बुधवार, 21 जुलाई 2021

Uttrakhand Rain: चंपावत में भूस्खलन में फंसे पर्यटक, नदी-नाले पार कर आपदा प्रभावित इलाकों में पहुंचे CM धामी

देहरादून उत्तराखंड के चंपावत जिले में टनकपुर-घाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगातार बारिश से हुए भूस्खलन के कारण करीब दो दर्जन लोग अब भी फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी में बादल फटने से प्रभावित गांवों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। टनकपुर-घाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर विश्रामघाट में भूस्खलन के मलबे के कारण रास्‍ता बंद हो गया। फंसे लोगों के लिए चंपावत जिला प्रशासन की तरफ से ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। मलबा हटाकर रास्‍ता खोलने का कार्य किया जा रहा है। चंपावत के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मनोज पांडे ने बताया कि लगातार बारिश के दौरान मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्ग पर आठ स्थानों पर पहाड़ों से हुए भूस्खलन के चलते यातायात बंद हो गया था, जिससे करीब 150 लोग फंस गए थे। उन्होंने बताया कि इनमें से ज्यादातर लोगों को देवीधुरा के रास्ते हल्द्वानी भेज दिया गया जबकि करीब दो दर्जन लोग अब भी रास्‍ते से मलबा हटाये जाने का इंतजार कर रहे हैं। तलाश और बचाव अभियान जारी पांडे ने बताया कि सात स्थानों पर मंगलवार शाम तक वाहनों का आवागमन सुचारू कर दिया गया, लेकिन विश्रामघाट में भारी मलबा आने और लगातार बारिश होने से मार्ग अभी साफ नहीं हो पाया है। बाराकोट तहसील के रोनीगाड में बारिश के दौरान एक महिला बह गई। उसकी खोज के लिए भी तलाश और बचाव अभियान चलाया जा रहा है। हरसंभव मदद का दिया आश्‍वासन मुख्यमंत्री बुधवार को उत्तरकाशी के बादल फटने से प्रभावित गांवों मांडौ और कंकराडी की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां पहुचे और उन्होंने प्रभावितों को सरकार से हरसंभव मदद का भरोसा दिया। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के साथ मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने मांडौ और कंकराडी गांवों के लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। उन्होंने ग्रामीणों की मांग पर उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित को मांडौ गांव के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए । बादल फटने से तीन महिलाओं की गई थी जान मांडौ गांव में रविवार देर रात बादल फटने से एक बालिका समेत एक परिवार की तीन महिलाओं की मौत हो गई थी जबकि पास के कंकराडी गांव में एक व्यक्ति लापता हो गया था। प्रदेश के अनेक स्थानों पर हो रही बारिश से नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए नदियों के किनारे रहने वाले लोगों और पर्यटकों को नदी-नालों से दूर रहने की सलाह दी गई है।


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