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देहरादून कोरोना वैक्सीन भारत से बस चंद कदम दूर है। इसे लेकर पूरे देश में तैयारियां चल रही हैं। वहीं उत्तराखंड में वैक्सीन को ड्रोन के जरिए दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों तक पहुंचाने का ट्रायल किया जा रहा है। इस प्रैक्टिस का नवंबर में पहला ट्रायल हुआ था, इसमें फिक्स्ड विंग ड्रोन एक आइस बॉक्स में मेडिसिन बॉक्स लेकर देहरादून से मसूरी गया था। इसमें एक घंटे का वक्त लगा था। उत्तराखंड ड्रोन ऐप्लिकेशन ऐंड रिसर्च सेंटर (डीएआरसी) डायरेक्टर अमित सिन्हा ने बताया, 'यह वैक्सीन डिलिवर करने का प्रभावी और समय की बचत वाला तरीका हो सकता है। दुर्गम स्थानों पर वैक्सीन पहुंचाना हमारा पहला लक्ष्य है।' इससे पहले जून 2019 में एक अनमैन्ड एरियल वीइकल (यूएवी) के जरिए टिहरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से करीब 36 किमी दूर ब्लड सैंपल भेजे गए थे। सड़क मार्ग को यह रास्ता तय करने में 70 से 100 मिनट का समय लगता है जबकि ड्रोन के जरिए इसे 18 मिनट में पहुंचा दिया गया। वैक्सीन को -5 से -80 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर करने की भी जरूरत है। अमित सिन्हा ने बताया, हम टेम्परेचर कंट्रोल करने की दिशा पर काम कर रहे हैं। अभी तक हम इसे 5 से 7 डिग्री तापमान तक मैनेज कर चुके हैं। एक्सपर्ट से टेक्निकल गाइडेंस ली जा रही है। सिन्हा ने बताया कि प्रोसेस शुरू करने से पहले राज्य को डीजीसीए से अनुमति लेनी होगी। उन्हंने बताया, पेलोड भारी होगा इसलिए डीजीसीए से इजाजत लेना जरूरी होगा। उत्तराखंड अपने 94,000 हेल्थवर्कर के टीकाकरण की लिस्ट केंद्र को भेज चुका है। इसमें नर्स, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, मेडिकल स्टूडेंट, आशा वर्कर, एएनएम और दूसरे स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल हैं।
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