मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021

Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड के रामगढ़ में मची तबाही, क्या होता है बादल का फटना? समझिए, क्यों पूर्वानुमान करना है मुश्किल

नैनीताल उत्तराखंड में कुदरत का कहर जारी है। भारी बारिश से तबाही मचने के साथ ही नैनीताल के रामगढ़ में बादल फटने का हादसा भी हुआ है। कई लोगों की मौत की आशंका है और कई लोगों को सुरक्षित निकाला भी गया है। हाल के दिनों में पहाड़ी प्रदेशों में बादल फटने की कई घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे में यह सवाल फिर से उठने लगे हैं कि क्या इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है? विशेषज्ञों ने इस घटना को समझाते हुए जवाब दिया है। बादल फटने से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के प्रभावित होने के सिलसिले में विशेषज्ञों का कहना है कि इस आपदा का पूर्वानुमान करना मुश्किल है क्योंकि यह मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर होने वाली घटना है और पर्वतीय क्षेत्रों में हुआ करती है। किसे कहते हैं बादल फटना? विशेषज्ञों ने बताया कि किसी स्थान पर एक घंटे में यदि 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है तो इसे बादल का फटना कहा जाता है। अचानक इतनी अधिक मात्रा में वर्षा होने से न सिर्फ जनहानि होती है बल्कि संपत्ति को भी नुकसान होता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युजंय महापात्रा ने कहा कि बादल फटने की घटना बहुत छोटे क्षेत्र में होती है और यह हिमालयी क्षेत्रों या पश्चिमी घाट के पर्वतीय इलाकों में हुआ करती है। उन्होंने कहा कि जब मॉनसून की गर्म हवाएं ठंडी हवाओं के संपर्क में आती है तब बहुत बड़े आकार के बादलों का निर्माण होता है। ऐसा स्थलाकृति या पर्वतीय कारकों के चलते भी होता है। स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलवत ने कहा कि इस तरह के बादल को घने काले बादल कहा जाता है और यह 13-14 किमी की ऊंचाई पर हो सकते हैं। यदि वे किसी क्षेत्र के ऊपर फंस जाते हैं या उन्हें छितराने के लिए कोई वायु गति उपलब्ध नहीं होती है तो वे एक खास इलाके में बरस जाते हैं। इस महीने, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं हुई। ये सभी पर्वतीय इलाके हैं। ...पर भारी बारिश का अलर्ट दे सकते हैं महापात्रा ने कहा, ‘बादल फटने का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता। लेकिन हम बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के मामले में हमने एक रेड अलर्ट जारी किया था।’ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम राजीवन ने कहा कि बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इसका पूर्वानुमान करना मुश्किल है लेकिन डोप्पलर रेडार उसका पूर्वानुमान करने में बहुत मददगार है। हालांकि, हर जगह रेडार नहीं हो सकता, खासतौर पर हिमालयी क्षेत्र में।


from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times https://ift.tt/2Z0FyI5

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें