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पुलकित शुक्ला, देहरादून उत्तरांखड के विश्वविद्यालयों को एक कानून के दायरे में लाने वाला विश्वविद्यालय विधेयक 'अंब्रेला बिल' राजभवन ने वापस लौटा दिया है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अंब्रेला विधेयक को कई आपत्तियों के साथ विधानसभा को वापस लौटाया है। राजभवन की ओर से विधेयक में कुछ प्रावधानों को राजकीय विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के विपरीत पाया गया है। इसके साथ ही कुलपति के चयन में राज्यपाल के अधिकारों को भी कम करने पर आपत्ति जताई गई है। पिछले विधानसभा सत्र में प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2020 (अंब्रेला बिल) पारित कराकर राजभवन में मंजूरी के लिए भेजा था। लंबे समय तक राजभवन में विचाराधीन रहने के बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने से 2 दिन पहले ही राज्यपाल ने इस बिल को पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद प्रदेश सरकार विधेयक की राजभवन से स्वीकृति को लेकर आश्वस्त थी। हालांकि राजभवन ने विधेयक के प्रावधानों पर कड़े शब्दों में आपत्ति व्यक्त की है। राजभवन के इस रुख से प्रदेश सरकार असहज स्थिति में है। राजभवन की ओर से पुनर्विचार के लिए लौटाए गए विधेयक के साथ राज्यपाल ने एक चिट्ठी भी भेजी है। इस चिट्ठी में विधेयक के प्रावधानों से संबंधित आपत्तियों का जिक्र किया गया है। शासकीय प्रवक्ता और संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि राजभवन की ओर से विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाने की अभी जानकारी नहीं है। यदि विधेयक को लौटाया जाता है तो उसका पुनः परीक्षण कर भेजा जाएगा। विश्वविद्यालय की स्वायत्तता के विपरीत बताए प्रावधान राजभवन की ओर से सरकार को भेजी गई चिट्ठी में विधेयक के प्रावधानों को लेकर कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई है। इसमें प्रमुख रूप से विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। चिट्ठी में जिक्र किया गया है कि विश्वविद्यालय के क्रियाकलापों में सरकार के अधिक हस्तक्षेप से विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता की अवधारणा प्रभावित होगी। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर कुलाधिपति यानी राज्यपाल की भूमिका को सीमित करने पर भी राजभवन ने आपत्ति जताई है। विधेयक में प्रावधान है कि राज्य सरकार की सिफारिश या सहमति के बिना राज्यपाल कुलपति नियुक्त नहीं कर पाएंगे। क्या है यह अंब्रेला विधेयक उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालयों को एक कानून के दायरे में लाने के उद्देश्य से सरकार पिछले विधानसभा सत्र में यह विधेयक विधानसभा में लाई थी। इस विधेयक को विश्वविद्यालय विधेयक 2020 (अंब्रेला बिल) नाम दिया गया था। विधानसभा में यह विधेयक पारित होने के बाद राजभवन स्वीकृति के लिए भेजा गया था।
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