शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

देहरादून में एसटीपीआई इन्क्यूबेशन सेंटर का शिलान्याय

देहरादून, 27 नवंबर (भाषा) केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को यहां एसटीपीआई इन्क्यूबेशन केन्द्र का शिलान्यास किया। वर्चुअल माध्यम से शिलान्यास करने के बाद प्रसाद ने उत्तराखंड को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं भारत की सभ्यतागत संस्कृति का केन्द्र बताया और कहा कि इन्क्यूबेशन का मतलब सृजन है जहां से वेदों की शुरूआत हुई थी। उन्होंने कहा कि केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगा एवं यमुना के उद्गम स्थल उत्तराखण्ड से आज टेक्नॉलाजी को इंक्यूबेट किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने एसटीपीआई के अधिकारियों को इस इन्क्यूबेशन सेंटर को बेहतर एवं आधुनिक बनाने के निर्देश भी दिए । स्टार्टअप के क्षेत्र में उत्तराखंड में संभावनाओं को प्रबल बताते हुए उन्होंने कहा कि देहरादून एवं हल्द्वानी में बीपीओ बनाये गये हैं । उन्होंने बताया कि ‘चुनौती’ नाम की एक नई योजना चलाई जा रही है जिसका उद्देश्य छोटे शहरों के बच्चों में सृजनात्मकता का विकास करना है । प्रसाद ने कहा कि देहरादून में एक रोबोटिक सेंटर बनाया जाए और इसमें उन्होंने राज्य सरकार को पूरा सहयोग देने की भी बात की । उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का एक ब्रांड अध्यात्म है तो दूसरा रोबोटिक बनना चाहिए। उत्तराखंड के लोगों में कार्य करने की क्षमता को असीमित बताते हुए प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री रावत की अगुवाई में उत्तराखण्ड राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री रावत ने देहरादून में जल्द ही एक रोबोटिक लैब की स्थापना करने की घोषणा की । उन्होंने कहा कि इसके लिए भूमि भी उपलब्ध है। रावत ने उम्मीद जताई कि एसटीपीआई देहरादून इन्क्यूबेशन केन्द्र उत्तराखंड में निवेश को आकर्षित करने तथा उसे सूचना प्रोद्यौगिकी गंतव्य के रूप में स्थापित करने में मददगार होगा। रावत ने केंद्रीय मंत्री प्रसाद से काशीपुर में आरक्षित 100 एकड़ भूमि में इलेक्ट्रॉनिक एवं मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर के लिए सहयोग देने एवं राज्य में भारत नेट फेज 2 का जल्द कार्य शुरू करवाने का अनुरोध किया। इसी दौरान, मुख्यमंत्री रावत एवं केंद्रीय सूचना तकनीकी राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने ई-वेस्ट स्टूडियो का उद्घाटन भी किया। आईटीडीए के निदेशक श्री अमित कुमार सिन्हा ने ई-वेस्ट स्टूडियो के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि यह स्टूडियो पूरी तरह से पुनर्चक्रित ई-कचरे से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि इस स्टूडियो को बनाने के लिए एकत्रित ई-कचरे को पुनः उपयोग कर 25 कंप्यूटर तैयार किये गए और उन्हें जिले के 10 प्राथमिक विद्यालयों को भेंट किया गया।


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