करन खुराना, देहरादून उत्तराखंड प्रदेश में यूजेवीएन लिमिटेड, उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन और के संयुक्त मोर्चा ने 14 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला लिया था। तकरीबन 3500 अधिकारी और कर्मचारी इस संयुक्त मोर्चे में शामिल थे। सोमवार रात 12 बजे से इस हड़ताल की घोषणा हुई थी। सोमवार को संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों की बैठक ऊर्जा सचिव आईएएस सौजन्य और मुख्य सचिव एस एस संधू के साथ हुई, लेकिन दोनों बैठकों का परिणाम संयुक्त मोर्चे के अनुरूप नही था, जिस कारण रात 12 बजे से हड़ताल घोषित कर दी गई थी। बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने हड़ताल की घोषणा के कारण पूरे प्रदेश में हड़कम्प मच गया। इस कारण सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए प्रदेश में एस्मा कानून लागू कर दिया। जिसके अंतर्गत अगले छह महीने तक यूजेवीएन लिमिटेड, उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन और पॉवर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड के कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकते। ऊर्जा सचिव आईएएस सौजन्य ने नवभारतटाइम्स ऑनलाइन को बताया कि इसके बावजूद अगर हड़ताल की जाती है तो कर्मचारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई होगी। साथ ही ऊर्जा सचिव ने बताया कि बिजली घरों को चलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर ली गई है। संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों ने बताया कि ऊर्जा सचिव ने उनको आश्वस्त किया था कि 27 जुलाई को होने वाली कैबिनेट में उनकी समस्याओं का निस्तारण होगा, लेकिन कैबिनेट में इस संबंध में कोई चर्चा तक नहीं हुई। इसके बाद कैबिनेट ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत, आईएएस दीपक रावत, आईएएस नीरज खैरवाल और संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों में एक बैठक हुई। जिसमें कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने एक माह में उनकी बिजली कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण करने का आश्वासन दिया। जिसके बाद संयुक्त मोर्चे ने हड़ताल स्थगति करने का फैसला लिया।
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