां से नहीं निकल पाए। उन्होंने कहा, ‘मेरी दिली इच्छा थी कि अपनी सेवानिवृत्ति का दिन अपने सहकर्मियों के साथ बिताऊं। लेकिन लॉकडाउन में फंसने के चलते यह सपना अधूरा रह गया।’ कश्मीर के लियाकत हुसैन ने कहा, ‘‘मैं यहां की सरकार से आग्रह करता हूं कि हमें नैनीताल से निकाल कर हमारे घर जाने का बंदोबस्त कर दे।


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केदारनाथ धाम के कपाट खुले, कोरोना वायरस के कारण तीर्थयात्री नहीं हो पाए शामिल

देहरादून, 29 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालय में स्थित बाबा केदारनाथ के धाम छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद बुधवार प्रात: खोल दिए गए जिसके बाद पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई। हालांकि, कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के कारण पुजारी समेत चुनिंदा लोग ही कपाटोद्घाटन समारोह में उपस्थित रहे और आम तीर्थयात्री इसमें शामिल नहीं हो पाए । ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ भगवान के कपाट मेष लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र में प्रातः 6:10 बजे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद खोले गए । इससे पहले, सवेरे तीन बजे से ही कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी। केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल भीमाशंकर लिंग के उखीमठ में चौदह दिन की पृथक-वास अवधि में होने के कारण उनके प्रतिनिधि के तौर पर पुजारी शिवशंकर लिंग ने कपाट खुलने की संपूर्ण प्रक्रियाओं का निर्वहन किया । पुजारी शिवशंकर लिंग एवं वेदपाठी, मंदिर के दक्षिण द्वार पूजन के बाद मुख्य मंदिर परिसर में प्रविष्ट हुए । पुजारी शिवशंकर लिंग ने रुद्राभिषेक एवं जलाभिषेक पूजा संपन्न की । कपाट खुलने के पश्चात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से रुद्राभिषेक पूजा की गई। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी अकसर केदारनाथ धाम आते हैं । वर्ष 2013 में आई बाढ़ के बाद वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का भी वह समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जायजा लेते रहते हैं । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए कामना की कि बाबा केदार सभी पर अपनी कृपा और स्नेह बनाये रखें । मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा केदार के आशीर्वाद से कोरोना की इस वैश्विक महामारी को हराने में अवश्य ही कामयाबी मिलेगी। कोरोना वायरस के कारण इस बार आमजन दर्शन के लिए नहीं आ सके लेकिन हम सभी के मन में बाबा केदार के लिए अपार श्रद्धा है । उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर को ऋषिकेश के एक दानदाता सतीश कालड़ा के सहयोग से भव्य रूप से 10 क्विंटल गेंदा, गुलाब एवं अन्य फूलों से सजाया गया। कोरोना संकट के चलते रुद्रप्रयाग जिले में स्थित मंदिर के कपाटोद्घाटन के अवसर पर केवल मुख्य पुजारी, मंदिर समिति के पदाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी ही मौजूद रहे और इस दौरान भौतिक दूरी सहित सभी प्रकार के नियमों का पालन किया गया । अभी भी केदारनाथ में चार से छह फुट तक बर्फ देखी जा सकती है । वुड स्टोन कंपनी ने केदारनाथ में बर्फ के ग्लेशियरों को काटकर मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बनाया है । बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमन रविनाथ ने बताया कि कंपनी केदारनाथ पहुंच़ने के लिए बर्फ काटकर मार्च से ही मार्ग बनाने के काम में लगी थी । महामारी के कारण आम श्रद्धालुओं को कपाट खोले जाने के समारोह से दूर रखा गया । पिछले वर्षों की तरह कपाट खुलने के दौरान मौजूद रहने वाला सेना का बैंड भी इस बार नहीं था । सरकारी परामर्श के तहत अभी चार धामों में यात्रा पर रोक है। अभी केवल कपाट खोले गए हैं ताकि पुजारी अपने स्तर पर नित्य पूजा-अर्चना संपन्न करा सकें । इससे पहले, 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खोल दिए गए थे । चमोली में बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे । चारधाम नाम से प्रसिद्ध इन मंदिरों को सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी के कारण हर साल अक्टूबर—नवंबर में बंद कर दिया जाता है और फिर अप्रैल—मई में दोबारा खोला जाता है ।


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लॉकडाउन में फंसे लोग अपने घर लौटने को बेचैन

देहरादून, 29 अप्रैल (भाषा) जम्मू के रहने वाले विजय बरू व्यापार के सिलसिले में उत्तराखंड के नैनीताल आए थे, लेकिन कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने के लिए लागू हुए लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गये। बरू के साथ जम्मू-कश्मीर के दो दर्जन से अधिक लोग नैनीताल में फंसे हुए है। ऊनी वस्त्रों के व्यापारी बरू ने बताया, ‘'मैं पिछले महीने से नैनीताल में कैद हूं। मैं अपने घर जम्मू जाने के लिए बहुत बेचैन हूं लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी नैनीताल से नहीं निकल पा रहा हूं।’’ कश्मीर के कुपवाडा क्षेत्र के रहने वाले लियाकत हुसैन, आशिक हुसैन, किश्तवाड के अंकुश कोतवाल और जम्मू के राकेश कुमार की व्यथा भी बरू से जुदा नहीं है, जो अपने-अपने घर लौटने के लिए परेशान हैं। जम्मू-कश्मीर के इन लोगों की तरह उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर अन्य राज्यों के करीब 1,700 लोग लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं। इनमें 700-800 विदेशी सैलानी भी हैं जो ऋषिकेश, हरिद्वार जैसे अलग-अलग स्थानों पर रुके हुए हैं। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था, अशोक कुमार ने बताया कि अभी तक 700 विदेशी पर्यटकों को उनके देशों के दूतावासों द्वारा यहां से निकालकर अपने घरों को भेज दिया गया है लेकिन इतने ही विदेशी सैलानी अभी उत्तराखंड में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि यहां से वापस जाने वालों में ज्यादातर अमेरिका, फ्रांस, स्पेन तथा अन्य यूरोपीय देशों के लोग हैं। इनके अलावा, विभिन्न राज्यों के 30 से 40 हजार प्रवासी मजदूर भी यहां फंसे हुए हैं जो अपने घरों को लौटना चाहते हैं। हालांकि, कुमार ने कहा कि उद्योग गतिविधियों के प्रारंभ होने से घर लौटने की इच्छा रखने वाले मजदूरों की संख्या में बदलाव आ सकता है। इसी महीने सेवानिवृत्त होने वाले मध्य प्रदेश के सिंगरोली जिले के त्रिलोकी कुमार कर भी देहरादून की बद्रीश कॉलोनी में कैद होकर रह गये हैं। कर ने कहा कि वह देहरादून में अपनी पुत्री से मिलने आए थे लेकिन लॉकडाउन के कारण यहां से नहीं निकल पाए। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी दिली इच्छा थी कि अपनी सेवानिवृत्ति का दिन अपने सहकर्मियों के साथ बिताऊं। लेकिन लॉकडाउन में फंसने के चलते यह सपना अधूरा रह गया।’’ कश्मीर के लियाकत हुसैन ने कहा, ‘‘मैं यहां की सरकार से आग्रह करता हूं कि हमें नैनीताल से निकाल कर हमारे घर जाने का बंदोबस्त कर दे।’’


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मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

केदारनाथ धाम के कपाट खुले

देहरादून, 29 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालय में स्थित विश्वप्रसिद्ध बाबा केदारनाथ के धाम छह माह बंद रहने के बाद बुधवार प्रात: खोल दिए गये जिसके बाद प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गयी । ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ भगवान के कपाट मेष लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र में प्रातःछह बज कर 10 मिनट पर विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद खोले गये । इस अवसर पर मंदिर को10 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। कोरोना वायरस संकट के चलते रूद्रप्रयाग जिले में स्थित मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर केवल मुख्य पुजारी, मंदिर समिति के पदाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी ही मौजूद रहे और इस दौरान सामाजिक दूरी सहित सभी प्रकार के नियमों का पालन किया गया । महामारी के कारण आम श्रद्धालुओं को कपाट खोले जाने के समारोह से दूर रखा गया । सरकारी परामर्श के तहत अभी चार धामों की यात्रा पर रोक है। अभी केवल कपाट खोले गये हैं ताकि पुजारी अपने स्तर पर नित्य पूजाएं संपन्न करा सकें । इससे पहले, 26 अप्रैल को अक्षयतृतीया पर उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खोल दिए गये थे । चमोली में बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे । गढ़वाल हिमालय के चारधाम के नाम से प्रसिद्ध इन मंदिरों को सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद कर दिया जाता है और फिर अप्रैल-मई में दोबारा खोला जाता है ।


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कोरोना लॉकडाउन के बीच खुले केदारनाथ के कपाट, श्रद्धालुओं को एंट्री नहीं

देहरादून मंत्रोच्चार और विधि-विधान से पूजा अर्चना के बाबा केदारनाथ के कपाट आज सुबह 6 बजकर 10 मिनट में खोल दिए गए। हालांकि कोरोना संकट के चलते फिलहाल श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में जाने की अनुमति नहीं हैं। ऐसा पहली बार हुआ होगा जब मंदिर कपाट खुलने के दौरान यहां भक्तों की लाइन नहीं थी। महज 15 से 16 लोग ही वहां मौजूद थे। केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग उखीमठ में 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में हैं इसलिए उनके प्रतिनिधि के तौर पर पुजारी शिवशंकर लिंग ने कपाट खुलने की परंपरा का निर्वहन किया। रावल 19 अप्रैल को महाराष्ट्र से उत्तराखंड लौटे हैं, क्वारंटीन खत्म करने के बाद 3 मई को वह केदारनाथ पहुंचेंगे। उनके साथ देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि के तौर पर बीडी सिंह समेत पंचगाई से संबंधित 20 कर्मचारी कपाट खुलने पर यहां पहुंचे। इसके अलावा पुलिस और प्रशासन के करीब 15 लोग यहां मौजूद रहे। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुई पूजा कोरोना संकट के बीच मंदिर में पूजा-अर्चना के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा गया। मंदिर में भीड़ न हो इसके लिए प्रशासन ने श्रद्धालुओं को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी। पर्यटन-धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर ने यात्रा संबंधी व्यवस्थाओं के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं ताकि कोरोना महामारी की समाप्ति के बाद उच्च स्तरीय दिशानिर्देशों के तहत प्रदेश में चारधाम यात्रा को पटरी पर लाया जा सके। 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर वुड स्टोन कंपनी ने केदारनाथ में बर्फ के ग्लेशियरों को काट कर मंदिर तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाया। अभी भी केदारनाथ में 4 से 6 फीट तक बर्फ देखी जा सकती है। कपाट खुलने के दौरान ऋषिकेश के बाबा के भक्त सतीश कालड़ा ने केदारनाथ मंदिर को 10 क्विंटल गेंदा, गुलाब और अन्य फूलों को भेज फूलों से मंदिर सजाया। मंदिर रात को बिजली की रोशनी से जगमगा रहा था। 15 मई को खुलेंगे बदरीनाथ के कपाट केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड के चार में से तीन धामों के कपाट खुल गये है।श्री गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर 26 अप्रैल को खुल चुके है जबकि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे।


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उत्तराखंड में मिले तीन और कोरोना संक्रमित, आंकडा पहुंचा 54 पर

देहरादून, 28 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड में मंगलवार को तीन और मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई जिससे प्रदेश में इस महामारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढकर 54 पहुंच गयी । कोविड-19 के तीनों नये मामले देहरादून जिले में स्थित एम्स ऋषिकेश में आए हैं जहां 25 अप्रैल को भी एक नर्सिंग अधिकारी में संक्रमण की पुष्टि हुई थी । इस प्रकार एम्स ऋषिकेश में तीन दिनों में कोविड के चार मामले मिल चुके हैं । प्रदेश सरकार द्वारा यहां जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, हांलांकि, अब तक इस रोग से ग्रस्त 34 मरीज उपचार के बाद ठीक भी हो चुके हैं और प्रदेश में सक्रिय मामलों की संख्या 20 है । कोविड 19 के तीनों नये मामले देहरादून जिले के हैं जहां इस बीमारी से पीडितों की संख्या प्रदेश में सर्वाधिक है । यहां अब तक कोरोना संक्रमण के 31 मामले आए हैं जिनमें से 15 मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उपचाररत सक्रिय मामलों की संख्या 16 है । एम्स निदेशक के स्टाफ ऑफिसर डॉ मधुर उनियाल ने बताया कि मंगलवार को सामने आए दो मामले यूरोलॉजी एवं जनरल सर्जरी के संयुक्त वार्ड के हैं जबकि एक अन्य मामला ब्रेन स्ट्रोक से पीडित महिला का है । उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गये नर्सिंग अधिकारी वाले वार्ड से ही मंगलवार शाम एक और स्टाफ नर्स व एक कैंसर मरीज की अटेंडेंट बीमारी से पीडित पायी गयी जबकि तीसरा मामला ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित 58 वर्षीय महिला मरीज का है । ।


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उत्तराखंड में तीन और नए मामले आए सामने, कोरोना संक्रमितों की संख्या 54 हुई

महेश पांडे, देहरादून उत्तराखंड में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के तीन नए मामले सामने आए हैं। इसके चलते प्रदेश में कोरोना महामारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। यह तीनों मामले एम्स ऋषिकेश से हैं। इनमें एक स्टाफ नर्स, न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती एक महिला और एक अन्य मरीज का तीमारदार शामिल है। इससे पहले रविवार को भी यहां यूरोलॉजी विभाग में तैनात एक नर्सिंग ऑफिसर में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। बता दें कि बीते तीन दिनों के भीतर एम्स में चार लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती महिला मूलरूप से नैनीताल जनपद के लालकुंआ की रहने वाली है। बीती 22 अप्रैल से वह एम्स भर्ती हैं। 56 वर्षीय महिला को दो मार्च को ब्रेन स्ट्रोक हुआ। इस पर उसे हल्द्वानी के बृजलाल हॉस्पिटल और आठ मार्च को विवेकानंद हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। जहां वह 19 अप्रैल तक भर्ती रही। इसके बाद उसे बरेली के श्रीराम मूर्ति हॉस्पिटल बरेली रेफर कर दिया गया। 21 अप्रैल तक वहां भर्ती रहने के बाद 22 अप्रैल को महिला को एम्स ऋषिकेश लाया गया। इसके अलावा अस्पताल के ही जनरल सर्जरी वार्ड में तैनात 26 वर्षीय एक स्टाफ नर्स भी कोरोना की पुष्टि हुई है। इसके अलावा एक यूरोलॉजी वार्ड में भर्ती 56 वर्षीय एक महिला मरीज के तीमारदार की रिपोर्ट भी पॉजीटिव आई है। उत्तराखंड में अब तक 5266 नमूनों की जांच स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती के अनुसार, 5266 नमूनों की जांच की गई है, जिनमें 5212 नमूनों की रिपोर्ट नेगेटिव और 54 की पॉजिटिव आई है। अब तक कोरोना से 34 मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं। मंगलवार को हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज हुआ एक मरीज भी इसमें शामिल है। वर्तमान में प्रदेश में केस 20 एक्टिव हैं। वहीं मंगलवार को 214 और सैंपल कोरोना जांच के लिए भेजे गए हैं, जिनमें देहरादून से 100, ऊधमसिंहनगर से 83, नैनीताल से 22, हरिद्वार से सात, उत्तरकाशी से पांच और पौड़ी से चार सैंपल शामिल हैं। निजी लैब में भी 55 सैंपलों की कोरोना जांच होनी शेष है।


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राजाजी की जमीन अस्थायी तौर पर कुंभ मेला समिति को स्थानांतरित करने की तैयारी

देहरादून, 28 अप्रैल (भाषा) राजाजी बाघ अभयारण्य और नरेंद्रनगर वन प्रभाग के खाली पडे विशाल भूखंड को उत्तराखंड वन विभाग अस्थायी रूप से कुंभ मेला समिति को हस्तांतरित करने की तैयारी कर रहा है ताकि वहां श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित की जा सकें। हांलांकि, इससे पर्यावरणविदों और वन्यजीव प्रेमियों की चिंता बढ गयी है। प्रदेश के अतिरिक्त प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डीजीके शर्मा ने बताया कि राजाजी बाघ अभयारण्य और नरेंद्र नगर वन प्रभाग की 778 हेक्टेयर जमीन को नौ माह के लिए कुंभ मेला समिति को हस्तांतरित किए जाने की अनुमति लेने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया है । इस जमीन पर श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी प्रकृति के शिविर और पार्किंग सुविधाएं विकसित की जाएगीं । उन्होंने बताया, ‘‘अगले साल जनवरी में शुरू होने वाले कुंभ मेले में करीब 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है और उनके लिए सुविधाएं विकसित करना हमारा दायित्व है। इसलिए हमने केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय से अस्थायी तौर पर कुंभ मेला समिति को जमीन हस्तांतरित करने के लिए मंजूरी मांगी है।’’ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान नियम राज्य वन विभाग को अस्थायी तौर पर 15 दिन के लिए जमीन हस्तांतरित करने की अनुमति तो देते हैं लेकिन कुंभ मेला समिति को एक सितंबर 2020 से 31 मई 2021 तक नौ माह के लिये जमीन दिये जाने के कारण केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी आवश्यक है । हांलांकि, पर्यावरणविद और वन्यजीव प्रेमी वन विभाग के इस प्रस्ताव को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 और वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन बताते हुए इसके जबरदस्त विरोध में हैं। इसके अलावा, इस धार्मिक मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिये सुविधाओं का निर्माण होने से वन्यजीवों का प्राकृतिक वासस्थल नष्ट होगा और वहां ध्वनि प्रदूषण और प्लास्टिक कूड़े की समस्या पैदा हो जाएगी । ऋषिकेश की युवा पर्यावरणविद रिद्धिमा पांडे ने कहा, ‘‘अधिकारियों को पर्यावरण और जंतु जगत की चिंता ही नहीं है । उनका एकमात्र एजेंडा राजस्व पैदा करना है । हर साल कांवड़ मेले के दौरान एक माह में पर्यावरण को होने वाला नुकसान किसी से छिपा नहीं है जबकि कुंभ मेला तो कहीं बडे पैमाने पर आयोजित होता है।’’ उन्होंने कहा कि मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से राजाजी में जानवरों का प्राकृतिक वासस्थल नष्ट हो जायेगा । राजाजी में बाघों की अच्छी खासी संख्या है । पर्यावरणविदों के विरोध पर वन अधिकारी ने कहा कि बाघ अभयारण्य और वन प्रभाग के केवल कम वनस्पति वाले क्षेत्रों को कुंभ मेले के लिये दिया जाएगा और इसमें कुंभ मेला समिति द्वारा पेडों को नहीं काटा जाएगा या हरित क्षेत्र को कोई नुकसान नहीं होगा।


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उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण का एक और मामला सामने आया

देहरादून, 28 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड में मंगलवार कोरोना वायरस संक्रमण के एक और मामला सामने आया जिससे प्रदेश में इस महामारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 52 हो गयी। प्रदेश सरकार द्वारा यहां जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार हांलांकि, अब तक इस रोग से ग्रस्त 34 मरीज उपचार के बाद ठीक भी हो चुके हैं और प्रदेश में अभी भी संक्रमित मामलों की संख्या 18 है। कोविड-19 का ताजा मामला देहरादून जिले के ऋषिकेश से आया है जहां एम्स में 22 अप्रैल को भर्ती हुई नैनीताल की 56 वर्षीय महिला संक्रमित पायी गयी है। प्रदेश में कोरोना वायरस से पीडित सर्वाधिक मरीज देहरादून जिले में हैं जहां अब इस महामारी से पीड़ितों की संख्या 29 हो गयी है। हांलांकि, इनमें से 15 मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उपचाररत मामलों की संख्या 14 है। एम्स ऋषिकेश के डीन डॉ उदय भास्कर मिश्रा ने बताया कि उपचार के दौरान इस संक्रमित महिला के संपर्क में आए करीब 90 लोगों को पृथक किया जाएगा जिसमें अधिकांश एम्स के स्टॉफ हैं। उन्होंने बताया कि एम्स में इतने लोगों को पृथक रखने की व्यवस्था नहीं होने के कारण इसके लिए देहरादून जिला प्रशासन से संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महिला मरीज को ब्रेन स्ट्रोक पड़ने के बाद उन्हें पहले नैनीताल के विवेकानंद अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें उत्तर प्रदेश के बरेली में एक अस्पताल लायी गई। बरेली से उन्हें 22 अप्रैल को एम्स ऋषिकेश लाया गया। नैनीताल व बरेली के अस्पतालों की डिस्चार्ज स्लिप में इनकी कोरोना वायरस जाँच निगेटिव बतायी गयी थी। मिश्रा ने बताया कि महिला मरीज के कोरोना वायरस संक्रमित होने की सूचना नैनीताल व बरेली प्रशासन को दे दी गयी है।


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कांग्रेस के ‘देवभूमि ऐप’ पर नौ हजार से ज्यादा लोगों ने दर्ज कराईं शिकायतें

देहरादून, 28 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड कांग्रेस द्वारा जारी 'देवभूमि सेवा ऐप' पर करीब नौ हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी समस्यायें दर्ज करायी हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह जल्द ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलकर उनसे आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करेंगे। सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के दौरान समस्याओं को जानने के लिए 22 अप्रैल को जारी ‘देवभूमि सेवा ऐप’ के माध्यम से राज्य के छात्रों और मजदूरों समेत हजारों लोगों के अन्य प्रदेशों में फंसे लोगों की जानकारी प्राप्त हुई है। इस दौरान सिंह के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य और इस ऐप को लांच करने वाले मनीष खण्डूरी भी मौजूद थे। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि इस ऐप के माध्यम से अभी तक नौ हजार से अधिक लोगों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराया है तथा यह भी पता चला है कि कई लोगों तक अभी तक राहत सामग्री और खाद्यान्न नहीं पहुंच पा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष सिंह ने कहा कि वह शीघ्र ही मुख्यमंत्री रावत से मुलाकात कर इन समस्याओं के बारे में उन्हें बताएंगे और उनसे आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जनपदों से बड़ी संख्या में पलायन करने वाले अधिकतर नौजवान देश के औद्योगिक क्षेत्रों एवं होटलों में सेवारत हैं तथा छात्र उच्च शिक्षा के लिए अपने घरों से दूर हैं। उन्होंने कहा कि उनके सामने खाने-पीने के सामान तथा बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक सामग्री का संकट खड़ा हो गया है जिससे वे अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं। सिंह ने कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के कारण बंद निजी संस्थानों, कारखानों, दुकानों आदि के कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट को देखते हुए राज्य सरकार से छात्रों की स्कूल फीस माफ करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने छात्रों की फीस माफ करने का निर्णय लिया है। सिंह ने उत्तराखंड के निजी विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे छात्रों की फीस माफ करने के साथ ही वहां कार्यरत शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए राज्य सरकार से धनराशि उपलब्ध कराने को भी कहा है।


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सोमवार, 27 अप्रैल 2020

दूसरे पड़ाव पर भीमबली पहुंची केदार बाबा की विग्रह पंचमुखी उत्सव डोली

रुद्रप्रयाग उत्तराखंड में केदारनाथ बाबा की चल विग्रह पंचमुखी उत्सव डोली सोमवार को अपने दूसरे पड़ाव पहुंच गई। रविवार को केदारनाथ धाम के लिए रवाना हुई बाबा की चल विग्रह पंचमुखी उत्सव डोली ने रविवार रात्रि को गौरीकुंड में रात्रि विश्राम किया था। सोमवार को मौसम के खराब होने के बावजूद डोली ने दूसरे पड़ाव भीमबली के लिए प्रस्थान किया और शाम से पहले ही भीमबली पहुंची। रास्ते में चारों तरफ बर्फ ही बर्फ होने से इस डोली को पहुंचने में समय ज्यादा लगा। ठंड भी पुरी राह तीर्थ पुरोहितों और डोली के कहार बने भक्तों को परेशान करती रही और केदार के दर्शनों की लालसा से सभी बड़े उत्साह से अपने गन्तव्य की ओर भोले बाबा की जय-जयकार करते बढ़ते रहे। मंगलवार सुबह बाबा की डोली भीम बली से केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी और रात्रि प्रवास केदारनाथ धाम में ही होगा। 29 अप्रैल को प्रातः 6:10 पर मेष लग्न में मंत्रोच्चार के साथ केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाने पर गोली में विराजमान भगवान केदार के पंचमुखी विग्रह को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करा दिया जाएगा। इसके बाद केदारनाथ स्थित धाम ही पंचमुखी विग्रह का स्थान होगा और भक्तों द्वारा यहीं उनकी पूजा होगी।


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उत्तराखंड: 122 साल का हुआ नैनीताल का राजभवन, गजब का है डिजाइन

इंग्लैंड के की तर्ज पर ब्रिटिश हूकूमत के दौरान निर्मित को 122 साल पूरे हो गए हैं। इस ऐतिहासिक राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 में रखी गई थी। चर्चित गौथिक शैली में बने इस राजभवन का आकार अंग्रेजी के E शब्द की तरह है। इसके निर्माण में एंटोनी पैट्रिक मेक्डोनाल्ड की खास भूमिका रही। मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल का डिजाइन बनाने वाले चर्चित डिजाइनर फेडरिक विलियम स्टीवन ने ही इस राजभवन का डिजायन भी तैयार किया था।आज भी यह माना जाता है कि इस राजभवन के सम्मुख खड़े होने से इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस के सामने खड़े होने का सा अनुभव होता है। लगभग 220 एकड़ क्षेत्रफल के भूभाग वाले इस राजभवन का 160 एकड़ क्षेत्र जंगल का है। इस राजभवन में 75 एकड़ में गोल्फ मैदान भी बने हैं। नैनीताल जन्मोत्सव समिति करती है आयोजन नैनीताल जन्मोत्सव समिति की ओर से हर वर्ष 27 अप्रैल को नैनीताल में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आयोजक दीपक सिंह बिष्ट समेत अन्य सामाजिक कार्यकर्ता इसमें विशेष भूमिका पर रहते हैं। लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के चलते यहां कार्यक्रम नहीं किए जा सकेंगे। हालांकि सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए सामान्य आयोजन हो सकता है। इमारत के अंदर बना था पहला गुरुद्वारा साल 1900 में यह राजभवन बनकर तैयार हुआ था । यूपी सरकार ने साल 1994 में इस राजभवन को पर्यटकों के लिए भी खोल था। स्थानीय पत्थर तथा इंग्लैंड से लाये शीशे और टाइल का प्रयोग कर एशलर फिनशिंग ने इस इमारत को ऐसा यादगार रूप दे डाला कि यह यादगार इमारत बन गई। इस इमारत के भीतर नैनीताल का पहला गुरुद्वारा भी निर्मित हुआ था।


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दुबई में हुई मौत और भारत ने लौटा दिया था शव, वापस मंगाकर ऋषिकेश में हुआ दाह संस्कार

देहरादून उत्तराखंड के टिहरी जिले के रहने वाले की हो गई थी। कमलेश का शव जब भारत आया तो एयरपोर्ट से ही उसे वापस भेज दिया गया। इस घटना से नाराज परिजन ने टिहरी के डीएम को सूचना दी। डीएम ने से बात की तो हरकत में आई केंद्र सरकार ने कमलेश भट्ट का शव वापस मंगा लिया। सोमवार को ऋषिकेश में कमलेश का दाह संस्कार कर दिया गया। टिहरी जिले के सेमवाल गांव के 25 वर्षीय युवक बीती 17 अप्रैल को हार्ट अटैक से हो गई थी। एक समाजसेवी की कोशिश से उनका शव 23 अप्रैल को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा था लेकिन एयरपोर्ट से ही उनका शव वापस दुबई के लिए भेज दिया गया। जबकि दिल्ली एयरपोर्ट पर शव लेने के लिए कमलेश के पिता हरिप्रसाद भट्ट और अन्य परिजन पहुंचे हुए थे। एयरपोर्ट से ही लौटा दिया गया था कमलेश का शव कमलेश के भाई विमलेश भट्ट के अनुसार, एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन के नोडल अधिकारी न होने के कारण उनके अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारियों ने विमान से शव नहीं उतरने दिया। जिसके बाद शव को वापस दुबई भेज दिया गया। उधर शव फिर से दुबई पहुंचने पर इसी समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने भी शव को फिर से भारत भिजवाने के प्रयास जारी रखते हुए इस शव को दुबई में मोर्चरी में रखवा दिया। शव वापस कर दिए जाने के बाद से गहरे सदमे में आए कमलेश के परिजन ने टिहरी के डीएम को पत्र लिखकर शव को भारत लाए जाने की मांग की। इस पत्र प्राप्ति के बाद जिला प्रशासन ने भी गृह विभाग को पत्र भेजकर पूरे मामले की जानकारी दी। जिसके बाद हरकत में आई सरकार ने इस शव को फिर से भारत मंगवाया। आखिकरकार कमलेश का शव रविवार की देर रात करीब डेढ़ बजे दुबई से कार्गो विमान से दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट लाया गया। एयरपोर्ट पर मौजूद कमलेश के परिजन वहां से शव लेकर सीधे ऋषिकेश के लिए रवाना हुए। सोमवार को ऋषिकेश के पूर्णानंद गंगा घाट पर शव का दाह संस्कार किया गया। उन्हें मुखाग्नि छोटे भाई राजेश भट्ट ने दी। 22 साल की उम्र में दुबई गए थे कमलेश आर्थिक तंगी के कारण जैसे-तैसे गांव में इंटर तक की पढ़ाई पूरी करके दो साल पहले 22 साल की उम्र में कमलेश दुबई के एक होटल में नौकरी करने गए थे। दुर्भाग्य से वह अपने बुजुर्ग पिता हरि प्रसाद भट्ट और माता प्रमिला देवी की आस पूरी न कर सके। 17 अप्रैल को कमलेश की मौत से परिजन के सारे सपने चकनाचूर हो गए। कमलेश की माता प्रमिला देवी भी पिछले लंबे समय से बीमार चल रही हैं। जिससे उनकी और परिवार की जिम्मेदारी इंटर की पढ़ाई पूरी कर चुके कमलेश के छोटे भाई राजेश के कंधों पर आ गई है।


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पुलिस ने पुरोला में अवैध अफीम की फसल नष्ट की, 11 के खिलाफ मुकदमा दर्ज

उत्तरकाशी, 27 अप्रैल :भाषा: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला क्षेत्र में मटियाली छानी में पुलिस ने सोमवार को 0.137 हेक्टेयर पर लगी अवैध अफीम पोस्त की फसल को नष्ट करते हुए 11 उत्पादकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया । राजस्व उप निरीक्षक उपेंद्र राणा ने पुरोला के उपजिलाधिकारी मनीष कुमार को तहसील मुख्यालय से लगभग आठ किमी दूर पुरोला-नौगांव मोटर मार्ग पर हुडोली के समीप मटियाली छानी में प्रतिबंधित अफीम की खेती की सूचना दी। इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए उपजिलाधिकारी कुमार ने पुलिस को प्रतिबंधित अफीम की खेती नष्ट करने के निर्देश दिये। सोमवार को पुलिस ने 0.137 हेक्टेयर जमीन पर उगी अवैध अफीम नष्ट कर दी । इस संबंध में पुलिस ने मटियाली गांव के 11 अफीम उत्पादकों के खिलाफ मादक द्रव्य निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कोई भी अफीम की खेती नहीं करता है और विभिन्न पहाड़ी पकवानों तथा त्योहारों में घरेलू उपयोग के लिये पोस्त उगाया जाता है ।


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रविवार, 26 अप्रैल 2020

नैनीतालः लॉकडाउन में फ्री टाइम का उठाया फायदा, गांववालों ने 1 महीने में बना डाली सड़क

नैनीताल लॉकडाउन के दौरान घरों के अंदर बंद लोग कुछ न कुछ नया कर रहे हैं। कुछ ने नए व्यंजन बनाना सीखा है, कुछ नई भाषाएं सीख रहे हैं तो कुछ दूसरे प्लैटफॉर्म पर काम कर रहे हैं। उत्तराखंड के एक गांव के लोगों ने लॉकडाउन के दौरान कुछ अलग ही किया। गांववालों ने मिलकर पहाड़ों पर कठिन चुनौतियों के बीच अपने गांव के लिए सड़क बना डाली। नैनीताल के खड़की गांव में लगभग 40 परिवारों के घर हैं। गांववालों ने बताया कि लगभग एक दशक पहले 6 लाख रुपये की लागत से शिलौटी इलाके में उनके गांव को जोड़ने के लिए सरकार ने तीन किलोमीटर लंबा एक खंड बनाया गया था। यह सड़क कुछ दिन तो रही लेकिन बाद में उखड़ने लगी। देखते ही देखते वहां से सड़क पूरी तरह से गायब हो गई। सड़क पर भूस्खलन से मलबा जमा होने लगा और चारों तरफ झाड़ियां उग आईं। उन लोगों के गांव से शहर की तरफ जाने का रास्ता लगभग पूरी तरह बंद हो गया। उन लोगों को मजबूरन वही रास्ता अपनाना पड़ता था। कई बार शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई लोगों ने बताया कि कई बार शिकायत के बावजूद अधिकारियों ने उन लोगों की नहीं सुनी। लॉकडाउन में उन लोगों के पास पर्याप्त समय था। सभी गांववाले अपने घरों में थे। सबने आपसी बातचीत में खुद से सड़क ठीक करे की ठानी। खड़की गांव के रहने वाले विनोद कुमार आर्य ने बताया कि हमने गांव के करीब 25 लोगों को इकट्ठा किया और सड़क के अलग-अलग हिस्सों को खाली करने के लिए छोटी टीमों में काम करने का फैसला किया। सोशल डिस्टेंसिंग का भी रखा ख्याल अधिकांश लोगों ने सड़क बनाने के लिए नियमित घरेलू उपकरणों का उपयोग किया। इन लोगों के पास उचित उपकरण की कमी और जंगली जानवरों के हमले का डर भी था, लेकिन इन सारी चुनौतियों के बीच भी उन लोगों ने काम जारी रखा। इतना ही नहीं लोगों ने सड़क बनाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा। एक महीने में बन गया साफ, चपटा ट्रैक अंत में, लगभग एक महीने में, सड़क को 2 मीटर चौड़ा किया गया। यह पूरी तरह से साफ और चपटी हो गई। इस एक ट्रैक पर, जहां पैदल चलना मुश्किल था, वहां अब आराम से मोटरसाइकिल चलाई जा सकती है। नैनीताल के जिला मैजिस्ट्रेट सविन बंसल ने कहा कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद गांववालों के मदद की जाएगी और सड़क को पक्का किया जाएगा।


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उत्तराखंड में दो और कोरोना वायरस संक्रमित

देहरादून, 26 अप्रैल (भाषा) एम्स ऋषिकेश के एक स्वास्थ्यकर्मी सहित उत्तराखंड में दो और मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है जिससे राज्य में इस महामारी से पीड़ितों की संख्या बढकर 50 हो गयी है । राज्य सरकार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, कोविड-19 के दोनों नये मामले देहरादून जिले के हैं । कोरोना वायरस का एक मरीज एम्स ऋषिकेश के यूरोलॉजी विभाग के ओपीडी में काम करने वाला नर्सिंग अधिकारी हैं । उन्हें 24 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण महसूस हुए थे। एम्स के डीन यूबी मिश्रा ने बताया कि नर्सिंग अधिकारी के संपर्क में रहे वार्ड के सभी कर्मियों और मरीजों के नमूने जांच के लिए भेज दिये गये हैं और सभी को पृथक-वास में रख दिया गया है । उन्होंने बताया कि वार्ड में नए मरीजों की भर्ती भी बंद कर दी गयी है । ऐसा माना जा रहा है कि नर्सिंग अधिकारी को यह बीमारी किसी एसिम्पटोमेटिक :लक्षणविहीन: कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से हुआ है । मिश्रा ने बताया कि नर्सिंग अधिकारी आइडीपीएल परिसर के पास स्थित बापू ग्राम की बीस बीघा कालोनी की गली नम्बर तीन में किराए के मकान में रहते थे। देहरादून के पुलिस अधीक्षक, देहात, प्रमेंद्र डोबाल ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये लोगों का गहनता से पता लगाया जा रहा है ।


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उत्तराखंडः लॉकडाउन के बीच खुले गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट, शुरू हुई चारधाम यात्रा

उत्तरकाशी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध के कपाट रविवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोल दिए गए। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कपाट के खुलने के दौरान सभी लोगों ने मुंह पर मास्क भी लगाया था। बताया गया कि रोहिणी अमृत योग की शुभ वेला पर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर मंदिर के कपाट खोले गए। बीते दिनों (25 अप्रैल को) मां गंगा की डोली उनके मायके और शीतकालीन प्रवास मुखबा से भैरो घाटी के लिए रवाना हुई थी। भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद मां गंगा की डोली आज सुबह 7 बजे गंगोत्री के लिए रवाना हुई। जहां गंगा पूजन, गंगा सहस्रनाम पाठ और विशेष पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ गंगा की भोग मूर्ति को मंदिर के भीतर विराजमान कराया गया। दूसरी तरफ यमुनोत्री घाटी स्थित यमुनोत्री मंदिर धाम के कपाट भी सादगीपूर्ण ढंग से खोल दिए गए। मां यमुना की डोली रविवार सुबह 8.15 बजे खरसाली मठ से यमुनोत्री धाम के लिए विदा हुई। यमुनोत्री धाम पहुंचने के बाद विशेष पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ तय मुहूर्त 12 बजकर 41 मिनट पर मंदिर के कपाट सादगीपूर्ण ढंग से दर्शनार्थ खोल दिए गए। सीमित संख्या में ही तीर्थ-पुरोहित इस दौरान कपाट उद्घाटन में प्रतिभाग कर सके। नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीमें यमुनोत्री एवं गंगोत्री में मौजूद रहीं। चिकित्साधिकारी रहे मौजूद उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइन के अनुसार समस्त नियमों का अनुपालन कराया गया है तथा आगे भी यह समस्त नियम प्रभावी रहेंगे। और के चलते दोनों धामों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीपी जोशी के नेतृत्व में मेडिकल टीम द्वारा कपाटोद्घाटन में शामिल सभी तीर्थ पुरोहितों का मेडिकल परीक्षण किया गया। साथ ही मौके पर सेनेटाइजर, मास्क आदि की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई।


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श्रद्धालुओं की अनुपस्थिति में खुले गंगोत्री, यमुनोत्री के कपाट, चारधाम यात्रा आरंभ

उत्तरकाशी, 26 अप्रैल (भाषा) अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर रविवार को उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का आरंभ हो गया । हांलांकि, कोविड-19 के साये में शुरू हुई इस यात्रा से फिलहाल श्रद्धालुओं को दूर ही रखा गया है। गंगा पूजन, गंगा सहस्त्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा अर्चना के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रोहिणी अमृत योग की शुभ बेला पर दोपहर 12बजकर 35 मिनट पर पुजारियों, मंदिर समिति के पदाधिकारियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में गंगोत्री के कपाट खोल दिए गए। इस दौरान मेल-जोल से दूरी के नियम का पूर्ण रूप से अनुपालन किया गया तथा वहां मौजूद सभी व्यक्तियों ने मास्क पहने हुए थे । कल शनिवार को माँ गंगा की डोली उनके मायके एवं शीतकालीन प्रवास मुखबा से भैरोंघाटी आयी और वहां रात्रि विश्राम के बाद सुबह गंगोत्री पहुंची जहां पूर्ण विधि-विधान के साथ गंगा जी की भोग मूर्ति को मंदिर के भीतर विराजमान किया गया। उधर, यमुनोत्री धाम के कपाट भी विशेष पूजा-अर्चना व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तय मुहूर्त 12बजकर41 मिनट पर खोल दिये गये । इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पहली पूजा हुई। जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने कहा कि कोरोना वायरस एवं देशव्यापी लॉकडाउन के चलते भारत सरकार के दिशानिर्देश के अनुरूप दोनों धामों के कपाट सादगीपूर्ण तरीके से खोल दिए गये । इससे पहले, दोनों धामों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ डीपी जोशी के नेतृत्व में मेडिकल टीम द्वारा कपाट खुलने के समारोह में शामिल सभी तीर्थ पुरोहितों का मेडिकल परीक्षण किया गया। साथ ही मौके पर सैनिटाइजर, मास्क आदि की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई थी । उच्च गढवाल हिमालय के चारधाम के नाम से मशहूर दो अन्य धामों के कपाट भी जल्द खोले जाएगें । केदारनाथ के कपाट जहां 29 अप्रैल को खुलेंगे वहीं बदरीनाथ के कपाट 15 मई को खुलेंगे । सर्दियों में भीषण बर्फवारी और ठंड की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल—मई में फिर खोल दिए जाते हैं ।


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उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 50 पहुंचा

महेश पांडेय, देहरादून उत्तराखंड में से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 50 पहुंच गया है। रविवार को सामने आए दो संक्रमितों में से एक ऋषिकेश एम्स का नर्सिंग स्टाफ कर्मचारी और दूसरा दूसरा मरीज दून महिला अस्‍पताल में भर्ती आजाद कॉलोनी की महिला है। राज्य में 26 संक्रमित स्वस्थ्य होकर अस्पतालों से डिस्चार्ज भी हो चुके हैं। एम्स ऋषिकेश के यूरोलॉजी विभाग में काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ में शामिल 30 वर्षीय युवक में कोविड-19 पॉजिटिव आने के बाद प्रशासन ने 20 बीघा बापू ग्राम जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया है। एम्स सूत्रों के अनुसार यह कर्मचारी शुक्रवार तक ड्यूटी पर आया था। जब उसे संबंधित शिकायत हुई तो वार्ड में ही उसका थर्मल स्क्रीनिंग टेस्ट किया गया था। उसे बुखार की पुष्टि हुई थी। शनिवार की शाम उसका सैंपल लिया गया। उसकी रविवार की सुबह रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। यह कर्मचारी किस-किस के संपर्क में रहा और कहां-कहां गया, इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है। जानकारी मिलने के बाद संबंधित सभी लोगों को क्वॉरटीन किया जाएगा।


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रवाना हुई बाबा केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली, 29 को खुलेंगे कपाट

रुद्रप्रयाग बाबा केदारनाथ का शीतकालीन प्रवास रविवार को खत्म हो गया। ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से बाबा केदार की पंचमुखी चलविग्रह उत्सव डोली वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अक्षय तृतीय पर रवाना हुआ। बाबा की डोली रथ रूप में सुसज्जित वाहन से केदारनाथ धाम के लिए रवाना हुई। इस बार बाबा की डोली में, वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन का पालन किया गया। इस साल केदारनाथ यात्रा के लिए डोली प्रस्थान के सभी समारोह का संचालन सूक्ष्म रूप से किया जा रहा है। बाबा की डोली के धाम प्रस्थान व कपाटोद्घाटन के सभी समारोह में गिनती के लोग ही शामिल हो सकेंगे। किसी को भी नहीं दी गई अनुमति रविवार को डोली सुबह निकाली गई। इसमें पुजारी और वेदपाठी ही शामिल रहे। स्थानीय लोगों और अधिकारियों को बाबा की डोली के साथ चलने की अनुमति नही दी गई। पूरी सुरक्षा व्यवस्था के बीच डोली ऊखीमठ से अपने धाम को रवाना हुई तो स्थानीय लोगों ने अपने घरों की छतों, आंगन और तिबारियों में खड़े होकर अश्रुपूरित नेत्रों से आशीर्वाद मांगा। तीसरे दिन पहुंचेगी केदारनाथ धाम बाबा केदार की पंचमुखी चलविग्रह उत्सव डोली का प्रथम रात्रि प्रवास गौरामाई मंदिर गौरीकुण्ड में होगा। 27 अप्रैल को डोली का द्वितीय रात्रि प्रवास भीमबली में होगा, 28 अप्रैल को उत्सव डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। 29 अप्रैल को प्रातः 6 बजकर 10 मिनट पर मेष लग्न में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाबा के कपाट खोले जाएंगे।


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उत्तराखंड के युवक की दुबई में मौत, शव भारत आया तो अधिकारियों ने वापस भेज दिया, प्रदेशवासियों में आक्रोश

देहरादून दुबई में टिहरी गढ़वाल के कमलेश भट्ट की मौत के बाद भारत भेजे गए उनके शव को वापस भेजे जाने के भारत सरकार के निर्णय से उत्तराखंड में आक्रोश दिखाई देने लगा है। टिहरी गढ़वाल के कमलेश भट्ट की दुबई में 16 अप्रैल को उसके कमरे में ही मृत्यु हो गई थी। कमलेश दुबई में नौकरी कर रहा था। उसके मृत्यु प्रमाणपत्र में लिखा है कि वह कोरोना से संक्रमित नहीं था। उत्तराखंड और भारत सरकार ने जब कमलेश के पार्थिव शरीर को भारत नहीं मंगवाया तो दुबई में ही रह रहे एक उत्तराखंडी कार्यकर्ता रोशन रतूड़ी ने सभी औपचारिकताएं पूरी करके उसका शरीर 23 तारीख की शाम को भारत भिजवाया। लेकिन भारतीय अधिकारियों ने शव लेने से ही मना कर दिया और कहा कि भारतीय गृह मंत्रालय से अतिरिक्त अनुमोदन के बिना इसे नहीं लिया जा सकता। इसके बाद 23 तारीख दोपहर को शव वापस अबू धावी भेज दिया गया। कमलेश भट्ट के माता-पिता उसे लेने टिहरी से ऐम्बुलेंस से दिल्ली पहुंचे थे लेकिन वे उसे आखिरी बार भी नहीं देख पाए। सरकार के इस फैसले से उत्तराखंड के लोगों में भारी आक्रोश है। कमलेश के शव को वापस मंगाने की मांग उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि हम इस बात से आक्रोशित हैं कि आम गरीब व उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों के लोगों के साथ ऐसा ही होता है। उन्होंने सवाल उठाया कि हम जानना चाहते हैं कि उत्तराखण्ड की डबल इंजन सरकार और उसके नेता क्या कर रहे थे? क्या उत्तराखण्ड के आम युवा के स्थान पर यदि किसी नेता, मंत्री, उद्योगपति, ब्यूरोक्रेट का परिवारवाला होता तो भी क्या शव के साथ यही व्यवहार होता? यह एक उदाहरण है जो हमारी राजनैतिक हैसियत को बताता है। उन्होंने उत्तराखण्ड व देश की सरकार से कमलेश के पार्थिव शरीर को देश वापस लाकर सम्मान के साथ उनके परिवारवालों को सौंपने की मांग की है।


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शनिवार, 25 अप्रैल 2020

गंगोत्री धाम रवाना हुई डोली, अभिजीत मुहूर्त में खुलेंगे गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट

देहरादून सादे समारोह के बीच गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा से गंगा की डोली शनिवार को गंगोत्री के लिए रवाना कर दी हई । गंगा की विग्रह डोली यात्रा में देश में लॉकडाउन के चलते केवल 21 लोग ही शामिल हुए। जिनमें दो बाजगी (ढोल वादक) और 19 तीर्थ पुरोहित व श्री गंगोत्री मंदिर समिति के पदाधिकारी शामिल थे। इनके अलावा इस आयोजन में शारीरिक दूरी का पालन करवाने के लिए प्रशासन और पुलिस के लोग भी शामिल हुए। रात्रि विश्राम शनिवार को भैरव घाटी में करने के बाद रविवार सुबह को डोली गंगोत्री पहुंचेगी और दोपहर 12.35 बजे गंगोत्री मंदिर के कपाट छह महीने के लिए खोल दिए जायेंगे। इसके साथ ही उत्तरकाशी जिले की यमुना घाटी में रविवार की दोपहर 12.41 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट खोलें जाएंगे। शनिवार की सुबह गंगा के चल विग्रह डोली को गंगोत्री के लिए तैयार किया गया इसके लिए तीर्थ पुरोहितों ने गंगा की डोली का पहले पूजन कर फिर उसे गंगोत्री चलने के लिए तैयार किया। सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ध्यान डोली के साथ दो ढोल वादकों समेत कुल इक्कीस लोगों को प्रशासन ने गंगोत्री जाने की अनुमति दी है, जिनमे उन्नीस तीर्थ पुरोहित हैं। इस बार सेना के बैंड की धुनों के बीच भी गंगा की डोली को रवाना नहीं किया जा सका। जबकि पिछले सालों तक यह परम्परा थी कि गंगा डोली को सैनिक बैंड कि धुनों के बीच रवाना किया जाता था। गंगा की डोली के रवाना होने के दौरान रस्ते में मुखवा गांव निवासियों सहित हर्षिल, धराली, बगोरी के ग्रामीणों ने घरों से ही मां गंगा को हाथ जोड़े और फूल चढ़ाए। इस डोली के साथ सीमित मात्रा में पुलिस और प्रशासन के लोग भी डोली के साथ भेजे गए ताकि सोशल डिस्टेंसिंग समेत अन्य जरूरी सावधानियों का पालन कराया जा सके। अभिजीत मुहूर्त में खुलेंगे कपाट यह पहली हुआ कि मान गंगा को विदा करने उनके मायका माना जाने वाले मुखबा गांव के ग्रामीण गंगा को विदा देने मुखू मठ मंदिर परिसर भी नहीं पहुँच सके। डोली के दर्शन उन्होंने राह चलते हुए दूर से हाथ जोड़कर ही किए। रविवार को यमुना घाटी में मान यमुना की डोली भी अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली से यमुनोत्री को प्रस्थान करेगी। अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.41 बजे पर यमुनोत्री के कपाट खोल दिये जाएंगे। यमुनोत्री धाम में कपाट उद्घाटन पर यमुनोत्री जाने वाले 18 तीर्थ पुरोहितों को अनुमति दी गई है। कम लोगों को ही दी गई पूजा की अनुमति इसके अलावा चारधाम के एक अन्य महत्वपूर्ण धाम केदारनाथ की की पंच मुखी डोली चल विग्रह डोली के पंचकेदार गद़्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से 26 अप्रैल को अपने धाम प्रस्थान कराने को शनिवार देर सांय को बाबा केदार के क्षेत्रपाल भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की गई। तहसील प्रशासन ने पूजा में शामिल होने के लिए चार पुजारियों समेत 15 लोगों को ही इस पूजा में शामिल होने की अनुमति दी। रविवार 26 अप्रैल को वाहन से ऊखीमठ से गौरीकुंड तक पहुंचाया जाएगा। जहां से 27 अप्रैल को डोली के पंचमुखी विग्रह को उनके मुख्य धाम केदारनाथ पहुंचाया जायेगा। 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर धाम के कपाट खोले जाएंगे। कोरोना के प्रकोप कम करने की हुई कामना केदारनाथ प्रमुख रावल भीमाशंकर लिंग ने बताया कि भगवान भैरवनाथ से बाबा केदार की यात्रा के सकुशल संचालन व सुख-समृद्धि की मनौति मांगी गई। साथ ही कोरोना महामारी के प्रकोप को भी दूर करने की कामना की गई। भगवान भैरवनाथ पूरे क्षेत्र के क्षेत्रपाल हैं, इसलिए सर्वप्रथम उनका आह्वान किया जाता है। मान्यता है कि केदारनाथ में कपाटोद्घाटन से पहले शनिवार या मंगलवार में से जो वार पहले पड़े उसी वार को भगवान भैरवनाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। उसके बाद ही बाबा केदार की सांयकालीन आरती शुरू होती है।


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उत्तराखंड: 9 पर्वतीय जिलों में सुबह 7 से शाम 6 बजे तक खुलेंगे बाजार

देहरादून उत्तराखंड के ग्रीन जोन वाले 9 पर्वतीय जिलों टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, पिथोरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत और पौड़ी में भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, दुकानों को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक खोला जाएगा। शराब, नाई समते जिन दुकानों को प्रतिबंधित रखा गया है, उन दुकानों को बंद रखा जाएगा। रेड जोन वाले चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर में आवश्यक वस्तुओं की दुकानें पहले की तरह सुबह 7 से दोपहर 1 बजे तक ही खुलेंगी। इन चार जिलों में यदि किन्हीं क्षेत्रों में शिथिलता दी जानी है तो उसके संबंध मे संबंधित जिलाधिकारी निर्णय लेंगे। इंटर स्टेट और इंटर डिस्ट्रिक्ट यातायात पर पहले की तरह ही रोक रहेगी। लोगों से सीएम की अपील- जरूरी हो तभी बाहर निकलें ये सभी फैसले मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्च अधिकारियों की एक बैठक में लिए गए है। बैठक में मुख्यमंत्री ने निजी निर्माण कार्यों की अनुमति दिए जाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन यह सुनिश्चित कर ले कि सोशल डिस्टेंसिंग को हर हाल में बनाए रखा जाए। लोग बिना काम के बाहर ना निकलें। घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग करें। मुख्यमंत्री ने छूट के दायरे में आने वाले 9 जिलों के लोगों से अपील की है कि जरूरी होने पर ही घर से निकलें, अनावश्यक बाहर न जाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करें। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई इश बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, शैलेश बगोली और राधिका झा उपस्थित थे।


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उत्तराखंड में कोविड-19 के मरीजों का इलाज निर्धारित अस्पतालों में ही होगा

देहरादून, 25 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड में अब कोविड-19 मरीजों के लिए चिह्नित अस्पतालों में ही संक्रमितों का इलाज किया जाएगा। यह जानकारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को दी। उन्होंने बताया कि अब हरिद्वार स्थित मेला अस्पताल, देहरादून स्थित दून अस्पताल, रुद्रपुर स्थित चिकित्सा महाविद्याल और हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल में ही कोविड-19 मरीजों का इलाज होगा। रावत ने बताया कि अन्य अस्पताल अब पहले की तरह काम करेंगे। पहले कोविड-19 मरीजों का अन्य अस्पतालों में भी इलाज किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि नौ जिलों जहां पर कोविड-19 का कोई मरीज नहीं है वहां पर अस्पताल खोल दिए गए हैं और रविवार से वहां सामान्य कामकाज शुरू हो जाएगा। रमजान का पवित्र महीना शुरू होने के अवसर पर दिए एक अलग संदेश में रावत ने लोगों को बधाई देते हुए घर में ही इबादत करने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘ आपसी सहयोग से ही कोरोना वायरस की महामारी को हराया जा सकता है।’’ उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में अबतक कोविड-19 के 48 मामले सामने आए है जिनमें से 25 संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। राज्य में 11 स्थानों को निषिद्ध क्षेत्र या अधिक संक्रमित स्थान के रूप में चिह्नित किया गया है जिनमें से सात देहरादून में, तीन हरिद्वार में और एक नैनीताल में है।


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उत्तराखंड के रिजॉर्ट में फंसे पर्यटकों ने प्रशासन से वापस घर भेजने का आग्रह किया

पिथौरागढ, 25 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के पिथौरागढ में लॉकडाउन के कारण पिछले करीब एक महीने से फंसे पश्चिम बंगाल के 27 पर्यटकों ने शनिवार को स्थानीय प्रशासन से उन्हें घर भेजने का आग्रह किया और कहा कि उनका धन और आवश्यक दवाएं खत्म हो गयी हैं । उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले केबेरीनाग इलाके में एक रिजॉर्ट में ये लोग 21 मार्च से फंसे हुये हैं । पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के रहने वाले पर्यटक शांतनु घोष ने बताया, '​हम अपने कुमाउं टूर के कार्यक्रम में 21 मार्च को चौकोरी आये थे लेकिन कोविड—19 के संक्रमण के प्रसार के रोकने के मद्देनजर जारी लॉकडाउन कारण हम यहां फंस गये ।' उन्होंने बताया कि उनके समूह में चार साल की एक बच्ची है । साथ ही चार ऐसे लोग हैं जिनकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है तथा उन्हें नियमित दवा की आवश्यकता पड़ती है । उन्होंने कहा कि अब उनकी दवाएं खत्म हो चुकी हैं जो यहां स्थानीय बाजारों के उपलब्ध नहीं है । पर्यटकों के इस समूह में पश्चिम बंगाल के हावड़ा, बांकुड़ा, दुर्गापुर और आसनसोल जिले के लोग शामिल हैं । इस संबंध में पूछे जाने पर पिथौरागढ़ जिलाधिकारी वी के जोगदांडे ने बताया कि उन लोगों के समक्ष आ रही समस्या से प्रशासन अवगत है। उन्होंने बताया कि उन्हें दवा समेत आवश्यक चीजें उपब्ध करायी जा रही है । जिलाधिकारी ने बताया कि उच्चाधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद ही उन्हें वापस उनके घरों को भेजा जा सकता है । उन्होंने बताया कि इस संबंध में अधिकृत अधिकारियों के पास पत्र भेजा चुका है। उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से जो भी निर्देश मिलेगा हम उसी के अनुरूप काम करेंगे ।


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नैनीताल में एक और कोरोना संक्रमण की पुष्टि, राज्य में संक्रमितों की संख्या हुई 48

देहरादून उत्तराखंड के नैनीताल जिले में आज एक और व्यक्ति में के संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके बाद अब राज्य में कुल 48 पॉजिटिव केस हो गए हैं। शुक्रवार को उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के आंकड़े जारी किए, जिसके मुताबिक नैनीताल जिले में एक और व्यक्ति की जांच रिपोर्ट में वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। नए केस को मिलाकर अब नैनीताल जिले में 10 पॉजिटिव हो गए हैं। जिसके बाद राज्य में कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 48 हो गया है। उत्तराखंड राज्य कोरोना कंट्रोल रूम के आंकड़ों के मुताबिक देहरादून में 25, नैनीताल में 10, उधमसिंहनगर जिले में 4 और हरिद्वार जिले में 7 मरीज कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। जबकि पर्वतीय जिले अल्मोड़ा और पौड़ी जिले में एक-एक संक्रमित हैं। अब तक 25 मरीज इलाज के बाद सही होकर घर के लिए डिस्चार्ज हो चुके हैं। बाकी कोरोना पॉजिटिव मरीज राज्य के विभिन्न अस्पतालों में आइसोलेसन में हैं। कोरोना कंट्रोल रूम के मुताबिक अभी तक 4,767 सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे गए, जिनमें 4,239 निगेटिव आईं और 327 सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार है। उत्तराखंड के देहरादून में सात हॉटस्पॉट हरिद्वार में तीन हॉटस्पॉट और नैनीताल जिले के हल्द्वानी में एक हॉटस्पॉट घोषित है।


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रमजान के दौरान मस्जिदों से धीमी आवाज में ही कर पाएंगे अजान, जिला प्रशासन से लेनी होगी इजाजत: उत्तराखंड पुलिस

देहरादून कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच उत्तराखंड में इस बार रमजान में सामूहिक नमाज और सामूहिक रोजा, इफ्तार पर पाबंदी रहेगी। इसके साथ ही मस्जिदों में होने वाली अजान को धीमी आवाज में करने के निर्देश भी दिए गए हैं। हालांकि इसपर जिला प्रशासन फैसला ले सकता है। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार ने बताया कि रमजान के दौरान भी लॉकडाउन का पालन सख्ती से किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'रमजान के संबंध में कुछ बातें स्पष्ट करना चाहता हूं। सामूहिक नमाज नहीं होगी, न मस्जिदों में होगी और न घरों में होगी। सामूहिक रोजा इफ्तारी भी नहीं होगी।' हालांकि, उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं के साथ जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों की बैठक में तय हुआ है कि सुबह और शाम को धीमी आवाज में साइरन बजेगा। यह साइरन केवल 10 प्रतिशत वाल्यूम पर चलेगा।' धार्मिक एकत्रीकरण पर पहले ही लगा है प्रतिबंध अशोक कुमार ने यह भी कहा कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अपने जिलों में अपने स्तर पर धीमी आवाज में अजान पढ़े जाने की अनुमति दे सकते हैं। इससे पहले राज्य ने कोविड-19 के खतरे के चलते लगाए गए लॉकडाउन के मद्देनजर अजान के लिए मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ ही राज्य में किसी भी तरह के धार्मिक एकत्रीकरण पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। (भाषा से इनपुट के साथ)


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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

उत्तराखंड में कोविड-19 मरीजों की संख्या 48 हुई

देहरादून, 24 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के एक और मामले की पुष्टि होने से इस महामारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 48 हो गयी है । अपर सचिव (स्वास्थ्य) युगल किशोर पंत ने यहां बताया कि कोरोना संक्रमित पाया गया 40 वर्षीय मरीज नैनीताल जिले के हल्द्वानी का निवासी है और पूर्व में इस रोग से पीड़ित एक व्यक्ति के संपर्क में आया था। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोविड-19 के 48 मरीजों में से 25 स्वस्थ हो चुके हैं । पंत ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् ने दून मेडिकल कॉलेज स्थित प्रयोगशाला को भी कोरोना जांच के लिए अधिकृत कर दिया है जिसके बाद उत्तराखंड में सरकारी क्षेत्र में तीन प्रयोगशालाएं सैंपल जांच के लिए उपलब्ध हो गयी हैं । हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज और एम्स ऋषिकेश में कोरोना जांच की सुविधा पहले ही उपलब्ध थी । इस बीच, कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत उत्तराखंड आईएएस एसोसिएशन ने अगले छह महीने तक प्रत्येक सदस्य का प्रति माह एक दिन का वेतन सहयोग राशि के रूप में मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का निर्णय किया है । एसोसिएशन की अध्यक्ष मनीषा पंवार ने बताया कि कोरोना संकट को देखते हुए आईएएस एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि आगामी छह महीने तक हर महीने एसोसिएशन के प्रत्येक सदस्य के वेतन से एक दिन के वेतन की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराई जाएगी।


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उत्तराखंड में सामूहिक नमाज और रोजा, इफ्तार पर पाबंदी

देहरादून, 24 अप्रैल (भाषा) कोरोना संकट के बीच उत्तराखंड में इस बार रमजान में सामूहिक नमाज और सामूहिक रोजा, इफ्तार पर पाबंदी रहेगी। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था, अशोक कुमार ने यहां बताया कि रमजान के दौरान भी लॉकडाउन का पालन सख्ती से किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘रमजान के संबंध में कुछ बातें स्पष्ट करना चाहता हूं। सामूहिक नमाज नहीं होगी, न मस्जिदों में होगी और न घरों में होगी। सामूहिक रोजा इफ्तारी भी नहीं होगी।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं के साथ जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों की बैठक में तय हुआ है कि सुबह और शाम को धीमी आवाज में साइरन बजेगा। यह साइरन केवल 10 प्रतिशत वाल्यूम पर चलेगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अपने जिलों में अपने स्तर पर धीमी आवाज में अजान पढ़े जाने की अनुमति दे सकते हैं।


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छह माह और तीन साल के दो बच्चों के खिलाफ प्राथमिकी, जिलाधिकारी ने अधिकारी को किया निलंबित

उत्तरकाशी, 24 अप्रैल (भाषा) गृह पृथक-वास का उल्लंघन करने के आरोप में माता—पिता के साथ-साथ छह माह के बच्चे और तीन साल की बच्ची के खिलाफ मामला दर्ज करने वाले कोविड-19 मजिस्ट्रेट को उत्तरकाशी के जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जिलाधिकारी आशीष चौहान ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत आठ साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता, इसी के मद्देनजर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान हरियाणा के पंचकुला से एक परिवार अपने दो छोटे बच्चों के साथ चिन्यालीसौड क्षेत्र में अपने गांव पहुंचा। इस परिवार को गृह पृथक-वास में रहने का निर्देश दिया गया लेकिन आरोप है कि उन्होंने इसका पालन नहीं किया। इसकी शिकायत जिलाधिकारी आशीष चौहान तक पहुंचने के बाद उन्होंने चिन्यालीसौड क्षेत्र में गृह पृथक-वास का पालन नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए। 51 लोगों की इस सूची में छह माह का एक बच्चा और तीन साल की बच्ची का नाम भी शामिल था। राजस्व पुलिस ने गृह पृथक-वास का पालन नहीं करने और दूसरों के जीवन को खतरे में डालने के आरोप में इनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। राजस्व पुलिस के इस कारनामे पर स्थानीय लोगों ने आपत्ति की जिस पर प्रशासन में हडकंप मच गया। इसका संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी चौहान ने इस मामले में संबंधित क्षेत्र के कोविड-19 मजिस्ट्रेट गिरीश सिंह राणा को निलंबित कर दिया।


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चारधाम तो खुलेंगे लेकिन श्रद्धालु नहीं आ पाएंगे

देहरादून, 24 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के उच्च गढवाल हिमालय में स्थित विश्वप्रसिद्ध चारधामों की वार्षिक यात्रा इस साल 26 अप्रैल को मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही शुरू हो जाएगी लेकिन कोरोना वायरस संकट के कारण श्रद्धालुओं को उनके दर्शन की अनुमति नहीं मिलेगी। उत्तराखंड के चारधाम के नाम से प्रसिद्ध बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद हर साल अप्रैल—मई में खुलते हैं और इस दौरान इन समारोहों में हमेशा हजारों श्रद्धालु शामिल होते रहे हैं। हालांकि, कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की छाया इस साल की चारधाम यात्रा पर पड़ी है । अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर 26 अप्रैल को उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खोल दिए जायेंगे और इसी के साथ चारधाम यात्रा की विधिवत शुरूआत हो जाएगी । केदारनाथ मंदिर के कपाट 29 अप्रैल को खुलेंगे जबकि बदरीनाथ के कपाट 15 मई को खुलेंगे । राज्य के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, ‘‘ आपासी मेल-जोल से दूरी के नियम के अनुपालन में हम अभी श्रद्धालुओं को मंदिर आने की अनुमति नहीं दे सकते । कपाट खुलने के समारोह में पूजा करने वाले पुजारियों और मंदिर समिति के अधिकारियों के एक चुनिंदा समूह को ही शामिल होने की अनुमति दी जा रही है ।' उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति के संबंध में लॉकडाउन समाप्त होने के बाद केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के आधार पर निर्णय किया जाएगा । महाराज ने कहा, ‘‘इस समय हमारी प्राथमिकता धार्मिक आस्था और परंपराओं का पालन करते हुए मंदिरों के कपाट खोलना है । बाकी निर्णय केंद्र के निर्देशों के आधार पर लिए जाएंगे।’’ कोरोना वायरस संक्रमण के कारण यात्रा और पर्यटन को पहुंचे नुकसान के बारे में मंत्री ने कहा कि इस झटके से उबरने के लिए एक कार्ययोजना बनायी जा रही है । उन्होंने कहा,‘‘ यात्रा पर सामाजिक मेलजोल से दूरी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए हम कई उपायों पर विचार कर रहे हैं जो लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी यह जारी रहेगा ।’’ महाराज ने बताया कि एक उपाय यह भी सोचा जा रहा है कि मंदिरों के निकट स्थित गुफाओं और 'ध्यान केंद्रों' पर फोकस किया जाए जिनमें स्वत: ही सामाजि मेलजोल से दूरी सुनिश्चित हो जाएगी । उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पर लॉकडाउन का प्रभाव और उससे निपटने में विभिन्न देशों द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में अध्ययन कर रहा है और उसके आधार पर आगे कदम उठाए जाएंगे ।


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गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

Lockdown in Uttarakhand: उत्तरकाशी में 6 महीने और 3 साल के बच्चे पर FIR

उत्तरकाशी उत्तराखंड में लॉकडाउन के बीच एक अनूठा मामला सामने आया है। यहां के उत्तरकाशी जिले में दो बच्चों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस कार्रवाई पर सवाल उठने के बाद डीएम ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। उत्तरकाशी में राजस्व पुलिस ने 51 लोगों के खिलाफ लॉकडाउन के दौरान होम क्वारंटीन का उल्लंघन करने पर केस दर्ज किया है। हैरानी की बात यह है कि इनमें से दो बच्चे हैं। एक बच्चा छह महीने और दूसरा तीन साल का है। मामला तूल पकड़ने के बाद उत्तरकाशी के डीएम ने कहा, 'जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत 8 साल से कम आयु के बच्चों के खिलाफ एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) नहीं दर्ज की जा सकती। इस मामले में जांच की जाएगी।' पढ़ें: इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के 47 मरीजों में से 24 ठीक हो चुके हैं और बहुत जल्द राज्य कोरोनामुक्त हो जाएगा। मुख्यमंत्री रावत ने कहा, 'अभी तक 47 पॉजिटिव केस राज्य में आए हैं जिनमें से 24 ठीक हो गए हैं।' राज्य में कोरोना को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण सहयोग देने के लिये कोरोना योद्धा के साथ ही प्रदेशवासियों को भी धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द हम कोरोना मुक्त राज्य में शामिल हो जाएंगे।' उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धा पूरी निष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं और साथ ही जनता ने भी दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन का परिचय देते हुए सरकार का सहयोग किया है। रावत ने कहा कि इसी का परिणाम है कि हम राज्य में कोरोना संक्रमण बढ़ने की दर को काफी कम रखने में सफल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजन का इसी प्रकार साथ मिलता रहा तो कोरोना के खिलाफ लंबी लड़ाई में अवश्य जीतेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कोरोना का पहला मरीज 15 मार्च को मिला था और इसके बाद राज्य सरकार ने अपने स्कूल-कॉलेज बंद करने का निर्णय लिया। पूरे देश में जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉकडाउन को लागू हुए एक महीना एक दिन बीत चुका है।


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लॉकडाउनः 42 साल में दूसरी बार गाड़ी से गौरीकुंड जाएगी बाबा केदार की डोली

देहरादून के इतिहास में दूसरी बार ऐसा होगा कि केदार भगवान की डोली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर से गौरीकुंड तक गाड़ी से पहुंचेगी। इससे पहले 1977 में ऐसा मौका सामने आया था। कोरोना महामारी के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए प्रशासन ने यह फैसला लिया। गुरुवार को जिला प्रशासन और मंदिर के कर्ता-धर्ताओं में शामिल पंचगाई समिति के बीच बनी सहमति के बाद और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए डोली यात्रा में जुटने वाली संभावित भीड़ को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया। 29 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खुलने का मुहूर्त निकला है। इसके लिए 26 अप्रैल को बाबा केदार की डोली ऊखीमठ से प्रस्थान करेगी। कोरोना संक्रमण के चलते कई धार्मिक और पौराणिक अनुष्ठानों में भी बदलाव किया जा रहा है ताकि लॉकडाउन के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्णतया पालन सुनिश्चित हो सके। 29 अप्रैल को खुलेंगे कपाट रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल के अनुसार मंदिर से 16 लोगों की सूची अनुमति के लिए आई है, जबकि 20 से अधिक लोगों को डोली के साथ केदारनाथ जाने की अनुमति प्रशासन नहीं देगा। बाबा केदार की डोली 26 अप्रैल ऊखीमठ से गाड़ी में प्रस्थान कर रात्रि विश्राम गौरीकुंड में करेगी। 27 अप्रैल को गौरीकुंड से भीमबली पहुंचकर डोली का रात्रि विश्राम होगा। 28 अप्रैल को डोली भीमबली से केदारनाथ पहुंचेगी, जहां 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोले जाएंगे। बताया गया कि 42 सालों में यह दूसरा मौका होगा जब बाबा केदार की डोली के दर्शन लोग अपनी छतों से ही कर सकेंगे। सुरक्षा व्यवस्था के बीच डोली जब ऊखीमठ से रवाना होगी, तो लोग महज अपने घरों की छतों, आंगन से ही डोली से आशीर्वाद लेंगे। पिछले साल तक तमाम श्रद्धालु भजन गाते डोली के साथ केदार जाते थे।


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अप्रवासी भारतीय, विदेशी ऋषिकेश में कर रहे जनसेवा

ऋषिकेश, 23 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के ऋषिकेश में लॉकडाउन के कारण फंसे तीन विदेशी और एक अप्रवासी भारतीय ने इस मौके का उपयोग गरीब मजदूरों को भोजन देने और उनकी सेवा करने में कर रहे हैं। नगर निगम ऋषिकेश के आयुक्त नरेंद्र सिंह क्विंरियाल ने बताया कि अलग अलग देशों के तीन नागरिक और एक एनआरआई लॉकडाउन में अपने गंतव्य पर नहीं जा सके तो उन्होंने ऋषिकेश की मलिन बस्ती में रह रहे गरीब मजदूरों को भोजन देने और उनकी सेवा करने का संकल्प ले लिया। क्विंरियाल ने बताया कि पहले दिन तो एनआरआई वरुण जुनेजा ने 300 पैकेट पका खाना बांटने को निगम को दिए। जुनेजा यहां योग सीखने आए थे वहीं इंग्लैंड के हेनरी, नीदरलैंड के रिलिंडे और जर्मनी की ईवा भी यहां आए हुए थे। इन चारों ने संकल्प लिया कि लॉकडाउन में उनके आसपास कोई भूखा नहीं रहना चाहिए। इसके बाद इन चारों विदेशियों ने निजी खर्च से रोजाना 300 खाद्यान्न किट नगर निगम ऋषिकेश को देना शुरू कर दिया जिसमें पांच किलो आटा, तीन किलो चावल , मलका व अरहर की एक-एक किलो दाल, मसाले, नमक आदि सामग्री होती है। क्विंरियाल ने कहा कि ये लोग ऋषिकेश योग व आध्यात्मिक ज्ञान के लिए आए थे लेकिन अब उन्होंने जन सेवा को अपने जीवन के अध्यात्म का लक्ष्य बना लिया है।


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उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के 47 मरीजों में से 24 ठीक हो चुके : रावत

देहरादून, 23 अप्रैल (भाषा) मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के 47 मरीजों में से 24 ठीक हो चुके हैं और बहुत जल्द राज्य कोरोनामुक्त हो जाएगा। यहां मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘‘अभी तक 47 पॉजिटिव केस राज्य में आए हैं जिनमें से 24 ठीक हो गए हैं।’’ राज्य में कोरोना को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण सहयोग देने के लिये कोरोना योद्धा के साथ ही प्रदेशवासियों को भी धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द हम कोरोना मुक्त राज्य में शामिल हो जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धा पूरी निष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं और साथ ही जनता ने भी दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन का परिचय देते हुए सरकार का सहयोग किया है। रावत ने कहा कि इसी का परिणाम है कि हम राज्य में कोरोना संक्रमण बढ़ने की दर को काफी कम रखने में सफल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजन का इसी प्रकार साथ मिलता रहा तो कोरोना के खिलाफ लंबी लड़ाई में अवश्य जीतेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कोरोना का पहला मरीज 15 मार्च को मिला था और इसके बाद राज्य सरकार ने अपने स्कूल-कॉलेज बंद करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में जनता कफर्यू और उसके बाद लॉकडाउन को लागू हुए आज एक महीना एक दिन हो गया है। रावत ने कहा कि उत्तराखंड आज कोरोना की रोकथाम में देश में तीसरे नंबर पर है और प्रशासनिक तंत्र के साथ ही इसमें पुलिस, सामाजिक संगठनों एवं आमजनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भविष्य में भी जनता इसी तरह से पूरे संयम के साथ आगे भी सहयोग देती रहेगी। इस बीच, उत्तराखंड में बृहस्पतिवार को सामने आया कोरोना का 47 वां मरीज 54 वर्षीय एक व्यक्ति है जो तबलीग जमात के संक्रमित सदस्यों के संपर्क में रहा था। यहां स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह व्यक्ति मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले उस आठ सदस्यीय दल में शामिल है जिसमें से दो जमात सदस्य समेत चार व्यक्ति पहले की कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।


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