शनिवार, 22 जून 2019

टूर ऑपरेटरों के आपसी झगड़े में पिस रहे हैं चारधाम यात्रा के तीर्थयात्री

एमएस नवाज, हरिद्वार माधव बंसल (50) शुक्रवार को अपने परिवार के चार सदस्‍यों के साथ हरिद्वार से चार धाम यात्रा के लिए निकल पड़े। इस यात्रा के लिए उन्होंने एक ट्रैवल एजेंट से कार बुक कराई थी। लेकिन शांतिकुंज के पास बनी एक चेक पोस्‍ट पर एक 'गश्‍ती दल' ने उन्‍हें रोक लिया। इसके बाद ये लोग जबरन सभी को सिटी मैजिस्‍ट्रेट के दफ्तर ले गए। यहां तीन घंटे फंसे रहने के बाद बंसल और उनके परिवार को का इरादा बीच में ही छोड़ना पड़ना। ये 'गश्‍ती दल' या 'पेट्रोल टीम' कुछ टूर ऑपरेटरों ने बनाई हैं। इनका दावा है कि जिला प्रशासन और अवैध वाहनों को नहीं रोक पा रहे हैं इसलिए उन्‍हें इस तरह हरिद्वार में अवैध वाहनों को रोकना पड़ रहा है। उनके अनुसार, कुछ टूर ऑपरेटर चार धाम यात्रा के श्रद्धालुओं के लिए गैर पंजीकृत गाड़‍ियों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं और प्रशासन भी आंखें बंद किए हुए है। नुकसान श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों का लेकिन इसका नुकसान श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों को उठाना पड़ता है। उनकी यात्रा बीच में ही ठप हो जाती है। इन स्‍वयंभू गश्‍ती दलों का कहा है कि कुछ टूर ऑपरेटर प्राइवेट गाड़ियों को टैक्‍सी की तरह इस्‍तेमाल करते हैं और इस तरह आरटीओ के पास टैक्‍सी का टैक्‍स जमा करने से बच जाते हैं। दूसरी तरफ बंसल का कहना है, 'हमें क्‍या पता हरिद्वार में क्‍या चल रहा है। हमने एक टैक्‍सी बुक की थी, उसका अडवांस भी जमाकर दिया था। लेकिन हमारी कार बीच में ही खुद को पेट्रोल पार्टी बताने वालों ने रोक लिया। जब हमने टूर ऑपरेटर से संपर्क किया तो उसने मामले से कन्‍नी काटने की कोशिश की। हमें इन लोगों ने जबर्दस्‍ती घंटों रोक लिया, मजबूरन हमें अपनी यात्रा स्‍थगित करनी पड़ी।' 'दोष आरटीओ का' ये गश्‍ती दल हरिद्वार टूर ऐंड ट्रैवल असोसिएशन ने बनाए हैं। यह संगठन प्राइवेट कारों को टैक्‍सी की तरह इस्‍तेमाल किए जाने पर आरटीओ को ही दोष देता है। इसके महासचिव सुमित श्रीकुंज कहते हैं, 'हमने पुलिस और एआरटीओ से कई बार कहा कि इन टूर ऑपरेटरों के खिलाफ कुछ करें लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हमें अफसोस है कि इसकी वजह से ट‍ूरिस्‍टों को परेशान होना पड़ता है। टैक्‍सी मैक्‍सी यूनियन ने भी इसका विरोध किया लेकिन अभी तक अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया है।' 'तीर्थयात्री आगे आएं' अपने बचाव में आरटीओ का कहना है कि यह जानना तब तक असंभव है कि किस प्राइवेट गाड़ी का इस्‍तेमाल टैक्‍सी के तौर पर हो रहा है जब तक खुद तीर्थयात्री ही इसकी जानकारी न दे दें। वह कहते हैं, 'हमारे टीमें रूटीन में कार्रवाई कर रही हैं। लेकिन असलियत तो यह है कि बिना स्‍थानीय लोगों की मदद के कोई प्राइवेट वाहनों को टैक्‍सी की तरह इस्‍तेमाल नहीं कर सकता। हम रूटीन जांच करते ही रहते हैं इस मामले में तीर्थयात्रियों को भी आगे आना चाहिए, नहीं तो हमें कैसे पता चलेगा कि किसी प्राइवेट गाड़ी में टूरिस्‍ट हैं या लोकल हैं।'


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