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समिति के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी ने धामी से भेंट कर उन्हें अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। हालांकि, अभी इस बारे में कुछ सार्वजनिक नहीं किया गया है कि रिपोर्ट में समिति ने क्या सुझाव दिए हैं।
गौरतलब है कि चारों हिमालयी धामों—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों द्वारा देवस्थानम बोर्ड के विरोध में लंबे समय तक आंदोलनरत रहने के मद्देनजर धामी ने वरिष्ठ भाजपा नेता ध्यानी की अध्यक्षता में इस उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।
मुख्यमंत्री बनने के बाद 21 जुलाई को अपने उत्तरकाशी दौरे में यह घोषणा करते हुए धामी ने कहा था कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के परीक्षण और उस पर 'सकारात्मक संशोधन' का सुझाव देने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जा रही है।
उन्होंने कहा था कि यह समिति अधिनियम के विधिक पहलुओं का आकलन कर यह सुनिश्चित करेगी कि इससे चारधाम यात्रा से जुड़े हक—हकूकधारियों, पुजारियों तथा अन्य हितधारकों के पारंपरिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
लंबे समय से आंदोलनरत चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि बोर्ड का गठन उनके अधिकारों का हनन है।
देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था जिसके तहत चार धामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था।
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