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नैनीताल, 16 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या राजमार्ग के निर्माण के लिए उचित अनुमति ली गई थी, जिसका हिस्सा एक राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरता है। मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि राजमार्ग के इस खंड के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर जो पेड़ों की कटाई की जा रही है, उसके बदले में क्या उनकी कोई उनकी क्षतिपूरक वनीकरण योजनाएं हैं। अदालत शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार देहरादून और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के गणेशपुर के बीच 19 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग का एक खंड बना रहा है और तीन किलोमीटर सड़क राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरेगी। हल्द्वानी के रहने वाले अमित खोलिया द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सड़क के चौड़ीकरण के कारण पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र के नौ हेक्टेयर को कम किया जा रहा है और यह वन्यजीवों को प्रभावित कर सकता है। लगभग 2,700 पेड़, जिनमें से कई लगभग 100-150 साल पुराने हैं और राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए गए हैं, को काट दिया जाएगा। याचिका में कहा गया कि ऐसी परिस्थितियों में, केंद्र सरकार को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है और इसकी मंजूरी वन विभाग द्वारा जांच के बाद ही दी जाती है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि नियत प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। अदालत ने राज्य सरकार से 18 मार्च तक विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है।
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