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देहरादूनगंगा की अविरलता और संरक्षण की मांग को लेकर मातृ सदन में पर बैठीं को अनशन के 47वें दिन ने देर रात जबरन उठाकर दून अस्पताल में भर्ती करा दिया है। पुलिस के अनुसार, उसने यह कार्रवाई रात में सीएमओ की ओर से जारी साध्वी के स्वास्थ्य बुलेटिन के आधार पर की है। इस घटना के बाद मातृ सदन की ओर से शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, एसडीएम कुश्म चौहान, सीएमओ डॉ सरोज नैथानी, लक्सर के एसडीएम सुनैना राणा और थानाध्यक्ष के खिलाफ कोर्ट में एक वाद भी दायर किया गया है। साध्वी पद्मावती का कहना है कि प्रशासन को जो भी उपचार देना है मातृ सदन में देना होगा। वह अपना अनशन समाप्त नहीं करेंगी। गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए 15 दिसंबर को साध्वी पद्मावती ने मातृ सदन में आमरण अनशन शुरू किया था। मंगलवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश लेकर यूपी के अधिकारी भी हरिद्वार पहुंचे थे, लेकिन साध्वी ने अनशन खत्म करने से इनकार कर दिया था। इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश का पत्र लेकर उनके जल संसाधन मंत्री हरिद्वार के मातृ सदन पहुंचे थे। इन लोगों ने साध्वी से अनशन खत्म करने को कहा था, लेकिन साध्वी ने नीतीश का धन्यवाद देते हुए अनशन मांग पूरी होने तक जारी रखने का फैसला लिया था। साध्वी पद्मावती को देर रात पुलिस के द्वारा बलपूर्वक उठाने के बाद अब मातृ सदन आश्रम के ब्रह्मचारी संत आत्मबोधानंद अनशन पर बैठ गए हैं। आत्मबोधानंद इससे पूर्व 9 बार अनशन कर चुके हैं। पिछली दफा उन्होंने वर्ष 2018 में 194 दिनों तक आमरण अनशन किया था। जब सरकार ने प्रफेसर जीडी अग्रवाल और ज्ञान स्वरूप सानंद को उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया था, तब आत्मबोधानंद अनशन पर बैठे थे। आत्मबोधानंद का कहना है कि प्रशासन की ओर से साध्वी को जबरन उठाया गया है। पुलिस उन्हें जबरन कुछ खिला-पिला कर अनशन समाप्त कराना चाहती है। वह पहले ही घोषणा कर चुके थे कि साध्वी को उठाने पर वह अपना अनशन शुरू कर देंगे। इसलिए रात में ही उन्होंने गंगा रक्षा के लिए अपना अनशन शुरू कर दिया है।
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