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वरिष्ठ वकील और वन तथा वन्यजीव संरक्षण मामलों के जानकर गौरव कुमार बंसल द्वारा इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका पर एनटीसीए ने य ह तीन सदस्यीय समिति गठित की थी।
समिति ने सक्षम अधिकारी की वित्तीय और तकनीकी मंजूरी के बिना कालागढ़ वन प्रभाग में कण्डी मार्ग सहित पांखरो व मोर घट्टी वन विश्राम गृह आदि समस्त नव निर्माणों को ध्वस्त करके पुरानी इको स्थिति बहाल करने तथा इसमें हुए व्यय की वसूली कालागढ़ वन प्रभाग के कथित संलिप्त अधिकारी से करने को कहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कण्डी रोड, पांखरो व मोरघट्टी आदि स्थानों पर चल रहे कार्यों को लेकर संलिप्त अधिकारी द्वारा जाँच समिति को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के फर्जी व कूटरचित होने के कारण संलिप्त अधिकारी पर आपराधिक मामला भी चलाया जाना चाहिए। इस संबंध में जांच समिति ने कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक ने संलिप्त अधिकारी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की सत्यता से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया।
जाँच समिति ने संलिप्त डीएफओ पर उत्तराखंड सरकार से विजिलेंस जांच गठित कर कार्रवाई करने को भी कहा है। मौके पर जाकर जांच करके तैयार की अपनी रिपोर्ट में समिति ने कहा कि केवल पांखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी की ही पूर्वानुमति थी।
मौके पर पेड़ कटान की वस्तु स्थिति जानने के लिए समिति ने भारतीय वन सर्वेंक्षण और रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट के नक्शों में मिलान कर काटे गए वृक्षों की सही संख्या का पता लगाने को भी कहा है ।
समिति ने टाइगर सफारी को विवादित व जनता के धन की बर्बादी बताते हुए कहा है कि संलिप्त अधिकारी ने कण्डी रोड़ पर निर्माण कार्य में उच्चतम न्यायालय के नौ अप्रैल 2001 के आदेश का भी उल्लंघन किया है।
एनटीसीए के सहायक वन महानिरीक्षक हेमंत सिंह ने जांच समिति की इन सिफारिशों को 22 अक्टूबर को अतिरिक्त वन महानिदेशक (प्रोजेक्ट टाइगर) और एनटीसीए के सदस्य सचिव को भेज दिया है ।
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