रविवार, 24 अक्टूबर 2021

उत्तराखंड की 'जल प्रलय' का एसडीआरएफ और पुलिस ने मोड़ा रास्ता, डीजीपी ने कही ये बातें

देहरादून उत्तराखंड पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की मुस्तैदी के चलते प्रदेश में अतिवृष्टि बनकर बरसी आपदा अधिक भयावह रूप नहीं ले पाई। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने रविवार को कहा कि पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) ने लगभग 65 हजार लोगों को आपदा में फंसने से पहले ही रोक लिया। नैनीताल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि मौसम खराब होने की चेतावनी के 24 घंटे पहले आने के कारण लगभग 48000 लोगों को गढ़वाल में और लगभग 17000 लोगों को कुमाऊं में समय रहते ऊपर चढ़ने से रोक लिया गया, जिससे वे आपदा में नहीं फंसे। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि 48000 अन्य को समय रहते ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया जबकि आपदा में फंस गए दस हजार लोगों को सकुशल बचाया गया। उन्होंने कहा कि कुमाऊं में साढ़े नौ हजार लोगों को जबकि गढ़वाल में 500 लोगों को बचाया गया। अब भी लापता हैं 14 लोग, ट्रैकर्स भी शामिल पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि अभी तक प्रदेश में आपदा से 76 मौतें हुई हैं जिनमें से 59 मौतें कुमाऊं में और 17 गढ़वाल में हुईं। उन्होंने कहा कि 33 अन्य घायल हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 14 लोग अब भी लापता हैं जिनमें से आठ ट्रैकर्स हैं जो मलबे आदि में दब गए या बह गए। पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में जैसे पिथौरागढ़ में गुंजी और दारमा, बागेश्वर में पिंडारी की तरफ और उत्तरकाशी में अभी तलाश और बचाव अभियान चल रहा है। तलाश के लिए चलाया जा रहा अभियान इसके अतिरिक्त नैनीताल जिले के रामगढ़ में तीन लापता लोगों को तलाशने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। आपदा में पुलिस और एसडीआरएफ के काम को उल्लेखनीय बताते हुए कुमार ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि आपदा में अच्छा काम करने वाले कार्मिकों को अगले साल 26 जनवरी को पदक से सम्मानित किया जाएगा।


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